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एडिटोरियल

  • 29 Jan, 2025
  • 31 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-ASEAN: प्रगति के साझेदार

यह एडिटोरियल 27/01/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “India with Indonesia: on ancient ties to a new phase” पर आधारित है। यह लेख भारत और ASEAN के बीच गहरे होते सांस्कृतिक एवं सामरिक संबंधों को दर्शाता है, जिसमें इंडोनेशिया की गणतंत्र दिवस की भागीदारी बढ़ती भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता में बढ़ते सहयोग को दर्शाती है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

भारत और ASEAN, बांडुंग सम्मेलन, दक्षिण चीन सागर, हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI), भारत का SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास), भारत की एक्ट ईस्ट नीति, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)

मुख्य परीक्षा के लिये:

भारत और ASEAN के बीच अभिसरण के प्रमुख क्षेत्र, भारत और ASEAN के बीच टकराव के प्रमुख क्षेत्र। 

भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया की भागीदारी भारत और ASEAN के बीच गहरे सांस्कृतिक और सामरिक संबंधों को दर्शाती है। ASEAN की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और G20 के एक प्रमुख सदस्य के रूप में, इंडोनेशिया इस क्षेत्र के साथ भारत के व्यापक जुड़ाव का उदाहरण है, विशेषकर समुद्री सुरक्षा और आर्थिक सहयोग में। बांडुंग सम्मेलन से लेकर BRICS तक, भारत-ASEAN संबंध उपनिवेशवाद विरोधी एकजुटता से एक रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुए हैं जिसका उद्देश्य चीन की इंडो-पैसिफिक आक्रामकता सहित भू-राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव के मद्देनजर क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना है। 

ASEAN

समय के साथ भारत-ASEAN संबंध किस प्रकार विकसित हुए हैं? 

  • प्रारंभिक जुड़ाव: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध
    • प्राचीन व्यापार और सांस्कृतिक संबंध: बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और संस्कृत (जैसे: अंगकोर वाट, रामायण परंपराएँ) के माध्यम से दक्षिण पूर्व एशिया पर भारतीय प्रभाव।
      • समृद्ध व्यापार मार्ग भारत को दक्षिण-पूर्व एशियाई राज्यों से जोड़ते थे।
    • औपनिवेशिक युग और उपनिवेश-विरोधी संघर्ष: औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध साझा संघर्ष; भारत ने इंडोनेशिया की स्वतंत्रता का समर्थन किया।
      • बांडुंग सम्मेलन (वर्ष 1955): नव स्वतंत्र एशियाई और अफ्रीकी देशों के साथ भारत की भागीदारी को चिह्नित किया।
  • स्वतंत्रता-उपरांत काल: सीमित संपर्क (1950-1980)
    • गुटनिरपेक्षता और क्षेत्रीय प्राथमिकताएँ: घरेलू मुद्दों पर भारत का ध्यान और शीत युद्ध की गुटनिरपेक्ष नीति के कारण ASEAN में उसकी भागीदारी सीमित हो गई।
    • न्यूनतम आर्थिक एवं सामरिक सहयोग: भारत की अंतर्मुखी अर्थव्यवस्था ने व्यापार एवं निवेश को प्रतिबंधित कर दिया।
      • ASEAN ने पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ जुड़ाव को प्राथमिकता दी। 
  • शीत युद्ध के बाद: आर्थिक और सामरिक जुड़ाव (1990-2000 के दशक)
    • पूर्व की ओर देखो नीति: आर्थिक उदारीकरण के बाद दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संबंधों को मज़बूत करने के लिये शुरू की गई।
      • भारत वर्ष 1992 में ASEAN का क्षेत्रीय वार्ता साझेदार, वर्ष 1996 में पूर्ण वार्ता साझेदार तथा वर्ष 2002 में शिखर सम्मेलन स्तरीय साझेदार बना।
    • प्रारंभिक व्यापार और सुरक्षा समझौते: ASEAN वस्तु व्यापार समझौते (वर्ष 2009) ने व्यापार और निवेश को बढ़ावा दिया।
      • भारत-ASEAN सेवा व्यापार समझौते (वर्ष 2015) ने आर्थिक संबंधों को और बढ़ावा दिया।
  • रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करना (वर्ष 2011-वर्तमान)
    • एक्ट ईस्ट नीति (वर्ष 2014): गहरे राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधों पर ध्यान केंद्रित करने के लिये लुक ईस्ट नीति का विस्तार किया गया।
      • भारत ने वर्ष 2012 में ASEAN के साथ संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक उन्नत किया।
      • इसके अलावा, नवंबर 2022 में दोनों देशों ने अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (CSP) तक उन्नत किया।
    • 15वें ASEAN-भारत शिखर सम्मेलन (वर्ष 2017): समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता दी गई।
      • ASEAN नौसेनाओं के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास और बेड़े की समीक्षा का प्रस्ताव।
      • ASEAN-भारत स्टार्टअप महोत्सव और प्रवासी भारतीय दिवस की घोषणा।
    • भारत-ASEAN कार्य योजना (वर्ष 2016-2020): वर्ष 2004 में तीसरे ASEAN-भारत शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षरित; वर्तमान संस्करण वर्ष 2015 में अपनाया गया।
      • व्यापार, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को कवर करते हुए 130 में से 70 गतिविधियाँ कार्यान्वित की गईं।
  • भारत-ASEAN सहयोग को समर्थन देने वाले वित्तीय तंत्र
    • ASEAN-भारत कोष (वर्ष 2016): कार्य योजना के समर्थन हेतु 50 मिलियन डॉलर।
    • ASEAN-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कोष (वर्ष 2015): बढ़ाकर 5 मिलियन डॉलर किया गया।
    • ASEAN-भारत हरित निधि (वर्ष 2007): जलवायु परिवर्तन अनुकूलन परियोजनाओं के लिये 5 मिलियन डॉलर।
    • ASEAN-भारत परियोजना विकास निधि: निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिये 500 करोड़ रुपये की SCP।

भारत और ASEAN के बीच अभिसरण के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं? 

  • समुद्री सुरक्षा और भारत-प्रशांत सहयोग: भारत और ASEAN दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता पर चिंता व्यक्त करते हैं, जिससे समुद्री सुरक्षा सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र बन गया है। 

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  • व्यापार और आर्थिक एकीकरण: ASEAN भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और पिछले दशक में भारत-ASEAN व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 
    • व्यापार असंतुलन को दूर करने और आपूर्ति शृंखला अनुकूलता बढ़ाने के लिये भारत-ASEAN मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की समीक्षा की जा रही है
    • भारत की एक्ट ईस्ट नीति डिजिटल व्यापार, फिनटेक और क्षेत्रीय मूल्य शृंखलाओं के माध्यम से ASEAN अर्थव्यवस्थाओं के साथ गहन एकीकरण पर केंद्रित है। 
      • भारत का एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) और सिंगापुर का PayNow अब आधिकारिक रूप से जुड़ गए हैं, जिससे ‘रियल टाइम पेमेंट लिंकेज’ संभव हो गया है। 
    • चाइना प्लस वन रणनीतियों के बीच विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की उभरती भूमिका से भी ASEAN को लाभ मिलता है।
  • कनेक्टिविटी और बुनियादी अवसंरचना का विकास: आर्थिक संबंधों और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ाने के लिये भारत और ASEAN का उद्देश्य अधिक भौतिक एवं डिजिटल कनेक्टिविटी है।
  • रक्षा एवं आतंकवाद-रोधी सहयोग: भारत और ASEAN ने सैन्य प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और खुफिया जानकारी साझा करने के माध्यम से रक्षा सहयोग को तेज़ किया है। 
    • दक्षिण-पूर्व एशिया में कट्टरपंथी उग्रवाद से उत्पन्न खतरे तथा पूर्वोत्तर में सीमापार उग्रवाद के प्रति भारत की चिंताएँ आतंकवाद-विरोध को साझा प्राथमिकता बनाती हैं। 
    • फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों सहित रक्षा निर्यात, गहरे सैन्य संबंधों की ओर बदलाव का संकेत है।
    • वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारत के रक्षा निर्यात में 78% की वृद्धि हुई, जिसमें ASEAN एक प्रमुख बाज़ार रहा।
  • ऊर्जा सुरक्षा और हरित परिवर्तन: भारत एवं ASEAN दोनों ही नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और स्वच्छ ऊर्जा निवेश का विस्तार करने पर बल दे रहे हैं। 
  • अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी सहयोग: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, AI और डिजिटल गवर्नेंस में भारत की प्रगति ASEAN के साथ सहयोग का एक सुदृढ़ क्षेत्र प्रस्तुत करती है। 
    • ASEAN देश आपदा प्रबंधन और दूरसंचार के लिये ISRO की उपग्रह क्षमताओं का लाभ उठाने के इच्छुक हैं।
      • ISRO वियतनाम में रीजनल सैटेलाइट ट्रैकिंग स्टेशन स्थापित करने में ASEAN की मदद कर रहा है।
    • आधार और UPI सहित भारत का डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) मॉडल, ASEAN के फिनटेक विस्तार के लिये एक प्रारूप प्रस्तुत करता है।
  • पर्यटन और सांस्कृतिक कूटनीति: भारत और ASEAN के बीच बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म सहित सदियों पुराने सांस्कृतिक एवं धार्मिक संबंध हैं। 
    • वीज़ा उदारीकरण, आध्यात्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करने से सहभागिता को बढ़ावा मिल सकता है। 
    • सीधी उड़ानों में वृद्धि एवं पर्यटन अवसंरचना विकास से कनेक्टिविटी में और वृद्धि हो सकती है।
    • इंडोनेशिया का रामायण बैले और थाईलैंड का अयुथया शहर, जिसे ‘थाईलैंड की अयोध्या’ के नाम से जाना जाता है, विरासत साझा करते हैं।
  • भू-राजनीतिक सहयोग और बहुध्रुवीयता: भारत और ASEAN क्षेत्रीय स्थिरता तथा अमेरिका-चीन तनाव को संतुलित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
    • दोनों ही देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था पर बल देते हैं, सैन्य गुट की राजनीति से बचते हैं तथा BRICS, EAS एवं G20 के माध्यम से बहुपक्षवाद को मज़बूत करते हैं।
      • भारत ने म्याँमार संकट पर ASEAN की पाँच सूत्री सहमति का भी समर्थन किया।

भारत और ASEAN के बीच टकराव के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं? 

  • व्यापार असंतुलन और RCEP से वापसी: भारत का ASEAN के साथ 43 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार घाटा है, जिससे बाज़ार अभिगम और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर चिंता बढ़ रही है। 
    • भारत ने वर्ष 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से अपना नाम वापस ले लिया था, क्योंकि उसे चिंता थी कि ASEAN देशों के माध्यम से उसके बाज़ार में चीनी उत्पादों की बाढ़ आ जाएगी। 
    • भारत ने टैरिफ विषमता और गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने के लिये FTA पर पुनः वार्ता का आह्वान किया है, लेकिन प्रगति बहुत धीमी है। 
  • कनेक्टिविटी परियोजनाओं में धीमी प्रगति: सामरिक महत्त्व के बावजूद, ASEAN के साथ भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाओं को वित्त पोषण संबंधी मुद्दों, राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक बाधाओं के कारण विलंब का सामना करना पड़ रहा है। 
    • भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग को धीमी गति से कार्यान्वयन और म्याँमार में अशांति के कारण बार-बार स्थगित किया गया है।
    • इसी प्रकार, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी के लिये महत्त्वपूर्ण कलादान मल्टीमॉडल परियोजना भी सुरक्षा संबंधी चिंताओं और प्रगति की कमी से ग्रस्त है। 
      • इन विलंबों से क्षेत्रीय अवसंरचना विकास में भारत की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
  • सीमित रक्षा सहयोग और ASEAN का चीन की ओर झुकाव: जबकि भारत और ASEAN सैन्य अभ्यास करते हैं, ASEAN की भिन्न सुरक्षा प्राथमिकताएँ और चीन का मुकाबला करने की अनिच्छा, गहन रक्षा सहभागिता को सीधे सीमित करती हैं। 
    • अधिकांश ASEAN देश चीन पर आर्थिक निर्भरता के कारण भारत के हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के साथ जुड़ने में हिचकिचा रहे हैं। 
    • ASEAN ने दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता पर भारत के रुख का दृढ़ता से समर्थन नहीं किया है।
    • वर्ष 2023 में, ASEAN और चीन के बीच व्यापार 702 बिलियन अमरीकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया, जबकि सत्र 2023-24 के दौरान ASEAN-भारत द्विपक्षीय व्यापार केवल 122.67 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जो चीन पर ASEAN की आर्थिक निर्भरता को उजागर करता है।
  • हिंद-प्रशांत रणनीति में मतभेद: भारत ASEAN केंद्रीयता पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देता है, लेकिन ASEAN देश भारत के रणनीतिक लक्ष्यों का खुले तौर पर समर्थन करने पर विभाजित रहते हैं। 
    • जबकि वियतनाम और फिलीपींस भारत की मज़बूत हिंद-प्रशांत उपस्थिति का समर्थन करते हैं, वहीं कंबोडिया जैसे अन्य देश चीन को नाराज करने से बचने के लिये तटस्थता पसंद करते हैं। 
    • इससे भारत की समग्र ASEAN के साथ एकीकृत हिंद-प्रशांत रणनीति बनाने की क्षमता सीमित हो जाती है।
  • म्याँमार संकट और भिन्न राजनीतिक रुख: वर्ष 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद म्याँमार के राजनीतिक संकट पर भारत और ASEAN के दृष्टिकोण में भिन्नता है।
    • ASEAN ने अपनी पाँच सूत्री सहमति के माध्यम से कूटनीतिक भागीदारी पर बल दिया है, जबकि भारत ने सीमा सुरक्षा और संपर्क हितों के कारण म्याँमार की सेना के साथ व्यावहारिक संबंध बनाए रखा है। 
    • इससे मतभेद उत्पन्न हो गया है, क्योंकि कुछ ASEAN सदस्य भारत के दृष्टिकोण को लोकतांत्रिक सिद्धांतों के साथ असंगत मानते हैं।
    • भारत ने वर्ष 2022 में म्याँमार की सेना को सैन्य हार्डवेयर सौंप दिया, जबकि ASEAN ने प्रतिबंध लगा दिये।
  • डिजिटल व्यापार और डेटा संरक्षण मुद्दे: भारत और ASEAN के बीच डेटा स्थानीयकरण, साइबर सुरक्षा तथा डिजिटल व्यापार विनियमन पर मतभेद है, जिससे फिनटेक एवं ई-कॉमर्स का विस्तार धीमा हो रहा है। 
    • ASEAN एक उदार डिजिटल व्यापार व्यवस्था को प्राथमिकता देता है, जबकि भारत डेटा संप्रभुता नियमों को लागू करता है (उदाहरण के लिये, भारत का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत सीमा पार डेटा प्रवाह पर प्रतिबंध)।
    • इससे विनियामक विसंगतियाँ उत्पन्न हो गई हैं, जिससे फिनटेक, ई-कॉमर्स और AI सहयोग में कारोबार प्रभावित हो रहे हैं।
      • सिंगापुर के साथ भारत का UPI लिंकेज (वर्ष 2023) एक अपवाद है, लेकिन यह द्विपक्षीय समझौतों तक सीमित है।

भारत-ASEAN संबंधों को मज़बूत करने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं? 

  • आर्थिक एकीकरण के लिये फास्ट-ट्रैक कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टीमॉडल परियोजना के पूरा होने में तेज़ी लाने से भौतिक संपर्क एवं व्यापार में सुधार होगा। 
    • गलियारे के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की स्थापना से निवेश और विनिर्माण को आकर्षित किया जा सकता है, जिससे चीन पर ASEAN की अत्यधिक निर्भरता कम हो सकती है।
    • कार्यान्वयन में होने वाले विलंब को दूर करने के लिये भारत को ASEAN को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल में शामिल करना चाहिये।
    • विशेष रूप से इंडोनेशिया, वियतनाम और फिलीपींस के साथ हवाई एवं समुद्री संपर्क को मज़बूत करने से व्यापार व पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत-ASEAN मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को मज़बूत करना: भारत के व्यापार घाटे और गैर-टैरिफ बाधाओं (NTB) को दूर करने के लिये भारत-ASEAN FTA को संशोधित करने से आर्थिक सहयोग बढ़ेगा। 
    • भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और हरित ऊर्जा में क्षेत्र-विशिष्ट समझौतों पर बल देना चाहिये, जहाँ उसे प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त हासिल है। 
    • ASEAN देशों को भारतीय वस्तुओं, विशेषकर सेवाओं, कृषि और डिजिटल व्यापार के लिये बेहतर बाज़ार अभिगम सुनिश्चित करनी चाहिये। 
    • कुशल पेशेवरों के लिये पारस्परिक मान्यता समझौते (MRA) से श्रम गतिशीलता और ज्ञान विनिमय में सुविधा होगी।
      • भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि ASEAN भारतीय निर्यातकों को नुकसान पहुँचाने वाले भेदभावपूर्ण पाम ऑयल आयात शुल्क को हटा दे
  • महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों का सह-विकास: प्रौद्योगिकी आयात पर निर्भर रहने के बजाय, भारत और ASEAN को AI, क्वांटम कंप्यूटिंग एवं सेमीकंडक्टर निर्माण में संयुक्त विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। 
    • भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) मॉडल (आधार, UPI) को ASEAN फिनटेक पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिये अनुकूलित किया जा सकता है, जिससे डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित होगी। 
    • ASEAN को भारत के सेमीकंडक्टर मिशन में निवेश करने के लिये राजी किया जा सकता है, जिससे चीन-ताइवान आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भरता कम हो जाएगी।
    • भारत को आपदा प्रबंधन और संचार उपग्रहों के लिये ISRO के माध्यम से संयुक्त अंतरिक्ष सहयोग पर बल देना चाहिये।
  • समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग का विस्तार: भारत को विस्तारित नौसैनिक अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करने और संयुक्त गश्त के माध्यम से समुद्री सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करना चाहिये। 
    • भारत-ASEAN तटरक्षक सहयोग को मज़बूत करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री डकैती, अवैध मत्स्यन और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में मदद मिल सकती है। 
    • ASEAN देशों को अनुकूल वित्तपोषण मॉडल के तहत भारतीय रक्षा उपकरण (जैसे: ब्रह्मोस मिसाइल) खरीदने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। 
    • भारत-ASEAN हिंद-प्रशांत सुरक्षा मंच की स्थापना से रणनीतिक वार्ता के लिये एक संरचित तंत्र का निर्माण हो सकता है।
  • सह-विनिर्माण के माध्यम से आपूर्ति शृंखला अनुकूलन को बढ़ावा देना: भारत को ASEAN को अपनी उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना में एकीकृत करना चाहिये, जिससे ASEAN फर्मों को भारत में विनिर्माण आधार स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके। 
    • अर्द्धचालकों, दुर्लभ मृदा तत्त्वों और फार्मास्यूटिकल्स में वैकल्पिक आपूर्ति शृंखलाओं का सह-विकास करने से चीन का प्रभुत्व कम हो जाएगा। 
    • ASEAN देश जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव (SCRI) का हिस्सा बन सकते हैं, जिससे विविध व्यापार नेटवर्क का निर्माण हो सकता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु सहयोग का विस्तार: भारत को हरित हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और जैव ईंधन में ASEAN का नेतृत्व करना चाहिये, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो।
    • भारत-ASEAN ग्रीन एनर्जी पार्क की स्थापना से सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में संयुक्त निवेश को बढ़ावा मिलेगा। 
    • EV बैटरी उत्पादन और कार्बन व्यापार तंत्र के लिये प्रौद्योगिकी अंतरण को सुविधाजनक बनाना, ASEAN के शुद्ध-शून्य लक्ष्यों के अनुरूप होगा।
  • सांस्कृतिक और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देना: पारस्परिक वीज़ा उदारीकरण, प्रत्यक्ष उड़ान संपर्क और शैक्षिक सहयोग के माध्यम से सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ाने से संबंध मज़बूत होंगे। 
    • भारत-ASEAN छात्रवृत्ति, छात्र विनिमय कार्यक्रम और बौद्ध पर्यटन सर्किट की स्थापना से सामाजिक-सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा। 
    • भारत साझा सभ्यतागत विरासत को संरक्षित करने के लिये प्राचीन पांडुलिपियों और ऐतिहासिक अभिलेखागार के डिजिटलीकरण में ASEAN का समर्थन कर सकता है।
    • नालंदा विश्वविद्यालय ASEAN फेलोशिप को सांस्कृतिक अनुसंधान कार्यक्रमों के लिये विस्तारित किया जा सकता है।

निष्कर्ष: 

भारत-ASEAN संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों से विकसित होकर व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदल गए हैं। व्यापार असंतुलन और रक्षा प्राथमिकताओं में मतभेद जैसी चुनौतियों के बावजूद, दोनों पक्षों ने सहयोग को मज़बूत किया है। आगे बढ़ते हुए, कनेक्टिविटी अंतराल को समाप्त करना, व्यापार को बढ़ावा देना और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण होगा। ASEAN के साथ भारत की सक्रिय भागीदारी गहन सहयोग के अवसर प्रदान करती है। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत की एक्ट ईस्ट नीति ने भारत-ASEAN संबंधों को मज़बूत किया है, लेकिन गहन आर्थिक और रणनीतिक एकीकरण हासिल करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। हाल के घटनाक्रमों के प्रकाश में चर्चा करें।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न 1.  भारत निम्नलिखित में से किसका/किनका सदस्य है? (2015)

  1. एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एशिया-पैसिफिक इकनॉमिक कोऑपरेशन)
  2. दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशन्स)
  3. पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईस्ट एशिया समिट)

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) भारत इनमें से किसी का सदस्य नहीं है

उत्तर: (b)


प्रश्न 2. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. चीन
  4. भारत
  5. जापान
  6. यूएसए

उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में से हैं?

(a) 1, 2, 4 और 5
(b) 3, 4, 5 और 6
(c) 1, 3, 4 और 5
(d) 2, 3, 4 और 6

उत्तर: (c)


प्रश्न 3. 'रीजनल (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) 

(a) G20
(b) ASEAN
(c) SCO
(d) SAARC

उत्तर: (b)


प्रश्न 4.मेकाँग-गंगा सहयोग में, जो छः देशों की पहल है, निम्नलिखित में से कौन-सा/से देश प्रतिभागी नहीं है/हैं?  (2015)

  1. बांग्लादेश
  2. कंबोडिया
  3. चीन
  4. म्याँमार
  5. थाईलैंड

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) 2, 3 और 4
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 5

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में, भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्याकंन कीजिये। (2016)


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