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इबोला वायरस रोग

  • 22 Sep 2022
  • 7 min read

हाल ही में रेयर सूडान स्ट्रेन मामले की पुष्टि के बाद युगांडा में इबोला वायरस रोग (EVD) का प्रकोप घोषित किया गया है।

इबोला वायरस रोग (EVD):

  • परिचय:
    • इबोला वायरस रोग (EVD), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में होने वाली एक गंभीर, घातक बीमारी है। यह वायरस जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है और मानव-से-मानव में संचरण करता है।
    • इबोला वायरस की खोज सर्वप्रथम वर्ष 1976 में इबोला नदी के पास स्थित गाँव में हुई थी‚ जो कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में है।
    • यह आमतौर पर लोगों और गैर-मानव आदिम (जैसे बंदर, गोरिल्ला और चिंपैंजी) को प्रभावित करता है।
    • यह जीनस इबोलावायरस के अंदर वायरस के एक समूह के संक्रमण के कारण होता है:
      • इबोला वायरस (जायर इबोलावायरस प्रजाति)
      • सूडान वायरस (सूडान इबोलावायरस प्रजाति)
      • Taï फाॅरेस्ट वायरस (Taï फाॅरेस्ट इबोलावायरस, पूर्व में कोटे डी आइवर इबोलावायरस प्रजाति)
      • बुंडीबुग्यो वायरस (बुंडीबुग्यो इबोलावायरस प्रजाति)
      • रेस्टन वायरस (रेस्टन इबोलावायरस प्रजाति)
      • बॉम्बेली वायरस (बॉम्बेली इबोलावायरस प्रजाति)
  • होस्ट: फ्रूट बैट’ टेरोपोडीडेई परिवार (Pteropodidae family) से संबंधित है जो वायरस के प्राकृतिक वाहक (Natural Hosts) है।
  • संचरण:
    • पशु से मानव संचरण: इबोला का संक्रमण उन जानवरों के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों जैसे कि फ्रूट बैट, चिम्पैंजी, गोरिल्ला, बंदर, वन मृग या पोर्कपीस के साथ निकट संपर्क के माध्यम से मानव आबादी में फैलता है। यह वायरस निष्क्रिय या मृतपाय अवस्था में पाए जाते हैं या वर्षावनों में पाए जाते हैं।
    • मानव से मानव संचरण: इबोला सीधे संपर्क (टूटी हुई त्वचा या श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से) के साथ फैलता है:
    • जो व्यक्ति इबोला से बीमार है या उसकी मृत्यु हो गई है उसके रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है।
    • ऐसे शरीर के तरल पदार्थ (जैसे रक्त, मल, उल्टी) से दूषित वस्तुएँ।
  • लक्षण:
    • लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 2 से 21 दिनों के भीतर कहीं भी प्रकट हो सकते हैं, औसतन 8 से 10 दिनों के साथ जिसमें बुखार, थकान, माँसपेशियों में दर्द, शरीर में कमज़ोरी, सिरदर्द, गले में खराश, उल्टी, दस्त, और यकृत के लक्षण कुछ मामलों में, आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव दोनों शामिल हैं।
  • निदान:
    • इबोला को अन्य संक्रामक रोगों जैसे मलेरिया, टाइफाइड बुखार और मेनिन्जाइटिस में चिकित्सकीय रूप से अंतर करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन पुष्टि की जाती है कि इबोला वायरस के संक्रमण के कारणों का लक्षण निम्नलिखित निदानकारी विधियों का उपयोग करके किया जाता है:
  • टीकाकरण:
    • एर्वेबो वैक्सीन (rVSV-ZEBOV) को इबोला वायरस से लोगों की रक्षा करने में प्रभावी बताया गया है।
      • हालाँकि, इस वैक्सीन को जायरे वायरस के निष्पीड़ण से बचाने के लिये ही मंज़ूरी दी गई है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):  

प्रश्न. निम्नलिखित में से किनका, इबोला विषाणु के प्रकोप के लिये हाल ही में समाचारों में बार-बार उल्लेख हुआ?

(a) सीरिया और जॉर्डन
(b) गिनी, सिएरा लिओन और लाइबेरिया
(c) फिलीपीन्स और पापुआ न्यू गिनी
(d) जमैका, हैती और सूरीनाम

उत्तर: (b)

  • इबोला वायरस रोग (EVD), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में होने वाली एक गंभीर, घातक बीमारी है। यह वायरस जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है और मानव आबादी में मानव-से-मानव में संचरण करता है।
  • फ्रूट बैट’ टेरोपोडीडेई परिवार (Pteropodidae family) से संबंधित है जो वायरस के प्राकृतिक वाहक (Natural Hosts) है।
  • इबोला वायरस संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ के साथ निकट और प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है, सबसे संक्रामक रक्त, मल और उल्टी है। मां के दूध, मूत्र और वीर्य में भी यह वायरस पाया गया है।
  • गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया इबोला वायरस के प्रकोप को लेकर चर्चा में थे। इबोला वायरस रोग का सबसे व्यापक प्रकोप वर्ष 2013 में शुरू हुआ और वर्ष 2016 तक जारी रहा, जिससे पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र में मुख्य रूप से गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन के देशों में बड़े पैमाने पर जीवन का नुकसान और सामाजिक-आर्थिक व्यवधान हुआ।
  • दिसंबर 2013 में गिनी में पहले मामले दर्ज किये गए थे। बाद में, यह बीमारी पड़ोसी लाइबेरिया और सिएरा लियोन में फैल गई।

अतः विकल्प (b) सही है।

Source: DTE

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