प्रारंभिक परीक्षा
SAFF चैंपियनशिप 2023
हाल ही में भारत ने बंगलूरू, कर्नाटक में आयोजित दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (SAFF) चैंपियनशिप 2023 में कुवैत को हराकर अपना 9वाँ खिताब हासिल किया।
SAFF चैंपियनशिप:
- परिचय:
- SAFF चैंपियनशिप एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त फुटबॉल टूर्नामेंट है जो दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप की टीमों को एक मंच पर लाता है। यह दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (SAFF) द्वारा आयोजित एशियाई फुटबॉल परिसंघ (AFC) के तहत पाँच उप-संघों में से एक है।
- SAFF का गठन वर्ष 1997 में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के सदस्य संघों की स्थापना करके किया गया था।
- वर्तमान में SAFF सचिवालय ढाका, बांग्लादेश से संचालित होता है।
- SAFF चैंपियनशिप एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त फुटबॉल टूर्नामेंट है जो दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप की टीमों को एक मंच पर लाता है। यह दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (SAFF) द्वारा आयोजित एशियाई फुटबॉल परिसंघ (AFC) के तहत पाँच उप-संघों में से एक है।
- उत्पत्ति और विकास:
- संस्थापक सदस्य:
- भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव।
- विस्तार:
- भूटान इसमें वर्ष 2000 में सम्मिलित हुआ, जबकि अफगानिस्तान वर्ष 2015 में मध्य एशियाई फुटबॉल एसोसिएशन (CAFA) में शामिल होने से पहले वर्ष 2005 में इसका सदस्य बना।
- विकास:
- दक्षिण एशियाई फुटबॉल टूर्नामेंट की शुरुआत वर्ष 1993 में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) गोल्ड कप के रूप में हुई।
- बाद में वर्ष 1995 में इसका नाम बदलकर दक्षिण एशियाई गोल्ड कप कर दिया गया और वर्ष 1997 से वर्ष 2005 तक यह परिवर्तित होकर SAFF गोल्ड कप बन गया।
- वर्ष 2008 से इसे SAFF चैंपियनशिप के नाम से जाना जाता है।
- संस्थापक सदस्य:
भारत का प्रदर्शन:
- पुरुष SAFF चैंपियनशिप:
- भारत टूर्नामेंट में पावरहाउस (अर्थात् एक ऐसी टीम जिसे अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ माना जाता हो) रहा है और यह वर्ष 2003 को छोड़कर सभी संस्करणों में फाइनल तक पहुँचा है।
- भारत ने 14 संस्करणों में से नौवीं SAFF चैंपियनशिप जीती।
- महिला SAFF चैंपियनशिप:
- भारत ने SAFF चैंपियनशिप में सफलता हासिल की है, इसने वर्ष 2010 में उद्घाटन संस्करण जीता और उसके बाद 2012, 2014, 2016 तथा वर्ष 2019 में जीत हासिल की।
स्रोत: द हिंदू
प्रारंभिक परीक्षा
लघु वित्त बैंक
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सैद्धांतिक मंज़ूरी देने के लिये उपयुक्त नहीं पाए जाने के कारण लघु वित्त बैंकों की स्थापना के लिये तीन आवेदनों को अस्वीकार करने के निर्णय की घोषणा की है।
- यूनिवर्सल बैंकों और लघु वित्त बैंकों के 'ऑन-टैप' लाइसेंसिंग’ के दिशा-निर्देशों के तहत RBI को लगभग एक दर्जन आवेदन प्राप्त हुए थे।
लघु वित्त बैंक/स्माॅल फाइनेंस बैंक:
- परिचय:
- भारत में SFB छोटे व्यवसायियों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों, किसानों तथा असंगठित क्षेत्र सहित आबादी के वंचित वर्गों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ एवं ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिये स्थापित बैंकों की एक श्रेणी है।
- ये भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित होते हैं।
- उदाहरण: कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक, उज्जीवन, उत्कर्ष आदि।
- CRR और SLR के रखरखाव की आवश्यकता सहित मौजूदा वाणिज्यिक बैंकों पर लागू रिज़र्व बैंक के सभी विवेकपूर्ण मानदंड और विनियम SFB पर भी लागू होते हैं।
- इसके अलावा RBI के अनुसार, यदि कोई SFB एक यूनिवर्सल बैंक में स्थानांतरित होने की इच्छा रखता है, तो उसके पास न्यूनतम 5 वर्षों की अवधि के लिये प्रदर्शन का संतोषजनक ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिये।
- भारत में SFB छोटे व्यवसायियों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों, किसानों तथा असंगठित क्षेत्र सहित आबादी के वंचित वर्गों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ एवं ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिये स्थापित बैंकों की एक श्रेणी है।
नोट:
- ऑन-टैप लाइसेंसिंग: इसका मतलब है कि RBI से बैंक लाइसेंस प्राप्त करने के लिये विंडो पूरे वर्ष खुली रहती है या RBI किसी भी समय आवेदन स्वीकार कर बैंकों को लाइसेंस जारी कर सकता है।
- CRR और SLR: CRR का मतलब नकद आरक्षित अनुपात है तथा SLR का मतलब वैधानिक तरलता अनुपात है।
- CRR और SLR दोनों मौद्रिक नीति उपकरण हैं जिनका उपयोग केंद्रीय बैंकों द्वारा अर्थव्यवस्था में ऋण की उपलब्धता को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिये किया जाता है।
- CRR के तहत वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास एक निश्चित न्यूनतम जमा राशि (NDTL) आरक्षित रखनी होती है।
- SLR, जमा का न्यूनतम प्रतिशत है. जिसे एक वाणिज्यिक बैंक को नकदी, सोना या अन्य प्रतिभूतियों के रूप में बनाए रखना होता है।
- पात्रता:
- निवासी व्यक्ति/पेशेवर (भारतीय नागरिक), अकेले या संयुक्त रूप से प्रत्येक के पास वरिष्ठ स्तर पर बैंकिंग और वित्त के क्षेत्र में कम-से-कम 10 वर्ष का अनुभव हो।
- निवासियों के स्वामित्व तथा नियंत्रण वाली कंपनियाँ और सोसायटी।
- सूक्ष्म वित्त संस्थाएँ (Microfinance Institution), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC), स्थानीय क्षेत्र के बैंक और भुगतान बैंक जैसी संस्थाएँ जो निवासियों द्वारा नियंत्रित होती हैं, वे भी लघु वित्त बैंकों में परिवर्तित हो सकती हैं।
- इसके अतिरिक्त SFB में परिवर्तित होने के इच्छुक शहरी सहकारी बैंक (UCBs) दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के पश्चात् SFB में परिवर्तित हो सकते हैं।
- प्रदत्त पूंजी की आवश्यकता:
- लघु वित्त बैंकों के लिये न्यूनतम भुगतान वाली वोटिंग इक्विटी पूंजी 200 करोड़ रुपए होगी, ऐसे लघु वित्त बैंकों को छोड़कर जो UCBs से परिवर्तित हुए हैं।
- शासनादेश:
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी: RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लघु वित्त बैंकों को अपने कुल शुद्ध ऋण का 75% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के लिये आवंटित करना होता है।
- उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके ऋण पोर्टफोलियो का 50% भाग 25 लाख रुपए तक का अग्रिम हो।
- एकल या समूहिक देनदार के लिये अधिकतम ऋण आकार और निवेश सीमा उसके पूंजीगत कोष के क्रमशः 10% और 15% तक सीमित होगी।
- शाखा नेटवर्क: SFBs को ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों पर विशेष बल देने के साथ बैंक रहित और कम बैंकिंग सुविधा वाले क्षेत्रों में शाखाओं का एक नेटवर्क स्थापित करने की आवश्यकता है।
- प्रारंभ में उन्हें अपनी कम-से-कम 25% शाखाएँ बैंक रहित ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित करनी होंगी।
- प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी: RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लघु वित्त बैंकों को अपने कुल शुद्ध ऋण का 75% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के लिये आवंटित करना होता है।
- विनियमन:
- लघु वित्त बैंक, कंपनी अधिनियम, 2013 के अंर्तगत सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत हैं और साथ ही बैंकिंग विनियमन, 1949 की धारा 22 के अंर्तगत लाइसेंस प्राप्त हैं।
- ये मुख्य रूप से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 और RBI अधिनियम, 1934 एवं अन्य प्रासंगिक कानूनों द्वारा शासित होते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में लघु वित्त बैंकों (एस.एफ.बी.) की स्थापना का उद्देश्य क्या है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |
स्रोत: इकनॉमिक टाइम्स
प्रारंभिक परीक्षा
राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना
हाल ही में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राज्यों में अग्निशमन सेवाओं को मज़बूत करने के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के अंतर्गत "राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना” (Scheme for Expansion and Modernization of Fire Services in the States- SEMFSS) शुरू की है।
राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना:
- परिचय:
- इस योजना की उत्पत्ति पंद्रहवें वित्त आयोग (XV-FC) की सिफारिश से हुई है, जो तैयारियों और क्षमता निर्माण की फंडिंग सुविधा के लिये NDRF और राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) में से प्रत्येक के 12.5% हिस्से के आवंटन की अनुमति देता है।
- उद्देश्य:
- योजना का उद्देश्य राज्यों में अग्निशमन सेवाओं का विस्तार और आधुनिकीकरण करना है ताकि NDRF की तैयारियों तथा क्षमता-निर्माण घटकों के माध्यम से राज्य स्तर पर अग्निशमन सेवाओं को मज़बूत करने की गतिविधियाँ सुनिश्चित की जा सकें।
- कोष आवंटन:
- NDRF के कुल कोष में से 5,000 करोड़ रुपए की राशि प्राथमिकता के तौर पर "अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण" के लिये निर्धारित की गई थी।
- कुल परिव्यय में से 500 करोड़ रुपए की राशि राज्यों को उनके कानूनी और बुनियादी ढाँचे-आधारित सुधारों के आधार पर प्रोत्साहित करने के लिये रखी गई है।
- फंडिंग पैटर्न:
- योजना के अंर्तगत परियोजनाओं या प्रस्तावों को उनके बजटीय संसाधन आधार पर धन की मांग करने के लिये संबंधित राज्य सरकारों को ऐसी परियोजनाओं या प्रस्तावों की कुल लागत का 25% [उत्तर-पूर्वी और हिमालयी (NEH) राज्यों को छोड़कर, जो 10% का योगदान देते है] योगदान करना होगा।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF):
- गठन:
- वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष/निधि (NDRF) कर दिया गया।
- इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (DM अधिनियम) की धारा 46 में परिभाषित किया गया है।
- इसे भारत सरकार के "सार्वजनिक खाते" में "ब्याज रहित आरक्षित निधि" के अंतर्गत रखा जाता है।
- लोक लेखा: इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 266(2) के अंर्तगत किया गया था। यह उन लेन-देन के प्रवाह का लेखा-जोखा रखता है जहाँ सरकार केवल एक बैंकर के रूप में कार्य कर रही है। उदाहरणस्वरूप भविष्य निधि, लघु बचत आदि।
- वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष/निधि (NDRF) कर दिया गया।
- भूमिका:
- किसी भी गंभीर आपदा की स्थिति या आपदा के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास के खर्चों को पूरा करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधन किया जाता है।
- यह प्रकृति की गंभीर आपदा स्थिति में SDRF को पूरक बनाता है, बशर्ते SDRF में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न हो।
- SDRF अधिसूचित आपदाओं की प्रतिक्रिया हेतु राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक निधि है ताकि तत्काल राहत प्रदान करने के लिये किसी भी प्रकार के व्यय को पूरा किया जा सके।
- वित्तपोषण:
- कुछ वस्तुओं पर उपकर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क लगाकर वित्तपोषित किया जाता है तथा वित्त विधेयक के माध्यम से वार्षिक मंज़ूरी दी जाती है।
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 जुलाई, 2023
OPEC में शामिल होने हेतु चार नए देशों के साथ वार्ता
हाल ही में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) के महासचिव ने बताया कि संगठन में शामिल होने के लिये चार नए देशों अज़रबैजान, मलेशिया, ब्रुनेई और मैक्सिको के साथ चर्चा चल रही है। OPEC की स्थापना वर्ष 1960 में संस्थापक सदस्यों ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला के साथ हुई थी जिसमें अब 13 सदस्य देश शामिल हैं। OPEC विश्व भर में लगभग 30% कच्चे तेल का उत्पादन करता है तथा इसके सदस्यों का वैश्विक पेट्रोलियम व्यापार में लगभग 60% हिस्सा है। वर्ष 2016 में OPEC ने अपने संगठन का विस्तार करने के लिये 10 प्रमुख तेल उत्पादक देशों को शामिल कर OPEC+ का गठन किया था। OPEC+ में अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान के साथ 13 OPEC सदस्य देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय एवं एकीकरण करना, तेल बाज़ार को स्थिर करना, उपभोक्ताओं को पेट्रोलियम की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना, उत्पादकों को विश्वसनीय आय प्रदान करना तथा पेट्रोलियम उद्योग में निवेश पर उचित रिटर्न प्रदान करना है। OPEC का मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियना में है।
और पढ़ें… पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC)
बचपन में मधुमेह और मृत्यु के मामले में भारत वैश्विक चार्ट में शीर्ष पर
JAMA नेटवर्क जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चला है कि भारत में वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर बचपन में मधुमेह के मामलों और मृत्यु की सबसे अधिक संख्या देखी गई। अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years- DALYs) भी सबसे अधिक है, जो पूर्ण स्वास्थ्य के एक वर्ष के नुकसान को दर्शाता है। वर्ष 1990 के बाद से बचपन में मधुमेह के मामलों में 39.4% की वृद्धि हुई है, वर्ष 2019 में 2,27,580 मामले और 5,390 मौतें दर्ज की गईं। बच्चों में टाइप 2 मधुमेह बढ़ रहा है और यह खराब जीवनशैली, वैश्विक स्तर पर बच्चों के मोटापे तथा माता-पिता के मधुमेह के इतिहास से जुड़ा है। बचपन में मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जहाँ बच्चे का शरीर इंसुलिन का उत्पादन या उपयोग ठीक से नहीं कर पाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो ऊर्जा के लिये रक्त से शर्करा को कोशिकाओं में ले जाने में सहायता करता है। बचपन में मधुमेह के दो मुख्य प्रकार हैं: टाइप 1 और टाइप 2।
और पढ़ें… टाइप 1 मधुमेह, टाइप 2 मधुमेह के लिये नया इंजेक्शन
जिमेक्स 23
द्विपक्षीय जापान-भारत समुद्री अभ्यास 2023 (JIMEX 23) का सातवाँ संस्करण 5 से 10 जुलाई, 2023 तक आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित हो रहा है। जिमेक्स 23 जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (JMSDF) और भारतीय नौसेना की इकाइयों को एक साथ लाता है। इस अभ्यास में विभिन्न नौसैनिक संपत्तियों जैसे- निर्देशित मिसाइल विध्वंसक, कार्वेट, पनडुब्बी, समुद्री गश्ती विमान एवं हेलीकॉप्टर की भागीदारी शामिल है।
और पढ़ें… जापान-भारत समुद्री अभ्यास, सामुद्रिक सुरक्षा
DGCA इंडिया और EASA संयुक्त रूप से मानवरहित विमानन प्रणाली का विकास करेंगे
भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी (EASA) ने मानव रहित विमान प्रणालियों तथा नवाचारी वायु परिवहन प्रणालियों पर केंद्रित एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौता ज्ञापन में कर्मियों के लिये लाइसेंसिंग, प्रशिक्षण, हवाई यातायात प्रबंधन, बुनियादी ढाँचा और मानव रहित विमान प्रणाली यातायात प्रबंधन (UTM) मानकों एवं सेवाओं की स्थापना करना शामिल है।