प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 Jul, 2023)



टैम पा लिंग गुफा

हाल ही उत्तरी लाओस में एनामाइट पर्वत शृंखला में टैम पा लिंग गुफा ने दक्षिण पूर्व एशिया में मानव आगमन के समय के बारे में अभूतपूर्व जानकारी प्रदान की है।

  • टैम पा लिंग गुफा में समय-समय पर ढलान के साथ बहकर आने वाले निक्षेपों के जमाव से बनी एक ढलान वाली संरचना है।

टैम पा लिंग गुफा के बारे में मुख्य खोज:

  • दीर्घकालीन मानव उपस्थिति: उत्खनन से ऐसे सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि मानव लगभग 56,000 वर्षों से टैम पा लिंग गुफा के आसपास निवास कर रहे हैं, जो पिछली धारणाओं को चुनौती देता है।
  • स्थिर तलछट संचय: पहले की मान्यताओं के विपरीत साइट की तलछट परतें तीव्र अवसादन घटनाओं के बजाय 86,000 वर्षों की अनुमानित अवधि में लगातार जमा हुई हैं।
  • आगमन की समयरेखा: सात मीटर गहराई में पाए गए पैर की हड्डी के टुकड़े की खोज से संकेत मिलता है कि आधुनिक मानव इस क्षेत्र में 86,000 से 68,000 वर्ष पूर्व आए थे।
    • टैम पा लिंग के साक्ष्य ने दक्षिण पूर्व एशिया में होमो सेपियंस के आगमन की समय अवधि  को और पीछे कर दिया है।
  •  डेनिसोवन कनेक्शन: उल्लेखनीय रूप से गुफा में 150,000 वर्ष पुराना एक दाँत पाया गया था, जो इसे विलुप्त मानव रिश्तेदार डेनिसोवन की उपस्थिति से जोड़ता है।

डेनिसोवन्स:

  • विलुप्त मानव संबंध: डेनिसोवन्स एक विशिष्ट मानव वंश का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मुख्य रूप से साइबेरिया और तिब्बत में खोजे गए अवशेषों से पहचाना जाता है।
  • अंतरप्रजनन और सह-अस्तित्व: वे सैकड़ों-हज़ारों वर्ष पहले रहते थे और कुछ समान क्षेत्रों में निएंडरथल और प्रारंभिक आधुनिक मनुष्यों के साथ अंतर-प्रजनन जैसी गतिविधियाँ भी हुई जिस कारण वर्तमान मानव आबादी में उनकी आनुवंशिक गुण देखे जा सकते हैं।
  • डेनिसोवन गुफा: डेनिसोवंस की पहचान साइबेरिया में डेनिसोवन गुफा में पाए गए लगभग 40,000 वर्ष पुराने खंडित उँगली की हड्डी और दाँतों की खोज के बाद की गई थी।

टैम पा लिंग गुफा में उपयोग की जाने वाली डेटिंग विधियाँ: 

  • ल्यूमिनसेंस डेटिंग: यह तकनीक दबे हुए तलछट में प्रकाश-संवेदनशील संकेतों का उपयोग करती है। यह क्वार्ट्ज और फेल्डस्पार जैसे खनिजों पर निर्भर करता है।
    • क्वार्ट्ज का उपयोग ऊपरी सतह (तलछट के शीर्ष तीन मीटर) के लिये किया जाता है।
    • फेल्डस्पार का उपयोग निचली सतह (चार से सात मीटर) की डेटिंग के लिये किया जाता है जहाँ क्वार्ट्ज असक्षम है।
  • यूरेनियम शृंखला डेटिंग: इस डेटिंग में दाँत या अन्य नमूनों के अंदर यूरेनियम और उसके क्षय उत्पादों को मापा जाता है।
  • इलेक्ट्रॉन स्पिन रेज़ोनेंस (ESR) डेटिंग: इसमें दाँतों के इनेमल में इलेक्ट्रॉनों की संख्या को मापा जाता है जो समय के साथ फँसे इलेक्ट्रॉनों के संचय के आधार पर जीवाश्म के लिये संख्यात्मक आयु प्रदान करता है। 
  • तलछट डेटिंग: यह तलछट परतों की उम्र स्वयं निर्धारित करता है जो भीतर पाए जाने वाले जीवाश्मों को समझने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है। यह ल्यूमिनसेंस डेटिंग, यूरेनियम शृंखला डेटिंग और माइक्रोमॉर्फोलॉजी विश्लेषण (परतों की अखंडता स्थापित करने के लिये माइक्रोस्कोप के तहत तलछट की जाँच) जैसी तकनीकों पर निर्भर करता है।

स्रोत: द हिंदू


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 जुलाई, 2023

विश्व खनन कॉन्ग्रेस

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में आयोजित विश्व खनन कॉन्ग्रेस में इंडिया पैविलियन ने खनन, ऊर्जा क्षेत्र में देश की तकनीकी शक्ति और सतत् विकास प्रथाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया। विश्व खनन कॉन्ग्रेस (World Mining Congress- WMC) वैश्विक खनन एवं संसाधन उद्योगों के लिये अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय मंच है। यह प्राकृतिक खनिज तथा ऊर्जा संसाधनों के सतत् विकास में वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देती है व उसका समर्थन करती है तथा उस क्षेत्र में नवीनतम नवाचारों और सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करती है। WMC का उद्घाटन वर्ष 1958 में एक प्रमुख पोलिश वैज्ञानिक तथा माइनिंग इंजीनियर प्रोफेसर बोल्स्लाव कुर्पिंस्की द्वारा किया गया था। इसका संचालन काटोविस, पोलैंड में स्थित एक स्थायी सचिवालय द्वारा किया जाता है तथा संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध है। WMC का आयोजन पूरे विश्व में त्रैवार्षिक आधार पर किया जाता है।

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‘रिपोर्ट फिश डिजीज़’ एप

केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय ने मत्स्य किसानों की सहायता करने तथा जलीय कृषि क्षेत्र में रोग प्रबंधन में सुधार हेतु 'रिपोर्ट फिश डिजीज़' नामक एक नए मोबाइल एप का अनावरण किया है। जलीय जीवों में होने वाले रोग मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास में प्रमुख बाधक हैं। जलीय जीवों के रोगों की शीघ्रता से जानकारी प्राप्त करने के लिये निगरानी आवश्यक है, जिससे उनके प्रभाव को कम किया जा सके। उन्मूलन तथा रोकथाम के लिये रोगों का शीघ्र पता लगाना महत्त्वपूर्ण है। क्षेत्र-स्तरीय रोग सूचना तंत्र की अनुपलब्धता के कारण जलीय कृषि में बीमारियों के कई मामले दर्ज नहीं किये जाते हैं। RFD एप मत्स्य किसानों को उनके तालाबों में फिनफिश, झींगा और मोलस्क में होने वाली बीमारियों की व्यापकता के बारे में अधिकारियों तथा मत्स्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ सूचना साझा करने में सहायता करेगा।

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चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग

भारत और रूस चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग को शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। व्लादिवोस्तोक-चेन्नई मार्ग जापान सागर, दक्षिण चीन सागर और मलक्का जलसंधि से होकर गुज़रता है। वर्ष 2019 की यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति के साथ 'व्लादिवोस्तोक बंदरगाह और चेन्नई बंदरगाह के बीच समुद्री संचार के विकास' पर एक आशय पत्र (MoI) पर हस्ताक्षर किये। इस मार्ग की खासियत है कि यह परिवहन समय को घटाकर 10-12 दिन कर देगा जो कि सेंट पीटर्सबर्ग से मुंबई तक के मौजूदा मार्ग में लगने वाले परिवहन समय का यह लगभग एक-तिहाई है। वहीं, इस मार्ग की सहायता से परिवहन की लागत में 30% की उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। यह भारत को मंगोलिया जैसे देशों सहित सुदूर पूर्व तक पहुँच और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में मुख्य उपस्थिति भी प्रदान करेगा।

डेब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य 

ओडिशा के बरगढ़ ज़िले में स्थित डेब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को आसपास रहने वाली मानव बस्ती से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। राज्य वन और पर्यावरण विभाग के अनुसार, डेब्रीगढ़ अभयारण्य, जिसे एक बाघ अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव है, में बड़े एवं मांसाहारी पशुओं के लिये उच्च शिकार पाए जाने की बहुत संभावना है। यह अभयारण्य भारतीय बाइसन, जंगली सूअर, सांभर और मोर जैसे जानवरों का निवास स्थान है। इस अभयारण्य में चार सींग वाला मृग (चौसिंघा), जो IUCN की रेड लिस्ट में असुरक्षित के रूप में सूचीबद्ध है, भी पाया जाता है। हीराकुंड जलाशय एक रामसर स्थल और अंतर्राष्ट्रीय पक्षी क्षेत्र भी इस अभयारण्य के निकट में ही स्थित है। इस अभयारण्य की प्रसिद्धि का एक अन्य कारण प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीर सुरेंद्र साई हैं, जिन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह के दौरान इसी अभयारण्य के भीतर स्थित 'बारापथारा' में अपना ठिकाना बनाया था।