प्रारंभिक परीक्षा
राजनीतिक दलों की मान्यता की समाप्ति और उनका विपंजीकरण
हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से आंध्र प्रदेश के एक राजनीतिक दल की मान्यता समाप्त नहीं करने का अनुरोध किया।
राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त करने का अर्थ:
- परिचय:
- मान्यता समाप्त करने का अर्थ ECI द्वारा किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करना है।
- ऐसी पार्टियों को केवल पंजीकृत-गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों के रूप में घोषित किया जाता है।
- ECI के पास यह अधिकार है कि भारतीय संविधान या जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर वह किसी भी राजनीतिक दल की मान्यता समाप्त कर सकता है।
- मान्यता समाप्त करने का अर्थ ECI द्वारा किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करना है।
- राष्ट्रीय दल के रूप में किसी राजनीतिक दल की मान्यता समाप्त करने का आधार (ECI के अनुसार):
- यदि दल संबंधित राज्य के लोकसभा या विधानसभा के आम चुनाव में डाले गए कुल मतों का कम-से-कम 6% मत हासिल करने में विफल रहता है और यदि वह पिछले लोकसभा चुनावों में कम-से-कम 4 सांसदों को निर्वाचित करने में विफल रहता है (साथ ही यह उसी राज्य से लोकसभा में 1 सीट नहीं जीतता है); या
- यदि उसने कम-से-कम 3 राज्यों में लोकसभा की कुल सीटों की 2% सीटें नहीं जीती हैं।
- यदि यह राज्य के लोकसभा या राज्य विधानसभा के आम चुनाव में डाले गए कुल वैध मतों का 8% हासिल करने में विफल रहता है।
- यदि पार्टी अपने लेखा-परीक्षित खातों को समय पर ECI को प्रस्तुत करने में विफल रहती है।
- यदि पार्टी समय पर अपने संगठनात्मक चुनाव आयोजित करने में विफल रहती है।
मान्यता की समाप्ति और विपंजीकरण में अंतर:
- परिचय:
- विपंजीकरण से तात्पर्य एक राजनीतिक दल के पंजीकरण को रद्द करने से है। हालाँकि ECI के पास पार्टियों को विपंजिकृत करने का अधिकार नहीं है।
- एक बार किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण समाप्त हो जाने के बाद वह चुनाव नहीं लड़ सकता है।
- किसी राजनीतिक दल के विपंजीकरण का आधार:
- किसी पार्टी को निम्नलिखित आधार पर विपंजीकृत किया जा सकता है:
- यदि पार्टी का पंजीकरण गलत तरीके से किया गया हो;
- इसे केंद्र सरकार द्वारा अवैध घोषित किया गया हो; या
- एक पार्टी अपने आंतरिक संविधान में संशोधन करती है और भारतीय निर्वाचन आयोग को सूचित करती है कि वह अब भारतीय संविधान का पालन नहीं कर सकती है।
- किसी पार्टी को निम्नलिखित आधार पर विपंजीकृत किया जा सकता है:
जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951:
- प्रमुख प्रावधान:
- यह चुनावों और उपचुनावों के संचालन को नियंत्रित करता है, चुनाव कराने के लिये प्रशासनिक सुविधाएँ प्रदान करता है, यह राजनीतिक दलों के पंजीकरण से संबंधित है, सदनों की सदस्यता के लिये योग्यता और अयोग्यताओं को निर्दिष्ट करता है, भ्रष्ट प्रथाओं तथा अन्य अपराधों को रोकने का प्रावधान प्रदान करता है।
- राजनीतिक दलों से संबंधित प्रावधान:
- राजनीतिक दल बनने के लिये प्रत्येक संघ या निकाय को भारत के निर्वाचन आयोग में पंजीकृत होना चाहिये, जिसका पंजीकरण के संबंध में निर्णय अंतिम होगा।
- वर्तमान नियम पुस्तिका चुनाव आयोग को पार्टियों को पंजीकृत करने की अनुमति देती है किंतु पंजीकरण रद्द करने की अनुमति नहीं देती है।
- जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम 1951 में कोई प्रावधान किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने के लिये कोई तंत्र प्रदान नहीं करता है।
- यह हो सकता है कि संसद ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने के मामले में अपनी स्वतंत्रता तथा निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु चुनाव आयोग को यह शक्ति देने से जान-बूझकर इनकार कर दिया हो।
- जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम 1951 में कोई प्रावधान किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने के लिये कोई तंत्र प्रदान नहीं करता है।
- हालाँकि ECI राजनीतिक दलों के पंजीकरण और अपंजीकरण दोनों को विनियमित करने की शक्ति की मांग कर रहा है।
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
प्रारंभिक परीक्षा
सबसे चमकीला गामा-किरण विस्फोट
खगोलविदों ने अक्तूबर 2022 में अब तक के सबसे चमकीला गामा-रे विकिरण की खोज की, जिसे GRB 221009A के रूप में जाना जाता है, जिसमें GRB जेट के सिद्धांत को खारिज करने की क्षमता है।
- यह अवलोकन हवाई में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स, हार्वर्ड और स्मिथसोनियन सबमिलीमीटर एरे (SMA) हवाई, दक्षिण अफ्रीका में मीरकैट एरे, न्यू मैक्सिको (अमेरिका) में यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन कार्ल जी जानस्की वेरी लार्ज एरे (VLA), चिली में अटाकामा लार्ज मिलीमीटर एरे (ALMA) और NCRA’s जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप, भारत द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
गामा-किरण विस्फोट:
- परिचय:
- गामा-किरण विस्फोट ब्रह्मांड में विस्फोटों का सबसे शक्तिशाली वर्ग है और वे तब होते हैं जब बड़े सितारे नष्ट हो जाते हैं।
- जब एक विशाल तारा विखंडित होता है, तो यह एक ब्लैक होल बनाता है और इस प्रक्रिया के दौरान निकलने वाली ऊर्जा उच्च-ऊर्जा कणों के जेट का निर्माण करती है जो लगभग प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं।
- ये जेट विखंडित होते तारे के माध्यम से भेदन करते हैं तथा एक्स-रे और गामा किरणों का उत्सर्जन करते हैं, जिनका पता पृथ्वी तथा अंतरिक्ष में वेधशालाओं द्वारा लगाया जा सकता है।
- GRBs के प्रकार:
- दीर्घकालिक गामा-रे विस्फोट (LGRBs):
- LGRBs दो सेकंड से अधिक समय तक रहते हैं और माना जाता है कि यह बड़े पैमाने पर तारों के विघटन के कारण होता है, जिसे सुपरनोवा के रूप में जाना जाता है।
- ये विस्फोट अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं और केंद्र में एक ब्लैक होल/कृष्ण विवर का निर्माण करते हैं।
- LGRBs, GRB का सबसे आम प्रकार है और दूर की आकाशगंगाओं से देखा जा सकता है।
- अल्पकालिक गामा-रे विस्फोट (SGRBs):
- SGRB दो सेकंड से भी कम समय तक रहता है और माना जाता है कि यह दो सघन (ठोस) वस्तुओं, जैसे न्यूट्रॉन तारों और ब्लैक होल के टकराव के कारण होता है।
- LGRB की तुलना में SGRB बहुत दुर्लभ हैं, इनका निरीक्षण करना अधिक कठिन है और ये आमतौर पर हमारी आकाशगंगा के करीब स्थित हैं।
- दीर्घकालिक गामा-रे विस्फोट (LGRBs):
GRB 221009A:
- परिचय:
- GRB 221009A का पता अक्तूबर 2022 में NASA के फर्मी गामा-रे स्पेस टेलीस्कोप, नील गेहरल्स स्विफ्ट ऑब्ज़र्वेटरी और विंड स्पेसक्राफ्ट द्वारा लगाया गया था।
- यह संकेत धनु नक्षत्र (Constellation Sagitta) की दिशा से उत्पन्न हुआ था और इसे पृथ्वी तक आने में लगभग 1.9 बिलियन वर्ष का समय लगा।
- 5 मिनट लंबा रेडिएशन पल्स अब तक का सबसे चमकीला GRB था और इस तरह के किसी भी अन्य विस्फोट की तुलना में लगभग 70 गुना चमकीला था।
- GRB 221009A के अवलोकन से प्राप्त जानकारी:
- इस विकिरण का पल्स असामान्य रूप से उज्ज्वल और दीर्घकालिक था जो कि अन्य गामा-रे विस्फोटों से बिलकुल अलग था।
- कई वेधशालाओं के डिटेक्टरों को सिग्नल और इसकी तीव्रता तथा अवधि का पता चला।
- 221009A के बारे में शोधकर्त्ता:
- "लंबी अवधि" GRB तब होते हैं जब एक बड़े तारे का केंद्र अपने ही वज़न से निष्क्रिय होने लगता है जिससे एक ब्लैक होल का जन्म होता है।
- यह संरचना शक्तिशाली प्लाज़्मा जेट बनाती है जो गामा किरणों को लगभग प्रकाश की गति से भेदती है। जब ये जेट मरने वाले तारे के आसपास की गैस से टकराते हैं, तो पूरे स्पेक्ट्रम में एक चमक उत्पन्न होती है।
- महत्त्व:
- भारत में राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र के खगोलविदों ने निष्कर्ष निकाला कि संकेत एक ब्लैक होल का जन्म था।
- GRB 221009A खगोलविदों को ब्लैक होल के निर्माण एवं गामा-किरणों के विस्फोट वाले तंत्रों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- GRB 221009A की खोज खगोलविदों को ब्लैक होल के गठन एवं गामा-रे विस्फोट के उत्पादन के लिये आवश्यक स्थितियों के बारे में अपने ज्ञान में सुधार करने में सहायता करेगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश वर्ष दूर विशालकाय ‘ब्लैक होलों’ के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्त्व है? (2019) (a) ‘हिग्स बोसॉन कणों’ का अभिज्ञान हुआ। उत्तर: (b) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 अप्रैल, 2023
OBC एवं वर्तमान विवाद
अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBC) के खिलाफ कथित टिप्पणी के कारण एक सांसद के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है, जिसके बाद उसे मानहानि का भी दोषी ठहराते हुए संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। कालेलकर आयोग (1953), राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य पिछड़े वर्गों की पहचान करने वाला पहला आयोग था। द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग (मंडल आयोग) की सिफारिश के आधार पर अगस्त 1990 में भारत सरकार ने सिविल पदों एवं सेवाओं हेतु रिक्तियों में सीधी भर्ती के लिये सामाजिक तथा शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (Socially and Educationally Backward Classes (SEBC/OBC) हेतु 27% आरक्षण अधिसूचित किया था। इसे चुनौती दिये जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर, 1992 (इंदिरा साहनी मामले) में OBC के लिये 27% आरक्षण को बरकरार रखा, जो कि क्रीमी लेयर को बाहर करने के अधीन था। न्यायमूर्ति रोहिणी समिति का गठन वर्ष 2017 में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उप-वर्गीकरण पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु किया गया था। हालाँकि समिति ने अभी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।
और पढ़ें… मानहानि कानून और सांसदों की अयोग्यता, इंदिरा साहनी निर्णय (1992)
असम में गैंडों के अवैध शिकार के मामले
वर्ष 2022 में असम में गैंडों के शिकार के शून्य मामले दर्ज किये जाने के बाद हाल ही में इस तरह का पहला मामला सामने आया था। वर्ष 2021 में असम सरकार ने एक एंटी-पोचिंग टास्क फोर्स का गठन किया।
गैंडे की कुल पाँच प्रजातियाँ होती हैं- अफ्रीका में सफेद और काले राइनो (White and Black Rhinos in Africa), एक सींग वाले गैंडे (Greater one-Horned), एशिया में जावा और सुमात्रन गैंडे/राइनो (Javan and Sumatran Rhino) की प्रजातियाँ।
भारत में केवल एक सींग वाले गैंडे पाए जाते हैं। इसे भारतीय गैंडे के रूप में भी जाना जाता है, यह गैंडा प्रजातियों में सबसे बड़ा है। इस गैंडे की पहचान एकल काले सींग और त्वचा के सिलवटों के साथ भूरे रंग से होती है। यह प्रजाति इंडो-नेपाल के तराई क्षेत्र, उत्तरी-पश्चिम बंगाल और असम तक सीमित है। एक सींग वाले गैंडे को IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिसका उल्लेख CITES में परिशिष्ट I और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में किया गया है।
और पढ़ें...असम में गैंडे और संरक्षित क्षेत्र, राइनो पर इन्फोग्राफिक
भारत का पहला क्लोन मादा बछड़ा
दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने हेतु सरकार के दबाव के कारण राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल, हरियाणा ने देसी नस्ल गिर का भारत का पहला क्लोन मादा बछड़ा तैयार किया है। NDRI की एक परियोजना के तहत राज्य गिर और साहीवाल जैसी देशी गाय की नस्लों की क्लोनिंग पर काम करेगा। गिर, साहीवाल, थारपारकर और लाल-सिंधी जैसी स्वदेशी मवेशियों की नस्लों की दुग्ध उत्पादन तथा भारतीय डेयरी उद्योग के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। गिर मवेशी भी काफी लोकप्रिय हैं और ज़ेबू प्रजाति की गायों के विकास के लिये ब्राज़ील, संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको तथा वेनेज़ुएला में इनका निर्यात किया गया है। क्लोनिंग शब्द से तात्पर्य अलग-अलग प्रक्रियाओं से है जिसका उपयोग जैविक इकाई की आनुवंशिक रूप से समान प्रतियाँ बनाने के लिये किया जा सकता है। तैयार की गई प्रतियाँ जिनमें मूल जीव के समान आनुवंशिक संरचना होती है, उन्हें क्लोन कहा जाता है।
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AFINDEX-2023
संयुक्त सैन्य अभ्यास "अफ्रीका-भारत क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास (AFINDEX-2023)" का दूसरा संस्करण हाल ही में महाराष्ट्र में संपन्न हुआ। रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण भारत-अफ्रीका आर्मी चीफ कॉन्क्लेव भी पुणे में आयोजित किया गया था। यह अभ्यास 16 से 29 मार्च, 2023 तक आयोजित किया गया था। अफ्रीकी महाद्वीप के कुल 25 देशों के 124 प्रतिभागियों के साथ सिख, मराठा और महार रेजिमेंट के भारतीय सैनिकों ने बहुराष्ट्रीय अभ्यास में भाग लिया। इस बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास का उद्देश्य व्यावहारिक एवं गहन चर्चा तथा सामरिक अभ्यास के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UNPKF) की वर्तमान गतिशीलता के साथ ‘क्षेत्रीय एकता के लिये अफ्रीका-भारत सेना’ (Africa-India Militaries for Regional Unity- AMRUT) की अवधारणा को बढ़ावा देना है।
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