न्यू POEM प्लेटफाॅर्म
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने PSLV कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल या 'POEM' को सफलतापूर्वक लॉन्च कर उपलब्धि हासिल की है।
इस उपलब्धि के अलावा ISRO द्वारा PSLV-C53 की मदद से सिंगापुर से तीन उपग्रह भी लॉन्च किये गए हैं।
- यह वर्ष का दूसरा ध्रुवीय सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) मिशन था। फरवरी 2022 में ISRO ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-04 और दो छोटे उपग्रहों के साथ PSLV-C52 को लॉन्च किया था।
- यह इसरो की वाणिज्यिक शाखा, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का दूसरा समर्पित वाणिज्यिक मिशन था।
सिंगापुर के उपग्रह/सैटेलाइट:
- DS-EO सैटेलाइट: यह भूमि वर्गीकरण के लिये पूर्ण-रंगीन चित्र प्रदान करने और मानवीय सहायता, आपदा राहत ज़रूरतों को पूरा करने हेतु एक इलेक्ट्रो-ऑप्टिक, मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड वहन करता है।
- NeuSAR सैटेलाइट: यह SAR (सिंथेटिक अपर्चर रडार) पेलोड ले जाने वाला सिंगापुर का पहला छोटा वाणिज्यिक उपग्रह है, जो दिन और रात सभी मौसमी स्थितियों में चित्र प्रदान करने में सक्षम है।
- SCOOB-I सैटेलाइट: यह छात्र उपग्रह शृंखला (S3-I) का पहला सैटेलाइट है, जो सिंगापुर के NTU स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में सैटेलाइट रिसर्च सेंटर (SaRC) से एक व्यावहारिक छात्र प्रशिक्षण कार्यक्रम है।
POEM की मुख्य विशेषताएंँ:
- POEM (PSLV कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल) ISRO का एक प्रायोगिक मिशन है जिसका कक्षीय/ऑर्बिट प्रयोग ध्रुवीय सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के चौथे चरण के दौरान प्लेटफाॅर्म के रूप में किया जाता है।
- PSLV एक चार चरणों वाला रॉकेट है जहाँ पहले तीन चरण प्रयोग होने के बाद समुद्र में गिर जाते हैं और अंतिम चरण (PS4) उपग्रह को कक्षा में प्रक्षेपित करने के बाद अंतरिक्ष में कचरे/कबाड़ के रूप में चला जाता है।
- हालांँकि PSLV-C53 मिशन में उपयोग किये गए अंतिम चरण को "स्थिर मंच"(Stabilised Platform) के रूप में उपयोग किया जाएगा।
- यह पहली बार है कि चौथा चरण (पीएस-4) एक स्थिर प्लेटफॅार्म के रूप में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
- POEM में स्थायित्व के लिये एक नेविगेशन मार्गदर्शन और नियंत्रण (NGC) प्रणाली है, जो अनुमत सीमाओं के भीतर किसी भी एयरोस्पेस वाहन के उड़ान को नियंत्रित करता है। NGC निर्दिष्ट सटीकता के साथ इसे स्थिर करने के लिये प्लेटफार्म के मस्तिष्क के रूप में कार्य करेगा।
पेलोड:
POEM में छह पेलोड हैं जिनमें से दो भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप- दिगंतारा और ध्रुव स्पेस शामिल हैं, जो IN-SPACe और NSIL के माध्यम से सक्षम हैं।
POEM PS4 टैंक के चारों ओर लगे सोलर पैनल और लीथियम आयन बैटरी से शक्ति प्राप्त करेगा। यह चार सौर सेंसर, एक मैग्नेटोमीटर, जायरोस एवं NAVIC का उपयोग करके नेविगेट करेगा।
इसमें हीलियम गैस का उपयोग करने वाला समर्पित नियंत्रण प्रणोदक भी हैं। यह दूरसंचार सुविधा युक्त है।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? A. केवल 1 उत्तर: (A) व्याख्या:
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
कुष्ठ रोग
पिछले कुछ महीनों से निजी बाज़ार में कुष्ठ रोग (Leprosy) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवा क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine) की भारी कमी बनी हुई है।
- क्लोफ़ाज़िमाइन, रिफैम्पिसिन और डैप्सोन के साथ मल्टीबैसिलरी लेप्रोसी (MB-MDT) मामलों के मल्टी-ड्रग ट्रीटमेंट में तीन आवश्यक दवाओं में से एक है।
कुष्ठ रोग:
- कुष्ठ रोग के बारे में:
- कुष्ठ रोग एक पुराना, प्रगतिशील जीवाणु संक्रमण है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक ‘एसिड-फास्ट रॉड’ के आकार का बेसिलस है। यह मुख्य रूप से हाथ-पाँव, त्वचा, नाक की परत और ऊपरी श्वसन पथ की नसों को प्रभावित करता है। इसे हैनसेन डिजीज़ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमज़ोर करता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और विकलांगता का कारण बन सकता है।
- यह इतिहास में दर्ज सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है।
- यह कई देशों विशेष रूप से भारत सहित उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले देशों में आम है।
- रोग का प्रसार:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, कुष्ठ रोग कई भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानिक है, भारत में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 4.56 प्रतिशत वार्षिक मामले सामने आने की दर है।
- भारत प्रत्येक वर्ष कुष्ठ रोग के 1,25,000 से अधिक नए रोगियों की रिपोर्ट करता है।
संबंधित सरकारी पहल:
- राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP):
- यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत केंद्र प्रायोजित योजना है।
- भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कुष्ठ रोग के उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, अर्थात् प्रति 10,000 आबादी पर 1 से कम मामले के रूप में परिभाषित किया गया है।
- NLEP का लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रत्येक ज़िले में कुष्ठ रोग को समाप्त करना है।
- जागरूकता को बढ़ावा देने और भेदभाव के मुद्दों को संबोधित करने के लिये वर्ष 2017 में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान शुरू किया गया था।
स्रोत: द हिंदू
जम्मू और कश्मीर में देखा गया ट्रीश्रू
वैज्ञानिकों ने जम्मू और कश्मीर के रामनगर से स्तनपाइयों के एक नए वंश (जीनस) और प्रजाति से संबंधित गिलहरी (ट्रीश्रू) जैसे एक छोटे स्तनपायी के जीवाश्म देखे हैं।
ट्रीश्रू से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- यह ट्रीश्रू वर्तमान काल में शिवालिक पर्वतश्रेणी में जीवाश्म ट्यूपाइड्स के उन सबसे पुराने अभिलेखों का प्रतिनिधित्व करता है, जो इस क्षेत्र में अपनी समय-सीमा को 25-40 लाख वर्ष तक पहुंँचा देता है।
- Tupaiids पूर्वी भारतीय और एशियाटिक परिवार की कई प्रजातियों को संदर्भित करता है, Tupaiids परिवार कुछ हद तक आकार और वृक्ष-संबंधी आदतों में गिलहरी जैसे होते है। इनकी नाक लंबी व नुकीली होती है।
- ट्रीश्रू के जीवाश्म रिकॉर्ड के बहुत ही दुर्लभ तत्त्व हैं और पूरे नूतनजीवी (सेनोज़ोइक) युग में केवल कुछ प्रजातियों को ही जाना जाता है।
- सेनोज़ोइक युग का अर्थ है, आज या ‘आधुनिक जीवन’ से 66 मिलियन वर्ष पूर्व।
- इस युग के पौधे और जानवर वर्तमान पृथ्वी के पौधे और जानवर के समान दिखते हैं।
- सेनोज़ोइक युग की अवधियों को और भी छोटे भागों में विभाजित किया जाता है जिन्हें युग के रूप में जाना जाता है।
- आहार संबंधी विश्लेषणों से पता चलता है कि अन्य मौजूदा और जीवाश्म ट्यूपाइड्स (Tupaiids) की तुलना में नए ट्यूपाइड्स संभवतः शारीरिक रूप से कम चुनौतीपूर्ण या अधिक फल खाने वाले आहार के लिये अनुकूलित थे।
- आहार विश्लेषण एक पोषण मूल्यांकन है जो तकनीशियनों को किसी व्यक्ति द्वारा उपभोग किये गए भोजन के स्वरूप, मात्रा और पोषण गुणवत्ता का विश्लेषण करने की अनुमति देता है।
- यह ट्रीश्रू वर्तमान काल में शिवालिक पर्वतश्रेणी में जीवाश्म ट्यूपाइड्स के उन सबसे पुराने अभिलेखों का प्रतिनिधित्व करता है, जो इस क्षेत्र में अपनी समय-सीमा को 25-40 लाख वर्ष तक पहुंँचा देता है।
- खोज का महत्त्व:
- रामनगर इलाके के लिये वर्तमान संग्रह में संवेदनशील दंत विशेषताओं और प्रजातियों के काल की पहचान 12.7-11.6 मिलियन वर्ष के बीच अधिक सटीक आयु अनुमान प्रदान करने में मदद करती है।
- शिवालिक तलछट:
- शिवालिक एक मोटी तलछटी अनुक्रम है जो सबसे छोटी पर्वत बेल्ट बनाती है, यह हिमालय की तलहटी के पूर्व-पश्चिम में फैली हुई है।
- शिवालिक मध्य मियोसीन युग से प्लेस्टोसीन तक के कई स्तनधारी समूहों के विकास का दस्तावेजीकरण करता है जिसमें गिलहरी (Treeshrews), हेजहोग और अन्य छोटे स्तनधारी शामिल हैं।
मियोसीन युग
- मियोसीन युग 23.03 से 5.3 मिलियन वर्ष पूर्व की अवधि है। उस समय वैश्विक जलवायु भी गर्म थी।
- यह उल्लेखनीय है कि दो प्रमुख पारिस्थितिक तंत्रों (केवल वन और घास के मैदान) का उद्भव पहले हुआ।
- घास के मैदानों का विस्तार महाद्वीपी के अंदरूनी हिस्सों के सूखने से संबंधित है क्योंकि वैश्विक जलवायु पहले गर्म होती है और फिर ठंडी हो जाती है।
- महत्त्वपूर्ण मियोसीन युग का घनत्व उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, दक्षिणी यूरोप, भारत, मंगोलिया, पूर्वी अफ्रीका तथा पाकिस्तान में पाया जाता है।
प्लेस्टोसीन (हिम युग)
- यह भूवैज्ञानिक युग है जो लगभग 2,580,000 से 11,700 साल पहले तक चला तथा यह पृथ्वी पर शुरुआती हिमनदों का समय था।
- यह प्लेस्टोसीन युग का समय था जिसमें वैश्विक शीतलन या हिम युग की सबसे नूतन घटनाएँ घटित हुईं।
न्यू ऑटानमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वायत्त फ्लाइंग विंग प्रौद्योगिकी प्रदर्शक/ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator) द्वारा एक नए मानव रहित हवाई वाहन की पहली परीक्षण उड़ान भरी गई।
- डीआरडीओ सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विभिन्न वर्गों के मानव रहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicles-UAVs) विकसित करने की प्रक्रिया में है।
ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग तकनीक:
- परिचय:
- यह एक मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (UCAV) या एक लड़ाकू ड्रोन है जो एक फ्लाइंग विंग प्रकार है।
- यह एक टेललेस फिक्स्ड-विंग विमान को संदर्भित करता है जो अपने मुख्य पंखों में अपने पेलोड और ईंधन को रखता है और पारंपरिक विमानों में पाए जाने वाले एक परिभाषित फ्यूज़लेज जैसी संरचना नहीं है।
- यदि इसे सटीकता के साथ निष्पादित किया जाएडिज़ाइन में उच्च ईंधन दक्षता और स्थिरता प्रदान करने की क्षमता है।
- अनुप्रयोग:
- भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र की मैपिंग
- प्रभावित फसल क्षति का आकलन
- बड़े पैमाने पर मैपिंग
- यातायात निगरानी और प्रबंधन
- लोजिस्टिक्स सपोर्ट
विशेषताएँ:
- ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर एक स्वायत्त गुप्त UCAV का एक उन्नत रूप है जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) द्वारा मुख्य रूप से भारतीय वायु सेना के लिये विकसित किया जा रहा है।
- ADE, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अंतर्गत एक प्रमुख वैमानिकी प्रणाली डिज़ाइन प्रयोगशाला है।
- यह भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अत्याधुनिक मानवरहित हवाई वाहनों (UAV) और वैमानिकी प्रणालियों एवं प्रौद्योगिकियों के डिज़ाइन व विकास में शामिल है।
- UCAV मिसाइलों और सटीक-निर्देशित हथियारों को लॉन्च करने में सक्षम होगा।
- वाहन एक छोटे टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित है।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 जुलाई, 2022
पीएसएलवी-सी53
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से PSLV-C53 मिशन लॉन्च किया जिसने सिंगापुर के तीन उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया। PSLV-C53 अंतरिक्ष एजेंसी की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का दूसरा समर्पित वाणिज्यिक मिशन है। यह इसरो का PSLV का 55वाँ मिशन था। इस प्रक्षेपण यान ने तीन उपग्रहों– DS-EO, NeuSAR और स्कूब-1 उपग्रह को लॉन्च किया। NSIL भारत सरकार का एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। यह इसरो की वाणिज्यिक शाखा के रूप में कार्य करता है। इसका मुख्यालय बंगलूरू में है। NSIL की स्थापना वर्ष 2019 में हुई थी तथा यह अंतरिक्ष विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में काम कर रहा है।
राजस्थान में यूरेनियम की खोज
हाल ही में राजस्थान के सीकरी ज़िले के रोहिल (खंडेला तहसील) में यूरेनियम के विशाल भंडार पाए गए हैं। इस रिज़र्व के साथ यह राज्य दुनिया के नक्शे पर आ गया है। यह राज्य की राजधानी जयपुर से लगभग 120 किमी. की दूरी पर स्थित है। आंध्र प्रदेश और झारखंड के बाद राजस्थान तीसरा राज्य बन गया है जहाँ यूरेनियम पाया गया है। यूरेनियम को दुनिया भर में दुर्लभ खनिजों में गिना जाता है। वर्तमान में झारखंड राज्य के जादूगोड़ा और आंध्र प्रदेश राज्य में यूरेनियम की खुदाई चल रही है। विश्व में यूरेनियम के सबसे बड़े उत्पादकों में कज़ाखस्तान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यूरेनियम एक रासायनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक U और परमाणु क्रमांक 92 है। यूरेनियम कमज़ोर रूप से रेडियोधर्मी है क्योंकि इसके सभी समस्थानिक अस्थिर हैं। यूरेनियम का उपयोग आमतौर पर विद्युत पैदा करने, परमाणु ऊर्जा, रक्षा उपकरण, दवाओं और फोटोग्राफी के लिये भी किया जाता है। प्रकृति में यूरेनियम, यूरेनियम-238 और यूरेनियम-235 के रूप में पाया जाता है।
हर्मिट स्पाइवेयर
क्लाउड-आधारित सुरक्षा कंपनी, लुकआउट ने हाल ही में “हर्मिट” नामक एक नया स्पाइवेयर खोजा है। हर्मिट स्पाइवेयर Android और iOS उपकरणों को प्रभावित करने में सक्षम है। टेकक्रंच की रिपोर्ट के अनुसार, लुकआउट के सुरक्षा शोधकर्त्ताओं ने सूचित किया है कि कज़ाखस्तान और इटली में राष्ट्रीय सरकारों ने “लक्षित हमलों” में हर्मिट स्पाइवेयर के एंड्रॉइड संस्करण का उपयोग किया है। हर्मिट एक वाणिज्यिक स्पाइवेयर है और इसका उपयोग उत्तरी सीरिया, कज़ाखस्तान एवं इटली में सरकारों द्वारा किया गया है। इसका पहली बार कज़ाखस्तान में अप्रैल 2022 में तब पता चला था, जब सरकार ने अपनी नीतियों के खिलाफ विरोध को हिंसक रूप से दबा दिया था। इसका सीरिया के उत्तर-पूर्वी कुर्द क्षेत्र में और इतालवी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी जांँच के लिये भी उपयोग किया गया था। हर्मिट एंड्रॉइड एप को टेक्स्ट मैसेज के जरिये डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। ऐसा लगता है कि संदेश किसी वैध स्रोत से आ रहा है। मैलवेयर दूरसंचार कंपनियों और ओप्पो तथा सैमसंग जैसे निर्माताओं द्वारा विकसित अन्य एप का प्रतिरूपण कर सकता है। हर्मिट एंड्रॉइड मैलवेयर मॉड्यूलर है क्योंकि यह स्पाइवेयर को अतिरिक्त घटकों को डाउनलोड करने की अनुमति देता है जो मैलवेयर के लिये आवश्यक हैं। अन्य स्पाइवेयर की तरह हर्मिट मैलवेयर भी ऑडियो रिकॉर्ड करने के साथ-साथ कॉल लॉग, संदेश, फोटो, ईमेल एकत्र करने हेतु विभिन्न मॉड्यूल का उपयोग करता है। यह फोन कॉल को पुनर्निर्देशित कर सकता है और डिवाइस के सटीक स्थान को उज़ागर कर सकता है।
मानव रहित लड़ाकू विमान की पहली उड़ान
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन-DRDO ने 1 जुलाई, 2022 को ऑटोनॉमस फ्लाइंग टेक्नोलॉजी डिमोंसट्रेटर की प्रथम सफल उड़ान संचालित की है। यह उड़ान कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एरोनाटिकल टेस्ट रेंज में की गई। इसके साथ ही भारत ने गुप्त मानवरहित कॉम्बेट एरियल व्हीकल-UCAV का सफल परीक्षण कर एक उपलब्धि हासिल कर ली है। इसे स्टील्थ विंग फ्लाइट टेस्ट बेड- (SWift) भी कहा जाता है। यह कार्यक्रम भारत की पांँचवीं पीढी के स्टील्थ फाइटर एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट विकसित करने से संबंधित है। उड़ान पूरी तरह से स्वायत्त मोड में संचालित की गई। विमान ने एक संपूर्ण उड़ान का प्रदर्शन किया, जिसमें टेक-ऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन और एक आसान टचडाउन शामिल है। यह विमान एक छोटे टर्बोफैन इंजन द्वारा संचालित है। यह स्वचालित विमान निर्मित करने और सैन्य प्रणाली के संदर्भ में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।