अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता
- 31 Dec 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता, सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र' (MFN) का दर्जा, दोहरा कराधान, क्वाड, द्विपक्षीय निवेश संधि मेन्स के लिये:भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंध एवं आर्थिक सहयोग, भारत की व्यापार नीति और अंतर्राष्ट्रीय समझौते |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते (Ind-Aus ECTA) के दो वर्ष पूरे हो गए हैं, यह वर्ष द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि के वर्ष रहे हैं।
- दोनों देश इस सफलता को सुदृढ़ सहयोग और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं, जिसमें वर्ष 2030 तक व्यापार को 100 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक पहुँचाना भी शामिल है।
Ind-Aus ECTA क्या है?
- परिचय: भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक ऐतिहासिक व्यापार समझौता है, जिस पर अप्रैल 2022 में हस्ताक्षर किये गए तथा नवंबर 2022 में दोनों देशों द्वारा इसकी पुष्टि की गई।
- इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच टैरिफ में कमी, सेवाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने तथा निवेश प्रवाह को बढ़ाकर गहन आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाना है।
- भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA की मुख्य विशेषताएँ:
- टैरिफ में कटौती: इस समझौते से ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों को भारत में 85% से अधिक वस्तुओं पर टैरिफ-मुक्त निर्यात की अनुमति मिली तथा जनवरी 2026 तक यह आँकड़ा बढ़कर 90% हो जाएगा।
- इसके विपरीत यहाँ भारत से होने वाला 96% आयात अब टैरिफ-मुक्त है तथा वर्ष 2026 तक यह आँकड़ा बढ़कर 100% हो जाएगा।
- इस टैरिफ उदारीकरण से दोनों देशों को लाभ मिलने का अनुमान है क्योंकि इससे सस्ता कच्चा माल उपलब्ध होने एवं वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलने के साथ उपभोक्ताओं के लिये वस्तुओं की कीमते कम हो सकेंगी।
- प्रमुख बाज़ारों तक पहुँच: ECTA से ऑस्ट्रेलिया के तेज़ी से बढ़ते बाज़ार में भारत की अधिमान्य बाज़ार पहुँच सुनिश्चित होगी।
- ऑस्ट्रेलिया के लिये यह समझौता भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों में अवसर प्रदान करता है जिनमें रत्न एवं आभूषण, वस्त्र, चमड़ा, फर्नीचर, खाद्य तथा कृषि शामिल हैं।
- सेवाएँ: इस समझौते के तहत सेवाओं के 135 उप-क्षेत्रों से संबंधित प्रतिबद्धताएँ शामिल हैं जिससे व्यावसायिक सेवाएँ, संचार, निर्माण तथा इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों को लाभ होगा।
- भारत के योगदान में 103 उप-क्षेत्रों में आस्ट्रेलिया के लिये बाज़ार पहुँच तथा 31 उप-क्षेत्रों में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) का दर्जा शामिल है।
- फार्मास्युटिकल और IT लाभ: इस समझौते से दवाओं की स्वीकृति में तेजी आएगी और IT क्षेत्र में दोहरे कराधान की समाप्ति होगी, जिससे भारत की IT कंपनियों को प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त मिलेगी और लाखों की बचत होगी।
- रोज़गार सृजन और कौशल विनिमय: ECTA से भारत में 1 मिलियन रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है, जिसमें भारतीय योग शिक्षकों, रसोइयों और अध्ययन के बाद कार्य वीज़ा के माध्यम से 100,000 छात्रों को लाभ मिलेगा। इससे दोनों देशों में कौशल विनिमय और रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा मिलता है।
- भू-राजनीतिक महत्त्व: ECTA भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को मज़बूत करता है, क्वाड, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉसपेरिटी (IPEF) और सप्लाई चेन रेज़ीलियेंस इनिशिएटिव (SCRI) जैसे रणनीतिक समूहों में सहयोग को गहरा करता है, आर्थिक और भू-राजनीतिक हितों को संरेखित करता है।
- टैरिफ में कटौती: इस समझौते से ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों को भारत में 85% से अधिक वस्तुओं पर टैरिफ-मुक्त निर्यात की अनुमति मिली तथा जनवरी 2026 तक यह आँकड़ा बढ़कर 90% हो जाएगा।
भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA के अंतर्गत द्विपक्षीय व्यापार किस प्रकार विकसित हुआ है?
- व्यापार में वृद्धि: समझौते के लागू होने के बाद से द्विपक्षीय व्यापार दोगुने से भी अधिक हो गया है। वर्ष 2020-21 में 12.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 26 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
- व्यापार की गति मज़बूत बनी हुई है तथा ऑस्ट्रेलिया को भारत का निर्यात 14% बढ़ रहा है।
- वर्ष 2024 के पहले आठ महीनों में कुल द्विपक्षीय व्यापार 16.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो एक मज़बूत व्यापार साझेदारी को दर्शाता है।
- निर्यात और आयात उपयोगिता: दोनों देशों के बीच तरजीही आयात डेटा विनिमय वर्ष 2023 में शुरू हुआ, जो प्रभावी कार्यान्वयन को दर्शाता है।
- निर्यात उपयोगिता 79% है, जबकि आयात उपयोगिता थोड़ा अधिक 84% है।
- क्षेत्रीय विकास: वस्त्र, रसायन और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों को इस समझौते से काफी लाभ हुआ है।
- निर्यात में विविधता आई है, तथा हीरे-जड़ित स्वर्ण और टर्बोजेट जैसे नए उत्पादों को प्रमुखता मिल रही है।
- कच्चा माल: भारत द्वारा धातु अयस्कों, कपास और लकड़ी जैसे कच्चे माल के आयात ने इसके उद्योगों को बढ़ावा दिया है, जो व्यापार साझेदारी की पूरक प्रकृति को उज़ागर करता है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक संबंधों के भविष्य का विजन क्या है?
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA): ECTA की सफलता के आधार पर, भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA) अब प्रगति पर है।
- 10 औपचारिक दौरों और कई अंतर-सत्रीय चर्चाओं के साथ, CECA का लक्ष्य व्यापार संबंधों को और भी आगे बढ़ाना है।
- व्यापार लक्ष्य: दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक व्यापार को 100 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को गहरा करने और आपसी समृद्धि को बढ़ावा देने के लिये साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- वैश्विक आर्थिक प्रभाव: गहन आर्थिक एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत और ऑस्ट्रेलिया अपनी साझेदारी को मज़बूत बनाने तथा अधिक लचीली, गतिशील वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिये तत्पर हैं।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अन्य व्यापार समझौते
- दोहरा कराधान परिहार समझौता (डीटीएए): दोनों देशों में अर्जित आय पर दोहरे कराधान को रोकने, कर बोझ को कम करने और सुचारू व्यापार संचालन की सुविधा प्रदान करने के लिये 1991 में लागू किया गया।
- द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT): वर्ष 1994 की द्विपक्षीय निवेश संधि को भारत द्वारा वर्ष 2017 में समाप्त कर दिया गया था। दोनों देश द्विपक्षीय निवेशों की सुरक्षा और बढ़ावा देने के लिये एक नई निवेश संधि की खोज कर रहे हैं।
- क्षेत्र-विशिष्ट समझौते: शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में कई समझौता ज्ञापन मौजूद हैं, जो सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे।
भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार में चुनौतियाँ क्या हैं?
- निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता: अन्य बाज़ारों के साथ एक दूसरे के पूरक व्यापारिक प्रोफाइल के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया की तुलना में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता अभी भी कम है।
- अन्य बाज़ारों पर ध्यान: भारत सऊदी अरब, कुवैत और श्रीलंका जैसे बाज़ारों में बेहतर प्रदर्शन करता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया जैसे दूर स्थित पूर्वी बाज़ारों में इसका प्रदर्शन निराशाजनक है।
- गैर-टैरिफ बाधाएँ (NTB)- ऑस्ट्रेलिया में भारत के समक्ष आने वाली NTB में से 32% सैनिटरी और फाइटो-सैनिटरी (SPS) उपायों से उत्पन्न होती हैं, जो विशेष रूप से कृषि उपज को प्रभावित करती हैं।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) का SPS समझौता यह गारंटी देता है कि खाद्य पदार्थों में हानिकारक पदार्थ या रोगाणु नहीं होंगे, तथा WTO सदस्यों के बीच किये गए उत्पाद के व्यापार से कीट और बीमारियाँ नहीं फैलेगी।
- व्यापक FTA का अभाव: वर्तमान समझौते सरकारी खरीद, डिजिटल व्यापार और उत्पत्ति के नियमों जैसे मुद्दों को पूरी तरह से संबोधित नहीं करते हैं, जिससे व्यापार ढाँचे में अंतराल बना रहता है।
- ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2025 में होने वाले आगामी संघीय चुनावों ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर प्रगति को धीमा कर दिया है, जिससे व्यापार चुनौतियों के समाधान में देरी हो रही है।
आगे की राह:
- साझेदारी का लाभ उठाना: व्यापार लचीलापन बढ़ाने के लिये क्वाड जैसे रणनीतिक ढाँचों के माध्यम से सहयोग को गहरा करना। एकल-स्रोत बाज़ारों पर निर्भरता कम करने के लिये आपूर्ति शृंखला विविधीकरण पर समन्वय स्थापित करना।
- CECA को अंतिम रूप देना: अधिक मज़बूत और समावेशी व्यापार ढाँचे के लिये सरकारी खरीद, डिजिटल व्यापार, उत्पत्ति के नियमों और बौद्धिक संपदा में अंतराल को दूर करने के लिये CECA वार्ता में तेज़ी लाना।
- निवेश को प्रोत्साहित करना: निवेश की सुरक्षा और नवाचार को बढ़ावा देने के लिये एक नई द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) को अंतिम रूप प्रदान करना।
- पारस्परिक मान्यता समझौतों के माध्यम से SPS उपायों पर ध्यान देकर गैर-टैरिफ बाधाओं (NTB) से निपटना और निर्यात के लिये अनुपालन को सरल बनाना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को बढ़ाने में भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता की भूमिका का आकलन कीजिये। यह समझौता भारत की रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं के साथ किस प्रकार संरेखित है? चर्चा कीजिये |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये:(2018)
उपर्युक्त में से कौन आसियान (ASEAN) के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में शामिल हैं? (A) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: C व्याख्या:
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