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एडिटोरियल

  • 29 Sep, 2022
  • 12 min read
भारतीय विरासत और संस्कृति

भारत में पर्यटन क्षेत्र का भविष्य

यह एडिटोरियल 27/09/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Pitching India as a signature destination” लेख पर आधारित है। इसमें हाल में जारी ‘धर्मशाला घोषणा-पत्र’ और भारत में पर्यटन क्षेत्र के भविष्य के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

पर्यटन का आर्थिक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में उभार हुआ है। यह सबसे तेज़ी से आगे बढ़ते आर्थिक क्षेत्रों में से एक है और इसका व्यापार, रोज़गार सृजन, निवेश, अवसंरचना विकास एवं सामाजिक समावेशन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

  • पर्यटन कोविड-19 महामारी से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र रहा है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UN World Tourism Organisation- UNWTO) के अनुसार वर्ष 1950 में रिकॉर्ड रखे जाने के आरंभ बाद से यह अब तक का सबसे गंभीर संकट रहा है जिसका सामना अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को करना पड़ा है।
  • कोविड-19 से गुज़रने के बाद भारत में पर्यटन क्षेत्र के लिये सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखते हुए पहले की तरह की गतिविधियों को बहाल करना एक बड़ी चुनौती है। यह संकट ऐसे संकटों के दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार करने और पर्यटन भविष्य की पुनर्कल्पना करने के साथ ही सरकार के सभी स्तरों और निजी क्षेत्र में समन्वित कार्रवाई करने का एक अवसर प्रदान कर रहा है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र की स्थिति

  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (World Travel and Tourism Council) की वर्ष 2021 की रिपोर्ट में विश्व सकल घरेलू उत्पाद में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 10वें स्थान पर रखा गया है।
  • वर्ष 2021 तक की स्थिति के अनुसार, यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भारत के 40 स्थल (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) सूचीबद्ध हैं।
  • धोलावीरा और रामप्पा मंदिर इस सूची में शामिल नवीनतम स्थल/स्मारक हैं।
  • वित्त वर्ष 2020 में पर्यटन क्षेत्र में कुल 39 मिलियन रोज़गार अवसर सृजित हुए जो देश के 8% रोज़गार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्ष 2029 तक यह 53 मिलियन नौकरियों के लिये उत्तरदायी होगा।

भारत में पर्यटन से संबंधित हाल की प्रमुख पहलें

भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

  • प्रशिक्षण और कौशल विकास का अभाव: चूँकि पर्यटन उद्योग एक श्रम प्रधान क्षेत्र है, इसमें व्यावहारिक प्रशिक्षण एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गुज़रते समय के साथ प्रशिक्षित श्रमशक्ति की उपलब्धता का भारत में पर्यटन क्षेत्र के तीव्र विकास के साथ तालमेल नहीं रह सका है।
    • बहुभाषी प्रशिक्षित गाइडों की सीमित संख्या और स्थानीय लोगों में पर्यटन से जुड़े लाभों एवं ज़िम्मेदारियों की अपर्याप्त समझ के कारण इस क्षेत्र का विकास बाधित रहा है।
  • पर्यटन संभावना का न्यून-उपयोग: भारत में ऐसे कई स्थान/क्षेत्र मौजूद हैं जो सर्वेक्षणों, अवसंरचना और कनेक्टिविटी की कमी के कारण अभी भी अनन्वेषित (unexplored) ही हैं। घरेलू पर्यटन के प्रति उदासीन रवैया भी इसका एक परिणाम है।
    • उदाहरण के लिये पूर्वोत्तर भारत की आकर्षक प्राकृतिक सुंदरता के बावजूद देश के बाकी हिस्सों के साथ कनेक्टिविटी की कमी के साथ ही बुनियादी ढाँचे और आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण यह देश में घरेलू या अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के यात्रा कार्यक्रमों में जगह पाने से प्रायः वंचित रह जाता है।
  • संसाधनों का अत्यधिक दोहन: असंवहनीय पर्यटन (Unsustainable Tourism) प्रायः अत्यधिक उपभोग के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव उत्पन्न करता है (विशेष रूप से भारत के हिमालयी क्षेत्रों में जहाँ पहले से ही संसाधनों की कमी है)।
    • असंवहनीय पर्यटन स्थानीय भूमि उपयोग को भी प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा के कटाव, प्रदूषण में वृद्धि और लुप्तप्राय प्रजातियों के प्राकृतिक पर्यावासों की क्षति जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
  • अवसंरचना और सुरक्षा की कमी: भारतीय पर्यटन क्षेत्र के लिये यह एक बड़ी चुनौती है। इसमें बहु-व्यंजन रेस्तराँ, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं, सार्वजनिक परिवहन एवं स्वच्छता और पर्यटकों के बचाव एवं सुरक्षा की कमी जैसी स्थितियाँ शामिल हैं।
    • विदेशी पर्यटकों, विशेषकर महिला पर्यटकों पर हमलों जैसी घटनाओं से सुरक्षा संबंधी चिंता बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि विश्व आर्थिक मंच सूचकांक (WEF Index 2017) में सुरक्षा के मामले में भारत को 114वें स्थान पर रखा गया। 

आगे की राह

  • भारत के लिये वैश्विक अवसर: ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भारत का दर्शन विश्व को एक परिवार के रूप में देखता है। यह दर्शन बहुपक्षवाद में भारत के अटूट विश्वास को परिलक्षित करता है।
    • भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए व्यंजन पर्यटन (Cuisine Tourism) की एक बेजोड़ विविधता भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाने और विदेशी राजस्व को आकर्षित करने का एक माध्यम बन सकती है।
    • हाल में जारी धर्मशाला घोषणा-पत्र (Dharamshala Declaration) सही दिशा में बढ़ाया गया कदम है, जिसका उद्देश्य वैश्विक पर्यटन को समर्थन देने और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने में भारत की क्षमता को साकार करना है।
    • उत्तरदायी, समावेशी, हरित और आतिथेय पर्यटन (Responsible, Inclusive, Green and Hospitable Tourism- RIGHT): बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये पर्यटन प्रबंधन से संलग्न सभी हितधारकों के लिये विनियमनों का एक समग्र और साझा ढाँचा होना चाहिये।
    • दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहित समाज के हाशिए पर स्थित वर्गों के लिये अवसर पैदा कर पर्यटन के समावेशी विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • इसके साथ ही, गौतम से लेकर गांधी तक, हमारी भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति के साथ और अपने साधनों के दायरे में सामंजस्य बिठाने के महत्त्व पर बल दिया है।
    • प्राकृतिक पारितंत्र में न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ हरित पर्यटन (Green Tourism) को बढ़ावा देना और संवहनीय अवसंरचना को बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है ताकि आत्मीय आतिथ्य को संपोषण मिल सके।
  • एकीकृत पर्यटन प्रणाली: देश भर में वांछित पर्यटन स्थलों और प्रमुख बाज़ारों एवं क्षेत्रों की पहचान करने के लिये एक व्यापक बाज़ार अनुसंधान और मूल्यांकन अभ्यास किया जा सकता है।
    • इसके बाद फिर इन स्थानों का मानचित्रण करने और सोशल मीडिया के माध्यम से उनका प्रचार करने के लिये एक डिजिटल एकीकृत प्रणाली का विकास किया जा सकता है जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के मूल तत्व का संवर्द्धन करेगा।
  • पर्यटन प्रभाव आकलन (Tourism Impact Assessment): स्थानीय संसाधनों, वातावरण और निवासियों पर पर्यटन के प्रभाव का नियमित रूप से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
    • इसके साथ ही, वर्तमान और भविष्य के आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए आगंतुकों, उद्योग, पर्यावरण और मेजबान समुदायों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये पर्यटन नियमों को समय-समय पर संशोधित किया जाना चाहिये।
  • एक राज्य एक पर्यटन शुभंकर (One State One Tourism Mascot): राज्य के पशुओं को, विशेष रूप से बच्चों के बीच पर्यटन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये, एक अभिनव उपकरण के रूप में विभिन्न राज्यों के पर्यटन विभागों हेतु एक विज्ञापन शुभंकर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • G20 की अध्यक्षता का लाभ उठाना: भारत के पास G20 की अध्यक्षता (दिसंबर 2022- नवंबर 2023) के दौरान स्वयं को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने का अवसर मौजूद है।
    • भारत के पास विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत करते हुए ‘अतिथि देवो भव’ के अपने सदियों पुराने आदर्श को प्रकटतः प्रदर्शित कर सकने का अवसर मौजूद होगा।

अभ्यास प्रश्न: कोविड संकट भारत में पर्यटन के भविष्य की पुनर्कल्पना करने का एक अवसर प्रदान कर रहा है। चर्चा कीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मुख्य परीक्षा

Q.1 विकास की पहल और पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव से पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे बहाल किया जा सकता है?  (वर्ष 2019)

Q.2 जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य पर्यटन के कारण अपनी पारिस्थितिक वहन क्षमता की सीमा तक पहुँच रहे हैं। समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिये।  (वर्ष 2015)


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