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सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप

  • 20 Jun 2023
  • 7 min read

पुणे की इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) द्वारा विकसित सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को सौंप दिया गया है।

  • इस अद्वितीय अंतरिक्ष टेलीस्कोप को ISRO के आदित्य-L1 मिशन के साथ एकीकृत किया जाएगा जिसे अगस्त 2023 के मध्य में लॉन्च किया जाएगा।

सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT):

  • परिचय:  
    • SUIT का उद्देश्य सूर्य के पराबैंगनी (UV) उत्सर्जन का अध्ययन करना और विभिन्न UV तरंग दैर्ध्य में सूर्य के वातावरण की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज को कैप्चर करना है जिसे कोरोना के रूप में जाना जाता है।
    • यह 200-400 नैनोमीटर के तरंग दैर्ध्य को कवर करते हुए दूर और निकट पराबैंगनी क्षेत्रों में काम करेगा।
    • यह सूर्य के वातावरण के गर्म तथा अधिक गतिशील क्षेत्रों जैसे कि संक्रमण क्षेत्र और कोरोना का अवलोकन करेगा।
  • महत्त्व:  
    • सूर्य अपने उच्च उत्सर्जन और विकिरण के कारण पृथ्वी के वातावरण से बाहर अध्ययन करने वाली सबसे कठिन वस्तुओं में से एक है।
      • SUIT वैज्ञानिकों को सूर्य के रहस्यों तथा पृथ्वी और अन्य ग्रहों पर इसके प्रभाव को जानने में सक्षम बनाएगा।
    • SUIT त्वचा कैंसर हेतु ज़िम्मेदार खतरनाक पराबैगनी विकिरण को भी मापेगा।
    • SUIT सूर्य की गतिविधि की निगरानी करेगा और संभावित सौर ज्वालाओं एवं कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करेगा, जो उपग्रहों, संचार प्रणालियों, पावर ग्रिड तथा पृथ्वी पर मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

आदित्य-L1 मिशन:  

  • परिचय:  
    • ADITYA-L1 मिशन सूर्य का अध्ययन करने हेतु समर्पित होगा और पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (L1) तक उड़ान भरेगा, जो सूर्य का अवलोकन करने के लिये पाँच अनुकूल स्थानों में से एक है।
    • इस मिशन को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle- PSLV) रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा।
    • यह सूर्य की सतह की घटनाओं और अंतरिक्ष मौसम पर नियमित छवियाँ तथा  अपडेट प्रदान करेगा।
  • विशेषताएँ:  
    • आदित्य-L1 सात अलग-अलग पेलोड ले जाएगा जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम और सौर तूफान में सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करने में सक्षम हैं। इन 7 पेलोड में शामिल हैं:
      • दृश्यमान उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ (VELC)  
      • सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
      • सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
      • आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
      • हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
      • प्लाज़्मा एनालाइज़र पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
      • एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर 

L1: 

  • L1 का अर्थ ‘लैग्रेंजियन/‘लैग्रेंज पॉइंट-1’ से है, जो पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के ऑर्बिट में स्थित पाँच बिंदुओं में से एक है। ‘लैग्रेंज पॉइंट्स’ का आशय अंतरिक्ष में स्थित उन बिंदुओं से है, जहाँ दो अंतरिक्ष निकायों (जैसे- सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आकर्षण एवं प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न होता है।
    • इसका नाम इतालवी-फ्राँसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लाग्रेंज के सम्मान में रखा गया है।
    • इसका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा सही स्थिति में बने रहने के लिये आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने हेतु किया जा सकता है। 
  • L1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पाँच लैग्रेंज बिंदुओं में से एक है। लैग्रेंज के पाँच बिंदुओं में से तीन अस्थिर हैं और दो स्थिर हैं।
    • L1, L2 और L3 के रूप में ये अस्थिर लैग्रेंज बिंदु दो बड़े द्रव्यमानों को जोड़ने वाली रेखा पर स्थित हैं।
    • L4 और L5 के रूप में स्थिर लैग्रेंज बिंदु दो समबाहु त्रिभुजाकार शीर्ष का निर्माण करते हैं जिनके किनारे पर बड़े द्रव्यमान होते हैं।
      • L4 पृथ्वी की कक्षा का नेतृत्व करता है और L5 इसका अनुसरण करता है। 
  • पृथ्वी-सूर्य प्रणाली का L1 बिंदु सूर्य का एक निर्बाध दृश्य प्रदान करता है तथा वर्तमान में सोलर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला उपग्रह का आवास है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की है? (2016)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

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