प्रारंभिक परीक्षा
क्षय रोग उन्मूलन हेतु हीरोरैट्स
स्रोत: द हिंदू
तंज़ानिया का एक गैर-लाभकारी संगठन, क्षय रोग अथवा ट्यूबरक्लोसिस (TB) का पता लगाने हेतु अफ्रीकी जायंट पाउच्ड रैट्स (HeroRATS) को प्रशिक्षित करने के लिये शोध कर रहा है।
- इन चूहों की सटीकता, विशेषकर संसाधन-सीमित क्षेत्रों में, उच्च स्तर की होती है। यह शोध भारत जैसे देशों में TB का पता लगाने में तेज़ी लाने में मदद कर सकता है।
हीरोरैट्स पर किये गए शोध के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- हीरोरैट्स: इन चूहों में गंध की असाधारण संवेद क्षमता होती है, क्योंकि इनमें संवेदनशील घ्राण ग्राही (Olfactory Receptors) होते हैं, जिससे वे TB जैसे रोगों का पता लगा लेते हैं।
- हीरोरैट्स को प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके अंतर्गत ये चूहें श्लेष्मा के नमूनों (फेफड़ों से निकलने वाला गाढ़ा श्लेष्मा) में TB का पता लगाने में सक्षम हो जाते हैं। वे मात्र 20 मिनट में 100 नमूनों की जाँच करने में सक्षम होते हैं, जबकि परंपरागत तरीकों में 3 से 4 दिन का समय लगता है।
- तत्पश्चात् ज़ीहल-नील्सन और फ्लोरोसेंट माइक्रोस्कोपी का उपयोग कर पता लगाए गए नमूनों की पुष्टि की जाती है।
- हीरोरैट्स को प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके अंतर्गत ये चूहें श्लेष्मा के नमूनों (फेफड़ों से निकलने वाला गाढ़ा श्लेष्मा) में TB का पता लगाने में सक्षम हो जाते हैं। वे मात्र 20 मिनट में 100 नमूनों की जाँच करने में सक्षम होते हैं, जबकि परंपरागत तरीकों में 3 से 4 दिन का समय लगता है।
- रोग का पता लगाने की दर में वृद्धि: हीरोरैट्स ने पारंपरिक परीक्षण की तुलना में दोगुनी दर से बच्चों में TB की पहचान की।
- ये चूहे, अल्प जीवाणु मात्रा वाले रोगियों में क्षय रोग की पहचान करने में अधिक जीवाणु भार वाले रोगियों की तुलना में छह गुना अधिक प्रभावी थे।
- उन्होंने पारंपरिक माइक्रोस्कोपी से बेहतर प्रदर्शन किया, जो प्रायः ऐसे मामलों में विफल हो जाती है।
नोट: इससे पहले, मूल रूप से तंज़ानिया में पाए जाने वाले जायंट पाउच्ड रैट मगावा (Magawa) को लैंड माइन का पता लगाने और उन्हें सुरक्षित रूप से हटाने के लिये संचालकों को सचेत करने के लिये प्रशिक्षित किया गया था।
हीरोरैट्स भारत के TB उन्मूलन प्रयासों में किस प्रकार मदद कर सकता है?
- भारत के लिये संभावित लाभ: हीरोरैट्स, विशेष रूप से बच्चों और स्मीयर-नेगेटिव मामलों में तीव्र, लागत प्रभावी TB जाँच में सहायता करते हैं, जिससे शीघ्र निदान में सहायता मिलती है और संचरण में कमी आती है, जिससे भारत को देश में TB के मामलों की रोकथाम करने में मदद मिल सकती है।
- चरणबद्ध तरीके से राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) में हीरोरैट्स आधारित TB जाँच को एकीकृत करने से, उच्च TB प्रभावित राज्यों से शुरुआत कर, द्रुत गति से मामलों का पता लगाने में वृद्धि हो सकती है।
- भारत में TB: भारत में TB का बोझ सर्वाधिक है, यहाँ प्रति तीन मिनट में TB से दो मौतें होती हैं।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में कार्यान्वित NTEP का लक्ष्य वैश्विक लक्ष्य वर्ष 2030 से पूर्व, वर्ष 2025 तक भारत को TB मुक्त बनाना है।
- वर्ष 2015 से वर्ष 2023 तक TB के मामलों में 17.7% की कमी आई (प्रति 100,000 पर 237 से 195), जबकि TB से होने वाली मौतों में 21.4% की कमी आई (प्रति लाख पर 28 से 22)।
क्षय रोग के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: TB एक जीवाणु संक्रमण (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है और वायु के माध्यम से संचरित होता है।
- एंटीबायोटिक दवाओं से रोकथाम और उपचार संभव है। वैश्विक आबादी का लगभग 25% हिस्सा संक्रमित है, लेकिन केवल 5-10% में ही लक्षण विकसित होते हैं।
- जोखिम कारक: कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मधुमेह, कुपोषण, तंबाकू और मद्यपान।
- निदान: WHO तीव्र आणविक परीक्षण (Xpert MTB/RIF अल्ट्रा) की सिफारिश करता है। यह पारंपरिक परीक्षणों की तुलना में अधिक प्रभावी है।
- रोकथाम: TB से बचाव के लिये शिशुओं को बैसिल कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) टीका दिया जाता है।
- उपचार: मानक TB उपचार 4-6 महीने तक चलता है। अपूर्ण उपचार दवा प्रतिरोधी TB का कारण बनता है।
- बहुऔषधि प्रतिरोधी टीबी (MDR-TB): यह आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिसिन (TB के इलाज के लिये प्रयुक्त दवाएँ) के प्रति प्रतिरोधी है, तथा महंगे विकल्पों से इसका इलाज संभव है।
- व्यापक रूप से दवा प्रतिरोधी TB: यह अधिक गंभीर है, तथा इसके उपचार के विकल्प सीमित हैं।
- TB और मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (HIV): HIV रोगी TB के प्रति 16 गुना अधिक संवेदनशील होते हैं, जो उनकी मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।
रोग का पता लगाने के लिये प्रयुक्त मैक्रोमैटिक प्रजातियाँ
- मैक्रोमैटिक प्रजातियाँ: इन प्रजातियों में गंध की भावना अत्यधिक विकसित होती है, जबकि माइक्रोस्मैटिक प्रजातियों में घ्राण क्षमता कम होती है। कुछ मैक्रोमैटिक प्रजातियाँ हैं:
- कुत्ते: 125-300 मिलियन घ्राण रिसेप्टर्स और जैकबसन अंग नामक एक विशेष संवेदी अंग के साथ, वे पार्किंसंस और संभावित रूप से फेफड़ों के कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों का पता लगा सकते हैं।
- चींटियाँ: एक फ्राँसीसी अध्ययन में पाया गया कि चींटियाँ रासायनिक संकेतों का उपयोग करके तीन दिनों के भीतर कैंसर कोशिकाओं का पता लगा सकती हैं, जो पारंपरिक निदान का एक तीव्र, सस्ता विकल्प है।
- मधुमक्खियाँ: इनमें अत्यधिक संवेदनशील घ्राण एंटीना लोब होते हैं, ये मानव श्वास में सिंथेटिक बायोमार्कर (कृत्रिम मानव श्वास जिसमें कैंसरकारी गंध होती है) का उपयोग करके 88% सटीकता के साथ फेफड़ों के कैंसर का पता लगा सकती हैं।
- ये जैव-पहचान के बढ़ते क्षेत्र को उजागर करते हैं, जहाँ चिकित्सा प्रगति के लिये प्रकृति की सहज प्रवृत्ति का उपयोग किया जाता है।
प्रारंभिक परीक्षा
भारत के समुद्री क्षेत्र संबंधी पहलें
स्रोत: पी.आई.बी.
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारत के समुद्री बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण के लिये कई प्रमुख पहलों की शुरुआत की।
समुद्री बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण हेतु की गई पहलें कौन-सी हैं?
- एक राष्ट्र-एक बंदरगाह प्रक्रिया (ONOP): इसका उद्देश्य दस्तावेज़ीकरण और प्रक्रियाओं में विसंगतियों को दूर करते हुए बंदरगाह संचालन को मानकीकृत करना है।
- ONOP प्रक्रिया के माध्यम से मंत्रालय ने दस्तावेज़ीकरण को मानकीकृत किया, जिससे कंटेनर संचालन दस्तावेज़ों में 33% और बल्क कार्गो दस्तावेज़ों में 29% की कमी आई।
- सागर आंकलन- लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPPI) 2023-24: इसके अंतर्गत जहाज़ से माल उतारने और लादने में लगने वाले समय (टर्नअराउंड टाइम), बर्थ निष्क्रिय समय और कार्गो हैंडलिंग के आधार पर बंदरगाह दक्षता का मूल्यांकन किया जाता है।
- भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम: यह कंसोर्टियम बंदरगाह परिचालन, वित्त और बुनियादी ढाँचे के विकास में प्रमुख हितधारकों को एकीकृत कर भारत की समुद्री पहुँच का विस्तार करेगा।
- इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (संचालन), सागरमाला डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (वित्त), और इंडियन पोर्ट रेल एंड रोपवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बुनियादी ढाँचा विकास) का संघ बंदरगाह विस्तार, संचालन और वित्तपोषण को आगे बढ़ाएगा, जिससे वैश्विक व्यापार और लॉजिस्टिक्स में भारत की भूमिका मज़बूत होगी।
- मैत्री प्लेटफार्म: व्यापार दस्तावेज़ीकरण को डिजिटाइज़ करने, प्रसंस्करण समय को कम करने, व्यापार प्रवाह को अनुकूलित करने और सतत् विकास में योगदान करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नियामक इंटरफेस (MAITRI) के लिये मास्टर एप्लीकेशन।
- NCoEGPS: पर्यावरण अनुकूल शिपिंग और कार्बन फुटप्रिंट में कमी को बढ़ावा देने के लिये ग्रीन पोर्ट और शिपिंग में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoEGPS)।
- यह स्वच्छ ईंधन और पर्यावरण अनुकूल बंदरगाह प्रबंधन को बढ़ावा देता है, जिसका लक्ष्य वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप भविष्य के लिये तैयार समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
केंद्रीय बजट 2025-26 में समुद्री क्षेत्र संबंधी पहल
- समुद्री विकास कोष (MDF): यह 25,000 करोड़ रुपए का कोष है जो इक्विटी एवं ऋण वित्तपोषण के माध्यम से समुद्री क्षेत्र को समर्थन प्रदान करने पर केंद्रित है।
- शिप ब्रेकिंग क्रेडिट नोट योजना: यह स्क्रैप मूल्य के 40% के बराबर क्रेडिट नोट जारी करके शिप ब्रेकिंग को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है, जिसका उपयोग भारत में निर्मित नए जहाज़ खरीदने के लिये किया जा सकता है।
- अवसंरचना HML: इसके तहत बड़े जहाज़ो को अवसंरचना सामंजस्यपूर्ण मास्टर सूची (HML) में जोड़ना शामिल है जिससे दीर्घकालिक वित्तपोषण, कर प्रोत्साहन, निजी निवेश और बेड़े का आधुनिकीकरण संभव हो सकेगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: b प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR_ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
मंगल ग्रह का लाल रंग
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
अनेक अंतरिक्ष मिशनों और जमीनी स्तर के अवलोकनों से प्राप्त आँकड़ों पर आधारित अध्ययन से अभिज्ञान हुआ है कि मंगल ग्रह का लाल रंग मुख्य रूप से फेरिहाइड्राइट - जो कि जल से बना लौह ऑक्साइड है - के कारण है, न कि पहले से मान्य हेमेटाइट के कारण है।
- फेरिहाइड्राइट शीतल, जल-समृद्ध परिस्थितियों में बनता है, जबकि हेमेटाइट शुष्क, गर्म परिस्थितियों में बनता है।
- इससे अभिज्ञात होता है कि मंगल ग्रह पर कभी तरल अवस्था में जल था, जो संभवतः जीवन के लिये अनुकूल था। इसके अतिरिक्त, अध्ययन से पता चला कि हाइड्रोजन लौह-समृद्ध खनिजों से आबद्ध है, जो मंगल ग्रह पर तरल जल के साथ अतीत की अंतःक्रियाओं का संकेत देता है।
मंगल: मंगल सूर्य से दूरी के क्रम में चौथा ग्रह है और बुध के बाद सौरमंडल में दूसरा सबसे छोटा ग्रह है।
- पृथ्वी के आकार का लगभग आधा, इसमें ओलंपस मोन्स (सबसे बड़ा ज्वालामुखी) है, और इसके दो चंद्रमा (फोबोस और डीमोस) हैं।
- मंगल ग्रह हर 24.6 घंटे में एक चक्कर पूरा करता है, जिससे इसका दिन पृथ्वी के दिन (23.9 घंटे) के लगभग बराबर लंबा होता है। मंगल ग्रह के दिनों को सोल (Sols) कहा जाता है।
- मंगल ग्रह पर एक वर्ष 669.6 सोल का होता है, जो पृथ्वी के 687 दिनों के बराबर है।
- इसकी धुरी अपनी कक्षा के सापेक्ष 25 डिग्री झुकी हुई है, जो पृथ्वी के अक्षीय झुकाव 23.4 डिग्री के समान है।
- मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी के समान मौसम आते हैं, लेकिन उनकी अवधि लंबी होती है।
- महत्त्वपूर्ण मंगल मिशन:
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रैपिड फायर
टेम्स नदी में शैवाल प्रस्फुटन
स्रोत: डाउन टू अर्थ
एक अध्ययन के अनुसार टेम्स नदी (इंग्लैंड) में गत चार दशकों में फास्फोरस की मात्रा में 80% की कमी आई है किंतु जलवायु परिवर्तन के कारण नदी में शैवाल प्रस्फुटन का खतरा बढ़ रहा है।
- शैवाल प्रस्फुटन का तात्पर्य अलवणीय, लवणीय अथवा नुनखारे जल में सूक्ष्म शैवाल अथवा शैवाल जैसे जीवाणुओं की अतिवृद्धि से है।
मुख्य निष्कर्ष:
- नदियों के बढ़ते तापमान के कारण वसंत में डायटम और ग्रीष्म ऋतु में साइनोबैक्टीरियल (नील-हरित शैवाल) की वृद्धि हो रही है, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो रही है, जलीय जीवन को नुकसान पहुँच रहा है, तथा पेयजल उपचार की लागत बढ़ रही है।
- शैवाल प्रस्फुटन के कारण मत्स्यन और तैराकी जैसी मनोरंजक गतिविधियाँ भी प्रतिबंधित हो जाती हैं ।
- वर्ष 1985 के बाद से फास्फोरस में 80% की कमी के बावजूद, इसकी सांद्रता सुरक्षित सीमा से ऊपर बनी हुई है, जिससे शैवाल की वृद्धि जारी है।
- नाइट्रोजन और फास्फोरस की अधिकता से सूर्य प्रकाश अवरुद्ध होता है और ऑक्सीजन की कमी होती है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये जोखिमपूर्ण है।
टेम्स नदी:
- इसकी लंबाई 346 किमी. है (इंग्लैंड की सबसे लंबी नदी, रिवर सेवर्न के बाद यूनाइटेड किंगडम में दूसरा सबसे लंबी नदी) ।
- यह नदी टेम्स हेड, ग्लॉस्टरशायर से निकलती है, तथा टेम्स ज्वारनदमुख के मुहाने पर नोर सैंडबैंक के माध्यम से उत्तरी सागर में गिरती है।
- लंदन टेम्स नदी के तट पर स्थित है।
- इससे लंदन के दो-तिहाई पेयजल की आपूर्ति होती है और यह एक महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग रहा है।
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रैपिड फायर
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था स्थिति रिपोर्ट 2025
स्रोत: द हिंदू
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) द्वारा जारी भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था (State of India’s Digital Economy- SIDE) रिपोर्ट, 2025 के अनुसार भारत तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था है, लेकिन डिजिटल उपयोगकर्त्ता व्यय में इसका स्थान केवल 28वाँ है, जो प्रति व्यक्ति डिजिटल प्रौद्योगिकी उपयोग में अंतराल को दर्शाता है।
- उक्त रिपोर्ट में डिजिटलीकरण को मापने के लिये कनेक्ट-हार्नेस-इनोवेट-प्रोटेक्ट-सस्टेन (CHIPS) ढाँचे का उपयोग किया गया है, जिसमें प्रौद्योगिकी, आर्थिक और सामाजिक कारकों को शामिल किया जाता है।
मुख्य निष्कर्ष:
- तीव्र डिजिटल विकास: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था इसकी समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में दोगुनी तेज़ी से बढ़ रही है और अनुमानतः वर्ष 2029 तक सकल घरेलू उत्पाद में इसका 20% का योगदान होगा।
- इंटरनेट बनाम डिजिटल व्यय: यद्यपि भारत में इंटरनेट सुविधाओं की पहुँच व्यापक है, किंतु वास्तविक डिजिटल व्यय वैश्विक मानकों से कम है, जो आर्थिक भागीदारी अंतराल को उजागर करता है।
- भारत की AI स्थिति: भारत AI अनुसंधान में 11वें और AI अवसंरचना में 16वें स्थान पर है।
- अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और नीदरलैंड AI नवाचार में अग्रणी देश हैं।
- आर्थिक आकार और डिजिटल उपयोगकर्त्ता अर्थव्यवस्था दोनों पर विचार करते समय, भारत विश्व स्तर पर 8वें स्थान पर है।
- ICRIER: यह एक स्वतंत्र भारतीय थिंक टैंक है, जो भारत के विकास में सहायता करने हेतु आर्थिक संवृद्धि, व्यापार, डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन पर नीति अनुसंधान प्रदान करता है।
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रैपिड फायर
आदित्य-L1 मिशन ने सौर ज्वाला को कैप्चर किया
स्रोत: द हिंदू
आदित्य -L1 मिशन ने सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) पेलोड का उपयोग करके निम्न सौर वायुमंडल में सौर ज्वाला 'कर्नेल' की पहली छवि को कैप्चर किया।
- सौर प्रेक्षण: SUIT ने निकट पराबैंगनी (NUV) तरंगदैर्ध्य (200-400 nm) में X6.3 श्रेणी के सौर ज्वाला का पता लगाया, जो सबसे तीव्र सौर विस्फोटों में से एक है।
- सौर ज्वालाएँ: सौर ज्वालाएँ सूर्य के वायुमंडल पर बड़े पैमाने पर होने वाले विस्फोट हैं जो ऊर्जा, प्रकाश और उच्च गति वाले कणों को अंतरिक्ष में छोड़ते हैं, जो प्रायः कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से जुड़े होते हैं।
- सौर ज्वालाओं को A, B, C, M और X श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक श्रेणी की ऊर्जा 10 गुना बढ़ जाती है। X श्रेणी की ज्वालाएँ सबसे शक्तिशाली होती हैं।
- आदित्य-L1: यह भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला है, जिसे हेलो कक्षा में लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) से सूर्य का अध्ययन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। एस्ट्रोसैट (वर्ष 2015) के बाद यह ISRO का दूसरा खगोल विज्ञान वेधशाला श्रेणी का मिशन है।
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