मुरादाबाद की पहाड़ी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
दिल्ली का ऐतिहासिक स्थान मुरादाबाद की पहाड़ी हाल ही में चर्चा में आया है। 14वीं शताब्दी के सूफी संत सैयद मुराद अली के नाम पर बने इस स्थान पर अलग-अलग ऐतिहासिक काल की दो मस्जिदें हैं, जो इतिहासकारों और स्थानीय लोगों दोनों का ध्यान आकर्षित करती हैं।
मुरादाबाद की पहाड़ी के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- इस स्थल पर तुगलक और लोदी राजवंशों की दो मस्जिदें हैं, जो उनकी विशिष्ट स्थापत्य शैली को दर्शाती हैं।
- तुगलक-युग की मस्जिद को कसाई वाला गुम्बद के नाम से जाना जाता है।
- शाही मस्जिद लोधी-युग की मस्जिद है जिसमें एक कमल कलश है।
- यहाँ सैयद मुराद अली का मकबरा स्थित है, जो जटिल मेहराबों और अलंकृत द्वारों से सुसज्जित है।
- इस जगह पर अब अब्दुल मन्नान अकादमी नामक एक मदरसा है जो समुदाय की सेवा करता है और इस स्थल की विरासत को संरक्षित करता है।
नोट:
- मुरादाबाद की पहाड़ी का मुरादाबाद शहर से कोई संबंध नहीं है क्योंकि इसका नाम सम्राट शाहजहाँ के बेटे राजकुमार मुराद बख्श के नाम पर रखा गया था।
तुगलक वास्तुकला की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- तुगलक वास्तुकला अपनी मज़बूत और ठोस संरचना के लिये जानी जाती है। इमारतों में ढलान वाली दीवारें होती थीं, जिसे बैटर के नाम से जाना जाता है, ताकि गुंबदों की बढ़ी हुई ऊँचाई को सहारा दिया जा सके।
- तुगलक शासकों ने अपने काल के दौरान भवनों के निर्माण में मेहराब, सरदल और बीम के सिद्धांतों को नवीनतापूर्वक संयोजित किया।
- हिंदू रूपांकनों से प्राप्त जलपात्र और कमल जैसी सजावटी वस्तुओं को तुगलक वास्तुकला में शामिल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप इंडो-इस्लामिक शैली का विकास हुआ।
- उल्लेखनीय तुगलक निर्माण:
- तुगलकाबाद: गयासुद्दीन तुगलक द्वारा स्थापित तुगलकाबाद दिल्ली का तीसरा शहर था जिसमें शहर, किला और महल दोनों शामिल थे। उसने बड़े पैमाने पर शहरी परिसरों की शुरुआत की।
- गयासुद्दीन तुगलक का मकबरा: इस मकबरे ने नई वास्तुकला प्रवृत्तियों को पेश किया जिसमें ऊँचाई के लिये एक उच्च मंच, एक सफेद संगमरमर गुंबद और सुंदरता के लिये लाल बलुआ पत्थर का उपयोग शामिल है। नुकीला या 'टार्टर' गुंबद डिज़ाइन इंडो-इस्लामिक वास्तुकला की पहचान बन गया।
- जहाँपनाह: मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा निर्मित जहाँपनाह दिल्ली का चौथा शहर था जो राजवंश की शहरी नियोजन क्षमता को दर्शाता था।
- फिरोज़ाबाद: फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा सन् 1354 में निर्मित फिरोज़ाबाद में कुश्क-ए-फिरोज़ महल और कोटला फ़िरोज़ शाह गढ़ जैसी उल्लेखनीय संरचनाएँ शामिल थीं। फिरोज़ शाह ने कुतुब मीनार में दो अतिरिक्त मंजिलें भी बनवाईं और हौज़ खास का निर्माण कराया।
लोदी वास्तुकला की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- लोदियों ने अपने काल के दौरान निर्माण में मेहराब और लिंटेल-बीम दोनों विधियों का उपयोग किया, जिससे विविध वास्तुशिल्प सिद्धांतों में उनकी निपुणता प्रदर्शित हुई।
- उन्होंने बालकनियों, कियोस्क और छज्जों (ओलती या ओरी अर्थात् किसी छत का किनारा) सहित राजस्थानी एवं गुजराती वास्तुकला के घटकों को अपनाया।
- लोदी काल (सन् 1451-1526) के दौरान, केवल मकबरों का निर्माण किया गया, जिनमें कठोर, स्पष्ट अष्टकोणीय डिज़ाइन थे, जिनका व्यास लगभग 15 मीटर था और एक ढलानदार बरामदा था।
- कई लोदी मकबरे ऊँचे चबूतरों पर बनाए गए थे और उनके चारों ओर बगीचे थे, जो दृश्य रूप से आकर्षक व शांत वातावरण का परिचय देते थे।
- लोदी राजवंश के तहत एक प्रमुख नवाचार दोहरे गुंबद वास्तुकला की शुरूआत हुई। इस तकनीक में एक गुंबद का निर्माण किया गया, जिसमें आंतरिक और बाह्य आवरण को पृथक स्थान द्वारा अलग किया गया।
- दोहरे गुंबदों का प्रयोग संरचना को मज़बूत करने और गुंबद की आंतरिक ऊँचाई को कम करने के लिये किया गया था।
- उल्लेखनीय लोदी निर्माण:
- लोदी गार्डन: दिल्ली में स्थित यह विशाल उद्यान परिसर लोदी स्थापत्य शैली का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। इसमें कई महत्त्वपूर्ण संरचनाएँ शामिल हैं।
- सिकंदर लोदी का मकबरा: अपनी दोहरी गुंबद वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध यह मकबरा लोदी काल की संरचना का उदाहरण है।
- मोहम्मद शाह का मकबरा: लोदी गार्डन में एक और प्रमुख मकबरा है, जो लोदी वास्तुकला की विशेषता को दर्शाता है।
- लोदी गार्डन: दिल्ली में स्थित यह विशाल उद्यान परिसर लोदी स्थापत्य शैली का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। इसमें कई महत्त्वपूर्ण संरचनाएँ शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये : (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने वर्ष 2024 में पहली बार राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार (RVP) विजेताओं की घोषणा की, जो वैज्ञानिक उपलब्धियों को मान्यता देने के लिये देश के दृष्टिकोण में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
- ये पुरस्कार 23 अगस्त को प्रदान किये जाएंगे, जो कि पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस है, जिसमें चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने की उपलब्धि का जश्न मनाया जाएगा।
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: RVP पुरस्कारों का एक प्रतिष्ठित समूह है जो भारतीय मूल के वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और नवप्रवर्तकों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों को मान्यता देता है तथा उन्हें प्रोत्साहित करता है, जिसमें भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) भी शामिल हैं, चाहे वे भारत में या विदेश में कार्यरत हों।
- ये पुरस्कार उन व्यक्तियों को सम्मानित करते हैं जिन्होंने प्रभावशाली अनुसंधान, नवाचार या खोज के माध्यम से विशिष्ट योगदान दिया है जिससे भारतीय समुदाय या समाज को लाभ हुआ है।
- RVP पुरस्कार पहली बार वर्ष 2024 में प्रदान किया जा रहा है। इसे अधिक समावेशी और अद्यतन मान्यता प्रणाली प्रदान करने हेतु शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार सहित मौजूदा विज्ञान पुरस्कारों को प्रतिस्थापित करने के लिये स्थापित किया गया था।
- नये पुरस्कारों से उपलब्धियों को अधिक व्यापक रूप से मान्यता देने की सुविधा मिलेगी।
- इन पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष 11 मई (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस) को की जाएगी। सभी श्रेणियों के पुरस्कारों के लिये पुरस्कार समारोह राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर आयोजित किया जाएगा।
- RVP विभिन्न श्रेणियों में प्रदान किया जाता है, जैसे भौतिक विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, जैविक विज्ञान, गणितीय विज्ञान, पृथ्वी एवं वायुमंडलीय विज्ञान तथा इंजीनियरिंग विज्ञान।
- पुरस्कार की श्रेणियाँ:
- विज्ञान रत्न (VR): विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जीवनकाल की उपलब्धियों तथा योगदान को मान्यता देने के लिये प्रत्येक वर्ष अधिकतम तीन पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
- योग्यता: उल्लेखनीय उपलब्धियों वाले प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद्।
- विज्ञान श्री (VS): विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान को मान्यता देने के लिये प्रत्येक वर्ष अधिकतम 25 पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
- पात्रता: अपने-अपने वैज्ञानिक या तकनीकी क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ प्राप्त करने वाले व्यक्ति।
- विज्ञान युवा-शांति स्वरूप भटनागर (VY-SSB): यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले 45 वर्ष से कम आयु के युवा वैज्ञानिकों की प्रतिभा को पहचान दिलाने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक वर्ष अधिकतम 25 पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
- योग्यता: युवा वैज्ञानिक जिन्होंने असाधारण अनुसंधान या नवाचार का प्रदर्शन किया हो।
- विज्ञान टीम (VT) पुरस्कार: तीन या अधिक वैज्ञानिकों/शोधकर्त्ताओं/नवप्रवर्तकों की एक टीम को अधिकतम तीन पुरस्कार प्रदान किये जा सकते हैं, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक टीम में कार्य करते हुए असाधारण योगदान दिया हो।
- योग्यता: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियाँ हासिल करने वाली टीमें।
- विज्ञान रत्न (VR): विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जीवनकाल की उपलब्धियों तथा योगदान को मान्यता देने के लिये प्रत्येक वर्ष अधिकतम तीन पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
- पुरस्कार के लाभ: प्रत्येक पुरस्कार विजेता को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाणपत्र) दिया जाता है।
- पुरस्कार विजेताओं के प्रशस्ति पत्र और फोटोग्राफ सहित एक ब्रोशर समारोह के दिन जारी किया जाता है। मरणोपरांत पुरस्कार दिये जाने पर उनके निकटतम रिश्तेदारों को अलंकरण प्रदान किये जाते हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार, 2024 के प्रमुख पुरस्कार विजेता कौन हैं?
- विज्ञान रत्न: जी. पद्मनाभन को दिया गया जिन्हें जैविक विज्ञान में उनकी आजीवन उपलब्धियों के लिये जाना जाता है, विशेष रूप से मलेरिया परजीवियों पर उनके कार्य के लिये। वे भारतीय विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक हैं और उन्हें पहले पद्म श्री एवं पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
- विज्ञान टीम: चंद्रयान-3 टीम को वर्ष 2023 में चंद्रमा पर भारत के पहले अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लैंडिंग कराने के लिये विज्ञान टीम से सम्मानित किया गया, जो भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- विज्ञान श्री: अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम (तारा समूहों और आकाशगंगाओं का निर्माण एवं विकास), जयंत भालचंद्र उदगांवकर (जीव विज्ञान), नबा कुमार मंडल (कण भौतिकी)।
- विज्ञान युवा: विवेक पोलशेट्टीवार (कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजीज), उर्वशी सिन्हा (क्वांटम रिसर्च), रॉक्सी मैथ्यू कोल (जलवायु विज्ञान)।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार दिया जाता है? (2009) (a) साहित्य उत्तर: (c) |
श्रीलंका में बंदरों पर IUD गर्भनिरोधक परीक्षण
स्रोत: द हिंदू
श्रीलंका में मादा टोक मकाक, जिनकी अनुमानित संख्या लगभग 3 मिलियन है, की आबादी को नियंत्रित करने के लिये उन पर अंतर्गर्भाशयी उपकरणों (Intrauterine Devices- IUD) का परीक्षण किया जा रहा है।
- अंतर्गर्भाशयी उपकरण (IUD) एक छोटा गर्भनिरोधक उपकरण होता है जिसे गर्भावस्था को रोकने के लिये गर्भाशय (गर्भ) में निर्दिष्ट किया जाता है।
- IUD के प्रकार: कॉपर IUD और हार्मोनल IUD, मिरेना और काइलेना ब्रांड नामों के तहत बेचे जाते हैं।
- सरकार द्वारा यह कार्रवाई फसल क्षति को दूर करने के लिये किसानों को शॉटगन प्रदान करने और चीन को बंदरों के निर्यात की विवादास्पद योजना को त्यागने के पूर्व निर्णय के बाद की गई है।
- विशेषज्ञों को इस बात पर भी संदेह है कि क्या अकेले गर्भनिरोधक की सहायता से बंदरों की संख्या में प्रभावी रूप से कमी आएगी, तथा उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि जंगली बंदरों को मानव भोजन खिलाने पर प्रतिबंध लगाना भी आवश्यक है, क्योंकि भोजन तक पहुँच से उनके जीवित रहने और प्रजनन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
- टोक मकाक (Macaca sinica) श्रीलंका में पाया जाने वाला लाल-भूरे रंग का पूर्व काल का बंदर है।
- IUCN स्थिति: संकटग्रस्त
- ये अधिकतर फलभक्षी (फल खाने वाले) तथा दिवाचर जानवर (दिन में सक्रिय) हैं।
और पढ़ें: बोनेट मकाक बंदर
72% करदाताओं ने नई कर व्यवस्था को चुना
स्रोत : द हिंदू
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने बताया कि वर्ष 2023-24 में 72% आयकर (आईटी) करदाताओं ने नई कर व्यवस्था को चुना।
- वर्ष 2024-25 के लिये दाखिल किये गए 7.28 करोड़ आईटी रिटर्न में से 5.27 करोड़ नई व्यवस्था के तहत थे।
- आयकर रिटर्न दाखिल करने में वृद्धि: आकलन वर्ष 2024-25 में दाखिल किये गए रिटर्न में 7.5% की वृद्धि देखी गई, जिसमें पहली बार फाइल करने वालों से लगभग 58.6 लाख रिटर्न आए, जो कर आधार के विस्तार का संकेत है।
कर संरचना में परिवर्तन:
- नई कर व्यवस्था को डिफाॅल्ट विकल्प बनाया गया, जिसमें कर स्लैब 6 से घटाकर 5 कर दिये गए।
- कर-मुक्त आय सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़कर 3 लाख रुपए हो गई।
- नई व्यवस्था के तहत कर छूट की सीमा 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दी गई।
- मानक कटौती 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए कर दी गई।
- भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह वर्ष 2023-24 में 17.7% बढ़कर 19.58 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जिसका मुख्य कारण व्यक्तिगत आयकर में वृद्धि है, जो अब कुल कर राजस्व का 53.3% है, जो वर्ष 2022-23 में 50.06% था।
- प्रत्यक्ष कर वे कर हैं, जो एक व्यक्ति सीधे सरकार को देता है, जैसे आयकर, मतदान कर, भूमि कर, निगम कर और व्यक्तिगत संपत्ति कर।
नई NCERT पाठ्यपुस्तकों से प्रस्तावना हटाई गई
स्रोत: द हिंदू
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training- NCERT) ने वर्ष 2024 में जारी होने वाली कक्षा 3 और 6 की कई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया है।
- NCERT ने स्पष्ट किया है कि संगठन अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार समग्र विकास के लिये प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्यों, मौलिक अधिकारों और राष्ट्रगान सहित भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
प्रस्तावना:
- संविधान की प्रस्तावना संविधान में निहित मूल संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है। यह इस बात पर प्रकाश डालती है कि:
- भारत एक संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनेगा जो लोगों के लिये न्याय, समानता और स्वतंत्रता हेतु प्रतिबद्ध होगा।
- इसका उद्देश्य राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिये भाईचारे को बढ़ावा देना है।
- संविधान के अधिकार का स्रोत भारत के लोगों के पास है।
- इसे 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था।
- भारत एक संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनेगा जो लोगों के लिये न्याय, समानता और स्वतंत्रता हेतु प्रतिबद्ध होगा।
- केशवानंद भारती केस, 1973 और केंद्र सरकार बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम, 1995 में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है।
- प्रस्तावना मौलिक अधिकार प्रदान नहीं करती है और यह न्यायालय में प्रवर्तनीय नहीं है।
अधिक पढ़ें: भारतीय संविधान की प्रस्तावना
बेली ब्रिज
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियर समूह ने विनाशकारी भूस्खलन के बाद वाहनों और मशीनरी की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिये केरल के वायनाड के चूरलमाला में 190 फुट लंबे बेली ब्रिज का निर्माण किया।
- बेली ब्रिज आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों, भारी मशीनरी और एम्बुलेंस के परिवहन को सक्षम बनाता है।
- बेली ब्रिज एक प्रकार का मॉड्यूलर ब्रिज है जिसके घटक/पुर्जे पहले से निर्मित होते हैं और आवश्यकतानुसार उन्हें तेज़ी से जोड़ा जा सकता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसका आविष्कार करने का श्रेय एक अंग्रेज सिविल इंजीनियर डोनाल्ड कोलमैन बेली को जाता है।
- भारतीय सशस्त्र बलों को बेली ब्रिज का डिज़ाइन अंग्रेज़ों से विरासत में मिला था, जिसका उपयोग उन्होंने वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में और वर्ष 2021 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के बाद विभिन्न आपदा राहत प्रयासों में किया था।