प्रिलिम्स फैक्ट्स (05 Jul, 2023)



तमिलनाडु का नमक्कल ज़िला जल प्रबंधन में उत्कृष्ट

हाल ही में भारत के तमिलनाडु में नमक्कल ज़िले, जिसकी आबादी 1.7 मिलियन है, ने जल की कमी से निपटने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।

  • इस ज़िले ने जल संरक्षण और प्रबंधन के लिये रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाकर भू-जल उपलब्धता में महत्त्वपूर्ण सुधार किया है, जिससे यह केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की वार्षिक रैंकिंग के अनुसार, वर्ष 2022 के लिये संरक्षण और प्रबंधन श्रेणी में भारत का दूसरा सबसे उत्कृष्ट ज़िला घोषित किया गया है।

नमक्कल ज़िले के जल प्रबंधन की सफलता का कारण: 

  • व्यापक दृष्टिकोण: नमक्कल ने सामुदायिक भागीदारी, वर्षा जल संचयन, नदी कायाकल्प और नहर से गाद निकालने सहित एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया।
  • बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: ज़िले ने जल आपूर्ति नेटवर्क की निगरानी व नियंत्रण एवं रिसाव को कम करने के साथ ही जल वितरण को अनुकूलित करने के लिये उन्नत तकनीकों को शामिल करते हुए जल बुनियादी ढाँचे को उन्नत किया है।
    • ज़िले ने चेक डैम के साथ-साथ तालाबों का निर्माण करके अपनी छोटी नदी का कायाकल्प किया, जिससे सतही जल की उपलब्धता में सुधार हुआ, साथ ही सतही जल की गुणवत्ता में सुधर कर इसे पीने योग्य बनाया।
  • कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाएँ: नमक्कल ने भू-जल के पुनर्भरण के लिये कई कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं, जैसे- तालाब, पुनर्भरण शाफ्ट तथा चेक डैम का निर्माण किया है।
  • सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता: जागरूकता अभियानों और शैक्षिक कार्यक्रमों के साथ-साथ निवासियों की सक्रिय भागीदारी ने जल संरक्षण संस्कृति को बढ़ावा दिया।

नमक्कल जल प्रबंधन प्रयासों के परिणाम: 

  • नमक्कल ज़िले ने अपनी भूजल उपलब्धता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है। 116 खोदे गए कुओं में औसत जल स्तर जनवरी 2019 के 11.48 mbgl से सुधरकर जनवरी 2022 में 6 mbgl हो गया।
  • नमक्कल ज़िले में जल की खपत और बर्बादी को भी कम किया गया है। इस ज़िले ने बागवानी तथा औद्योगिक उद्देश्यों के लिये घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग सुनिश्चित किया है।

नमक्कल जल प्रबंधन की सफलता का महत्त्व:

  • जल संरक्षण के लिये कुशल वर्षा जल संचयन प्रणाली लागू करना।
  • प्राकृतिक जल निकायों की बहाली तथा प्रदूषण एवं अतिक्रमण से निपटने को प्राथमिकता देना।
  • निगरानी, रिसाव का पता लगाने और जल के कुशल वितरण के लिये उन्नत तकनीकों का उपयोग करना।
  • शिक्षा और सहयोगात्मक पहलों के माध्यम से सामुदायिक जागरूकता तथा भागीदारी को बढ़ावा देना।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 


सौर विकिरण प्रबंधन

सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) सूर्य के प्रकाश को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करके ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना करने के लिये एक संभावित उपकरण के रूप में उभरा है।

  • अमेरिकी सरकार द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में SRM से संबंधित जोखिमों और लाभों का आकलन करने के लिये व्यापक अनुसंधान एवं एक शासन ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

सौर विकिरण प्रबंधन:  

  • परिचय:  
    • सौर विकिरण प्रबंधन जलवायु इंजीनियरिंग का एक रूप है जिसका उद्देश्य पृथ्वी को गर्म करने से पहले सूर्य की कुछ ऊर्जा को वापस अंतरिक्ष में प्रतिबिंबित करके ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करना है।
    • SRM निराशा से उत्पन्न हुआ एक विचार है, क्योंकि विश्व एक निरंतर और तेज़ी से बढ़ते जलवायु संकट का सामना कर रहा है जो मानव कल्याण एवं पृथ्वी के लिये खतरा है।
  • SRM के कुछ सर्वाधिक चर्चित तरीके:
    • स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (SAI): इसमें सल्फेट एरोसोल जैसे परावर्तक कणों को ऊपरी वायुमंडल (Stratosphere) में इंजेक्ट करना शामिल है, जहाँ वे आने वाले कुछ सौर विकिरण को वापस अंतरिक्ष में बिखेर देंगे। 
    • समुद्री बादल का चमकना (MCB): इसमें समुद्र के ऊपर निम्न स्तर के बादलों (Marine Stratocumulus) में समुद्री जल या अन्य पदार्थों की बारीक बूँदों का छिड़काव शामिल है, जहाँ वे बादल संघनन नाभिक के रूप में कार्य करेंगे और बादलों की परावर्तनशीलता एवं दृढ़ता को बढ़ाएंगे।
      • इससे बादलों के शीतलन प्रभाव में वृद्धि होगी, जो पहले से ही आने वाली सौर विकिरण का लगभग 20% प्रतिबिंबित करते हैं
      • MCB को SAI की तुलना में अधिक स्थानीयकृत और प्रतिवर्ती माना जाता है, लेकिन यह तकनीकी रूप से अधिक चुनौतीपूर्ण होने के साथ मौसम की स्थिति पर भी निर्भर है।
    • स्पेस सनशेड: इसमें पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में या पृथ्वी और सूर्य के बीच एक स्थिर बिंदु (लैग्रेंज बिंदु 1) पर बड़े दर्पण या स्क्रीन लगाना शामिल है, जहाँ वे आने वाले कुछ सौर विकिरण को अवरुद्ध या विक्षेपित करेंगे।
      •  इससे पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाली सौर ऊर्जा की मात्रा कम हो जाएगी।
      • स्पेस सनशेड को SAI या MCB की तुलना में अधिक नियंत्रणीय और समायोज्य माना जाता है, लेकिन इसे तैनात करना एवं बनाए रखना अत्यंत महँगा और जटिल भी है।

  • लाभ: 
    • SRM संभावित रूप से वैश्विक तापमान में त्वरित कमी प्रदान कर सकता है, जिससे चरम जलवायु घटनाओं से अस्थायी राहत मिल सकती है।
    • उपयोग की गई विधि और आवश्यक पैमाने के आधार पर यह अन्य विकल्पों की तुलना में लागत प्रभावी हो सकता है।
    • यदि इसे रोका या समायोजित किया जाए तो SRM को थोड़े समय में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • हानियाँ:
    • SRM जलवायु परिवर्तन के सभी पहलुओं, जैसे- समुद्र के अम्लीकरण, जैवविविधता की हानि या थर्मल विस्तार के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि को संबोधित नहीं कर सकता।
    • इसका क्षेत्रीय या वैश्विक जलवायु प्रणालियों पर नकारात्मक या अनपेक्षित दुष्प्रभाव हो सकता है, जैसे- वर्षा पैटर्न में बदलाव, मानसून, सूखा, तूफान या फसल की पैदावार को प्रभावित करना।
    • SRM नैतिक या भू-राजनीतिक चुनौतियाँ पैदा कर सकता है, जैसे देशों या क्षेत्रों को एक-दूसरे के बीच विजेता या हारने वाले बनाना, न्याय, समानता, सहमति, दायित्व या ज़िम्मेदारी पर प्रश्न उठाना

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समताप मंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) 

(a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये
(b) उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बारंबारता और तीव्रता को कम करने के लिये
(c) पृथ्वी पर सौर पवनों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिये
(d) ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये

उत्तर: (d)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


अल्लूरी सीताराम राजू

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने हैदराबाद में अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती के समापन समारोह में भाग लिया।

  • अल्लूरी सीताराम राजू का 125वाँ समारोह महान स्वतंत्रता सेनानी की जयंती का एक वर्ष तक चलने वाला उत्सव था। इस समारोह का शुभारंभ 4 जुलाई, 2022 को प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था।

अल्लूरी सीताराम राजू:

  • परिचय: 
    • अल्लूरी सीताराम राजू एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
    • उन्होंने वर्तमान आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट क्षेत्र में एक गुरिल्ला अभियान में मोर्चा संभाला और ब्रिटिश सरकार के दमनकारी वन कानूनों तथा नीतियों के खिलाफ जनजातीय लोगों को एकजुट किया।
    • उनकी बहादुरी और बलिदान के कारण स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें वननायक अथवा मान्यम वीरुडु के रूप में माना जाता है।

  • प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि: 
    • उनका जन्म 4 जुलाई, 1897 अथवा 1898 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले के पंडरंगी गाँव में हुआ था।
    • वह एक तेलुगू भाषी क्षत्रिय परिवार से थे।  
  • वर्ष 1922-1924 का रम्पा विद्रोह (मान्यम विद्रोह): 
    • अल्लूरी सीताराम राजू ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए असहयोग आंदोलन में भाग लिया था और उन्होंने पाया कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा पूर्वी घाट क्षेत्र में जनजातीय लोगों के शोषण किया जा रहा था।
    • आदिवासी लोग पोडू या झूम/स्थानांतरण कृषि करते थे जिसमें कृषि के लिये वन भूमि के कुछ हिस्सों को साफ किया जाता था तथा कुछ वर्षों के बाद दूसरे क्षेत्रों में पलायन करना शामिल था। यह उनकी पारंपरिक और टिकाऊ जीवनशैली थी जो उनकी खाद्य सुरक्षा एवं सांस्कृतिक पहचान भी सुनिश्चित करती थी।
    • वर्ष 1882 के मद्रास वन अधिनियम ने जनजातीय लोगों के आंदोलन पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अतिरिक्त लघु वन उपज के संग्रह पर भी प्रतिबंध लगा दिया जिससे उन्हें वन विभाग या ठेकेदारों के लिये कम मज़दूरी पर काम करने हेतु मजबूर होना पड़ा था।
    • अल्लूरी सीताराम राजू ने एक गुरिल्ला सेना बनाई तथा ब्रिटिश पुलिस स्टेशनों और चौकियों पर आक्रमण करने के लिये गुरिल्ला युद्ध पद्धति का उपयोग किया था।
      • गुरिल्ला युद्ध अनियमित युद्ध का एक रूप है जिसमें लड़ाकों के छोटे समूह बड़ी और कम गतिशील पारंपरिक सेना से लड़ने के लिये घात, तोड़फोड़, छापे, छद्म युद्ध, मारना और भागना रणनीति सहित सैन्य रणनीतियों का उपयोग करते हैं। 
    • उनका लक्ष्य आदिवासी लोगों को आज़ाद कराना और अंग्रेज़ों को पूर्वी घाट से बाहर निकालना था।
  • मृत्यु और विरासत: 
    • 7 मई, 1924 को कोय्युरू गाँव में ब्रिटिश सेना ने अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ लिया और मार डाला, जो रम्पा विद्रोह के अंत का प्रतीक था। 
    • अल्लूरी सीताराम राजू का जीवन जाति और वर्ग के आधार पर भेदभाव किये बिना समाज की एकता का उदाहरण है।
    • वर्ष 1986 में भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकट जारी की गई जिस पर अल्लूरी सीताराम राजू की तस्वीर है।
    • अल्लूरी सीताराम राजू नामक जीवनी पर आधारित फिल्म वर्ष 1974 में रिलीज़ हुई थी।

स्रोत: पी.आई.बी.


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 जुलाई, 2023

स्वामी विवेकानन्द की पुण्य तिथि

भारत के प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानन्द को उनकी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और सशक्त भारत के लिये उनके प्रेरक सिद्धांतों की सराहना की। स्वामी विवेकानन्द ने 4 जुलाई, 1902 को 39 वर्ष की आयु में महासमाधि (मृत्यु) प्राप्त की। यह उनके सेवा, मानवता और आध्यात्मिक ज्ञान के आदर्शों को याद करने का दिन है। स्वामी विवेकानन्द एक हिंदू भिक्षु, दार्शनिक, लेखक और सुधारक थे जिन्होंने पश्चिमी विश्व को वेदांत तथा योग से परिचित कराया। वह रामकृष्ण के प्रमुख शिष्य थे जिन्होंने उन्हें सभी धर्मों की एकता की शिक्षा दी थी। उन्होंने रामकृष्ण मठ और मिशन की स्थापना की, जो आध्यात्मिक तथा सामाजिक सेवा को बढ़ावा देता है। उन्होंने अपने भाषणों और लेखों से लाखों लोगों को प्रेरित किया।

और पढ़ें… स्वामी विवेकानन्द

शेप ऑफ फ्लेम्स 

हाल ही में शोधकर्ताओं ने आग की लपटों/फ्लेम्स के पास वायु प्रवाह की जटिल गतिशीलता और प्रक्रियाओं का पता लगाया है। आग की लपटें इसके चारों ओर की वायु को गर्म करती हैं जिससे वह कम गहन होने के कारण ऊपर उठने लगती हैं। इससे लपटों के पास कम दबाव वाला क्षेत्र बनता है। परिणामस्वरूप आसपास से ठंडी वायु किनारों और नीचे से लपटों की ओर प्रवाहित होती है। ऑक्सीजन की उपस्थिति ईंधन को जलाती रहती है। इससे आग की लपटों के निकट की हवा गर्म हो जाती है और तेज़ी से ऊपर की ओर उठती है। इस प्रक्रिया में लपटों के ऊपर गर्म वायु का तीव्र गति से बहिर्वाह, साथ ही किनारों और नीचे से धीमी गति से प्रवाह होता है। अंततः वायु आसपास के वातावरण में मिल जाती है और ठंडी हो जाती है। यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि वायु प्रवाह की यह प्रक्रिया मुख्य रूप से मोमबत्ती या बत्ती या स्टोव पर लागू होती है और वेल्डर टॉर्च जैसे उपकरणों के लिये समान नहीं हो सकती है, जिसमें एक अलग ईंधन आपूर्ति तंत्र होता है।

भारतीय कंपनियों की अनुकूल क्रेडिट स्थिति 

S&P ग्लोबल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट केअनुसार, भारत में चिंहित की गई कंपनियाँ अनुकूल क्रेडिट स्थिति में हैं, जो मज़बूत अंतर्निहित विकास और समायोजनकारी बैलेंस शीट द्वारा समर्थित हैं। यह रिपोर्ट देश की मज़बूत आर्थिक वृद्धि पर प्रकाश डालती है, जिसके फलस्वरूप यह वृद्धि वर्ष 2023 में 6% और वर्ष 2024 में 6.9% तक पहुँचने का अनुमान है, जो इन्हें इस क्षेत्र में अधिक उत्कृष्ट बना देगा। इसके अतिरिक्त मज़बूत ऑफशोर तरलता की उपस्थिति जटिल बाह्य वित्तपोषण स्थितियों से उत्पन्न चुनौतियों का प्रतिकार करने में सहायता प्रदान करती है। हालाँकि कंपनियाँ ऋण कटौती पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, लेकिन पूंजीगत व्यय में वृद्धि के कारण कर्ज को कम करने की गति धीमी हो सकती है। डिलीवरेजिंग से तात्पर्य किसी व्यक्ति, कंपनी या अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता में सुधार करने के लिये ऋण को कम करने या समाप्त करने की प्रक्रिया से है। इसमें आमतौर पर ऋण एवं इक्विटी के साथ परिसंपत्तियों के अनुपात को कम करना शामिल है, जिससे समग्र लीवरेज या ऋणग्रस्तता कम हो जाती है।

और पढ़ें… क्रेडिट रेटिंग

ओडिशा सरकार द्वारा मो जंगल जामी योजना का आरंभ 

ओडिशा सरकार ने मो जंगल जामी योजना शुरू की है जिसका उद्देश्य राज्य के ज़िलों में आदिवासियों और वनवासियों के बीच वन अधिकारों को बढ़ावा देना है। यदि इस योजना को लागू किया जाता है तो ओडिशा केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित व्यक्तिगत अधिकारों के अतिरिक्त सामुदायिक वन अधिकारों को मान्यता देने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा। इस योजना का उद्देश्य लाभार्थियों को उनके अधिकारों के अनुसार भूमि का स्वामित्व तथा वन संसाधनों तक पहुँच प्रदान कर अनुसूचित जनजाति और वन क्षेत्र में रहने वाली आबादी के लिये आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ओडिशा में बड़ी संख्या में ऐसे गाँव और अनुसूचित जनजाति परिवार हैं जिन्हें इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। 62 विभिन्न जनजातियों के साथ राज्य की जनजातीय आबादी कुल आबादी का 22.85% है जिसमें 13 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) शामिल हैं।

और पढ़ें… कमज़ोर जनजातीय समूह, वन अधिकार