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प्रोजेक्ट अस्मिता

  • 20 Jul 2024
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू  

हाल ही में, आगामी पाँच वर्षों में भारतीय भाषाओं में 22,000 पुस्तकें तैयार करने के लिये अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री का संवर्द्धन (Augmenting Study Materials in Indian languages through Translation and Academic Writing- ASMITA) परियोजना शुरू की गई।

  • यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुरूप शिक्षा प्रणाली में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा की गई कई पहलों में से एक है।

प्रोजेक्ट अस्मिता क्या है?

  • परिचय:
    • इसे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा लॉन्च किया गया था।
    • यह शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिये UGC और भारतीय भाषा समिति द्वारा किया गया संयुक्त प्रयास है।
      • विश्वविद्यालय शिक्षा में शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों के समन्वय, निर्धारण तथा रखरखाव के लिये UGC की स्थापना वर्ष 1953 में की गई थी (वर्ष 1956 में सांविधिक संगठन बना)।
      • भारतीय भाषा समिति वर्ष 2021 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिये आधारभूत समिति है।
    • इस परियोजना का नेतृत्व करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों के सदस्य विश्वविद्यालयों के साथ-साथ 13 नोडल विश्वविद्यालयों की पहचान की गई है।
    • UGC ने प्रत्येक निर्दिष्ट भाषा में पुस्तक-लेखन प्रक्रिया के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाई है।
    • इस परियोजना का लक्ष्य पाँच वर्षों के भीतर 22 भाषाओं में 1,000 पुस्तकें तैयार करना है जिसके परिणामस्वरूप भारतीय भाषाओं में 22,000 पुस्तकें तैयार होंगी।
      • इसके अतिरिक्त आयोग का लक्ष्य जून 2025 तक कला, विज्ञान और वाणिज्य स्ट्रीम पर आधारित 1,800 पाठ्यपुस्तकें तैयार करना है।
  • प्रोजेक्ट अस्मिता के साथ शुरू की गई अन्य पहलें:
    • बहुभाषा शब्दकोष: 
      • केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (Central Institute of Indian Languages) द्वारा भारतीय भाषा समिति के सहयोग से विकसित यह एक व्यापक बहुभाषी शब्दकोश संग्रह है।
      • इससे आईटी, उद्योग, अनुसंधान और शिक्षा जैसे विभिन्न आधुनिक क्षेत्रों में भारतीय शब्दों, वाक्यांशों तथा वाक्यों का उपयोग करने में मदद मिलेगी।
    • रीयल-टाइम अनुवाद वास्तुकला: 
      • राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम (National Educational Technology Forum) और भारतीय भाषा समिति द्वारा विकसित, इसका उद्देश्य भारतीय भाषाओं में रीयल-टाइम अनुवाद को बढ़ाने के लिये एक रूपरेखा बनाना है।
        • NETF की परिकल्पना एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई है, जिसे एक सोसायटी के रूप में शामिल किया गया है, जो NEP उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये प्रौद्योगिकी की तैनाती, प्रेरण और उपयोग पर निर्णय लेने में सुविधा प्रदान करेगा।
  • उद्देश्य:
    • इससे 22 अनुसूचित भाषाओं में शैक्षणिक संसाधनों का एक व्यापक पूल बनाने, भाषाई विभाजन को पाटने, सामाजिक सामंजस्य और एकता को बढ़ावा देने तथा देश के युवाओं को सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार वैश्विक नागरिकों में बदलने में मदद मिलेगी।

नोट:

  • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं:
    • असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।

और पढ़ें: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत भाषाओं में चार भाषाओं को जोड़ा गया, जिससे उनकी संख्या बढ़कर 22 हो गई? (2008)

(a) 90वाँ संविधान संशोधन
(b) 91वाँ संविधान संशोधन
(c) 92वाँ संविधान संशोधन
(d) 93वाँ संविधान संशोधन

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया? (2015)

(a) उड़िया
(b) कोंकणी
(c) भोजपुरी
(d) असमिया

उत्तर: (a)

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