केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में टील कार्बन अध्ययन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के भरतपुर ज़िले में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में 'टील कार्बन' पर भारत का पहला अध्ययन किया गया।
- शोध में पाया गया कि मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि हुई है, जिसके कारण उत्सर्जन स्तरों को कम करने के लिये विशेष बायोचार का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।
- इसमें जलवायु अनुकूलन और आघात सहनीयता की चुनौतियों से निपटने में आर्द्रभूमि संरक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया। इस पायलट परियोजना का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन चुनौतियों से निपटने के लिये प्रकृति-आधारित समाधान विकसित करना है।
नोट:
- बायोचार एक कार्बन समृद्ध पदार्थ है, जो मृदा की उर्वरता, जल धारण क्षमता और फसल उत्पादकता को बढ़ाता है।
- इसे पायरोलिसिस विधि के माध्यम से बनाया जाता है, जिसमें बायोमास को बहुत कम या बिना ऑक्सीज़न के गर्म किया जाता है।
टील कार्बन क्या है?
- टील कार्बन के संदर्भ में:
- टील कार्बन से तात्पर्य अलवण जल (गैर-ज्वारीय) आर्द्रभूमि में संगृहीत कार्बन से है, जिसमें वनस्पति, सूक्ष्मजीवी बायोमास तथा घुले हुए कणिका कार्बनिक पदार्थ शामिल हैं।
- कार्बन के प्रकार:
- टील कार्बन को पारिस्थितिकी तंत्र में इसकी भूमिका और इसके स्थान के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जो इसे ब्लैक कार्बन तथा ब्राउन कार्बन से पृथक् करता है।
- ब्लैक और ब्राउन कार्बन जो कार्बनिक पदार्थों के अपूर्ण दहन से बनते हैं तथा जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं, के विपरीत टील कार्बन आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में कार्बन पृथक्करण पर केंद्रित होता है।
- ब्लैक कार्बन: यह जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्सर्जित एक काला पदार्थ है, जो वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- ब्राउन कार्बन: बायोमास जैसे कार्बनिक पदार्थों के अपूर्ण दहन से बनता है। यह UV और दृश्यमान सौर विकिरण को अवशोषित करता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग में योगदानदेता है।
- ब्लू कार्बन: वायुमंडल और महासागरों में संगृहीत कार्बन।
- हरित कार्बन: प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के माध्यम से स्थलीय पौधों में संगृहीत कार्बन।
- ग्रे कार्बन: औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्सर्जित होता है तथा कोयला, तेल और बायोगैस जैसे जीवाश्म ईंधनों में संगृहीत होता है।
- लाल कार्बन: हिम एवं बर्फ पर पाए जाने वाले जैविक कणों से उत्सर्जित।
- टील कार्बन को पारिस्थितिकी तंत्र में इसकी भूमिका और इसके स्थान के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जो इसे ब्लैक कार्बन तथा ब्राउन कार्बन से पृथक् करता है।
- जलवायु परिवर्तन में भूमिका:
- टील कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र कार्बन का एकत्रीकरण करके, भूजल स्तर को बढ़ाकर, शहरी ऊष्मा द्वीपों को कम करके, ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करके एवं बाढ़ को कम करके जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- प्राथमिक जलाशय:
- टील कार्बन के प्राथमिक भंडारों में पीटलैंड, अलवण जलीय दलदल और अलवण जलीय प्राकृतिक कच्छभूमि शामिल हैं। ये वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र के कार्बन पृथक्करण में बहुत योगदान करते हैं।
- पारिस्थितिक तंत्रों में टील कार्बन का वैश्विक भंडारण लगभग 500.21 पेटाग्राम कार्बन (PgC) अनुमानित है।
- संकट:
- कार्बन भंडारण और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने की उनकी क्षमता प्रदूषण, भूमि उपयोग में परिवर्तन, जल निकासी एवं भूदृश्य परिवर्तनों के कारण खतरे में है, जिसके कारण उनके क्षरण का जोखिम उच्च है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के संदर्भ में
- यह राजस्थान के भरतपुर में स्थित आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य के रूप में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को वर्ष 1981 में भारत के प्रथम रामसर स्थल के रूप में मान्यता दी गई।
- वर्तमान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और लोकतक झील (मणिपुर) मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में हैं।
- यह अपनी समृद्ध पक्षी विविधता और जलपक्षियों की प्रचुरता के लिये जाना जाता है, क्योंकि यहाँ 365 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें साइबेरियाई सारस जैसी कई दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
- जीव-जंतु: इस क्षेत्र में सियार, सांभर, नीलगाय, जंगली बिल्लियाँ, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, साही और नेवला जैसे जीव-जंतु पाए जाते हैं।
- वनस्पति: प्रमुख वनस्पति प्रकार में उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन शामिल हैं, जिनमें शुष्क घास के मैदानों के साथ बबूल नीलोटिका की बहुलता है।
- नदी: गंभीर और बाणगंगा दो नदियाँ हैं, जो इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हैं।
आर्द्रभूमियाँ क्या हैं?
- आर्द्रभूमि ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ पर्यावरण और संबंधित वनस्पति व जंतु जीवन को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक जल है।
- आर्द्रभूमि को इस प्रकार परिभाषित किया गया है: ‘स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के बीच वह संक्रमण भूमि जहाँ पूरे वर्ष या वर्ष के दौरान अलग-अलग समयावधियों के लिये जल आमतौर पर सतह पर होता है या भूमि उथले जल से ढकी होती है’।
आद्रभूमि संरक्षण के लिये की गई पहल
- वैश्विक स्तर:
- राष्ट्रीय स्तर:
- आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017
- जलीय पारितंत्र के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय कार्ययोजना (NPCA)
- अमृत धरोहर क्षमता निर्माण योजना
- राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP): इसे वर्ष 1985 में सुभेद्य आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्रों के लिये खतरों से निपटने और उनके संरक्षण में सुधार लाने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: ‘‘यदि वर्षावन और उष्णकटिबंधीय वन पृथ्वी के फेफड़े हैं, तो निश्चित ही आर्द्रभूमियाँ इसके गुर्दों की तरह काम करती हैं।’’ निम्नलिखित में से आर्द्रभूमियों का कौन-सा एक कार्य उपर्युक्त कथन को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (2022) (a) आर्द्रभूमियों के जल चक्र में सतही अपवाह, अवमृदा अंत:स्रवण और वाष्पन शामिल होते हैं। उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
पराली दहन के विरुद्ध पंजाब का रणनीतिक प्रयास
स्रोत: TOI
पराली दहन की समस्या से निपटने के प्रयास को गति देने की दिशा में पंजाब सरकार द्वारा बेलर मशीनों के आयात की सुविधा प्रदान करके सब्सिडी वाली फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें (CRM) स्थापित की जा रही हैं।
- पंजाब का लक्ष्य इन-सीटू/स्वस्थाने और एक्स-सीटू/बाह्य स्थाने CRM पद्धतियों का विस्तार करके धान के 20 मिलियन मीट्रिक टन अवशेषों/पराली का प्रबंधन करना है। गत वर्ष पराली दहन की घटनाएँ घटकर 35,000 के स्तर पर पहुँच गई, जो कोविड-पूर्व स्तर से कम है।
- राज्य द्वारा इस सीज़न में 22,000 सब्सिडी वाली CRM मशीनें वितरित की जाएँगी, जो वर्ष 2018 से पूर्व प्रदान की गई 1,30,000 मशीनों के अतिरिक्त होंगी। CRM उपकरणों के लिये किसानों को व्यक्तिगत तौर पर 50% सब्सिडी दी जाती है, जबकि सहकारी समितियाँ, किसान उत्पादक संगठन और पंचायतें 80% सब्सिडी हेतु पात्र हैं।
- नवंबर 2023 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद राज्य सरकार ने उल्लंघन के लिये जुर्माना और पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित सख्त नियम लागू किये।
- सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान) से पराली दहन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया।
- न्यायालय ने राज्य सरकारों को तत्काल फसल अवशेष अर्थात् पराली दहन पर रोक लगाने का निर्देश दिया, साथ ही यह भी कहा कि पराली दहन के खिलाफ लड़ाई राजनीतिक नहीं होनी चाहिये तथा इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी एवं संधारणीय कृषि के दृष्टिकोण से किया जाना चाहिये।
और पढ़ें: पराली दहन पर रोक
कोलंबो बंदरगाह पर भारतीय और चीनी युद्धपोत
स्रोत: TH
हाल ही में तीन चीनी युद्धपोतों और भारत की नियामक मिसाइल विध्वंसक INS मुंबई ने एक ही दिन श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह का दौरा किया।
- श्रीलंका बंदरगाह पर INS मुंबई की यह पहली यात्रा है।
- बंदरगाह किसी जहाज़ की नियोजित यात्रा का एक मध्यवर्ती पड़ाव होता है, जहाँ वह कार्गो संचालन करने या आपूर्ति या ईंधन परिवहन के लिये रुकता है।
- भारत के लिये चीनी युद्धपोतों के सामरिक निहितार्थ:
- बढ़ी चिंताएँ: चीनी युद्धपोतों हेफेई, किलियानशान और वुझिशान के हिंद महासागर क्षेत्र (IORA) में प्रवेश से लेकर कोलंबो में उनके डॉकिंग तक, भारतीय नौसेना ने उनकी गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखी।
- हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की उपस्थिति में विस्तार: चीनी नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में और अधिक लंबी अवधि के लिये अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
- चीन का नौसैनिक विस्तार: 370 से अधिक जहाज़ों के साथ चीनी नौसेना अब विश्व की सबसे बड़ी नौसेना है।
- संभावित विदेशी सैन्य अड्डे: खुफिया रिपोर्ट से संकेत मिले हैं कि चीन पाकिस्तान, श्रीलंका और म्याँमार में सैन्य अड्डे स्थापित करने की संभावना तलाश रहा है।
- कोलंबो बंदरगाह दक्षिण-पश्चिमी श्रीलंका में स्थित है। यह देश का सबसे बड़ा शिपिंग बंदरगाह भी है।
और पढ़ें: चीन के साथ भारत का संबंध
ग्लास सीलिंग
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस की पुष्टि राजनीति में महिलाओं के लिये "सबसे कठिन बाधाओं (highest, hardest glass ceiling)" को तोड़ सकती है।
- वर्ष 2016 में एक प्रमुख अमेरिकी पार्टी द्वारा राष्ट्रपति पद के लिये नामित होने वाली पहली महिला हिलेरी क्लिंटन का मानना है कि इससे कमला हैरिस 47वीं अमेरिकी राष्ट्रपति बन सकती हैं।
ग्लास सीलिंग:
- यह शब्द उन अदृश्य बाधाओं को संदर्भित करता है, जो महिलाओं और अन्य हाशिये पर स्थित समूह को पर्याप्त योग्यताएँ और क्षमताएँ होने के बाद भी उनके कॅरियर में वरिष्ठ पदों तक पहुँचने से रोकती हैं।
- यह वाक्यांश वर्ष 1960 और वर्ष 1970 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका में नारीवाद की दूसरी लहर के दौरान लोकप्रिय हुआ, यह वह समय था जब महिलाएँ कार्यस्थल पर समानता की मांग कर रही थीं।
- इस अवधि में अमेरिका में भेदभाव को खत्म करने के उद्देश्य से कानून बनाये गये, जैसे की नागरिक अधिकार अधिनियम, 1964 की धारा VII।
- प्रगति के बाद भी ग्लास सीलिंग की निरंतरता को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा स्थापित ग्लास सीलिंग आयोग (1991) द्वारा रेखांकित किया गया था, जिसने पाया कि कार्यबल में महिलाओं का हिस्सा लगभग 46% है और सभी मास्टर डिग्री अर्जित करने वालों में से आधे से अधिक संख्या महिलाओं की ही थी, परंतु फिर भी 95% वरिष्ठ स्तर के प्रबंधकों के पद पर पुरुष थे।
अधिक पढ़ें: महिलाओं का सशक्तीकरण, भारत का उत्थान।
युद्ध अभ्यास 2024
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में, भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण “युद्ध अभ्यास 2024” का 20 वाँ संस्करण शुरू हुआ।
- यह युद्ध अभ्यास वर्ष 2004 से प्रतिवर्ष भारत और अमेरिका के बीच बारी-बारी से आयोजित किया जाता रहा है।
- इस वर्ष का अभ्यास अर्द्ध-रेगिस्तानी वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र (UN) चार्टर के अध्याय VII के तहत संयुक्त सैन्य क्षमता और सहयोग को बढ़ाना है।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अध्याय VII सुरक्षा परिषद को प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिये रूपरेखा प्रदान करता है, जिसमें शांति के लिये खतरों का निर्धारण करना तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने या पुनर्स्थापित करने के लिये गैर-सैन्य एवं सैन्य उपाय करना शामिल है।
- भारत-अमेरिका के बीच प्रमुख अभ्यास: वज्र प्रहार (सेना), साल्वेक्स (भारतीय नौसेना), कोप इंडिया (वायु सेना) और मालाबार अभ्यास (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का चतुर्भुज नौसैनिक अभ्यास)।
स्रोत: भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास