पृथ्वी-II मिसाइल
हाल ही में भारत ने ओडिशा तट से दूर परीक्षण रेंज से सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-II का सफल परीक्षण किया।
पृथ्वी-II मिसाइल:
- परिचय:
- पृथ्वी-II देश में विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है, जिसकी रेंज लगभग 250-350 किमी. है और यह एक टन पेलोड ले जाने में सक्षम है।
- पृथ्वी-II वर्ग एकल-चरण तरल-ईंधन वाली मिसाइल है, जिसमें 500-1000 किग्रा. की वारहेड माउंटिंग क्षमता है।
- यह एक प्रमाणित मिसाइल है जिसमें उच्च सटीकता के साथ लक्ष्यों को भेदने की क्षमता है।
- यह अत्याधुनिक मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने के लिये कुशल प्रक्षेपवक्र के साथ उन्नत जड़त्वीय निर्देश प्रणाली (Inertial Guidance System) का उपयोग करती है।
- इसे शुरू में भारतीय वायु सेना के लिये प्राथमिक उपयोगकर्त्ता के रूप में विकसित किया गया था और बाद में इसे भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
- जब मिसाइल को वर्ष 2003 में पहली बार भारत के सामरिक बल कमांड में शामिल किया गया था, यह IGMDP के तहत विकसित पहली मिसाइल थी।
- विकास:
- भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा अपने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के अंतर्गत विकसित।
पृथ्वी मिसाइल:
- पृथ्वी मिसाइल प्रणाली में सतह-से-सतह पर मार करने वाली कम दूरी की विभिन्न सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) शामिल हैं।
- इसका विकास वर्ष 1983 में शुरू हुआ और यह भारत की पहली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल थी।
- इसका पहला परीक्षण वर्ष 1988 में श्रीहरिकोटा, शार (SHAR) सेंटर से किया गया था।
- इसकी रेंज 150-300 किमी. है।
- पृथ्वी-I और पृथ्वी-III श्रेणी की मिसाइलों के नौसैनिक संस्करण का कोड-नाम धनुष है।
- सोवियत SA-2 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल:
- वर्ष 1950 के दशक के मध्य विकसित सोवियत SA-2 मिसाइल सोवियत संघ की सतह से हवा में मार करने वाली पहली प्रभावी मिसाइल थी।
- यह मिसाइल युद्ध क्षेत्र हेतु सामरिक परमाणु हथियार के रूप में डिज़ाइन की गई है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
- सोवियत SA-2 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल:
- पृथ्वी-I मिसाइल वर्ष 1994 से भारतीय सेना में सेवारत है।
- कथित तौर पर प्रहार मिसाइलों को पृथ्वी-I मिसाइलों से बदला जा रहा है।
- पृथ्वी-II मिसाइलें वर्ष 1996 से सेवा में हैं।
- वर्ष 2004 में 350 किमी. की अधिक विस्तारित रेंज वाली पृथ्वी-III का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. अग्नि-IV मिसाइल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल1 उत्तर: (a) व्याख्या:
अत: विकल्प (a) सही है। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय स्किमर्स
हाल ही में शुरू की गई एशियाई जलपक्षी गणना, 2023 (AWC के लिये अनुशंसित अवधि 7- 22 जनवरी) के अनुसार, आंध्र प्रदेश में गोदावरी का मुहाना भारतीय स्किमर (Rynchops albicollis) के लिये एक प्रमुख एवं सुरक्षित निवास स्थान बन गया है।
- कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य में लगभग 250 भारतीय स्किमर्स देखे गए।
भारतीय स्किमर्स:
- परिचय:
- भारतीय स्किमर का एक अन्य सामान्य नाम इंडियन सिज़र्स बिल (Indian Scissors Bill) है।
- भारतीय स्किमर भारत के पश्चिमी और पूर्वी तटीय मुहानों पर पाए जाते हैं। ये सर्दियों में विशाल क्षेत्रों में फैल जाते हैं।
- इस प्रजाति को मध्य भारत में चंबल नदी के पास, ओडिशा के कुछ हिस्सों और आंध्र प्रदेश में देखा जा सकता है।
- प्रमुख खतरे:
- अधिवास का नुकसान, नदी के समीप व्यापक और अनियंत्रित वृद्धि से नदी तंत्र में व्यवधान।
- सुरक्षा की स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: संकटग्रस्त
- CITES: सूचीबद्ध नहीं है
कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य:
- सरकार ने वर्ष 1978 में खारे पानी के मगरमच्छ के पुनर्वास और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों, जैसे ओलिव रिडले कछुए एवं भारतीय ऊदबिलाव के संरक्षण के लिये गोदावरी मैंग्रोव प्रणाली के एक हिस्से को कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया था।
- निवासी और प्रवासी पक्षियों की लगभग 120 प्रजातियाँ प्रजनन करने और अपने घोंसले बनाने के लिये इस क्षेत्र पर निर्भर हैं।
एशियाई जलपक्षी गणना:
- प्रत्येक जनवरी माह में एशिया और ऑस्ट्रेलेशिया (प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, न्यू गिनी और पड़ोसी द्वीपों से मिलकर बना क्षेत्र) के हज़ारों स्वयंसेवक अपने देश में आर्द्रभूमि का भ्रमण कर वाटरबर्ड की गिनती करते हैं। यह नागरिक-विज्ञान कार्यक्रम विश्व भर में आर्द्रभूमि और जलपक्षी के संरक्षण एवं प्रबंधन का समर्थन करता है।
- वेटलैंड्स इंटरनेशनल द्वारा चलाए जा रहे इंटरनेशनल वॉटरबर्ड सेंसस (IWC) में AWC को वैश्विक वॉटरबर्ड मॉनीटरिंग प्रोग्राम के एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में शामिल किया गया है।
स्रोत: द हिंदू
वाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई
हाल ही में तितली पर्यवेक्षकों और शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने केरल के कन्नूर में एक दुर्लभ तितली प्रजाति ह्वाइट टफ्टेड रॉयल बटरफ्लाई की खोज की है, जिसे पहली बार वर्ष 2017 में अगस्त्यकूडम में और वर्ष 2018 में शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य में देखा गया था।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 2 के तहत इस तितली को संरक्षित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- तितलियाँ, आर्थ्रोपोडा फाइलम के लेपिडोप्टेरा ऑर्डर से संबद्ध कीड़े हैं, जिसमें पतंगें (Moths) भी शामिल हैं।
- वयस्क तितलियों में बड़े और प्रायः चमकीले रंग के पंख मौजूद होते हैं।
- हाल ही में ‘गोल्डन बर्डविंग’ (ट्रोइड्स ऐकस) के रूप में प्रसिद्ध एक हिमालयी तितली को 88 वर्षों के बाद भारत की सबसे बड़ी तितली के रूप में खोजा गया है।
- महत्त्व:
- समृद्ध जैवविविधता: किसी भी क्षेत्र में तितलियों की प्रचुरता समृद्ध जैवविविधता का प्रतिनिधित्त्व करती है।
- संकेतक प्रजाति: तितली एक संकेतक प्रजाति के रूप में कार्य करती है।
- एक संकेतक प्रजाति पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र स्थिति और उस पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य प्रजातियों की जानकारी प्रदान करती है। यह पर्यावरणीय परिस्थितियों के साथ-साथ सामुदायिक संरचना के पहलुओं में गुणवत्ता एवं परिवर्तनों को भी दर्शाती है।
- परागणक: यह परागण में मदद करके और पौधों की कई प्रजातियों के संरक्षण में परागकण के रूप में कार्य करती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. हाल ही में हमारे देश में पहली बार निम्नलिखित में से किस राज्य ने किसी विशेष तितली को राज्य तितली घोषित किया है? (2016) उत्तर: (d) |
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 जनवरी, 2023
26वाँ राष्ट्रीय युवा महोत्सव
इस वर्ष “राष्ट्रीय युवा महोत्सव” 12 से 16 जनवरी के मध्य कर्नाटक के हुबली में आयोजित किया जा रहा है। राष्ट्रीय युवा महोत्सव का विषय ‘विकसित युवा, विकसित भारत’ है। इस महोत्सव का आयोजन युवाओं को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करने के लिये प्रत्येक वर्ष किया जाता है। महोत्सव में युवा शिखर सम्मेलन के दौरान G-20 और Y-20 आयोजनों के पाँच विषयों पर चर्चा की जाएगी। इनमें रोज़गार की भावी संभावनाएँ, उद्योग व नवाचार और 21वीं सदी में कौशल का भविष्य, जलवायु परिवर्तन तथा आपदा जोखिम में कमी करना, शांति निर्माण एवं सुलह, साझा भविष्य-लोकतंत्र और शासन में युवा तथा स्वास्थ्य व कल्याण जैसे विषयों को शामिल किया गया हैं। सम्मेलन में 60 से अधिक प्रतिष्ठित विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं सहित कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। लोकगीत तथा लोकनृत्य के माध्यम से स्थानीय पारंपरिक संस्कृतियों को दर्शाया जाएगा। योगाथन में दस लाख से अधिक लोग योग करेंगे। युवाओं द्वारा आठ स्वदेशी खेलों के साथ-साथ मार्शल आर्ट्स का भी प्रदर्शन किया जाएगा। फूड फेस्टिवल, युवा कलाकार शिविर, रोमांचक खेल गतिविधियाँ अपनी ‘तीनों सेनाओं को जानो’ नाम से प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा।
ब्रेविंग ए वायरल स्टॉर्म पुस्तक
11 जनवरी, 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने नई दिल्ली में ब्रेविंग ए वायरल स्टॉर्म: इंडियाज़ कोविड-19 वैक्सीन स्टोरी (Braving A Viral Storm: India's Covid-19 Vaccine Story) पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक के सह-लेखक आशीष चांदोरकर और सूरज सुधीर हैं। यह पुस्तक देश की टीकाकरण संबंधी सफलता की कहानी एवं नए भारत के इतिहास का परिचायक होने के साथ ही देश की ताकत और क्षमता को प्रदर्शित करती है। जब अन्य देश वैक्सीन को लेकर झिझक रहे थे तो भारत ने सार्वजनिक भागीदारी के साथ एक अनुकरणीय टीकाकरण की दिशा में कोविड प्रबंधन मॉडल की स्थापना की थी। विगत वर्ष 2 करोड़ से अधिक टीके की खुराक का आँकड़ा पूरा होना इसका एक बड़ा उदाहरण है। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि अब तक विमान से सफर करने वाले 15 लाख यात्रियों की कोविड-19 से संबंधित जाँच की जा चुकी है। इनमें से 200 से अधिक यात्री पॉज़िटिव पाए गए और बहुत से नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग के दौरान B.F-7 वेरियंट भी पाए गए थे। इस वेरियंट के लिये भी भारत द्वारा तैयार किया गया वैक्सीन असरदार है।
अय्यनूर अम्मानूर उत्सव
अय्यनूर अम्मानूर नीलगिरि की कोटा जनजाति द्वारा मनाया जाने वाला एक त्योहार है। कोटा जनजाति भारत के तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि पहाड़ियों में निवास करने वाली जनजाति है। इनको 'कोव' और 'कोतर' भी कहते हैं। हमेशा से यह एक छोटे समूह के रूप में रहे हैं, इनकी संख्या कभी भी 1,500 से अधिक नहीं रही है। इस त्योहार के दौरान यह जनजाति मिट्टी के बर्तन बनाने के लिये मिट्टी एकत्र करती है। मिट्टी के बर्तन बनाने के बाद वे अपना मंदिर खोलते हैं और फिर इस मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाकर पूरे गाँव को परोसते हैं। मंदिर में पूजा समाप्त होने के बाद पुरुष और महिलाएँ अपने पारंपरिक कपड़े पहनकर दिन व रात के समय अलग-अलग नृत्य करते हैं। इस नृत्य के साथ ही यह उत्सव समाप्त होता है। बर्तन बनाने की यह रस्म दो साल में एक बार आयोजित की जाती है।
स्वामी विवेकानंद, राष्ट्रीय युवा दिवस 2023
स्वामी विवेकानंद की जयंती को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसकी घोषणा वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा की गई थी। वर्ष 2023 के लिये इसका आदर्श वाक्य है- 'विकसित युवा-विकसित भारत'। स्वामी विवेकानंद वेदांत और योग के हिंदू दर्शन को पश्चिमी दुनिया में परिचित कराने वाले प्रमुख व्यक्ति थे, उन्हें 19वीं शताब्दी के अंत में हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म का दर्जा दिलाने का श्रेय दिया जाता है। वह सामाजिक न्याय के भी प्रबल समर्थक थे और उन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं एवं निम्न जातियों की स्थिति में सुधार के लिये काम किया। वे 19वीं सदी के रहस्यवादी संत रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे तथा उन्होंने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।
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युगांडा में इबोला का सबसे बुरा प्रकोप समाप्त: WHO
4 महीने और 55 मौतों के बाद युगांडा में नवीनतम इबोला महामारी (2 दशकों में सबसे खराब) को WHO द्वारा समाप्त घोषित कर दिया गया है। यह प्रकोप वायरस के सूडान स्ट्रेन के कारण हुआ था। इबोला वायरस रोग एक रक्तस्रावी बुखार है जो बीमार या मृत लोगों या जानवरों के साथ शरीर के संपर्क के माध्यम से फैलता है ("वायरल रक्तस्रावी बुखार" एक ऐसी स्थिति है जो समग्र हृदय प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है और शरीर की स्वतः कार्य करने की क्षमता को क्षीण कर देता है)। इसके लक्षणों में बुखार, थकान तथा सिरदर्द शामिल हैं, इसके पश्चात् उल्टी, दस्त एवं आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव अन्य लक्षणों में शामिल हैं। इबोला वायरस की खोज पहली बार 1976 में DRC में इबोला नदी के समीप हुई थी। जबकि मौजूदा इबोला टीका एरवेबो वैक्सीन (Ervebo vaccine) है, यह सूडान स्ट्रेन से रक्षा नहीं करता है।
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स्वदेश दर्शन परियोजना
बेपोर और कुमारकोम दो ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिन्हें केरल ने स्वदेश दर्शन परियोजना के चरण-2 के लिये केंद्र को प्रस्तुत की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) में शामिल किया है।
बेपोर का बंदरगाह शहर के रूप में ऐतिहासिक महत्त्व है। यह अपने बेपोर उरु (नाव) और सुंदर समुद्र तट के लिये विश्व प्रसिद्ध है, जो पर्यटन क्षेत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे सकता है।
स्वदेश दर्शन योजना पहली बार वर्ष 2014-15 में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा थीम-आधारित पर्यटक सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू की गई थी। स्वदेश दर्शन 2.0 थीम-आधारित पर्यटन सर्किट से हटकर गंतव्य पर्यटन को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है। सरकार ने इस योजना के तहत 15 राज्यों की पहचान की है जिन्हें भारत की नई घरेलू पर्यटन नीति के हिस्से के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।
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