एडिटोरियल (14 Feb, 2025)



भारत-फ्राँस संबंधों का सुदृढ़ीकरण

यह एडिटोरियल 14/02/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “​Shared understanding: On India-France ties” पर आधारित है। इस लेख में भारत-फ्राँस के बीच मज़बूत होती साझेदारी का का उल्लेख किया गया है जो रक्षा, परमाणु ऊर्जा और AI में प्रमुख समझौतों पर प्रकाश डालता है क्योंकि दोनों देश अमेरिका एवं चीन के साथ संबंधों को संतुलित करते हुए सामरिक स्वायत्तता का अनुकरण कर रहे हैं।

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-फ्राँस भागीदारी, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR), राफेल जेट, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), वरुणा, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (GDPR) 

मुख्य परीक्षा के लिये:

भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र, भारत और फ्राँस के बीच टकराव के प्रमुख क्षेत्र। 

भारत-फ्राँस के बीच बढ़ती साझेदारी, जो उनके लगातार उच्च-स्तरीय समन्वय द्वारा चिह्नित है, अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य में स्वायत्त राह की तलाश करने वाली दो शक्तियों के बीच सामरिक संरेखण को दर्शाती है। पेरिस और मार्सिले में हाल की बैठकों के दौरान, दोनों देशों ने रक्षा, परमाणु ऊर्जा और तकनीकी सहयोग, विशेष रूप से AI में महत्त्वपूर्ण समझौतों को आगे बढ़ाया। जैसे-जैसे बदलती भू-आर्थिक नीतियाँ अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को नया आयाम देर ही हैं, दोनों देश सामरिक रूप से स्वयं को स्वतंत्र शक्तियों के रूप में स्थापित कर रहे हैं, जबकि अमेरिका और चीन दोनों के साथ रचनात्मक जुड़ाव बनाए रख रहे हैं। 

भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं? 

  • असैन्य परमाणु सहयोग: भारत और फ्राँस ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने एवं जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये परमाणु ऊर्जा सहयोग को मज़बूत कर रहे हैं। 
    • अब ध्यान 9,900 मेगावाट जैतापुर परियोजना जैसे बड़े परमाणु संयंत्रों से हटकर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) पर केंद्रित हो गया है, जो लागत-प्रभावशीलता और तीव्र स्थापना प्रदान करते हैं। 
    • परमाणु प्रौद्योगिकी में फ्राँस की विशेषज्ञता उसे वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने की भारत की योजना में एक प्रमुख साझेदार बनाती है।
      • सत्र 2024-25 के बजट में घोषित 20,000 करोड़ रुपए का परमाणु ऊर्जा मिशन SMR में अनुसंधान का समर्थन करता है।
  • रक्षा एवं सामरिक साझेदारी: संयुक्त सैन्य परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी अंतरण और समुद्री सहयोग के माध्यम से भारत-फ्राँस रक्षा संबंध मज़बूत हुए हैं। 
    • फ्राँस एक प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्त्ता है, जो राफेल जेट, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक सहयोग के माध्यम से भारत के सैन्य आधुनिकीकरण का समर्थन कर रहा है। 
    • फ्राँस और संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता के रूप में उभर रहे हैं, जिनकी संयुक्त हिस्सेदारी भारत के आयुध आयात में 46% है।
    • इसके अलावा, दिसंबर 2024 में पेरिस में FRIND-X (फ्राँस-भारत रक्षा स्टार्टअप उत्कृष्टता) के शुभारंभ के लिये दोनों राष्ट्रों ने अपना समर्थन व्यक्त किया।
  • अंतरिक्ष और एयरोस्पेस सहयोग: फ्राँस भारत की अंतरिक्ष महत्त्वाकांक्षाओं, विशेष रूप से उपग्रह प्रौद्योगिकी, प्रक्षेपण वाहनों और जलवायु निगरानी में एक दीर्घकालिक साझेदार रहा है। 
    • सहयोग में तृष्णा (उच्च-रिज़ॉल्यूशन प्राकृतिक संसाधन आकलन के लिये थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट) जैसे संयुक्त उपग्रह मिशन और अंतरिक्ष सुरक्षा पर संयुक्त अनुसंधान शामिल हैं। 
    • भारत के अंतरिक्ष स्टार्टअप भी AI-आधारित उपग्रह अनुप्रयोगों में फ्राँस की विशेषज्ञता से लाभान्वित हो रहे हैं।
    • वर्ष 2021 में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और फ्राँसीसी अंतरिक्ष एजेंसी CNES ने बैंगलोर में मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) में एक नए अंतरिक्ष सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्रौद्योगिकी नवाचार: भारत और फ्राँस नैतिक AI विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए आर्थिक और रणनीतिक विकास के लिये AI का लाभ उठा रहे हैं। 
    • हाल ही में, भारतीय प्रधानमंत्री और फ्राँसीसी राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर भारत-फ्राँस रोडमैप का अनावरण किया, जो सुरक्षित, खुले, संरक्षित एवं भरोसेमंद AI विकसित करने के लिये उनके साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है। 
      • उन्होंने फ्राँसीसी स्टार्टअप इनक्यूबेटर स्टेशन F में भारतीय स्टार्टअप की भागीदारी का स्वागत किया और फ्राँस में भारत की वास्तविक काल भुगतान प्रणाली, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के उपयोग के लिये विस्तारित अवसरों को स्वीकार किया।
  • हिंद-प्रशांत सुरक्षा और समुद्री सहयोग: फ्राँस, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने क्षेत्रों के साथ, भारत के स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है।
    • दोनों देश संयुक्त नौसैनिक अभ्यास (वरुण) करते हैं तथा तीसरे देशों में जलवायु अनुकूलन और कनेक्टिविटी के लिये संयुक्त परियोजनाएँ विकसित कर रहे हैं। 
    • भारत-फ्राँस हिंद-प्रशांत त्रिकोणीय सहयोग का उद्देश्य संधारणीय परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
  • आर्थिक और व्यापारिक संबंध: फ्राँस भारत के सबसे बड़े यूरोपीय निवेशकों में से एक है, जो विनिर्माण, स्वच्छ ऊर्जा और वित्तीय सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। 
    • भारत-फ्राँस व्यापार बढ़ रहा है, विशेष रूप से उच्च तकनीक क्षेत्रों और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में। 
    • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) जिसके लिये फ्राँस ने मार्सिले को केंद्र के रूप में प्रस्तावित किया है, संपर्क और व्यापार को बढ़ावा देगा।
    • भारत और फ्राँस के बीच व्यापार संबंधों में लगातार वृद्धि देखी गई है, सत्र 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 13.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियाँ: दोनों देश जलवायु कार्रवाई, अक्षय ऊर्जा और डीकार्बोनाइज़ेशन पर मिलकर काम कर रहे हैं। 
    • फ्राँस भारत की सौर और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का समर्थन करता है, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के तहत। 
    • ऊर्जा भंडारण समाधान और ग्रिड आधुनिकीकरण पर संयुक्त अनुसंधान कुशल नवीकरणीय एकीकरण सुनिश्चित करता है।
    • फ्राँस तकनीकी विशेषज्ञता के साथ भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन में भी सहायता कर रहा है।
  • शिक्षा और सांस्कृतिक समन्वय: फ्राँस भारतीय छात्रों के लिये एक शीर्ष यूरोपीय गंतव्य है, जहाँ शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 7,344 भारतीय छात्र दाखिल हुए। 
    • युवा पेशेवर योजना (YPS) भारत-फ्राँस प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौते (MMPA) का उद्देश्य गतिशीलता को बढ़ाना है, जबकि संयुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों से लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करते हैं। 

भारत और फ्राँस के बीच टकराव के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं? 

  • रक्षा खरीद और प्रौद्योगिकी अंतरण में विलंब: फ्राँस के साथ भारत के रक्षा सौदों को प्रायः प्रशासनिक विलंब, लागत वृद्धि और नीतिगत बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
    • राफेल जेट, स्कॉर्पीन पनडुब्बी और जेट इंजन सहयोग जैसी परियोजनाएँ अनुबंध वार्ता, नीतिगत परिवर्तन एवं स्थानीयकरण की मांग के कारण धीमी हो गई हैं। 
      • प्रोजेक्ट 75(I) के तहत स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना को वर्ष 2017 से विलंब का सामना करना पड़ रहा है। 
  • असैन्य परमाणु ऊर्जा बाधाएँ: मज़बूत परमाणु सहयोग के बावजूद, जैतापुर परमाणु संयंत्र (9,900 मेगावाट) जैसी परियोजनाओं को उच्च लागत, स्थानीय विरोध और कानूनी अस्पष्टताओं से संबंधित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। 
    • परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्त्व अधिनियम, 2010, आपूर्तिकर्त्ताओं पर वित्तीय दायित्व डालता है जिससे फ्राँसीसी परमाणु कंपनियाँ गहन सहयोग करने से हतोत्साहित होती हैं।
    • वर्ष 2023 में, फ्राँस ने कहा कि जैतापुर परियोजना के लिये परमाणु दायित्व का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है।
  • व्यापार असंतुलन और बाज़ार अभिगम संबंधी मुद्दे: यद्यपि भारत और फ्राँस के बीच व्यापार बढ़ रहा है, लेकिन उच्च टैरिफ, नियामक बाधाएँ और स्थानीयकरण आवश्यकताएँ जैसी बाधाएँ टकराव उत्पन्न करती हैं। 
    • फ्राँस अपने फार्मास्यूटिकल, लक्ज़री गुड्स और रक्षा उद्योगों के लिये अधिक अभिगम चाहता है, जबकि भारत फ्राँसीसी बाज़ार में IT, कृषि और जेनेरिक दवाओं के लिये सुगम प्रवेश की मांग करता है।
  • वैश्विक AI और डेटा विनियमन पर असहमति: यद्यपि भारत और फ्राँस AI विकास पर सहयोग करते हैं, फिर भी डेटा गोपनीयता और डिजिटल विनियमन पर मतभेद बने हुए हैं। 
    • फ्राँस यूरोपीय संघ के सख्त सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (GDPR) मॉडल का समर्थन करता है, जबकि भारत अपने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत एक समुत्थानशील, नवाचार-अनुकूल दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है। 
    • ओपन-सोर्स AI, साइबर सुरक्षा मानदंडों और डिजिटल इंटिग्रिटी पर असहमति गहन AI सहयोग को सीमित कर सकती है।
  • हिंद-प्रशांत और सामरिक स्वायत्तता में मतभेद: यद्यपि दोनों देश एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करते हैं, फिर भी सैन्य संतुलन और सामरिक स्वतंत्रता में उनके दृष्टिकोण भिन्न हैं। 
    • NATO सदस्य फ्राँस प्रायः पश्चिमी नीतियों के समर्थन में रहता है, जबकि भारत बहुध्रुवीय, गुटनिरपेक्ष रणनीति का अनुसरण करता है। 
      • रूस के साथ भारत के बढ़ते संबंध (ऊर्जा और रक्षा के लिये) कभी-कभी फ्राँस के साथ तनाव उत्पन्न करते हैं, जिसने रूस के यूक्रेन आक्रमण का कड़ा विरोध किया है।
    • भारत ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर NATO के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों में शामिल होने से इनकार कर दिया था, जबकि फ्राँस यूक्रेन का प्रमुख सैन्य समर्थक रहा है। 
  • आव्रजन और आवागमन प्रतिबंध: बढ़ते शैक्षिक और व्यावसायिक संबंधों के बावजूद, वीज़ा प्रतिबंध, वर्क परमिट लिमिट्स और भारतीय योग्यताओं की मान्यता फ्राँस में भारतीय छात्रों एवं पेशेवरों के लिये चुनौतियाँ बनी हुई हैं। 
    • भारत अपने कुशल कार्यबल के लिये आसान निवास और कार्य के अवसर चाहता है, लेकिन फ्राँस यूरोपीय संघ-व्यापी आव्रजन नीतियों को प्राथमिकता देता है, जिससे लचीलापन सीमित हो जाता है।
    • युवा पेशेवर योजना (YPS) को आवागमन को आसान बनाने के लिये शुरू किया गया है, लेकिन फ्राँस शेंगेन वीज़ नीतियों को सख्त बनाने पर विचार कर रहा है। 

फ्राँस के साथ संबंधों को और मज़बूत करने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है? 

  • तीव्र रक्षा सह-विकास और प्रौद्योगिकी साझाकरण: भारत को क्रेता-विक्रेता संबंध से हटकर उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास और उत्पादन की ओर बढ़ना चाहिये।
    • फ्राँस के साथ भारत के रक्षा औद्योगिक रोडमैप के तहत जेट इंजन, नौसैनिक प्रणोदन और मिसाइल प्रणालियों के लिये समर्पित अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने से स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिल सकता है।
    • नौसेना के लिये प्रोजेक्ट 75 (I) सबमरीन्स और राफेल-M पर वार्ता में तेज़ी लाने से समुद्री सुरक्षा सहयोग मज़बूत होगा।
    • परमाणु सहयोग में तेज़ी लाने के लिये, भारत को परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को संशोधित करना चाहिये, ताकि विदेशी निवेश को बाधित किये बिना संतुलित आपूर्तिकर्त्ता दायित्व सुनिश्चित हो सके। 
      • जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये त्वरित मंजूरी और बिजली खरीद समझौतों (PPA) पर स्पष्टता से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
  • AI और डिजिटल इंटिग्रिटी सहयोग को मज़बूत करना: भारत को अपने AI नियमों को फ्राँस के AI नैतिकता कार्यढाँचे के साथ संतुलित करना चाहिये, जिससे डेटा इंटिग्रिटी, साइबर रेज़िलिएंस और सुरक्षित AI गवर्नेंस सुनिश्चित हो सके। 
    • विश्वसनीय AI, साइबर सुरक्षा एवं सेमीकंडक्टर में भारतीय और फ्राँसीसी स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिये द्विपक्षीय AI इनोवेशन फंड बनाने से सहयोग में तेज़ी आएगी। 
    • संयुक्त AI अनुसंधान प्रयोगशालाओं और प्रतिभा विनिमय कार्यक्रमों को शामिल करने के लिये भारत-फ्राँस AI रोडमैप का विस्तार करने से एथिकल AI विकास में नेतृत्व को बढ़ावा मिल सकता है।
  • भारत-प्रशांत समुद्री सुरक्षा सहयोग का विस्तार: भारत और फ्राँस को वरुण जैसे संयुक्त अभ्यास से हटकर हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में गश्त के लिये स्थायी सागरीय कार्य बलों की स्थापना करनी चाहिये।
    • खुफिया जानकारी साझा करने, अंतर-संचालन और नौसैनिक रसद समझौतों को बढ़ाने से क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता प्रबल होगी। 
    • भारतीय भागीदारी के साथ रीयूनियन द्वीप समूह में समुद्री नवाचार और सुरक्षा केंद्र की स्थापना से भारत-प्रशांत रणनीतिक जुड़ाव प्रगाढ़ होगा।
  • हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा निवेश में तेज़ी लाना: भारत को इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण, हाइड्रोजन ईंधन सेल और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिये फ्राँस के साथ प्रौद्योगिकी अंतरण समझौतों को सुविधाजनक बनाना चाहिये। 
    • भारत के 19,700 करोड़ रुपए के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत फ्राँस के निवेश का दायरा बढ़ाने से औद्योगिक पैमाने पर तैनाती बढ़ेगी।
    • द्विपक्षीय हरित ऊर्जा कोष की स्थापना से अपतटीय पवन, सौर पी.वी. और कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकियों के निवेश में तेज़ी आ सकती है।
  • बुनियादी अवसंरचना और कनेक्टिविटी सहयोग को गहन करना: भारत को मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स, स्मार्ट पोर्ट विकास और डिजिटल व्यापार सुविधा में फ्राँस को शामिल करके भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) का तेज़ी से कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिये। 
  • सामरिक स्वायत्तता के लिये अंतरिक्ष सहयोग बढ़ाना: भारत और फ्राँस को सामरिक समुत्थानशक्ति के लिये दोहरे उपयोग वाली अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों, उपग्रह आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों एवं सुरक्षित संचार नेटवर्क का सह-विकास करना चाहिये।
    • अंतरिक्ष सहयोग रोडमैप- 2047 के तहत सहयोग का विस्तार किया जाना चाहिये।
    • अंतरिक्ष शस्त्रीकरण और उपग्रह नेटवर्कों के लिये साइबर खतरों का मुकाबला करने के लिये द्विपक्षीय अंतरिक्ष सुरक्षा मंच की स्थापना से दीर्घकालिक सहयोग सुनिश्चित हो सकता है।
    • अर्थ ऑब्ज़र्वेशन, अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता (SSA) और चंद्र अन्वेषण में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास को सुदृढ़ करने से भारत-फ्राँस अंतरिक्ष सहयोग भी बढ़ेगा।
  • व्यापार और निवेश सुविधा को मज़बूत करना: भारत को फ्राँस के साथ व्यापार विषमताओं को संतुलित करने के लिये फार्मास्यूटिकल्स, कृषि व्यवसाय और उच्च-स्तरीय विनिर्माण में क्षेत्र-विशिष्ट बाज़ार अभिगम समझौतों पर बल देना चाहिये।
    • फ्राँस स्थित उद्यम पूंजी फर्मों को भारत के डीप-टेक, सेमीकंडक्टर और AI स्टार्टअप्स में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करने से आर्थिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलेगा।
      • बेंगलुरु, पुणे एवं पेरिस में AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और सेमीकंडक्टर निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए संयुक्त नवाचार क्लस्टर बनाने से तकनीकी तालमेल को बढ़ावा मिलेगा। 
  • शैक्षिक और गतिशीलता समझौतों का विस्तार: भारत को फ्राँस के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ दोहरे डिग्री कार्यक्रमों का विस्तार करना चाहिये, जिससे भारतीय छात्रों के लिये क्रेडिट अंतरण और सरलीकृत वीज़ा प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
    • AI, नवीकरणीय ऊर्जा और जैव प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान अनुदान के लिये वित्त पोषण बढ़ाने से शैक्षणिक संबंध बढ़ेंगे। 
    • युवा पेशेवर योजना (YPS) को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, रक्षा और नीति क्षेत्रों के मध्य-कॅरियर पेशेवरों तक विस्तारित करने से लोगों के बीच आपसी जुड़ाव गहरा हो सकता है।

भारत-यूरोप संबंधों को बढ़ाने में फ्राँस क्या भूमिका निभा सकता है? 

  • भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता को जोड़ना: फ्राँस, एक प्रमुख यूरोपीय संघ सदस्य के रूप में, भारत और यूरोपीय संघ के बीच विनियामक और व्यापार मानक संरेखण में मध्यस्थता कर सकता है।
    • टैरिफ में कमी, बाज़ार अभिगम को आसान बनाने, तथा डिजिटल और पर्यावरण नीतियों में सामंजस्य स्थापित करने का समर्थन करके, फ्राँस FTA को अंतिम रूप देने में तेज़ी ला सकता है, जिससे अरबों डॉलर की व्यापार संभावनाएँ खुल सकती हैं।
  • IMEC के माध्यम से भारत-यूरोप संपर्क को मज़बूत करना: फ्राँस का रणनीतिक बंदरगाह मार्सिले भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) में एक प्रमुख केंद्र के रूप में काम कर सकता है। 
    • मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स, डिजिटल व्यापार सुविधा और आपूर्ति शृंखला विविधीकरण में निवेश करके, फ्राँस स्वयं को भारत एवं यूरोपीय संघ के बीच एक महत्त्वपूर्ण पारगमन बिंदु के रूप में स्थापित कर सकता है।
  • यूरोपीय रक्षा नेटवर्क के साथ भारत की गहन सहभागिता को सुगम बनाना: फ्राँस यूरोपीय रक्षा सहयोग में भारत के प्रवेश बिंदु के रूप में कार्य कर सकता है, विशेष रूप से OCCAR (संयुक्त आयुध सहयोग संगठन) के साथ। 
    • हाल ही में, भारत सरकार आधिकारिक तौर पर OCCAR द्वारा प्रबंधित MALE RPAS (यूरोड्रोन) कार्यक्रम में नवीनतम पर्यवेक्षक राज्य बन गई है।
  • यूरोप में जलवायु और ऊर्जा साझेदारी को मज़बूत करना: फ्राँस यूरोप में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा पहलों का समर्थन कर सकता है तथा भारत की सौर, पवन और हाइड्रोजन परियोजनाओं के लिये यूरोपीय संघ आधारित अधिक वित्तपोषण को प्रोत्साहित कर सकता है। 
  • भारत-यूरोप डिजिटल और AI सहयोग का विस्तार: फ्राँस भारत की डेटा गवर्नेंस और AI नीतियों को यूरोपीय संघ के मानकों के अनुरूप बनाने में मदद कर सकता है, जिससे सुचारू तकनीकी सहयोग सुनिश्चित हो सके। 
    • भारत के AI नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को यूरोपीय AI केंद्रों के साथ एकीकृत करके, साइबर सुरक्षा प्रयासों में समन्वय करके और भारत-यूरोपीय संघ क्वांटम कंप्यूटिंग अनुसंधान को बढ़ावा देकर, फ्राँस एक संरचित डिजिटल साझेदारी को आगे बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष: 

भारत-फ्राँस साझेदारी एक व्यापक रणनीतिक गठबंधन के रूप में विकसित हो रही है, जो रक्षा, परमाणु ऊर्जा, AI और अंतरिक्ष में सहयोग पर आधारित है। चूँकि दोनों देश अनिश्चित वैश्विक व्यवस्था में आगे बढ़ रहे हैं, इसलिये वे बहुध्रुवीयता और तकनीकी संप्रभुता के लिये अपने साझा दृष्टिकोण का लाभ उठा रहे हैं। इंडो-पैसिफिक सुरक्षा, हरित ऊर्जा निवेश तथा AI गवर्नेंस को सुदृढ़ करना इस साझेदारी को और मज़बूत कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. बदलती वैश्विक भू-राजनीति के बीच, भारत और फ्राँस ने कई क्षेत्रों में अपनी सामरिक भागीदारी को और सुदृढ़ किया है। विश्लेषण कीजिये कि ऐतिहासिक संबंध, रक्षा सहयोग और सहयोग के उभरते क्षेत्र इस साझेदारी को किस प्रकार आकार देते हैं। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) को 2015 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रारम्भ किया गया था।
  2. इस गठबंधन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश सम्मिलित हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (a)


मेन्स 

प्रश्न 1. I2U2 (भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति को किस प्रकार रूपांतरित करेगा? (2022)