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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 03 Mar, 2023
  • 25 min read
प्रारंभिक परीक्षा

डेंगू हेतु भारत की पहली DNA वैक्सीन

इंडिया नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ के शोधकर्त्ताओं ने भारत, अफ्रीका और अमेरिका के नौ अन्य संस्थानों के सहयोग से डेंगू बुखार के उपचार हेतु भारत की पहली एवं एकमात्र DNA वैक्सीन विकसित की है।

  • चूहों पर शुरुआती परीक्षणों में इसकी मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी गई और बीमारी के संपर्क में आने के बाद जीवित रहने की दर में वृद्धि हुई है।

DNA वैक्सीन: 

  • DNA वैक्सीन में DNA के एक छोटे से हिस्से का उपयोग किया जाता है जो एक विशिष्ट एंटीजन (एक अणु जो एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है) हेतु रोगजनक जैसे- वायरस या जीवाणु से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को त्वरित करने के लिये कोड करता है।
  • DNA को सीधे शरीर की कोशिकाओं में इंजेक्ट किया जाता है, जहाँ यह कोशिकाओं को एंटीजन बनाने का निर्देश देता है।
    • प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा एंटीजन को बाह्य तत्त्व के रूप में पहचानने और इसके प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तंत्र विकसित किये जाने के बाद रोगजनक-विशिष्ट प्रतिरक्षा विकसित होती है।
  • DNA वैक्सीन तीसरी पीढ़ी की वैक्सीन है।
  • DNA आधारित कोविड-19 वैक्सीन ZyCoV-D विश्व में अपनी तरह की पहली वैक्सीन है और इसे विशेष रूप से भारत में विकसित किया गया है।

डेंगू: 

  • परिचय:  
    • डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो डेंगू वायरस (जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है, इसका प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों, मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes aegypti) द्वारा होता है। 
  • डेंगू के सीरोटाइप:
    • डेंगू को उत्पन्न करने वाले चार अलग-अलग परंतु आपस में संबंधित सीरोटाइप (सूक्ष्मजीवों की एक प्रजाति के भीतर अलग-अलग समूह जिनमें एक समान विशेषता पाई जाती है) DEN-1, DEN-2, DEN-3 और DEN-4  हैं। 
  • लक्षण: 
    • अचानक तेज़ बुखार, तेज़ सिर दर्द, आंँखों में दर्द, हड्डी, जोड़ और मांसपेशियों में तेज़ दर्द आदि। 
  • डेंगू की वैक्सीन: 
    • वर्ष 2019 में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US Food & Drug Administration) द्वारा डेंगू की वैक्सीन CYD-TDV या डेंगवैक्सिया (CYD-TDV or Dengvaxia) अनुमोदित की गई थी, जो अमेरिका में नियामक मंज़ूरी पाने वाली डेंगू की पहली वैक्सीन थी। 
      • डेंगवैक्सिया मूल रूप से एक जीवित, दुर्बल डेंगू वायरस है जिसकी खुराक 9 से 16 वर्ष की आयु वर्ग के उन लोगों को दी जाती है जिनमें पूर्व में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है और जो संक्रमित क्षेत्रों में रहते हैं। 
  • वैक्सीन के विकास में चुनौतियाँ:  
    • डेंगू से बचाव की एक प्रभावी वैक्सीन विकसित करना मुश्किल है क्योंकि यह डेंगू के चार समकक्षीय/प्रतिरूपी वायरस सेरोटाइप के कारण होता है।  
      • यह प्रत्येक व्यक्ति के रक्त में उपस्थित प्रतिरक्षा के साथ अलग-अलग तरीके से इंटरैक्ट करता है। DEN-1 से संक्रमित व्यक्ति को इस वायरस के विरुद्ध आजीवन संरक्षित किया जा सकता है, लेकिन डेंगू के अन्य तीन सीरोटाइप के विरुद्ध नहीं। 
        • डेंगू के सभी सीरोटाइप्स को सही वैक्सीन द्वारा लक्षित किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त यह वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी के निर्माण को प्रेरित करती है और डेंगू वायरस को कोशिकाओं में फैलने से रोकती है। हालाँकि डेंगू के मामले में एंटीबॉडी वायरस की प्रतिकृति अधिक गंभीर बीमारी में सहायता करती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कोविड-19 विश्वमहामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. भारतीय सीरम संस्थान ने mRNA प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर कोविशील्ड नामक कोविड-19 वैक्सीन निर्मित की।
  2. स्पुतनिक V वैक्सीन रोगवाहक (वेक्टर) आधारित प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर बनाई गई है।
  3. कोवैक्सिन एक निष्कृत रोगजनक आधारित वैक्सीन है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1 और 3
(D) 1, 2 और 3

उत्तर: (B)


मेन्स:

प्रश्न. वैक्सीन विकास का आधारभूत सिद्धांत क्या है? वैक्सीन कैसे कार्य करते है? कोविड-19 टीकों के निर्माण हेतु भारतीय वैक्सीन निर्माताओं ने क्या-क्या पद्धतियाँ अपनाई हैं? (2022)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


प्रारंभिक परीक्षा

नासा का इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर

हाल ही में नासा के शोधकर्त्ताओं ने इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) का प्रयोग करते हुए 450 वर्ष पूर्व हुए एक सुपरनोवा विस्फोट का अध्ययन किया।

  • टाइको नामक विस्फोट, जिसे वर्ष 1572 में पृथ्वी के लोगों द्वारा देखा गया था, इस विस्फोट से उत्पन्न शॉक वेव का प्रभाव अभी भी ब्रह्मांड में देखा जा रहा है।  

टाइको:  

  • टायको एक टाइप Ia सुपरनोवा है, जिसकी उत्पत्ति तब होती है जब एक सफेद बौना तारा अपने साथी तारे को विखंडित कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप एक भीषण विस्फोट होता है और अविश्वसनीय गति से मलबा अंतरिक्ष में फैल जाता है।
    • टायको ने प्रकाश की गति के समान  गति से कणों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया और उतनी ऊर्जा खर्च की जितनी सूर्य दस अरब वर्षों में करेगा। 
  • इस बारे में अधिक जानने के लिये कि टायको की प्रघाती तरंग के निकट कण कैसे त्वरित होते हैं और सुपरनोवा अवशेष से तरंगित/ध्रुवीकृत एक्स-रे का विश्लेषण करने के लिये शोधकर्त्ताओं ने चुंबकीय क्षेत्र ज्यामिति दर्शाने के लिये IXPE का उपयोग किया।

इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर:

  • परिचय: 
    • IXPE अंतरिक्ष वेधशाला, नासा और इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी का एक संयुक्त प्रयास है। 
    • यह "ब्रह्मांड में सुदूर और रहस्यमय पिंडों- सुपरनोवा अवशेष, सुपरमैसिव ब्लैक होल और दर्जनों अन्य उच्च-ऊर्जा पिंडों का अध्ययन करता है। 
  • महत्त्व: 
    • यह न्यूट्रॉन तारों और सुपरमैसिव ब्लैक होल से ध्रुवीकृत एक्स-रे का निरीक्षण करने में मदद करेगा।
      • एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापने से प्रकाश की उत्पत्ति का पता चलता है, जिसमें ज्यामिति और स्रोत की आंतरिक कार्यप्रणाली शामिल है।
    • यह वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि ब्लैक होल कैसे घूमते हैं और अतीत में उनका स्थान क्या था, साथ ही यह भी पता चलेगा कि पल्सर एक्स-रे में अत्यधिक कैसे चमकते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं? (2014)

   अंतरिक्षयान                            प्रयोजन

  1. कैसिनी-हाईगेन्स                शुक्र की परिक्रमा करना और दत्त का पृथ्वी तक संचारन करना
  2. मैसेंजर                             बुध का मानचित्रण और अन्वेषण
  3. वाॅयेजर 1 और 2                बाह्य सौर परिवार का अन्वेषण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


प्रारंभिक परीक्षा

सजावटी मत्स्य पालन

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के तहत राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (National Bureau of Fish Genetic Resources- NBFGR) सजावटी मत्स्य पालन हेतु लक्षद्वीपवासियों को गहन प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।

सजावटी मत्स्य पालन:  

  • सजावटी मत्स्य पालन का आशय एक छोटे जलीय वातावरण में विभिन्न प्रकार की विशेषताओं वाली रंगीन, आकर्षक मछली पालन की कला से है।
  • इसका उत्पादन मुख्य रूप से कृषकों एवं इसको पसंद करने वाले लोगों द्वारा किया जाता है और इन मछलियों को सजीव गहने (Living jewels) के रूप में भी जाना जाता है। 

 पहल: 

  • परिचय: 
    • सामुदायिक जलीय कृषि के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक प्रायोगिक पहल के माध्यम से 77 महिलाओं सहित कुल 82 द्वीपवासियों को प्रशिक्षण दिया गया।
    • NBFGR ने क्षमता निर्माण के लिये समर्थन और आपूर्ति की सुविधा प्रदान की, जिसमें कल्चर उपकरण और झींगा/क्लाउनफिश बीज शामिल हैं।
    • चार सामुदायिक जलीय कृषि इकाइयाँ स्थापित की गईं, जिनमें 46 महिलाएँ शामिल थीं और इन्होंने सफलतापूर्वक सजावटी झींगे के व्यापार को विपणन योग्य बना दिया है।
    • अगत्ती द्वीप पर NBFGR समुद्री सजावटी जीवों की सुरक्षा के लिये और द्वीपवासियों हेतुआय के स्रोत के रूप में जर्मप्लाज़्म संसाधन केंद्र का प्रबंधन भी करता है। 
  • महत्त्व: 
    • द्वीप पर सीमित संसाधन, ज़्यादातर नारियल और टूना मछली के रूप में इसे महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। 
    • मानसून के मौसम के दौरान मछली पकड़ना प्रायः रुक जाता है, जिससे एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि बंद हो जाती है। 
      • हालाँकि द्वीपों के अर्थव्यवस्था चक्र को बनाए रखने के लिये सजावटी मत्स्य पालन की उम्मीद है। 

ICAR-NBFGR क्या है? 

  • राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-National Bureau of Fish Genetic Resources) की स्थापना दिसंबर 1983 में इलाहाबाद में हुई थी। 
    • इसका कार्यालय वर्तमान में लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है।
  • यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के तत्त्वावधान में स्थापित किया गया था।
  • इसका उद्देश्य देश के मत्स्य जननद्रव्य संसाधनों के संरक्षण से संबंधित अनुसंधान करना है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

भारत का तीसरा चंद्र मिशन

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने CE-20 क्रायोजेनिक इंजन की उड़ान हेतु स्वीकृति के लिये परीक्षण पूर्ण किया, जो चंद्रयान-3 प्रक्षेपण यान के क्रायोजेनिक इंजन को ऊपरी चरण में  शक्ति प्रदान करेगा।

  • यह परीक्षण तमिलनाडु में स्थित इसरो प्रोपल्सन कॉम्प्लेक्स, महेंद्रगिरि में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।

परीक्षण की मुख्य विशेषताएँ: 

  •  नियोजित अवधि के लिये हाई एल्टीट्यूड टेडेंगू स्ट फैसिलिटी में यह हॉट परीक्षण किया गया।
  • परीक्षण के दौरान सभी प्रणोदन पैरामीटर संतोषजनक पाए गए और सभी अनुमानों पर खरे उतरे।
  • क्रायोजेनिक इंजन के पूरी तरह से एकीकृत उड़ान चरण को प्राप्त करने के लिये प्रणोदक टैंकों, चरण संरचनाओं और संबंधित द्रव लाइनों को एक साथ एकीकृत किया जाएगा।

चंद्रयान-3 मिशन:

  • चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन है और जुलाई 2019 के चंद्रयान-2 का अनुवर्ती है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रोवर भेजना था। 
    • मिशन का प्रक्षेपण, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) द्वारा 2023 में निर्धारित किया गया है। 
  • विक्रम लैंडर की विफलता ने 2024 के लिये जापान के साथ साझेदारी में प्रस्तावित चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन हेतु आवश्यक लैंडिंग कौशल को प्रदर्शित करने के लिये एक अलग मिशन की खोज को प्रेरित किया। 
  • मिशन में तीन प्रमुख मॉड्यूल होंगे- प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर।
  • प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन को 100 किमी. की चंद्र कक्षा तक ले जाएगा।
    • लैंडर एक पूर्व निर्धारित चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड करने और रोवर को तैनात करने में सक्षम होगा, जो गतिशीलता के दौरान चंद्रमा की सतह का स्व-स्थाने (In-Situ) रासायनिक विश्लेषण करेगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा प्रमोचित मंगलयान

  1. को मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है
  2. ने भारत को,  USA के बाद मंगल के चारों ओर अंतरिक्ष यान को चक्रमण करने वाला दूसरा देश बना दिया है
  3. ने भारत को एकमात्र देश बना दिया है, जिसने अपने अंतरिक्ष यान को मंगल के चारों ओर चक्रमण कराने में पहली बार में ही सफलता प्राप्त कर ली 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स: 

प्रश्न. भारत का अपना स्वयं का अंतरिक्ष केंद्र प्राप्त करने की क्या योजना है और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को यह किस प्रकार लाभ पहुँचाएगा? (2019)

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी के प्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की है? (2016)

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 मार्च , 2023

MoMo गर्भावस्था: एक दुर्लभ घटना 

एक अमेरिकी महिला ने छह महीने के भीतर एक जैसे जुड़वाँ बच्चों के दो जोड़े को जन्म दिया जिसे एक दुर्लभ घटना करार दिया गया है। ऐसे जुड़वाँ बच्चे जिन्हें वैज्ञानिक रूप से ‘MoMo‘ के रूप में जाना जाता है, मोनोएम्नियोटिक-मोनोकोरियोनिक का एक संक्षिप्त नाम है, यह संयुक्त राज्य में सभी जन्मों का 1% से भी कम हिस्सा है। MoMo गर्भावस्था में जुड़वाँ बच्चों को एक ही प्लेसेंटा, एमनियोटिक थैली और द्रव साझा करने के संदर्भ में जाना जाता है लेकिन उनकी गर्भनाल अलग-अलग होती है। वे गर्भनाल के आलावा सब कुछ साझा करते हैं, जो आसानी से एक ही थैली में उलझ सकते हैं। दुर्भाग्य से ‘MoMo‘ जुड़वाँ संबंधी परिवार में मृत जन्मों की उच्च दर है। जुड़वाँ बच्चे दो अंडों के निषेचित होने का परिणाम होते हैं, जबकि समान जुड़वाँ एक अंडे के निषेचित और विभाजित होने का परिणाम होते हैं। इसका मतलब है कि समान DNA होने के कारण समान जुड़वाँ बच्चों का लिंग समान होना चाहिये।

Momo

विश्व वन्यजीव दिवस 

विश्व वन्यजीव दिवस वर्ष 2013 से प्रतिवर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय 'वन्यजीव संरक्षण के लिये भागीदारी' है, जिसमें महासागरों और समुद्री जीवन का संरक्षण, निगमों के साथ मिलकर कार्य करना तथा संरक्षण पहलों को वित्तपोषित करना शामिल है। इसी दिन वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय की स्थापना हेतु हस्ताक्षर किये गए थे। यह CITES की स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करता है। CITES विभिन्न सरकारों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसका उद्देश्य वन्यजीवों और पौधों के नमूनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित कर उनकी प्रजातियों के अस्तित्त्व की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। वर्तमान में इस अभिसमय में भारत सहित पक्षकारों की कुल संख्या 184 है। CITES संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा प्रशासित है और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। पार्टियों का सम्मेलन इस अभिसमय का सर्वोच्च सर्वसम्मति-आधारित निर्णायक निकाय है और इसके सभी पक्षकार इसमें शामिल हैं। भारत में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा इसके तहत वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो एक वैधानिक निकाय है जो विशेष रूप से देश में संगठित वन्यजीव अपराध को नियंत्रित करता है।

Cites

और पढ़ें… वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय, विश्व वन्यजीव दिवस

स्मार्ट-PDS 

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री के अनुसार, स्मार्ट-PDS तकनीकी रूप से संचालित एक महत्त्वपूर्ण पहल है, इसलिये सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिये गंभीरता से प्रयास करना चाहिये। स्मार्ट-PDS एक ऐसी प्रणाली है जिसके अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को स्मार्ट राशन कार्ड जारी किया जाता है तथा लाभार्थी परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा स्मार्ट राशन कार्ड प्रस्तुत करने पर उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से राशन प्रदान किया जाता है। भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को मज़बूत करने के लिये भारत सरकार की प्रमुख पहल है, जिसमें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के समन्वय में कोविड-19 महामारी के दौरान अप्रैल 2020 से दिसंबर 2022 तक लागू प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) तथा प्रवासी आबादी का समर्थन करने के लिये लागू वन नेशन वन राशन कार्ड योजना शामिल है। PDS में कदन्न को बढ़ावा देने, देश में पोषण सुरक्षा को मज़बूत करने हेतु महत्त्वपूर्ण है।

और पढ़ें… भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)। 

पोर्टर पुरस्कार 2023

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को पोर्टर पुरस्कार 2023 प्रदान किया गया है। इसने कोविड-19 के प्रबंधन में सरकार की रणनीति, दृष्टिकोण और विभिन्न हितधारकों की भागीदारी, विशेष रूप से मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (आशा) की भागीदारी को मान्यता दी। वैक्सीन के विकास तथा निर्माण में देश के योगदान की भी सराहना की गई। भारत द्वारा वैक्सीन की 2.5 अरब से अधिक खुराक वितरित की गई। पोर्टर पुरस्कार का नाम पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री माइकल ई. पोर्टर के नाम पर रखा गया है। उन्होंने निगमों, अर्थव्यवस्थाओं और समाज द्वारा सामना की जाने वाली कई चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु आर्थिक सिद्धांत और रणनीतिक अवधारणाओं को प्रतिपादित किया है। भारत ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के एक भाग के रूप में वर्ष 2005-06 में आशा कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था। वर्ष 2013 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के शुभारंभ के साथ कार्यक्रम को शहरी क्षेत्रों में भी विस्तारित किया गया। आशा कार्यक्रम का मूल उद्देश्य समुदाय के सदस्यों की क्षमता का निर्माण करना है ताकि वे अपने स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल कर सकें और स्वास्थ्य सेवाओं में भागीदार बन सकें। 

और पढ़े…भारत का कोविड महामारी प्रबंधन


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