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एडिटोरियल

  • 03 Jun, 2024
  • 28 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत के पर्यटन क्षेत्र का पुनरुद्धार

यह एडिटोरियल 28/05/2024 को ‘बिजनेस लाइन’ में प्रकाशित “The skilling potential of tourism” लेख पर आधारित है। इसमें ‘हुनर से रोज़गार तक’ योजना की चर्चा की गई है, जहाँ पर्यटन क्षेत्र में इसकी भूमिका और रोज़गार के अवसरों पर इसके प्रभाव पर विचार किया गया है।

प्रिलिम्स के लिये :

पर्यटन क्षेत्र, पर्यटन मंत्रालय, स्वदेश दर्शन योजना, देखो अपना देश पहल, एक भारत श्रेष्ठ भारत इंडिया@75 आज़ादी का अमृत महोत्सव विदेशी पर्यटकों का आगमन, मुक्त व्यापार समझौता (FTA), विश्व आर्थिक मंच की यात्रा और पर्यटन विकास सकल घरेलू उत्पाद, विदेशी मुद्रा, "वसुधैव कुटुम्बकम, धर्मशाला घोषणा

मेन्स के लिये:

भारत में पर्यटन क्षेत्र और पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे।

वर्ष 2009 में पर्यटन मंत्रालय ने द्वारा ‘हुनर से रोज़गार तक’ (Skill to Employment) नामक योजना लागू की गई थी, जिसकी अधिक चर्चा नहीं होती है। यह पहल मुख्य रूप से विद्यालयी शिक्षा छोड़ देने वालों या ‘स्कूल ड्रॉपआउट’ को लक्षित करती है, जहाँ उन्हें रोज़गार या स्व-रोज़गार के लिये प्रशिक्षण प्रदान करती है और लगभग 30 करोड़ रुपए के वार्षिक बजट के साथ संचालित होती है।

हुनर से रोज़गार तक (HSRT) योजना का उद्देश्य बाज़ार-प्रासंगिक प्रशिक्षण प्रदान कर और शहरी गरीबों के बीच स्व-रोज़गार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देकर कुशल कार्यबल की मांग एवं आपूर्ति के बीच के अंतर को दूर करना है।

असंगठित क्षेत्र को आवश्यक कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से मुख्यधारा के रोज़गार में शामिल करने के प्रयासों के बावजूद युवाओं के रोज़गार में उल्लेखनीय अंतराल बना हुआ है। यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि भारत में पर्यटन क्षेत्र को सुदृढ़ करने से इस योजना की प्रभावशीलता बढ़ सकती है, जहाँ संभावित रूप से अधिक प्रतिभागियों को आकर्षित किया जा सकता है और इस महत्त्वपूर्ण उद्योग के भीतर रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा दिया जा सकता है।

पर्यटन क्षेत्र देश के सबसे तेज़ गति से विकास करते आर्थिक क्षेत्रों में से एक है। भारत की G20 अध्यक्षता और इंडिया@75 आज़ादी का अमृत महोत्सव के परिदृश्य में पर्यटन मंत्रालय द्वारा अंतर्देशीय यात्रा को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2023 को ‘भारत भ्रमण वर्ष’ (Visit India Year) घोषित किया गया था।

मार्क ट्वेन ने भारत के लिये कहा था कि “यह एक ऐसी भूमि है जिसे सभी लोग देखना चाहते हैं और जिसने इसकी एक झलक भर भी देखी हो, वह शेष विश्व के अन्य सभी दृश्यों के लिये भी इसे भूल नहीं सकता।”

भारत के पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और संभावनाएँ

  • वर्तमान स्थिति:
    • आर्थिक विकास:
      • विश्व आर्थिक मंच (WEF) के यात्रा एवं पर्यटन विकास सूचकांक 2024 में भारत की रैंकिंग बढ़कर 39 हो गई है और पर्यटन क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7% का योगदान देता है।
      • अप्रैल 2000-दिसंबर 2023 की अवधि में होटल एवं पर्यटन उद्योग में संचयी एफडीआई इक्विटी प्रवाह (Cumulative FDI equity inflow) 17.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त कुल एफडीआई प्रवाह का 2.57% था।
      • पर्यटन एवं आतिथ्य उद्योग के विकास पर इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) की रिपोर्ट के अनुसार, यात्रा और पर्यटन भारत में दो सबसे बड़े उद्योग हैं जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 178 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं।
    • रोज़गार सृजन:
      • यात्रा और पर्यटन ने 32.1 मिलियन रोज़गार अवसर सृजित किये, जो वर्ष 2021 में कुल रोज़गार का 6.9% था।
      • उदाहरण के लिये, आतिथ्य उद्योग (होटल, रेस्तरां और ट्रैवल एजेंसियों सहित) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोज़गार प्रदान करता है।
    • पर्यटकों का आगमन:
      • घरेलू पर्यटन इस उद्योग के लिये एक प्रेरक शक्ति रहा है, जहाँ वर्ष 2019 में 1.8 बिलियन से अधिक घरेलू पर्यटकों ने यात्रा की, जिसने अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
      • पर्यटन मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2023 में विदेशी पर्यटक आगमन (Foreign Tourist Arrivals- FTAs) की संख्या 1,070,163 दर्ज की गई।
      • जनवरी-दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान FTAs की संख्या 9,236,108 दर्ज की गई, जो जनवरी-दिसंबर 2022 में 6,437,467 रही थी।
    • प्रमुख गंतव्य:
      • लोकप्रिय गंतव्यों में आगरा का ताजमहल, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, गोवा के समुद्र तट, केरल के बैकवाटर और हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के हिल स्टेशन शामिल रहे।
  • संभावना/क्षमता:
    • अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन: देश की लंबी तटरेखा विभिन्न आकर्षक समुद्र तटों से संपन्न है। इसके साथ ही, वित्तीय वर्ष 2027 तक भारत में यात्रा बाज़ार के 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2028 तक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन की संख्या 30.5 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • रोज़गार के अवसर: वर्ष 2029 तक इस क्षेत्र में लगभग 53 मिलियन रोज़गार अवसर सृजित होने की उम्मीद है। उम्मीद की जाती है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में इस उद्योग का प्रत्यक्ष योगदान वर्ष 2019 और 2030 के बीच 7-9% की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज करेगा।
    • कारोबार वृद्धि: भारत में यात्रा बाज़ार वित्त वर्ष 2020 में अनुमानित 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2027 तक 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है।
      • भारतीय एयरलाइन यात्रा बाज़ार के लगभग 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान किया गया जो एयरपोर्ट अवसंरचना में सुधार और पासपोर्ट तक बढ़ती पहुँच के कारण वित्त वर्ष 2027 तक लगभग दोगुने आकार का हो सकता है।
      • भारतीय होटल बाज़ार (घरेलू, इनबाउंड और आउटबाउंड सहित) के वित्त वर्ष 2020 में 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर के होने का अनुमान किया गया, जिसके वित्त वर्ष 2027 तक 52 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जो यात्रियों की बढ़ती मांग और बाज़ार को बढ़ावा देने के लिये ट्रैवल एजेंटों के निरंतर प्रयासों से प्रेरित होगा।

नोट:

वर्ष 2012 में नेशनल जियोग्राफ़िक की ‘ट्रैवलर’ पत्रिका ने केरल को विश्व के दस स्वर्गों में से एक और जीवन में एक बार अवश्य देखे जाने वाले 50 गंतव्यों में से एक के रूप में चिह्नित किया था। ‘ट्रैवल एंड लीज़र’ ने भी केरल को 21वीं सदी के 100 बेहतरीन यात्रा गंतव्यों में से एक बताया था।

भारत में पर्यटन क्षेत्र का क्या महत्त्व है?

  • विदेशी मुद्रा:
    • पर्यटन क्षेत्र भारत के तीसरे सबसे बड़े मुद्रा अर्जक के रूप में भुगतान संतुलन (balance of payments) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • उदाहरण के लिये, आगरा में ताजमहल देखने के लिये अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों की आमद, जिससे बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा राजस्व उत्पन्न होता है।
  • गुणक प्रभाव:
    • पर्यटन का अन्य क्षेत्रों, जैसे खाद्य एवं खानपान, होटल एवं रेस्तरां, रियल एस्टेट और परिवहन पर भी सकारात्मक ‘स्पिलओवर इफ़ेक्ट’ पड़ता है।
    • उदाहरण के लिये, जयपुर जैसे शहर में पर्यटन में वृद्धि के कारण स्थानीय शिल्प, रियल एस्टेट विकास और परिवहन सेवाओं की मांग में वृद्धि हुई है।
  • समावेशी विकास:
    • पर्यटन उद्योग अपेक्षाकृत कमज़ोर अवसंरचना वाले नाजुक और दूरस्थ ग्रामीण, जनजातीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि को उत्प्रेरित करता है, जहाँ सांस्कृतिक विरासत स्थलों और पारिस्थितिक स्थलों का मूल्य उजागर होता है।
      • उदाहरण के लिये, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पारिस्थितिकी पर्यटन (eco-tourism) पहलों ने रोज़गार के अवसर पैदा किये हैं और इन क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा दिया है।
  • अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान:
    • यह नये विचारों को संवर्द्धित करता है, सहिष्णुता एवं विविधता की स्वीकृति को बढ़ावा देता है, इस प्रकार भारत में सामाजिक पूंजी के निर्माण में मदद करता है।
    • उदाहरण के लिये, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल और गोवा कार्निवल जैसे उत्सव पूरे भारत से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं तथा राष्ट्रीय एकता एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान की भावना को बढ़ावा देते हैं।
  • रणनीतिक कूटनीति उपकरण:
    • पर्यटन द्विपक्षीय संबंधों और लोगों के बीच परस्पर संपर्क को बढ़ाता है तथा स्थायी ‘निर्भरता बंधन’ (dependency bonds) का निर्माण करता है, जो शांति सुनिश्चित करता है।
    • उदाहरण के लिये, पर्यटन के माध्यम से जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने राजनयिक संबंधों और आपसी समझ को सुदृढ़ किया है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दे 

  • अपर्याप्त अवसंरचना:
    • कई पर्यटन स्थल पर्याप्त हवाई, रेल एवं सड़क संपर्क, विश्वसनीय इंटरनेट पहुँच और उचित आतिथ्य, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सुविधाओं जैसी आवश्यक अवसंरचना का अभाव रखते हैं।
    • उदाहरण के लिये, पूर्वोत्तर भारत के दूरदराज के क्षेत्र और कुछ ग्रामीण पर्यटन स्थल प्रायः कमज़ोर कनेक्टिविटी और बुनियादी सुविधाओं से संघर्षरत पाए जाते हैं।
  • शासन संबंधी चुनौतियाँ:
    • पर्यटकों के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देशों का अभाव, कमज़ोर तरीके से विनियमित स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मानक, अकुशल रूप से प्रबंधित पर्यटक सूचना केंद्र और बोझिल वीज़ा विनियमन जैसी कई शासन संबंधी चुनौतियाँ पाई जाती हैं।
    • ये सभी चुनौतियाँ दीर्घकाल में संभावित आगंतुकों को हतोत्साहित करती हैं।
  • करों की बहुलता:
    • पर्यटन उद्योग एक जटिल कर संरचना का सामना कर रहा है, जहाँ टूर ऑपरेटरों और ट्रांसपोर्टरों से लेकर एयरलाइन उद्योग और होटलों तक, संपूर्ण मूल्य शृंखला में कई तरह के कर लागू होते हैं।
    • यह जटिलता भारत में पर्यटन को एक महंगा प्रयास बना देती है। उदाहरण के लिये, होटल के कमरों और टूर सेवाओं पर उच्च वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरें पर्यटकों के लिये लागत में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती हैं।
  • अकुशल मानव संसाधन:
    • पर्यटन क्षेत्र में कुशल जनशक्ति की कमी पाई जाती है, जिसमें बहुभाषी क्षमता और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे प्रासंगिक कौशल का अभाव भी शामिल है।
    • उदाहरण के लिये, प्रशिक्षित बहुभाषी गाइडों की सीमित संख्या अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के अनुभव में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
  • पर्यटकों की सुरक्षा:
    • पर्यटकों के विरुद्ध चोरी एवं ठगी जैसे अपराधों सहित सुरक्षा संबंधी विभिन्न चिंताएँ विशेष रूप से महिला पर्यटकों को प्रभावित करती हैं।
    • उदाहरण के लिये, मार्च 2024 में झारखंड के दुमका ज़िले में एक विदेशी महिला पर्यटक के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई।

भारत में पर्यटन से संबंधित विभिन्न पहलें

  • पर्यटक स्थलों का आकर्षण बढ़ाना:
    • स्वदेश दर्शन योजना: सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक विरासत का लाभ उठाते हुए पूरे भारत में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के लिये स्वदेश दर्शन योजना शुरू की गई थी।
      • यह बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, मरुस्थल सर्किट और इको सर्किट जैसे विभिन्न सर्किटों में बेहतर अवसंरचना एवं पर्यटक अनुभव सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखता है।
    • प्रसाद योजना (PRASAD Scheme): यह तीर्थ स्थलों के विकास और सौंदर्यीकरण पर केंद्रित है।
    • हृदय (Heritage City Development and Augmentation Yojana- HRIDAY): इसका उद्देश्य विरासत शहरों को संरक्षित और पुनःजीवंत करना है।
    • पर्यटन पर्व: घरेलू पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी अभियान, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं गतिविधियाँ शामिल होंगी।
    • ‘देखो अपना देश’ पहल: देखो अपना देश पहल भारत के विविध भूदृश्यों और सांस्कृतिक विरासत के अन्वेषण को बढ़ावा देकर घरेलू पर्यटन को प्रोत्साहित करती है।
    • एक भारत श्रेष्ठ भारत: ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ राज्य युग्मों के माध्यम से सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देता है, आदान-प्रदान एवं सहयोग को प्रोत्साहित करता है और एकता एवं विविधता को बढ़ावा देता है; इस प्रकार, घरेलू पर्यटन और सांस्कृतिक सराहना (cultural appreciation) को बढ़ाता है।
  • राष्ट्रीय पर्यटन नीति, 2022: नवीन नीति का उद्देश्य देश में पर्यटन विकास के लिये ढाँचागत स्थितियों में सुधार करना, पर्यटन उद्योगों को समर्थन देना, पर्यटन को सुदृढ़ करना, सहायक कार्यों एवं पर्यटन उप-क्षेत्रों को विकसित करना और निम्नलिखित पाँच प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है:
  • डिजिटल पहल
    • ई-वीजा सुविधा: यह पहल वीजा आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाती है, जिससे पर्यटकों को ऑनलाइन आवेदन करने और इलेक्ट्रॉनिक वीजा प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। इससे सुविधा बढ़ती है और अंतर्राष्ट्रीय आगमन को बढ़ावा मिलता है।
    • वेब-आधारित ई-टिकटिंग: प्रमुख पर्यटक आकर्षण स्थलों और स्मारकों के लिये कार्यान्वित यह प्रणाली प्रतीक्षा समय को कम करती है तथा आगंतुक प्रबंधन में सुधार करती है।
    • आतिथ्य उद्योग का राष्ट्रीय एकीकृत डेटाबेस (National Integrated Database of Hospitality Industry- NIDHI): देश भर में आवास इकाइयों के एक व्यापक डेटाबेस के रूप में NIDHI का उद्देश्य आतिथ्य क्षेत्र के बारे में सटीक एवं अद्यतन जानकारी प्रदान करना है।
    • स्वच्छ पर्यटन मोबाइल ऐप: पर्यटन स्थलों पर स्वच्छता संबंधी मुद्दों के समाधान के लिये शुरू किया गया यह ऐप पर्यटकों को गंदगी वाले क्षेत्रों की सूचना देने की सुविधा देता है, जिससे अधिकारियों द्वारा समय पर कार्रवाई सुनिश्चित होती है।

‘हुनर से रोज़गार तक’ योजना

  • परिचय:
    • युवाओं में रोज़गारपरक कौशल सृजन के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009-10 में हुनर से रोज़गार​ तक योजना शुरू की गई थी ।
    • यह पहल पूर्णरूपेण पर्यटन मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित है।
  • उद्देश्य:
    • इसका प्राथमिक लक्ष्य 18-28 वर्ष की आयु के अशिक्षित, अर्द्ध-शिक्षित और शिक्षित बेरोज़गार युवाओं को उनके कौशल एवं रोज़गार योग्यता में सुधार के लिये अल्पकालिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है।
  • लक्षित समूह:
    • यह योजना स्कूल छोड़ चुके युवाओं, बेरोज़गार युवाओं, किशोरियों, गृहणियों और हाशिए पर स्थित अन्य समूहों पर केंद्रित है।
  • योजना की सबलता:
    • योजना के आकर्षक मूल सिद्धांत: इसके मूल सिद्धांत कम शिक्षित युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं रोज़गार के अवसर प्रदान करने पर केंद्रित हैं, आम लोगों की भावनाओं एवं इच्छाओं से संगत हैं और व्यापक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों के साथ संरेखित हैं।
      • ये सिद्धांत बेरोज़गारी की समस्या से निपटने और कौशल की वृद्धि करने के प्रति योजना की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं, जिससे यह प्रतिभागियों और समर्थकों दोनों के लिये एक वांछनीय पहल बन जाती है।
  • योजना की दुर्बलता:
    • नौकरशाही विलंब: सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं की ओर से टालमटोल या कार्यान्वयन की देरी से प्रगति में बाधा आती है।
      • हितधारकों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
    • जागरूकता का अभाव: सूचना, शिक्षा एवं संचार (IEC) गतिविधियों की कमी से योजना की विफलता की स्थिति बनती है।
    • कार्यान्वयन में बाधाएँ: इसके दिशानिर्देश प्रतिबंधात्मक हैं और पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थानों जैसे सरकारी संस्थाओं को लाभ पहुँचाते हैं।

पर्यटन क्षेत्र में सुधार के लिये कौन-सी रणनीतियाँ आवश्यक हैं?

  • कनेक्टिविटी में सुधार लाना और अवसंरचना का विकास:
    • दूरस्थ पर्यटन स्थलों तक परिवहन संपर्क बढ़ाना कम ज्ञात स्थानों के अन्वेषण को प्रोत्साहित करने के लिये अत्यंत आवश्यक है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी या सरकारी निवेश से इन सुधारों को आगे बढ़ाया जा सकता है, जिससे बेहतर पहुँच सुनिश्चित होगी और क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
      • कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) की स्थापना भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में की गई थी, जो मुंबई को मैंगलोर से जोड़ता है और सुंदर तटीय क्षेत्रों तथा दूरदराज के क्षेत्रों से होकर गुज़रता है।
  • कर सुधार और अनुरूपीकरण:
    • पर्यटन उद्योग में जटिल कर संरचना को सरल बनाने के लिये कर सुधार की वकालत करना।
    • अधिक समान एवं पारदर्शी कराधान प्रणाली के निर्माण के लिये टूर ऑपरेटरों, ट्रांसपोर्टरों, एयरलाइनों और होटलों पर लगाए गए विभिन्न करों में अनुरूपता या सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में कार्य करना।
    • इससे प्रशासनिक बोझ कम हो सकता है और GST दरें कम करने से यात्रियों के लिये पर्यटन अधिक लागत-प्रभावी बन सकता है। इससे व्यवसायों के लिये अनुपालन लागत कम हो सकती है, जबकि आगंतुकों के लिये पर्यटन अधिक वहनीय बन सकता है।
  • सुरक्षा और संरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना:
    • पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिये पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • पर्यटन पुलिस की तैनाती, आकर्षण स्थलों पर सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने और सुरक्षित यात्रा अभ्यासों को बढ़ावा देने जैसे उपायों से भारत में यात्रा करने के बारे में पर्यटकों का भरोसा बढ़ेगा।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम:
    • अकुशल कार्यबल, विशेषकर पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने से सेवा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। पर्यटन और रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये ‘हुनर से रोज़गार तक’ जैसी योजनाओं को इष्टतम किया जा सकता है।
    • ये कार्यक्रम ग्राहक सेवा, सांस्कृतिक संवेदनशीलता और भाषा कौशल पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पर्यटकों को सकारात्मक अनुभव प्राप्त हो और वे महसूस करें कि उनका स्वागत किया जा रहा है।
    • पर्यटकों और उद्योग के पेशेवरों दोनों के लिये सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण गलतफहमियों को कम कर सकता है तथा स्थानीय परंपराओं के प्रति सम्मान को बढ़ावा दे सकता है।
  • ऑनलाइन उपस्थिति बढ़ाना:
    • सोशल मीडिया, ट्रैवल वेबसाइट और वर्चुअल टूर का उपयोग कर पर्यटन स्थलों की दृश्यता में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है। एक सुदृढ़ ऑनलाइन उपस्थिति वैश्विक ध्यान आकर्षित करेगी और संभावित पर्यटकों के लिये अपनी यात्रा की योजना बनाना आसान कर सकेगी।
    • इन स्थानों को बढ़ावा देने के लिये एक डिजिटल एकीकृत प्रणाली का क्रियान्वयन पर्यटन को वृहत रूप से बढ़ावा दे सकता है और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ जैसी पहलों को समर्थन प्रदान कर सकता है। इस प्रणाली में सोशल मीडिया के माध्यम से विभिन्न आकर्षण स्थलों का मानचित्रण एवं प्रचार करना शामिल होगा।

निष्कर्ष

देश की समृद्ध विरासत और विविध व्यंजनों का लाभ उठाकर भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाया जा सकता है तथा विदेशी राजस्व को आकर्षित किया जा सकता है। ऐसा कर भारत रोज़गार को बढ़ावा दे सकता है और असंगठित क्षेत्र को आकर्षित कर सकता है। भारत का ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का दर्शन बहुपक्षवाद का समर्थन करता है और पाक पर्यटन (culinary tourism) इस लोकाचार को प्रदर्शित कर सकता है। हाल का धर्मशाला घोषणा वैश्विक पर्यटन में भारत की संभावना को चिह्नित करता है और घरेलू पर्यटन पहलों को बढ़ावा देता है।

अभ्यास प्रश्न: पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिये। भारत में दूरदराज के पर्यटन स्थलों तक अवसंरचना एवं कनेक्टिविटी में सुधार के लिये कौन-सी रणनीतियाँ लागू की जा सकती हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न.1 पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को विकास पहलों और पर्यटन के ऋणात्मक प्रभाव से किस प्रकार पुनःस्थापित किया जा सकता है ? (2019)

प्रश्न.2 पर्यटन की प्रोन्नति के कारण जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य अपनी पारिस्थितिकी वहन क्षमता की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं? समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2015)


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