प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 May, 2024)



गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

वन और आदिवासी अधिकार कार्यकर्त्ता आलोक शुक्ला को उनके सफल अभियान के लिये प्रतिष्ठित गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है, जिसने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में 21 नियोजित कोयला खदानों से 4.45 लाख एकड़ जैवविविधता से समृद्ध जंगलों को बचाया है।

  • हसदेव अरण्य का जंगल छत्तीसगढ़ के कोरबा, सूरजपुर और सरगुजा ज़िलों में 170 लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसे "छत्तीसगढ़ के फेफड़े" के रूप में जाना जाता है, जिसमें समृद्ध जैवविविधता है तथा यह 25 लुप्तप्राय प्रजातियों, 92 पक्षी प्रजातियों एवं 167 दुर्लभ प्रजातियों व औषधीय पौधों की प्रजातियों का घर है। 
  • हसदेव नदी, जो महानदी में मिलती है, इन जंगलों से पोषित होती है और हसदेव बांगो जलाशय को पानी की आपूर्ति करती है, जिससे 741,000 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई होती है।
    • छत्तीसगढ़, जहाँ 44% भूमि वनाच्छादित है, भारत में तीसरा सबसे बड़ा वन क्षेत्र है।
    • इसके अलावा, लगभग 15,000 स्वदेशी लोग अपनी आजीविका, सांस्कृतिक विरासत और भोजन के लिये हसदेव अरण्य वनों पर निर्भर हैं।
  • गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार को गोल्डमैन पर्यावरण फाउंडेशन द्वारा दिये जाने वाले ग्रीन नोबेल पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है। 
  • इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1989 में रिचर्ड और रोंडा गोल्डमैन द्वारा की गई थी।
    • यह छह क्षेत्रों (एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण और मध्य अमेरिका) और अंत में, द्वीपों तथा द्वीपीय देशों के ज़मीनी स्तर के पर्यावरण नेताओं को मान्यता देता है।
    • विजेताओं का चयन एक अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक मंडल (International Jury) द्वारा किया जाता है और पुरस्कार राशि के रूप में 200,000 अमेरिकी डॉलर दिये जाते हैं।

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AI-संचालित निर्वाचन आउटरीच

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

जैसे-जैसे भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और संवर्धित वास्तविकता (AR) जैसी तकनीकों का उपयोग, राजनेताओं के संभावित मतदाताओं के साथ संबोधन तथा उन तक उनकी पहुँच को तेज़ी से बदल रहा है।

  • AI-जनरेटेड वार्तालाप: इसमें मतदाताओं को कॉल करने और जनरेटिव AI का उपयोग करके उनके मुद्दों का जवाब देने तथा स्थिति में सुधार करने के वचन करने के लिये एक स्थानीय नेता की वास्तविक आवाज़ उत्पन्न करना शामिल है।
  • संवर्धित वास्तविक रैलियाँ: राजनीतिक दल अपने वास्तविक दुनिया के माहौल में मतदाताओं को संदेश देने वाले राजनेताओं की कंप्यूटर-जनित छवियाँ बनाने के लिये AR तकनीक का उपयोग करते हैं, जिन्हें QR कोड के माध्यम से एक्सेस किया जाता है।
  • सोशल मीडिया डीपफेक: मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित करने के लिये सकारात्मक और नकारात्मक संदेश देने के लिये राजनेताओं तथा बॉलीवुड हस्तियों के AI-जनरेटेड डीपफेक का उपयोग सोशल मीडिया एवं मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर किया जा रहा है।
  • साक्षरता और पारदर्शिता के बारे में चिंताएँ: इन तकनीकों का व्यापक उपयोग गलत सूचना की संभावना और अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है, विशेष रूप से ऐसे देश में जहाँ डिजिटल साक्षरता की अलग-अलग डिग्री वाले इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं की एक बड़ी और विविध आबादी है।

और पढ़ें: डीपफेक: अवसर, खतरे और विनियमन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता


प्लेटो और अवार

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

हाल के वैज्ञानिक शोधों ने प्लेटो की शवादान स्थल की खोज की है तथा अवारों (Avars), एथेंस के एक पूर्वोत्तर कोकेशियान जातीय समूह, के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए, दो ऐतिहासिक रूचिपूर्ण अध्यायों का खुलासा किया है। 

  • प्लेटो (427-348 ईसा पूर्व), ग्रीस के एक प्रमुख दार्शनिक थे, जो सुकरात (470-399 ईसा पूर्व) के शिष्य तथा अरस्तू (384-322 ईसा पूर्व) के शिक्षक थे।
    • उत्तर भारत तथा पाकिस्तान में इन्हें क्रमशः 'सुकरात', 'अफलातून' और 'अरस्तू’ के नाम से जाना जाता है।
    • 18वीं शताब्दी में हरकुलेनियम से खोजे गए प्राचीन पपीरस स्क्रॉल (प्राचीन मिस्र और भूमध्य सागर में प्रयुक्त लेखन सामग्री) से एथेंस/यूनान के एकेडेमिया उद्यान में प्लेटो के शवादान स्थल का पता चला।
  •  अवार, 6वीं सदी के अंत से लेकर 9वीं सदी के प्रारंभ तक पूर्वी मध्य यूरोप में एक प्रमुख शक्ति थे।
    • अवार पूर्वी मध्य एशिया में उत्पन्न हुए और कार्पेथियन बेसिन में बस गये। शोधकर्त्ताओं ने अवारों के शवादान स्थलों से DNA एकत्र किया तथा इनकी सामाजिक प्रथाओं की जाँच के लिये  ancIBD नामक एक विधि का उपयोग किया।
      • ancIBD प्राचीन मानव DNA (aDNA) में वंश-आधारित-पहचान का पता लगाता है। IBD खंड दो व्यक्तियों के बीच साझा किये गये लंबे DNA अनुक्रम हैं और वर्तमान वंशावली संबंध के लिये एक संकेतक का कार्य करते हैं।
    • निष्कर्षों से पता चलता है कि अवार चचेरे, ममेरे, मौसेरे या फुफेरे भाई या बहन (Cousins) से विवाह नही करते हैं तथा गैर-अवारों के साथ सामान्यत: कम अंतर्विवाह करते हैं।
      • उन्होंने लेविरेट यूनियन का अनुसरण किया (एक विधवा ने अपने मृत पति के परिवार के एक पुरुष से शादी की), जो यूरोप में सामान्य नहीं है, परंतु यह एशिया के स्टेपी लोगों की एक स्थापित विशेषता है तथा ये एक पारंपरिक पितृसत्तात्मक व्यवस्था का अनुसरण करते हैं।

हैंगर श्रेणी की पनडुब्बी

 स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में चीन ने पाकिस्तान के लिये तैयार की जा रहीं आठ हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियों में से पहली को लॉन्च किया है। यह एक डीज़ल-इलेक्ट्रिक हमलावर पनडुब्बी है।

  • यह भारतीय नौसेना की कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों से बड़ी है, जिसमें कलवरी श्रेणी के 1,775 टन की तुलना में 2,800 टन का विस्थापन है।
  • हैंगोर क्लास में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) है।
    • AIP पनडुब्बियों को लंबे समय तक जलमग्न में रहने की अनुमति देता है।
    • AIP को वर्ष 2024 में पहली स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS कलवरी पर स्थापित करने की योजना है।
  • आयुध के संदर्भ में दोनों टॉरपीडो एवं जहाज़-रोधी मिसाइलें ले जाते हैं, कलवरी वर्ग के पास संभवतः अधिक आधुनिक और युद्ध-परीक्षणित आयुध हैं।
  • छोटे कलवरी वर्ग की तुलना में हैंगर वर्ग का बड़ा आकार तटीय जल में इसकी गतिशीलता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

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और पढ़ें: डीज़ल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के लिये ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’


IREDA को मिला नवरत्न का दर्जा

स्रोत: लाइव मिंट

भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्‍था (Indian Renewable Energy Development Agency- IREDA) ने लोक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises) से  'नवरत्न' का दर्जा प्राप्त कर एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

  • इरेडा (IREDA) की स्थापना वर्ष 1987 में एक गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान के रूप में की गई थी, यह नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) के अधीन कार्य करता है तथा नवीकरणीय ऊर्जा/अक्षय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं को प्रोत्साहित करता है व उनका विकास करता है।
  • नवरत्न विशेषाधिकार: नवरत्न का दर्जा प्राप्त कंपनियाँ  केंद्रीय प्राधिकरण की मंज़ूरी के बिना 1,000 करोड़ रुपए तक का निवेश कर सकती हैं, प्रति वर्ष निवल मूल्य का 30% आवंटित कर सकती हैं तथा संयुक्त उद्यम एवं विदेशी सहायक कंपनियों में भागीदारी कर सकती हैं।
  • अर्हता मानदंड: नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिये कंपनियों को मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा प्राप्त होना चाहिये तथा CPSE की अनुसूची ‘A’ में सूचीबद्ध होना चाहिये।

CPSEs का वर्गीकरण

श्रेणी

शुरुआत

मानदंड

उदाहरण

महारत्न

  • CPSEs के लिये महारत्न योजना मई 2010 में शुरू की गई थी, ताकि मेगा CPSEs को अपने संचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गजों के रूप में उभरने के लिये सशक्त बनाया जा सके।
  • कंपनियों को नवरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिये।
  • कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Security Exchange Board of India- SEBI) के नियामकों के अंतर्गत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी (Minimum Prescribed Public Shareholding) के साथ भारतीय शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होना चाहिये।
  • विगत तीन वर्षों की अवधि में औसत वार्षिक व्यवसाय (Average Annual Turnover) 25,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।
  • पिछले तीन वर्षों में औसत वार्षिक निवल मूल्य (Average Annual Net Worth) 15,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।
  • पिछले तीन वर्षों का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ (Average Annual Net Profit) 5,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।
  • कंपनियों की व्यापार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति होनी चाहिये।
  • भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, आदि।

नवरत्न

  • नवरत्न योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि उन CPSEs की पहचान की जा सके जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ प्राप्त करते हैं और वैश्विक अभिकर्त्ता बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।

 

  • मिनीरत्न श्रेणी - I और अनुसूची 'A' के तहत आने वाली CPSEs, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छी' रेटिंग प्राप्त की है और छह प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर प्राप्त किया हो। ये छह मापदंड हैं:
    • शुद्ध पूंजी और शुद्ध लाभ
    • उत्पादन की कुल लागत के सापेक्ष मैनपॉवर पर आने वाली कुल लागत
    • मूल्यह्रासके पहले कंपनी का लाभ, वर्किंग कैपिटल पर लगा टैक्स और ब्याज
    • ब्याज भुगतान से पहले लाभ और कुल बिक्री पर लगा कर
    • प्रति शेयर कमाई
    • अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।

मिनीरत्न

  • मिनीरत्न योजना की शुरुआत वर्ष 1997 में सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल एवं प्रतिस्पर्द्धी बनाने और लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता तथा शक्तियों का प्रत्यायोजन प्रदान करने के नीतिगत उद्देश्य के अनुसरण में की गई थी।
  • मिनीरत्न श्रेणी- 1: मिनीरत्न कंपनी श्रेणी 1 का दर्जा प्राप्त करने के लिये आवश्यक है कि कंपनी ने पिछले तीन वर्षों से लगातार लाभ प्राप्त किया हो तथा तीन साल में एक बार कम से कम 30 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो।
  • मिनीरत्न श्रेणी- 2 : CPSE द्वारा पिछले तीन साल से लगातार लाभ अर्जित किया हो और उसकी निवल संपत्ति सकारात्मक हो, वे मिनीरत्न- II का दर्जा पाने के लिये पात्र हैं।

श्रेणी-1: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि।

श्रेणी-2: भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO ), भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड (BPCL), आदि।

और पढ़ें: भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में सुधारभारत का अक्षय ऊर्जा विज़न: IREDA


बीमा विस्तार

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India - IRDAI) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिये अपने महत्त्वाकांक्षी ऑल-इन-वन किफायती बीमा जन उत्पाद बीमा विस्तार (Bima Vistaar) की कीमत 1,500 रुपए प्रति पॉलिसी रखने का प्रस्ताव दिया है।

बीमा विस्तार क्या है?

  • परिचय:
    • बीमा विस्तार, बीमा ट्रिनिटी का हिस्सा है, जो अपनी तरह का पहला ऑल-इन-वन किफायती बीमा उत्पाद, बीमा विस्तार जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति कवर प्रदान करेगा।
      • उत्पाद को जीवन, स्वास्थ्य, व्यक्तिगत दुर्घटना और संपत्ति बीमा की संयुक्त सुविधाओं के साथ एक मूलभूत सामाजिक सुरक्षा कवर प्रदान करने के उद्देश्य से परिकल्पित किया गया है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • उत्पाद में 820 रुपए का जीवन बीमा प्रीमियम, 500 रुपए  का स्वास्थ्य कवर, 100 रुपए  का व्यक्तिगत दुर्घटना कवर और 80 रुपए  का संपत्ति कवर शामिल है।
    • यदि फ्लोटर आधार पर पूरे परिवार के लिये बीमा कवर लिया जाता है, तो पॉलिसी की लागत 2,420 रुपए  होगी, जबकि परिवार के शेष सदस्यों के लिये 900 रुपए अतिरिक्त राशि देय होगी।
    • जीवन, व्यक्तिगत दुर्घटना और संपत्ति कवर के लिये बीमा राशि 2 लाख रुपए है, जबकि स्वास्थ्य कवर (अस्पताल नकद) 10 दिनों के लिये 500 रुपए की बीमा राशि प्रदान करता है, जिसमें अधिकतम 5,000 रुपए की राशि बिना बिल या दस्तावेज प्रस्तुत किये उपलब्ध है।
    • बीमा विस्तार पॉलिसी बेचने वाले एजेंट 10% का कमीशन अर्जित करते हैं, जिससे उत्पाद के व्यापक वितरण तथा इसे अधिक-से-अधिक लोगों द्वारा अपनाए जाने हेतु प्रोत्साहन मिलता है।
  • भारत में बीमा क्षेत्र के विस्तार के लाभ:
    • बीमा विस्तार से उचित लागत पर विश्वसनीय बीमा सुविधा प्राप्त होने से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
    • बीमा विस्तार नीति से व्यक्तियों एवं परिवारों को विभिन्न जोखिमों तथा अनिश्चितताओं से बचाने में सहायता मिलेगी।
    • इसे देश में बीमा की पहुँच बढ़ाने के लिये एक व्यापक उत्पाद माना जा रहा है तथा यह अपेक्षित है कि सूक्ष्म बीमा उत्पादों की तुलना में इसका विक्रय आकार बड़ा होगा।
  • विष्य की संभावनाएँ:
    • बीमा उत्पादों को सुलभ बनाने के लिये IRDAI, जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के साथ एक "बीमा ट्रिनिटी" - बीमा सुगम (डिजिटल प्लेटफॉर्म), बीमा विस्तार (उत्पाद) और बीमा वाहक (महिला-केंद्रित वितरण चैनल) के विकास की दिशा में कार्य कर रहा है।
    • बीमा विस्तार के प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण तथा व्यापक कवरेज़ से दीर्घ काल में इसके व्यवहार्य तथा सतत् समाधान बनने की उम्मीद है।

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI): 

  • यह बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (IRDA अधिनियम, 1999) के तहत गठित एक स्वायत्त और वैधानिक निकाय है। यह भारत में बीमा और पुनर्बीमा उद्योग के प्रबंधन तथा विनियमन हेतु उत्तरदायी है।
  • यह 10 सदस्यीय निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष, पाँच पूर्णकालिक सदस्य तथा चार अंशकालिक सदस्य शामिल हैं। 
  • इसका मुख्यालय हैदराबाद में है।
  • IRDAI की भूमिका:
    • इसका उद्देश्य बीमा पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करने के साथ यह सुनिश्चित करना है कि उनके साथ उचित व्यवहार किया जाए। यह पॉलिसी जारीकर्त्ताओं की निगरानी भी करता है ताकि जन सामान्य के हित प्रभावित न हों।

भारत के बीमा उद्योग का इतिहास:

  • वर्ष I950 में भारत सरकार ने भारत के बीमा उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया तथा भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की स्थापना की।
  • 1990 के दशक में सरकार ने बीमा क्षेत्र को निजी क्षेत्रों के लिये खोलने का निर्णय लिया। इस संदर्भ में सुधारों का प्रस्ताव देने के लिये एक समिति गठित की गई तथा IRDAI का गठन किया गया। 
  • वर्ष 2000 में विदेशी कंपनियों को भारतीय बीमा कंपनियों में 26% तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी गई।
  • स्विस रे सिग्मा रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 (FY23) में, भारत की समग्र बीमा पहुँच वित्त वर्ष 2022 के 4.2% के स्तर से घटकर 4% तक पहुँच गई। यह वैश्विक बीमा पहुँच 6.8% की तुलना में काफी कम है।
    • वित्त वर्ष 2023 में, भारत में बीमा घनत्व वित्त वर्ष 2022 के 91 USD से बढ़कर 92 USD हो गया।
      • बीमा घनत्व बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किये गए बीमा प्रीमियम का किसी देश की कुल जनसंख्या से अनुपात है जिसे आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में व्यक्त किया जाता है।

और पढ़ें: भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिये कोई आयु सीमा नहीं