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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 May, 2024
  • 18 min read
प्रारंभिक परीक्षा

वेस्ट नाइल फीवर

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केरल के 3 ज़िलों में वेस्ट नाइल फीवर का पता चलने से स्वास्थ्य अधिकारियों को अलर्ट जारी करने और निवारक उपायों को तीव्र करने के लिये प्रेरित किया गया है।

वेस्ट नाइल फीवर क्या है?

  • परिचय:
    • यह वेस्ट नाइल फीवर (West Nile Fever- WNV) के कारण होता है, सिंगल स्ट्रैंडेड (Single-Stranded) RNA वायरस जो संक्रमित मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है (जीनस क्यूलेक्स मच्छरों को आमतौर पर WNV का प्रमुख वाहक माना जाता है) और पक्षी जलाशय मेज़बान के रूप में कार्य करते हैं।I 
      • यह वायरस फ्लेविविरिडे कुल और फ्लेविवायरस वंश का सदस्य है।
    • यह वायरस सामान्यतः अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया में पाया जाता है।
    • यह पहली बार वर्ष 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल ज़िले में एक महिला के शरीर में पाया गया थाI विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्ष 1953 में नाइल डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों में इसकी पहचान की गई थी।
  • संचरण:
    • मच्छर जब संक्रमित पक्षियों के माध्यम से भोजन ग्रहण करते हैं, तो वे संक्रमित हो जाते हैं और फिर इन मच्छरों के काटने से मनुष्यों तथा जानवरों में वायरस का संचार होता है।
    • यह वायरस अन्य संक्रमित जानवरों, उनके रक्त या अन्य ऊतकों के संपर्क में आने के माध्यम से भी फैल सकता है।
    • अंग प्रत्यारोपण, रक्त आधान और ट्राँसप्लासेंटल ट्राँसमिशन के माध्यम से संचरण के दुर्लभ मामले भी इसके संचार के लिये प्रभावी हैं।
    • आकस्मिक संपर्क के माध्यम से WNV का मानव-से-मानव संचरण का कोई लिखित प्रमाण है।
  • लक्षण:
    • लगभग 80% मामलों में लक्षण रहित।
    • वेस्ट नाइल फीवर के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मतली, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं।
    • गंभीर मामलों में गर्दन में अकड़न, स्तब्धता, कोमा, कँपकँपी, ऐंठन, मांसपेशियों में कमज़ोरी और पक्षाघात जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण हो सकते हैं।
  • उपचारछ
    • न्यूरो-इनवेसिव मामलों में देखभाल के लिये अस्पताल में भर्ती होना, अंतःशिरा तरल पदार्थ और श्वसन सहायता देना शामिल है।
    • मनुष्यों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
  • भारत की पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज़ीका वायरस रोग उसी मच्छर द्वारा फैलता है जो डेंगू का प्रसार करता है।
  2.  ज़ीका वायरस रोग यौन संचरण द्वारा संभव है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (c)


प्रश्न. ‘वोलबैचिया पद्धति’ का कभी-कभी निम्नलिखित में से किस एक के संदर्भ में उल्लेख होता है? (2023)

(a) मच्छरों से होने वाले विषाणु रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना।
(b) शेष शस्य (क्रॉप रेज़िड्यु) से संवेष्टन सामग्री (पैकिंग मटीरियल) बनाना।
(c) जैव निम्नीकरणीय प्लास्टिकों का उत्पादन करना।
(d) जैव मात्र के ऊष्मरासायनिक रूपांतरण से बायोचार का उत्पादन करना। 

उत्तर: (a)


प्रारंभिक परीक्षा

बुकर पुरस्कार का दासता से संबंध

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में साहित्य जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक, ‘बुकर पुरस्कार’ की अपने मूल प्रायोजक, ‘बुकर समूह’ की दासता से जुड़े ऐतिहासिक संबंधों के कारण आलोचना हुई है। 

  • यह दावा किया जाता है कि 1800 के दशक की शुरुआत में कंपनी के संस्थापक जॉर्ज और जोसियस बुकर ने कथित तौर पर करीब 200 व्यक्तियों को दास बनाया गया था।

बुकर पुरस्कार के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • इस पुरस्कार की स्थापना 1969 में टॉम माश्लर और ग्राहम सी. ग्रीन द्वारा की गई थी।
  • बुकर पुरस्कार प्रतिवर्ष किसी भी राष्ट्रीयता के लेखक द्वारा मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखे गए और यू. के. और/या आयरलैंड में प्रकाशित साहित्य के सर्वश्रेष्ठ लेखक को प्रदान किया जाता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार अंग्रेज़ी में अनुवादित कार्यों के लिये एक अलग पुरस्कार है।
  • बुकर पुरस्कार के विजेता को 50,000 पाउंड का नकद पुरस्कार मिलता है। इसके अतिरिक्त, चुने गए प्रत्येक लेखक को 2,500 पाउंड का पुरस्कार दिया जाता है।

बुकर पुरस्कार दासता और गिरमिटिया श्रम से कैसे संबंधित है?

  • वर्ष 1815 में पेरिस की संधि के माध्यम से ब्रिटेन ने गुयाना पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
    • गुयाना दक्षिण अमेरिका का एक देश है जिसकी सीमा पूर्व में सूरीनाम, दक्षिण में ब्राज़ील और पश्चिम में वेनेज़ुएला से लगती है।
    • इसकी अर्थव्यवस्था चीनी और कपास उद्योगों द्वारा संचालित थी, जिसमें अफ्रीकी दास बागानों में श्रम प्रदान करते थे।
    • ब्रिटिश गुयाना में अफ्रीकी दासों का उपयोग 19वीं शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र में दासता के इतिहास को दर्शाता है।
  • बुकर ब्रदर्स जोसियस और जॉर्ज ब्रिटिश गुयाना की शोषणकारी दास-आधारित अर्थव्यवस्था में शामिल थे। एक कपास बागान में, उन्होंने लगभग 200 लोगों को दास बनाया।
  • वर्ष 1834 में गुयाना में दासता समाप्त होने और अफ्रीकी दासों को मुक्ति मिलने के बाद, बुकर बंधुओं को 52 मुक्त दासों के लिये कुल 2,884 पाउंड (वर्ष 2020 में 378,000 पाउंड के बराबर) मुआवज़ा मिला।
    • बुकर बंधुओं ने ब्रिटिश सरकार को भारत से प्रतिस्थापित चीनी श्रमिकों को एकत्रित करने के लिये यात्राओं का वित्तपोषण करने के लिये मनाया।
    • इससे भारतीय श्रमिकों का शोषण हुआ, जिन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के कारण कर्ज़ और बेरोज़गारी का सामना करना पड़ा और ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा गुयाना भेज दिया गया।
  • गिरमिटिया श्रम प्रणाली लगभग 1920 के दशक तक चली, जिसके कारण भारत से गुयाना में मज़दूरों का एक महत्त्वपूर्ण प्रवास हुआ।
    • प्रवासन के पैमाने के कारण भारतीय मूल के लोग अब गुयाना में सबसे बड़ा जातीय समूह हैं।

Guyana

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित है? (2013)

भौगोलिक विशेषताएँ

क्षेत्र

(a)

एबिसिनियन पठार

अरब

(b)

एटलस पर्वत

उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका

(c)

गुयाना हाइलैंड्स

दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका

(d)

ओकावांगो बेसिन

पेटागोनिया

उत्तर: (b)

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020)

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया एवं न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब एवं वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर एवं दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)


रैपिड फायर

वर्ष 2023 में भारत बना विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक

स्रोत: द हिंदू

वर्ष 2023 में विश्व के तीसरे सबसे बड़े सौर ऊर्जा उत्पादक के रूप में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित करती है।

  • भारत ने वर्ष 2023 में सौर ऊर्जा उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ते हुए, 110 BU की तुलना में 113 बिलियन यूनिट (BU) का उत्पादन किया।
  • चीन वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा का अग्रणी उत्पादक राष्ट्र बना हुआ है, जिसने वर्ष 2024 में 584 BU का उत्पादन किया, जो अगले इसके बाद के देशों (संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी और भारत) की तुलना में अधिक है।
  • भारत, 73 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा क्षमता के साथ स्थापित बिजली क्षमता में विश्व स्तर पर पाँचवें स्थान पर है।
  • वर्ष 2023 में वैश्विक सौर ऊर्जा उत्पादन वर्ष 2015 की तुलना में छह गुना अधिक था, जबकि भारत में 
  • यह 17 गुना अधिक था।
    • भारत की विद्युत उत्पादन में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी वर्ष 2015 में 0.5% से बढ़कर वर्ष 2023 में 5.8% हो गई।
  • सौर ऊर्जा भारत की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन का 18% है, लेकिन उत्पादित विद्युत का केवल 6.66% है, जो क्षमता और वास्तविक उत्पादन के बीच अंतर को उजागर करता है।
  • सौर एवं पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय ऊर्जा का वर्ष 2023 में वैश्विक विद्युत उत्पादन में 30% हिस्सा था, जिसमें चीन प्रमुख योगदानकर्त्ता रहा।

और पढ़ें…भारत का सौर ऊर्जा सपना


चर्चित स्थान

कलेसर वन्यजीव अभयारण्य

स्रोत: लाइव लॉ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा के यमुनानगर ज़िले में कलेसर वन्यजीव अभयारण्य के अंदर चार प्रस्तावित बांधों के निर्माण पर रोक लगा दी क्योंकि निर्माण न केवल वन्यजीवों और स्थानीय समुदाय पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुँचाएगा।

  • इसकी स्थापना 1988 में स्थानीय वन्य जीव और जैव विविधता की रक्षा के लिये की गई थी और 8 दिसंबर 2003 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
  • यह हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में स्थित है और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (उत्तराखंड) और सिम्बलबारा राष्ट्रीय उद्यान (हिमाचल प्रदेश) से सटा हुआ है।
  • यह 13,209 एकड़ में फैला हुआ है ,जैव विविधता से समृद्ध है, जिसमें घने साल एवं खैर के जंगल और घास के मैदान हैं जो विविध पौधों तथा जानवरों के जीवन का समर्थन करते हैं।
  • यह जानवरों की कई प्रजातियों का घर है, जिनमें तेंदुए, सांभर हिरण, भौंकने वाले हिरण, लकड़बग्घा, सियार, भारतीय साही, भारतीय पैंगोलिन और लंगूर तथा पक्षियों की कई प्रजातियाँ शामिल हैं, जैसे कि लाल जंगलमुर्गी, ग्रे पार्ट्रिज़, भारतीय मोर और व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर

और पढ़ें: कलेसर वन्यजीव अभयारण्य


रैपिड फायर

कवच प्रणाली

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस

हाल ही में भारतीय रेलवे ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कवच प्रणाली को लागू करने में तेज़ी लाने के लिये  रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड एवं क्वाड्रेंट फ्यूचर टेक लिमिटेड के साथ एक समझौते को अंतिम रूप दे दिया है।

  • कवच को तीन भारतीय संगठनों के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा विकसित किया गया था और यह टकराव-रोधी क्षमताओं के साथ कैब सिग्नलिंग ट्रेन नियंत्रण प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
  • इसे भारत की राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली के रूप में नामित किया गया है और यह सुरक्षा अखंडता स्तर -4 (SIL-4) मानकों को पूरा करता है।
    • ATP सिस्टम वह सुरक्षा तंत्र है जो ट्रेन की गति की निगरानी करता  है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सिग्नल द्वारा निर्धारित गति के साथ संरेखित हो। यदि ट्रेन इस गति सीमा से अधिक हो जाती है, तो ATP  ट्रेन को रोकने के लिये आपातकालीन ब्रेक लगा देता है।
  • इसके अतिरिक्त,यह सिस्टम आपातकालीन SOS संदेश प्रसारित करता है तथा नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की गतिविधियों की केंद्रीकृत लाइव निगरानी प्रदान करता है।
  • तेलंगाना के सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान (IRISET), कवच के लिये 'उत्कृष्टता केंद्र' के रूप में कार्य करता है।

Main_components_of_Kavach

और पढ़ें: भारतीय रेलवे में रेल का पटरी से उतरना


रैपिड फायर

55 कैनक्री ई-एक्सोप्लैनेट का वायुमंडल

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

वैज्ञानिकों ने हाल ही में 55 कैनक्री ई में सघन वायुमंडल को खोजा है, जो पृथ्वी से दोगुने आकार की सुपर-अर्थ है, इसकी अनूठी विशेषताएँ और एक्सोप्लेनेटरी अनुसंधान के लिये संभावित प्रभावों पर प्रकाश डालती हैं।

  • 55 कैनक्री ई का वायुमंडल कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड से मिलकर बना है, हालाँकि इनकी सटीक मात्रा अभी स्पष्ट नहीं है। 
    • 55 कैनक्री ई का वायुमंडल पृथ्वी के वायुमंडल के विपरीत है तथा नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन और अन्य गैसों के मिश्रण से बना है।
  • हम जानते हैं 55 कैनरी ई का क्वथनांक 2,300 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है, जिस कारण यह जीवन के लिये प्रतिकूल है।
    • अपनी निर्जन परिस्थितियों के बावज़ूद, यह खोज घने वायुमंडल वाले अन्य चट्टानी ग्रहों को खोजने की उम्मीद प्रदान करती है जो जीवन के लिये अधिक अनुकूल हो सकते हैं।
  • 55 कैनक्री ई एक एक्सोप्लैनेट है, जो 41 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है तथा इसका द्रव्यमान पृथ्वी से आठ गुना अधिक है तथा इसकी विशेषता स्थायी रूप से दिन व रात का होना है।
    • यह एक सुपर-अर्थ है, जो ग्रहों का एक दुर्लभ वर्ग है तथा पृथ्वी से बड़ा है लेकिन नेपच्यून और यूरेनस जैसे बर्फीले ग्रहों की तुलना में छोटा है।
    • वे गैस, चट्टान या दोनों के संयोजन से बने हो सकते हैं तथा इनका पृथ्वी के द्रव्यमान से दो से दस गुना के तक हो सकता हैं।
  • निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि ग्रह की सतह पर मैग्मा महासागरों से उत्सर्जित होने वाली गैसें इसके वायुमंडल को बनाए रखने में सहायता कर सकती हैं।
  • 55 कैनक्री ई की खोज से पृथ्वी और मंगल ग्रह की विकासवादी प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी मिल सकती है।

और पढ़े: न्यू सुपर-अर्थ प्लेनेट


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