अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-श्रीलंका मत्स्य-ग्रहण संबंधी विवाद
यह एडिटोरियल 13/03/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “Resolving the vexatious fishing dispute,” पर आधारित है। लेख में भारत-श्रीलंका पाक खाड़ी मत्स्य-विवाद पर प्रकाश डाला गया है और स्थायी समाधान, सरकारी कार्रवाई एवं नए उद्यमियों से वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय नौसेना अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL), UNCLOS, कच्चातिवु, भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौता (ISFTA), मित्र शक्ति, बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहायता के लिये बंगाल की खाड़ी पहल), सार्क मेन्स के लिये:भारत-श्रीलंका मत्स्य ग्रहण के विवाद में प्रमुख मुद्दा, भारत और श्रीलंका के बीच सहायता के प्रमुख क्षेत्र, अंतर्राष्ट्रीय कानून पर मत्स्य ग्रहण की स्वतंत्रता |
भारत-श्रीलंका मत्स्य-ग्रहण क्षेत्र से संबंधित विवाद एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा है जो दोनों पड़ोसी देशों के बीच राजनयिक संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है। हाल ही में, श्रीलंका के सदन के नेता बिमल रथनायके ने भारत से श्रीलंकाई जल-क्षेत्र में अवैध मत्स्य ग्रहण के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया। भारत के पिछले समर्थन को स्वीकार करते हुए, उन्होंने श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में तमिल भाषी मछुआरों की आजीविका की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, जो इस मुद्दे से गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
भारत-श्रीलंका मत्स्यन विवाद में प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- निरंतर गिरफ्तारियाँ: भारतीय मछुआरे प्रायः मत्स्यन की तलाश में अपने ट्रॉलरों के साथ इंजन खराब होने अथवा अचानक मौसम परिवर्तन के कारण श्रीलंकाई जलक्षेत्र में भटक जाते हैं।
- मत्स्यन-नावों को नष्ट किया जाना, मछुआरों की रिहाई के बाद भी नावों को ज़ब्त रखना और श्रीलंकाई मछुआरों द्वारा भारी मात्रा में नावों को नष्ट किया जाना दोनों देशों के बीच बारंबार उत्पन्न होने वाले मुद्दे हैं।
- समुद्री सीमा रेखा (IMBL) का उल्लंघन: अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) के आधार पर भारतीय मछुआरे पारंपरिक मत्स्य ग्रहण के अधिकार का दावा करते हैं, जिसके कारण IMBL के निकटवर्ती क्षेत्रों में भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया जाता है।
- पाक खाड़ी को भारत और श्रीलंका के बीच समान रूप से विभाजित किया गया है, लेकिन मत्स्यन के अधिकार पर विवाद बना हुआ है।
- IMBL (UNCLOS के अनुसार) एक आधिकारिक सीमा है जो प्रादेशिक जल को अलग करती है, समुद्री अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करती है तथा मत्स्यन, संसाधनों के उपयोग और नौसैनिक गतिविधियों को विनियमित करती है।
- मत्स्य प्रभव में कमी: अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) के भारतीय हिस्से में अत्यधिक मत्स्यन किये जाने के कारण भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई जलक्षेत्र में गमन करते हैं, जिसे श्रीलंका "अवैध शिकार" मानता है, जिससे सुरक्षा जोखिम उत्पन्न होता है और स्थानीय आजीविका को खतरा होता है।
- बॉटम-ट्रॉलिंग: श्रीलंका भारतीय मछुआरों द्वारा अपनाई जाने वाली पारिस्थितिकी रूप से विनाशकारी बॉटम ट्रॉलिंग का विरोध करता है, तथा अपने जल को अति-दोहन से बचाने के लिये एक स्थायी समाधान की मांग करता है।
- बॉटम ट्रॉलिंग में भारी जालों को समुद्र तल पर खींचा जाता है, जिससे प्रवाल भित्तियों और स्पंज जैसे समुद्री आवासों की क्षति होती है।
- श्रीलंका की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएँ: श्रीलंका का आरोप है कि भारतीय ट्रॉलर नियमित रूप से समन्वित तरीके से घुसपैठ करते हैं और उन्हें भय है कि तमिल उग्रवादी समूह मत्स्यन ज़हाजों का उपयोग कर पुनः सक्रिय हो सकते हैं।
- कच्चातीवु द्वीप विवाद: कच्चातीवु मुद्दा भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित कच्चातीवु के निर्जन द्वीप के स्वामित्व एवं उपयोग के अधिकारों से संबंधित है।
- वर्ष 1974 में भारत और श्रीलंका के प्रधानमंत्रियों के बीच हुए एक समझौते के तहत कच्चातीवु को श्रीलंका के क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई, जिससे इसके स्वामित्व का अंतरण हुआ।
- दोनों पक्षों द्वारा समझौते की अलग-अलग व्याख्या के कारण, समझौते के अंतर्गत मत्स्यन के अधिकार के मुद्दे को समाधान करने में विफलता मिली, क्योंकि श्रीलंका ने भारतीय मछुआरों की आराम करने, जाल सुखाने और बिना वीज़ा के कैथोलिक तीर्थस्थल पर जाने जैसी गतिविधियों तक पहुँच को सीमित कर दिया था।
भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?
- विकास सहायता: भारत, श्रीलंका को विकास सहायता देने वाला एक प्रमुख देश है।
- उल्लेखनीय पहल में भारतीय आवास परियोजना शामिल है, जिसका उद्देश्य युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों के लिये 50,000 आवासों का निर्माण करना है। इसके अतिरिक्त, इसमें बिजली परियोजनाएँ, रेलवे विकास और विभिन्न सामाजिक विकास पहल भी शामिल हैं।
- वर्ष 2022 में, भारत ने उत्तरी श्रीलंका में हाइब्रिड पावर परियोजनाओं की स्थापना पर सहमति व्यक्त की और कंकसानथुराई और त्रिंकोमाली बंदरगाहों पर विकास परियोजनाओं की शुरुआत की।
- उल्लेखनीय पहल में भारतीय आवास परियोजना शामिल है, जिसका उद्देश्य युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों के लिये 50,000 आवासों का निर्माण करना है। इसके अतिरिक्त, इसमें बिजली परियोजनाएँ, रेलवे विकास और विभिन्न सामाजिक विकास पहल भी शामिल हैं।
- आर्थिक सहयोग: भारत और श्रीलंका ने भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते (ISFTA) के माध्यम से आर्थिक संबंधों को मज़बूत किया है, भारत श्रीलंका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है और 60% से अधिक निर्यात इस समझौते से लाभान्वित होता है।
- वे अपनी अर्थव्यवस्थाओं को और मज़बूत करने के लिये आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ETCA)पर भी विचार कर रहे हैं।
- श्रीलंका द्वारा भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) को अपनाने से फिनटेक कनेक्शन में सुधार हुआ है, तथा व्यापार के लिये रुपए का उपयोग करने से उसकी अर्थव्यवस्था को समर्थन मिला है।
- सांस्कृतिक संबंध: वर्ष 1977 के सांस्कृतिक सहयोग समझौते ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सक्षम बनाया है, जबकि कोलंबो स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र भारतीय कलाओं को बढ़ावा देता है और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन करता है।
- इसके अतिरिक्त, वर्ष 1998 में स्थापित भारत-श्रीलंका फाउंडेशन वैज्ञानिक और सांस्कृतिक सहयोग को मज़बूत करता है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: वर्ष 2012 से भारत, भारत-श्रीलंका रक्षा वार्ता में शामिल रहा है, जिसका ध्यान सुरक्षा साझेदारी पर है। दोनों देश अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिये संयुक्त सैन्य (मित्र शक्ति) और नौसेना (SLINEX) अभ्यास करते हैं।
- भारत एक फ्री-फ्लोटिंग डॉक सुविधा, एक डोर्नियर टोही विमान और एक प्रशिक्षण टीम के माध्यम से सहायता प्रदान कर रहा है, जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा को मज़बूत करना है।
- बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) और सार्क जैसे क्षेत्रीय संगठनों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकायों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
भारत-श्रीलंका मत्स्यन विवाद के निहितार्थ क्या हैं?
- आजीविका संबंधी समस्याएँ: श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी से उनके परिवारों को संकट का सामना करना पड़ रहा है, जबकि समुद्री संघर्षों के कारण मछुआरों की मौत और गुमशुदगी की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे मछुआरा समुदायों के लिये जोखिम बढ़ गया है।
- प्रवर्तन से संबंधित चुनौतियाँ: अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) की गश्त करने की प्रवर्तन लागत बढ़ गई है, जिससे संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है।
- तस्करी की चिंताएँ: भारतीय तटरक्षक बल और श्रीलंकाई नौसेना के लिये वास्तविक मछुआरों और तस्करों के बीच अंतर करना कठिन हो रहा है, जिससे IMBL तस्करी के लिये असुरक्षित बन रहा है।
- राजनीतिक प्रभाव: पाक खाड़ी में श्रीलंकाई नौसेना की कार्रवाई को लेकर लगाए गए आरोपों ने भारत और श्रीलंका के बीच राजनयिक तनाव को बढ़ा दिया है।
- उदाहरण के लिये, राजनीतिक तनावों ने श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के प्रति भारत के समर्थन को प्रभावित किया है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: बॉटम ट्रॉलिंग मछलियों के प्रजनन को हानि पहुँचाती है, मत्स्य प्रभव को समाप्त करती है और समुद्र तल को क्षति पहुँचाती है, जिसकी पुनर्प्राप्ति में हजारों वर्ष लग सकते हैं।
- आर्थिक परिणाम: अधिक मछली पकड़ने से मत्स्य संसाधन और मछुआरों की आय में कमी आई है, जिससे श्रीलंका को भारतीय अवैध मत्स्यन के कारण प्रति वर्ष अनुमानित 730 मिलियन अमेरिकी डॉलर की हानि हो रही है।
मत्स्य ग्रहण की स्वतंत्रता पर अंतर्राष्ट्रीय विधान क्या हैं?
- यूनाइटेड नेशंस फिश स्टॉक एग्रीमेंट (UNFSA, 1995): इसके अंतर्गत राज्य या तो इस समझौते के सदस्य बन सकते हैं अथवा क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठनों (RFMOs) द्वारा स्थापित संरक्षण तथा प्रबंधन उपायों को स्वीकार कर सकते हैं, ताकि वे मत्स्य संसाधनों तक पहुँच प्राप्त कर सकें।
- RFMOs: ये अंतर्राष्ट्रीय संगठन हैं, जो विशिष्ट महासागरीय क्षेत्रों में मत्स्य भंडार के प्रबंधन तथा संरक्षण के लिये उत्तरदायी होते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र समुद्र विधि समझौता (UNCLOS, 1982): UNCLOS के अनुच्छेद 87 के अनुसार, हाई सीज़ में मत्स्यन की स्वतंत्रता सीमित की गयी है। यह उन राज्यों के जहाजों के लिये यह अवैध है, जो इसके नियमों का पालन नहीं करते।
- उदाहरण: हाई सीज़ की स्वतंत्रता का उपयोग करते समय अन्य राज्यों के हितों का उचित सम्मान किया जाना चाहिये।
मत्स्य ग्रहण संबंधी विवादों के समाधान हेतु भावी का मार्ग क्या होना चाहिये?
- संयुक्त समुद्री संसाधन प्रबंधन: मत्स्यन गतिविधियों को विनियमित करने और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों के अतिदोहन को रोकने के लिये एक क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की जानी चाहिये।
- मछुआरों के मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने के लिये वर्ष 2016 में सचिवालय स्तर पर स्थापित मात्स्यिकी पर भारत-श्रीलंका संयुक्त कार्य समूह (JWG) को पुन: प्रभावी बनाना चाहिये।
- गहन समुद्र में मत्स्यन और वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देना
- भारत सरकार को तमिलनाडु के मछुआरों को गहन समुद्री मात्स्यिकी की ओर प्रेरित करने के प्रयासों में तेज़ी लानी चाहिये।
- प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत पाक खाड़ी गहन समुद्री मत्स्यन योजना का उद्देश्य तमिलनाडु में पारंपरिक मछुआरों, विशेष रूप से पाक खाड़ी क्षेत्र के मछुआरों को गहरे समुद्र में मत्स्यन हेतु जहाज़ उपलब्ध कराकर और समुद्री शैवाल उत्पादन तथा समुद्र में जीव-पालन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देकर सहायता करना है, ताकि मत्स्यन के दबाव और सीमा पार मत्स्यन संबंधी विवादों को कम किया जा सके।
- विनियमनों को लागू करना और बॉटम ट्रॉलिंग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना
- बॉटम ट्रॉलिंग पर अंकुश लगाने के लिये तमिलनाडु समुद्री मत्स्यन विनियमन अधिनियम, 1983 का सख्ती से प्रवर्तन आवश्यक है।
- भारत को मत्स्यन के धारणीय तरीकों के लिये प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता प्रदान करके धीरे-धीरे इस प्रथा को समाप्त करना चाहिये।
- बदले में, श्रीलंका को संयुक्त रूप से मत्स्यन गतिविधियों के लिये स्पष्ट दिशानिर्देश और निर्दिष्ट क्षेत्र स्थापित करने चाहिये।
- क्षेत्रीय सहयोग और प्रौद्योगिकी साझाकरण को बढ़ावा देना
- दोनों देशों को समुद्री संरक्षण पहल, वैज्ञानिक अनुसंधान और सतत् मत्स्यन में तकनीकी प्रगति पर सहयोग करना चाहिये।
- विचार करने योग्य एक मॉडल ऑस्ट्रेलिया-इंडोनेशिया संयुक्त गश्ती कार्यक्रम है, जो अवैध मत्स्याग्रह को रोकने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग वास्तविक समय निगरानी और सीमा-पार सहयोग हेतु करता है।
- मानवीय विचार और कानूनी ढाँचा
- मछुआरों के मानवीय व्यवहार हेतु एक रूपरेखा स्थापित की जानी चाहिये, जिससे उनके शीघ्र प्रत्यावर्तन (repatriation) और कानूनी सहायता की व्यवस्था सुनिश्चित हो।
- दोनों देशों को समुद्री विवादों के लिये संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) की रूपरेखा के समान एक विवाद समाधान तंत्र अपनाना चाहिये, जो संरचित और निष्पक्ष मध्यस्थता प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद का समाधान केवल आर्थिक या पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं है, बल्कि बदलते हिंद-प्रशांत परिदृश्य में दोनों देशों के लिये एक कूटनीतिक अनिवार्यता भी है। अपनी साझा समुद्री हितों का लाभ उठाकर, दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत कर सकते हैं, क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ा सकते हैं और हिंद-प्रशांत में शांति, सुरक्षा एवं सहयोग जैसे व्यापक लक्ष्यों में योगदान दे सकते हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत-श्रीलंका मत्स्य विवाद से जुड़े प्रमुख मुद्दों की जाँच कीजिये तथा सतत् और समान समाधान प्राप्त करने के लिये उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) Q. कभी-कभी समाचारों में आने वाले एलिफेंट पास का उल्लेख निम्नलिखित में से किस संदर्भ में किया जाता है? (2009) (a) बाँग्लादेश उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. 'भारत श्रीलंका का बरसों पुराना मित्र है।' पूर्ववर्ती कथन के आलोक में श्रीलंका के वर्तमान संकट में भारत की भूमिका की विवेचना कीजिये। (2022) प्रश्न. भारत-श्रीलंका के संबंधों के संदर्भ में विवेचना कीजिये कि किस प्रकार आतंरिक (देशीय) कारक विदेश नीति को प्रभावित करते हैं। (2013) |