प्रिलिम्स फैक्ट्स (05 Oct, 2024)



विशाखापत्तनम के समुद्र तट में पिलबॉक्स

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

मानसून के कारण विशाखापत्तनम के समुद्र तटों में रेत में दबे द्वितीय विश्व युद्ध के समय के पिलबॉक्स नजर आ रहे हैं, जिससे शहर के विस्मृत समुद्री इतिहास की झलक मिलती है।

पिलबॉक्स क्या हैं?

  • परिचय:
    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान निर्मित ये पिलबॉक्स, संभावित दुश्मन आक्रमणों से विशाखापत्तनम के तटों की सुरक्षा के लिये एक रणनीतिक रक्षा नेटवर्क का हिस्सा थे।
    • "पिलबॉक्स" नाम इसकी वजह यह है कि यह 20 वीं सदी के आरंभ में गोलियों के भंडारण के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले मेडिसिन कंटेनरों से मिलता जुलता है।
  • विशाखापत्तनम के पिलबॉक्स:
    • समुद्र तट के कटाव के कारण आर.के. समुद्र तट पर सबसे प्रमुख पिलबॉक्स देखने को मिला है, जबकि जलारिपेटा मछली पकड़ने वाली कॉलोनी में स्थित दूसरा पिलबॉक्स रेत, कचरे और उपेक्षा के नीचे दबा हुआ है।
      • युद्ध के दौरान विशाखापत्तनम एक महत्वपूर्ण केंद्र था, क्योंकि यह एक गहरे प्राकृतिक बंदरगाह वाला भारत का प्रमुख नौसैनिक अड्डा है। 
  • सामरिक महत्त्व:
    • चूँकि पिलबॉक्स को आसपास के वातावरण का हिस्सा जैसा दिखने के लिये बनाया गया था, इसलिये दुश्मन के लिये उन्हें ढूंढना मुश्किल था।
    • वे सामरिक केंद्र के रूप में कार्य करते थे, जिससे सैनिकों को समुद्र तट की रक्षा करने में सहायता मिलती थी, साथ ही दुश्मनों पर गोलीबारी के लिये सुरक्षित कवर भी मिलता था।

प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध

  • प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) मित्र शक्तियों (फ्राँस, रूस, ब्रिटेन, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका) और केंद्रीय शक्तियों (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया) के मध्य लड़ा गया था, जिसमें मित्र शक्तियाँ विजयी हुईं।
  • द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) धुरी शक्तियों (जर्मनी, इटली और जापान) और मित्र शक्तियों (फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन) के मध्य लड़ा गया था, जिसमें मित्र शक्तियों ने युद्ध में जीत हासिल की थी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

Q. सर स्टैफर्ड क्रिप्स की योजना में यह परिकल्पना थी कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद: (2016) 

(a) भारत को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की जानी चाहिये
(b) स्वतंत्रता प्रदान करने के पहले  भारत को दो भागों में विभाजित कर देना चाहिये
(c) भारत को इस शर्त के साथ गणतंत्र बना देना चाहिये कि वह राष्ट्रमंडल में शामिल होगा
(d) भारत को डोमिनियन स्टेट्स दे देना चाहिये

उत्तर: (d)


5 नई शास्त्रीय भाषाओं को स्वीकृति

स्रोत: एचटी

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पाँच और भाषाओं को "शास्त्रीय" भाषा का दर्जा दिये जाने को स्वीकृति दी है, जिससे देश की सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण भाषाओं की सूची में विस्तार हो गया है।  

  • पाँच भाषाओं के अलावा मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को भी इस प्रतिष्ठित श्रेणी में शामिल किया गया है।

शास्त्रीय भाषा क्या है?

  • परिचय:
    • वर्ष 2004 में, भारत सरकार ने उनकी प्राचीन विरासत को स्वीकार करने और संरक्षित करने के लिये भाषाओं को "शास्त्रीय भाषा" के रूप में नामित करना शुरू किया।
    • भारत की 11 शास्त्रीय भाषाएँ देश के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास की संरक्षक हैं तथा अपने समुदायों के लिये महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धि का प्रतीक हैं।

क्रम. 

भाषा

घोषित करने का वर्ष 

1.

तमिल

    2004

2.

संस्कृत

    2005

3.

तेलुगु

    2008

4.

कन्नड़

    2008

5.

मलयालम

    2013

6.

ओड़िया

    2014

  • भारतीय शास्त्रीय भाषाएँ समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, गहन साहित्यिक परंपराओं और विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत वाली भाषाएँ हैं।
  • महत्त्व: 
    • इन भाषाओं ने इस क्षेत्र के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • उनके ग्रंथ साहित्य, दर्शन और धर्म जैसे विविध क्षेत्रों में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
  • मानदंड: साहित्य अकादमी के तहत भाषा विशेषज्ञ समितियों (LEC) की सिफारिशों पर इसे वर्ष 2005 और 2024 में संशोधित किया गया था। 
    • वर्ष 2005 के संशोधित मानदंड इस प्रकार हैं:
      • उच्च पुरातनता: प्रारंभिक ग्रंथ और ऐतिहासिक विवरणों की प्राचीनता 1,500 से 2,000 BC की है।
      • प्राचीन साहित्य: प्राचीन साहित्य/ग्रंथों का संग्रह जिसे पीढ़ियों द्वारा मूल्यवान विरासत माने जाता है।
      • ज्ञान ग्रन्थ: किसी मूल साहित्यिक परंपरा की उपस्थिति जो किसी अन्य भाषा समुदाय से उधार नहीं ली गई हो।  
      • विशिष्ट विकास: शास्त्रीय भाषा और साहित्य, आधुनिक भाषा से भिन्न होने के कारण, शास्त्रीय भाषा तथा उसके बाद के रूपों अथवा शाखाओं के बीच एक विसंगति से भी उत्पन्न हो सकती है।
    • वर्ष 2024 में किसी भाषा को शास्त्रीय घोषित करने के मानदंडों में संशोधन किया गया।
      • जिसके तहत “ज्ञान ग्रंथ (किसी अन्य भाषा समुदाय से उधार न ली गई मूल साहित्यिक परंपरा की उपस्थिति”) को “ज्ञान ग्रंथ (विशेष रूप से कविता, पुरालेखीय और शिलालेखीय साक्ष्य के साथ गद्य ग्रंथ”) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
  • लाभ:
    • 'शास्त्रीय' के रूप में नामित भाषाओं को उनके अध्ययन और संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी लाभ प्राप्त होते हैं।
    • शास्त्रीय भारतीय भाषाओं के अनुसंधान, शिक्षण या संवर्धन में उल्लेखनीय योगदान देने वाले विद्वानों को प्रतिवर्ष दो अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाते हैं।
    • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) केंद्रीय विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में शास्त्रीय भारतीय भाषाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिये व्यावसायिक पीठों के निर्माण का समर्थन करता है।
    • इन भाषाई खजानों को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने के लिये, सरकार ने मैसूर में केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (CIIL) में शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन के लिये उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की।

भाषा को बढ़ावा देने के लिये अन्य प्रावधान क्या हैं?

  • आठवीं अनुसूची: भाषा का प्रगतिशील उपयोग, संवर्द्धन और उसको बढ़ावा देना। इसमें 22 भाषाएँ शामिल हैं:
    • असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।
  • अनुच्छेद 344(1) संविधान के प्रारंभ से पांँच वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
  • अनुच्छेद 351 में प्रावधान है कि हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाना संघ का कर्त्तव्य होगा।
  • भाषाओं को बढ़ावा देने के अन्य प्रयास:
    • परियोजना अस्मिता: परियोजना अस्मिता का लक्ष्य पाँच वर्षों के भीतर भारतीय भाषाओं में 22,000 पुस्तकें प्रकाशित करना है। 
  • नई शिक्षा नीति (NEP): NEP नीति का उद्देश्य संस्कृत विश्वविद्यालयों को बहु-विषयक संस्थानों में परिवर्तित करना है।
    • केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (CIIL): यह संस्थान चार शास्त्रीय भाषाओं: कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओडिया को बढ़ावा देने के लिये कार्य करता है। 
  • केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019: इसने तीन डीम्ड संस्कृत विश्वविद्यालयों को सेंट्रल डीम्ड का दर्ज़ा दिया है: जिसमें दिल्ली में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ और तिरुपति में राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ शामिल हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

निम्नलिखित भाषाओं पर विचार कीजिये: (2014)

  1. गुजराती 
  2. कन्नडा
  3. तेलुगू

सरकार द्वारा उपरोक्त में से किसको 'शास्त्रीय भाषा' घोषित किया गया है?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 2024

स्रोत: पी.आई.बी.

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, 1 अक्तूबर 2024 को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाएगा

  • वर्ष 2024 की थीम: एजिंग विथ डिग्निटी: विश्व भर में वृद्ध व्यक्तियों की देखभाल और सहायता प्रणालियों को सुदृढ़ करना

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस:

प्रतिबद्धता एवं वैश्विक ढाँचा:

और पढ़ें: भारत के वृद्धजनों का सशक्तीकरण


भारतजेन

स्रोत: पीआईबी

हाल ही में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारतजेन नामक एक जनरेटिव AI पहल शुरू की है, जिसे सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

  • इसका उद्देश्य भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को संबोधित करने के लिये भाषा, भाषण तथा कंप्यूटर दृष्टि में आधारभूत मॉडल तैयार करना है।
  • यह भारतीय भाषाओं के लिये विश्व की पहली सरकारी वित्त पोषित मल्टीमॉडल लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) परियोजना है।
    • LLM ऐसी AI प्रणालियाँ हैं जो विशाल मात्रा में पाठ्य डेटा को संसाधित करके मानव भाषा को समझने और उत्पन्न करने में सक्षम हैं।
  • इसका नेतृत्व IIT बॉम्बे द्वारा अंतरविषयी साइबर-भौतिकी प्रणाली से संबंधित राष्ट्रीय मिशन(NM-ICPS) के तहत किया जाता है तथा इसमें IIT और IIM इंदौर जैसे शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग शामिल है।
  • इसमें भारत-केंद्रित डेटा को व्यवस्थित करने हेतु प्रक्रियाएँ विकसित करने पर ज़ोर दिया गया है जिससे देश का अपने डिजिटल संसाधनों पर नियंत्रण बढ़ सके।
  • इसकी चार प्रमुख विशेषताएँ हैं: 
    • बहुभाषी एवं मल्टीमॉडल प्रकृति
    • भारतीय डेटा सेट आधारित निर्माण एवं प्रशिक्षण
    • ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म
    • भारत में जनरेटिव AI अनुसंधान के इकोसिस्टम का विकास।
      • जनरेटिव AI विभिन्न प्रकार की सामग्री तैयार कर सकता है, जिसमें टेक्स्ट, इमेजरी और ऑडियो शामिल हैं।

और पढ़ें: लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM)


सैन्य अभ्यास काजिंद-2024

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत-कज़ाखस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास काजिंद -2024 का 8 वां संस्करण उत्तराखंड में शुरू हुआ, जो 30 सितंबर से 13 अक्तूबर, 2024 तक आयोजित किया जाएगा।

  • भारत और कज़ाखस्तान के बीच संयुक्त अभ्यास को वर्ष 2016 में ‘अभ्यास प्रबल दोस्‍तीक’ के रूप में शुरू किया गया था। 
    • दूसरे संस्करण के बाद, अभ्यास को कंपनी-स्तरीय अभ्यास में अपग्रेड किया गया और इसका नाम बदलकर ‘अभ्यास काजिंद’ कर दिया गया।
  • संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य अर्ध-शहरी और पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियान हेतु संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है, जिसमे शारीरिक फिटनेस, सामरिक स्तर पर संचालन के लिये अभ्यास और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • अध्याय VII में शांति के लिये खतरे, शांति भंग और आक्रामकता के कृत्यों के संबंध में कार्रवाई शामिल है।

और पढ़ें: अभ्यास काज़िन्द-2023


मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के पुरस्कार

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने घोषणा की है कि वर्ष 2022 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार अभिनेता और पूर्व राज्यसभा सांसद मिथुन चक्रवर्ती को दिया जाएगा।

  • यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा।
  • यह दादा साहब फाल्के पुरस्कार के 54वें प्राप्तकर्ता होंगे।
  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार:
    • यह देश का सर्वोच्च फिल्म सम्मान है जिसकी शुरुआत वर्ष 1969 में हुई थी, जो “भारतीय सिनेमा के विकास और वृद्धि में उत्कृष्ट योगदान” के लिये दिया जाता है।
    • यह पुरस्कार पहली बार “भारतीय सिनेमा की प्रथम महिला” देविका रानी को प्रदान किया गया था।
    • इस पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रमाण पत्र, एक रेशम रोल और एक शॉल शामिल है। 
    • इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
  • धुंडीराज गोविंद फाल्के: 
    • वह एक भारतीय निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे जिन्होंने भारत की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र (1913) का निर्देशन किया था।
      • उन्हें “भारतीय सिनेमा के जनक” के रूप में जाना जाता है।

अधिक पढ़ें: राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार