कृषि
भारत के FPO का वैश्वीकरण
- 23 Dec 2024
- 14 min read
प्रिलिस्म के लिये:किसान उत्पादक संगठन, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद, लघु कृषक कृषि व्यापार संघ, सहकारी समिति, लघु और सीमांत किसान, FSSAI, BIS, APEDA, मसाला बोर्ड, ONDC, eNAM, कंधमाल हल्दी, स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी उपाय मेन्स के लिये:किसान उत्पादक संगठनों (FPO) संबंधी चुनौतियाँ और अवसर |
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) ने भारत के किसान उत्पादक संगठनों (FPO) की समस्याओं का विश्लेषण किया और सुधार के सुझाव दिये।
- ICRIER (1981) एक प्रमुख भारतीय नीति अनुसंधान प्रबुद्ध मंडल है जो कृषि, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल अर्थव्यवस्था, आर्थिक विकास आदि क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखता है।
एक कृषक उत्पादक संगठन क्या होता है?
- परिचय: FPO एक प्रकार का उत्पादक संगठन (PO) है, जिसके सदस्य किसान होते हैं।
- लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (SFAC) FPO के संवर्द्धन में सहायता प्रदान करता है।
- PO किसी भी उत्पाद के उत्पादकों के संगठन के लिये एक सामान्य नाम है, जैसे- कृषि, गैर-कृषि उत्पाद, शिल्पकारी उत्पाद, इत्यादि।
- PO एक उत्पादक कंपनी, एक सहकारी समिति या कोई अन्य विधिक रूप हो सकता है जो सदस्यों के बीच लाभ/हितलाभ को साझा करने का प्रावधान करता है।
- FPO की आवश्यकता: लघु और सीमांत किसानों को व्यापक स्तर के लाभ प्राप्त करने में मदद करना, सामूहिक रूप से संवाद करके उनकी सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाना, उनकी आय को दोगुना करना एवं वैश्विक बाज़ारों में उनकी पहुँच बढ़ाना।
- भारत में 86% किसान लघु और सीमांत किसान हैं।
- स्वामित्व: FPO का स्वामित्व उसके सदस्यों के पास होता है। यह उत्पादकों का, उत्पादकों द्वारा तथा उत्पादकों के लिये एक संगठन है।
- FPO के विधिक स्वरूप: FPO को निम्नलिखित के तहत पंजीकृत किया जा सकता है:
- कंपनी अधिनियम, 1956 और कंपनी अधिनियम, 2013।
- सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत सोसायटी
- भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के तहत पंजीकृत लोक न्यास
PO और सहकारी समितियों में अंतर:
मापदंड |
सहकारी समिति |
उत्पादक संगठन |
उद्देश्य |
एकल उद्देश्य |
मल्टी ऑब्जेक्ट |
सदस्यता |
व्यक्ति एवं सहकारी समितियाँ |
कोई भी व्यक्ति, समूह, संघ, वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादक |
सरकारी नियंत्रण |
हस्तक्षेप के विषय में अत्यधिक संरक्षित |
न्यूनतम, वैधानिक आवश्यकताओं तक सीमित |
प्रारक्षित निधि |
लाभ होने पर निर्मित किया जाता है |
प्रत्येक वर्ष निर्मित किया जाना अनिवार्य |
भारत के FPO को कौन-सी समस्याएँ परेशान कर रही हैं?
- सीमित बाज़ार संपर्क: लगभग 80% FPO खरीदारों, विनिर्माताओं, प्रसंस्करणकर्त्ताओं और निर्यातकों की पहचान करने तथा उन तक पहुँचने में असमर्थ हैं।
- उत्पाद संबंधी जानकारी का अभाव: यद्यपि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर 8,000 से अधिक FPO पंजीकृत हैं, लेकिन इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वे किन उत्पादों की आपूर्ति करते हैं।
- जानकारी के अभाव के कारण कंपनियाँ और विदेशी अभिकर्त्ता व्यापारियों तथा पारंपरिक मंडियों के माध्यम से सामान खरीदने में रुचि रखते हैं।
- जटिल विनियमन:
- मानकों की बहुलता: FSSAI, BIS, APEDA और मसाला बोर्ड जैसी विभिन्न एजेंसियाँ अलग-अलग मानक प्रदान करती हैं, जिससे FPO अनुपालन तथा बाज़ार पहुँच के बारे में भ्रमित हो जाते हैं।
- सूचना का अभाव: लगभग 72% FPO को घरेलू मानक-निर्धारण प्रक्रिया बहुत जटिल लगती है, उन्हें निर्यात मानकों और आवश्यकताओं के बारे में पर्याप्त जानकारी का अभाव रहता है।
- आयातक देशों द्वारा अस्वीकृति: बहुत कम देशों ने भारत के साथ मानकों के लिये पारस्परिक मान्यता समझौते किये हैं।
- यद्यपि हमारे मानक अच्छे हैं, फिर भी आयातक देशों द्वारा उन्हें शायद ही कभी स्वीकार किया जाता है।
- ट्रेसेबिलिटी संबंधी मुद्दे: वैश्विक खरीदार उत्पाद संबंधी ट्रेसेबिलिटी चाहते हैं, कई FPO को यह नहीं पता कि इसे कैसे लागू किया जाए।
- उत्पाद संबंधी ट्रेसिबिलिटी प्रत्येक चरण पर विनिर्माण डेटा को लॉग करती है साथ ही मॉनिटर करके आपूर्ति शृंखला के माध्यम से उत्पादों को ट्रैक करती है।
- ई-कॉमर्स को सीमित रूप से अपनाना: ONDC और E-नाम जैसी सरकारी पहलों के बावजूद, FPO के पास ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने के लिये जागरूकता तथा क्षमता सीमित है।
- उदाहरण के लिये नवंबर 2024 तक कोई भी टर्मरिक FPO ONDC पर सूचीबद्ध नहीं है।
भारत में FPO की सफलता की कहानी
- ओडिशा में कंधमाल हल्दी को बढ़ावा देने के लिये कंधमाल एपेक्स स्पाइसेस एसोसिएशन फॉर मार्केटिंग (KASAM) की स्थापना की गई है। यह ओडिशा सरकार के तहत 61 मसाला विकास समितियों का सहयोग है।
- इसने किसान साथी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये, जिसके तहत किसान साथी दो KASAM FPO - गुमापदार FPC लिमिटेड और शास्त्री FPC लिमिटेड के साथ कार्य कर रहा है - ताकि उन्हें वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचने में मदद मिल सके।
- गुमापदर FPC लिमिटेड नीदरलैंड से नेडस्पाइस ग्रुप को कंधमाल हल्दी का निर्यात कर रहा है।
- इसने किसान साथी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये, जिसके तहत किसान साथी दो KASAM FPO - गुमापदार FPC लिमिटेड और शास्त्री FPC लिमिटेड के साथ कार्य कर रहा है - ताकि उन्हें वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचने में मदद मिल सके।
- यह दर्शाता है कि रणनीतिक साझेदारी और समन्वित प्रयासों से FPO बाज़ार की बाधाओं को पार कर सकते हैं, जो वैश्विक भी हो सकते हैं।
वैश्विक सफलता की कहानियाँ
- मेक्सिको (एजिडो प्रणाली): एजिडो सामुदायिक कृषि प्रणाली है, जहाँ भूमि का स्वामित्व और प्रबंधन सामूहिक रूप से समुदायों द्वारा किया जाता है।
- इससे किसानों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँचने में मदद मिली, विशेष रूप से एवोकाडो और बेरी जैसी फसलों में।
- थाईलैंड: थाईलैंड में कृषि सहकारी समितियों का एक मज़बूत नेटवर्क है, विशेष रूप से चावल उत्पादन में।
- "एक तांबून (गाँव) एक उत्पाद" जैसे कार्यक्रम अद्वितीय स्थानीय कृषि उत्पादों को बढ़ावा देते हैं।
- चीन: चाय, फल और जलीय कृषि जैसे क्षेत्रों में कृषक व्यावसायिक सहकारी समितियों (FPC) ने सफलतापूर्वक वैश्विक बाज़ारों में प्रवेश किया है।
- अलीबाबा जैसे प्लेटफॉर्म ने सहकारी समितियों को सीधे उपभोक्ताओं को विक्रय करने में सक्षम बनाया है ।
आगे की राह
- FPO का डेटाबेस: FPO का विस्तृत, उत्पाद-विशिष्ट डेटाबेस विकसित करना, ताकि वैश्विक कंपनियाँ प्रासंगिक FPO का पता लगा सकें और उनके साथ जुड़ सकें।
- बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिये दृश्यता (Visibility) और साझेदारी को बढ़ावा देना तथा उत्पाद का पता लगाने की कमी जैसी बाधाओं को दूर करना।
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म: FPO को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लाने के लिये अधिक समर्थन की आवश्यकता है, साथ ही किसानों को ई-नाम जैसे सरकारी प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के बारे में शिक्षित करने की भी आवश्यकता है ताकि उन्हें बाज़ार तक पहुँच बढ़ाने में मदद मिल सके।
- वैश्विक अनुपालन मानक: भारत के कृषि उत्पादों को अस्वीकार किये जाने से बचाने के लिये स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपायों, अधिकतम अवशेष स्तरों तथा व्यापार में तकनीकी बाधाओं जैसे वैश्विक अनुपालन मानकों पर ज्ञान का हस्तांतरण महत्त्वपूर्ण है।
- उत्पाद-विशिष्ट प्रशिक्षण: प्रमुख बाज़ारों के लिये अनुपालन मानकों और विनियमों से संबंधित उत्पाद-विशिष्ट प्रशिक्षण तथा दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है ।
- सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना: कंधमाल हल्दी FPO जैसे सफल केस स्टडीज़ की पहचान करना और संरचित ज्ञान-साझाकरण तंत्र के माध्यम से इन मॉडलों को दोहराना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में FPO के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों की जाँच कीजिये और किसानों की बाज़ार पहुँच बढ़ाने में उन्हें अधिक प्रभावी बनाने के लिये सुधार सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. भारत में ‘शहरी सहकारी बैंकों’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर:(b) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न: "गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर ऋण संगठन का कोई भी ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।" - अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में इस कथन पर चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्त संस्थाओं को किन बाधाओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है?” (2014) |