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सामाजिक न्याय

सामुदायिक वन संसाधन अधिकार

  • 31 Aug 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सामुदायिक वन संसाधन, आरक्षित वन, संरक्षित वन, अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान।

मेन्स के लिये:

सामुदायिक वन संसाधन अधिकार और मान्यता का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ के मुंगेली ज़िले के चार गाँवों के निवासियों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) प्राप्त हुआ है।

  • धमतरी ज़िले में उदंती- सीतानदी टाइगर रिज़र्व के बाद अचानकमार CFRR प्राप्त करने वाला छत्तीसगढ़ का दूसरा बाघ अभयारण्य बन गया।

सामुदायिक वन संसाधन

  • सामुदायिक वन संसाधन (CFR) क्षेत्र सामान्य वन भूमि है जिसे किसी विशेष समुदाय द्वारा स्थायी उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से आरक्षित और संरक्षित किया गया है।
  • समुदाय द्वारा इसका उपयोग गाँव की पारंपरिक और प्रथागत सीमा के भीतर उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच एवं ग्रामीण समुदायों के मामले में परिदृश्य के मौसमी उपयोग के लिये किया जाता है।
  • प्रत्येक CRF क्षेत्र में समुदाय और उसके पड़ोसी गांँवों द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान योग्य स्थलों की एक प्रथागत सीमा होती है।
  • इसमें किसी भी श्रेणी के वन - राजस्व वन, वर्गीकृत और अवर्गीकृत वन, डीम्ड वन, ज़िला समिति भूमि (DLC), आरक्षित वन, संरक्षित वन, अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान आदि शामिल हो सकते हैं।

सामुदायिक वन संसाधन अधिकार:

  • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम (आमतौर पर वन अधिकार अधिनियम या FRA के रूप में संदर्भित), 2006 की धारा 3 (1)(i) के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सामुदायिक वन संसाधनों को "संरक्षण, पुन: उत्पन्न या संरक्षित या प्रबंधित" करने के अधिकार की मान्यता प्रदान करते हैं।
  • ये अधिकार समुदाय को वनों के उपयोग के लिये स्वयं और दूसरों के लिये नियम बनाने की अनुमति देते हैं तथा इस तरह FRA की धारा 5 के तहत अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।
  • CFR अधिकार, धारा 3 (1)(b) और 3(1)(c) के तहत सामुदायिक अधिकारों (CR) के साथ, जिसमें निस्तार अधिकार (रियासतों या ज़मींदारी आदि में पूर्व उपयोग किये जाने वाले) और गैर-लकड़ी वन उत्पादों पर अधिकार शामिल हैं, समुदाय की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करते हैं।
  • एक बार जब CFRR को किसी समुदाय के लिये मान्यता दी जाती है, तो वन का स्वामित्त्व वन विभाग के बजाय ग्राम सभा केनियंत्रण में आ जाता है।
  • प्रभावी रूप से ग्राम सभा वनों के प्रबंधन के लिये नोडल निकाय बन जाती है।
  • ये अधिकार ग्राम सभा को सामुदायिक वन संसाधन सीमा के भीतर वन संरक्षण और प्रबंधन की स्थानीय पारंपरिक प्रथाओं को अपनाने का अधिकार देते हैं।
  • छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य है जिसने राष्ट्रीय उद्यान यानी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर CFRR अधिकारों को मान्यता दी है।
  • वर्ष 2016 में ओडिशा सरकार ने सर्वप्रथम, सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान के अंदर सामुदायिक वन संसाधनों (CFR) को मान्यता प्रदान की थी।

सामुदायिक वन संसाधनों (CFR) का महत्त्व:

  • वनों पर इन समुदायों के प्रथागत अधिकारों में कटौती के कारण वन-आश्रित समुदायों के साथ हुए "ऐतिहासिक अन्याय" की भूल को सुधारने के उद्देश्य से वर्ष 2008 में वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act-FRA) में लागू हुआ।
  • यह समुदाय के कानूनी रूप से वन भूमि को धारण करने विशेष रूप से जिसे इन समुदायों ने खेती और निवास के लिये उपयोग किया है, वन संसाधनों के उपयोग, प्रबंधन तथा संरक्षण के अधिकार को मान्यता प्रदान करता है।
  • यह वनों की स्थिरता और जैव विविधता के संरक्षण में वनवासियों की अभिन्न भूमिका को भी रेखांकित करता है।
  • राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों और बाघ अभयारण्यों जैसे संरक्षित वनों के अंदर इसका अधिक महत्त्व है क्योंकि पारंपरिक निवासी अपने ज्ञान का उपयोग कर संरक्षित वनों के प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर कौन-सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (2021)

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों के मंत्रालय

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, जिसे वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के रूप में भी जाना जाता है, वन संसाधनों में रहने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों को मान्यता देता है।
  • अधिनियम में खेती और निवास जो आमतौर पर व्यक्तिगत अधिकारों के रूप में होते हैं; और सामुदायिक अधिकार जैसे चराई, मछली पकड़ना एवं जंगलों में जल निकायों तक पहुँच, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs) के लिये आवास अधिकार आदि के अधिकार शामिल हैं।
  • भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और निपटान अधिनियम, 2013 में उचित मुआवज़े और पारदर्शिता के अधिकार के संयोजन के साथ, FRA आदिवासी आबादी को पुनर्वास और उनके लिये उचित बंदोबस्त के बिना बेदखली से रक्षा करता है।
  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत अधिनियम के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं को लागू किया जाता है।
  • अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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