भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत की ‘संप्रभु रेटिंग’
- 10 May 2021
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
‘एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स’ के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद आगामी दो वर्षों के लिये देश की संप्रभु रेटिंग मौजूदा ‘BBB-’ स्तर पर अपरिवर्तित रहेगी।
- S&P सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक है, जो कंपनियों, देशों और उनके द्वारा जारी ऋण को AAA से D के पैमाने पर ग्रेड प्रदान करती है, जो कि उनके निवेश जोखिम की डिग्री का संकेत देते हैं।
प्रमुख बिंदु:
संप्रभु क्रेडिट रेटिंग:
- संप्रभु क्रेडिट रेटिंग किसी देश या संप्रभु इकाई की साख का एक स्वतंत्र मूल्यांकन है।
- यह निवेशकों को किसी भी राजनीतिक जोखिम सहित किसी विशेष देश के ऋण में निवेश से जुड़े जोखिम के स्तर की जानकारी देता है।
- बाहरी ऋण बाज़ारों में बॉण्ड जारी करने के अलावा, देशों के लिये एक संप्रभु क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करने का एक अन्य लक्ष्य अधिक-से-अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आकर्षित करना भी है।
- किसी देश के अनुरोध पर एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी रेटिंग देने के लिये उसके आर्थिक और राजनीतिक वातावरण का मूल्यांकन करती है।
- S&P उन देशों को BBB- या उच्च रेटिंग देता है, जिन्हें वह निवेश के लिये बेहतर मानती है और BB+ या निम्न ग्रेड वाले देश वे होते हैं, जहाँ भुगतान डिफॉल्ट होने का जोखिम होता है।
- वहीँ मूडीज़ Baa3 या उच्च रेटिंग को निवेश योग्य मानता है और Ba1 और इससे नीचे की रेटिंग को अव्यवहार्य मानता है।
संप्रभु क्रेडिट रेटिंग और भारत:
- आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 ने अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों को दर्शाने के लिये संप्रभु क्रेडिट रेटिंग पद्धति को अधिक पारदर्शी, कम व्यक्तिपरक और बेहतर बनाने का आग्रह किया है।
- इसमें जीडीपी विकास दर, मुद्रास्फीति, प्राथमिक सरकारी ऋण (जीडीपी के % के रूप में), आवर्ती रूप से समायोजित प्राथमिक संतुलन (संभावित जीडीपी के % के रूप में), चालू खाता शेष (जीडीपी के % के रूप में), राजनीतिक स्थिरता, कानून का शासन, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, निवेशक सुरक्षा, व्यापार करने में आसानी, अल्पकालिक बाह्य ऋण (भंडार का %), आरक्षित पर्याप्तता अनुपात और संप्रभु डिफॉल्ट इतिहास आदि शामिल हैं।
- सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की भुगतान करने की क्षमता और इच्छा मुख रूप से देश के शून्य डिफॉल्ट संप्रभु इतिहास के माध्यम से प्रदर्शित होती है।
- भारत की भुगतान करने की क्षमता न केवल बेहद कम विदेशी मुद्रा-संप्रदाय ऋण से, बल्कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार के व्यापक आकार से भी देखी जा सकती है, जो निजी क्षेत्र के लघु अवधि ऋण के साथ-साथ भारत के समग्र संप्रभु और गैर-संप्रभु बाह्य ऋण का भुगतान करने में सक्षम है।
क्रेडिट रेटिंग:
- सामान्य शब्दों में क्रेडिट रेटिंग किसी विशेष ऋण या वित्तीय दायित्त्व के संबंध में एक उधारकर्त्ता की साख की मात्रा का आकलन है।
- एक क्रेडिट रेटिंग किसी भी ऐसी संस्था को दी जा सकती है जो पैसे उधार लेना चाहती है , जिसमें एक व्यक्ति, निगम, राज्य या प्रांतीय प्राधिकरण, या संप्रभु सरकार भी शामिल हैं।
- रेटिंग एजेंसी एक ऐसी कंपनी होती है, जो विभिन्न कंपनियों और सरकारी संस्थाओं की वित्तीय शक्ति का आकलन करती है, विशेष रूप से उनके ऋणों पर मूलधन और ब्याज़ भुगतान करने की क्षमता का।
- फिच रेटिंग्स, मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (S&P) तीन बड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ हैं, जो लगभग 95% वैश्विक रेटिंग कारोबार को नियंत्रित करती हैं।
- भारत में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के तहत पंजीकृत कुल छह क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ हैं, जिसमें CRISIL, ICRA, CARE, SMERA, फिच इंडिया और ब्रिकवर्क रेटिंग आदि शामिल हैं।