आरक्षण में वोक्कालिगा, लिंगायतों की हिस्सेदारी
प्रिलिम्स के लिये:सामाजिक-सांस्कृतिक सुधार आंदोलन, वोक्कालिगा, लिंगायत, OBC। मेन्स के लिये:वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कर्नाटक ने दो प्रमुख समुदायों- वोक्कालिगा और लिंगायत को "पिछड़े वर्ग" की श्रेणी से "मामूली रुप से पिछड़े वर्ग" के रूप में वर्गीकृत किया है, इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण में उनकी हिस्सेदारी में वृद्धि हो सकती है।
प्रमुख बिंदु
- कर्नाटक में वर्तमान में OBC के लिये आरक्षण 32% है और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण क्रमशः 17% और 7% है, जो कि कुल मिलाकर 56% है।
- वीरशैव लिंगायत के पंचमसाली उप-संप्रदाय ने 2A श्रेणी में शामिल करने की मांग रखी है, जिसमें 15% आरक्षण है, जबकि उनकी वर्तमान 3B श्रेणी में उन्हें 5% आरक्षण प्राप्त है।
- पिछड़ा वर्ग के संबंध में मंत्रिमंडल का निर्णय कर्नाटक राज्य आयोग की सिफारिशों पर आधारित है।
- वोक्कालिगा समुदाय, जो वर्तमान में 3A श्रेणी के अंतर्गत है, को 4% आरक्षण के साथ नव-निर्मित 2C श्रेणी में रखा जाएगा। साथ ही लिंगायत समुदाय, जो 3B श्रेणी में है, अब 5% आरक्षण के साथ एक नई 2डी श्रेणी में आ जाएगा।
- मंत्रिमंडल के फैसले द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है लिंगायत समुदाय का कोई उप-वर्गीकरण नहीं है।
- लिंगायत एक प्रमुख समुदाय है जो कर्नाटक की छह करोड़ आबादी का लगभग 17% है, जिसके बाद वोक्कालिगा समुदाय की आबादी इस संदर्भ में दूसरे स्थान पर है। नई श्रेणियाँ अन्य समुदायों को प्रदान किये गए मौजूदा आरक्षण को प्रभावित नहीं करेंगी।
- यह आरक्षण केवल शिक्षा और नौकरियों पर लागू होगा, यह "राजनीतिक आरक्षण का दावा नहीं करता।
लिंगायत:
- परिचय:
- लिंगायत शब्द का आशय एक ऐसे व्यक्ति से है जो दीक्षा समारोह के दौरान प्राप्त लिंग को शरीर पर व्यक्तिगत रूप से धारण करता है जिसे भगवान शिव के एक प्रतिष्ठित रूप मानते हुए धारण किया जाता है।
- लिंगायत 12वीं सदी के समाज सुधारक-दार्शनिक कवि बसवेश्वर के अनुयायी हैं।
- बसवेश्वर जाति व्यवस्था और वैदिक कर्मकांडों के खिलाफ थे।
- लिंगायत कट्टर एकेश्वरवादी हैं। वे केवल एक भगवान, अर्थात् लिंग (शिव) की पूजा करने का आदेश देते हैं।
- लिंगायतों को "वीरशैव लिंगायत" नामक एक हिंदू उपजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था और उन्हें शैव माना जाता है।
- लिंगायतों के लिये अलग धर्म:
- लिंगायतों ने हिंदू वीरशैव से स्वयं को दूर कर लिया था, क्योंकि हिंदू वीरशैव वेदों का पालन करते थे तथा जाति व्यवस्था का समर्थन करते थे और बसवेश्वर इसके विरूद्ध थे।
- वीरशैव पाँच पीठों (धार्मिक केंद्र) के अनुयायी हैं, जिन्हें ‘पंच पीठ’ भी कहा जाता है।
- इन पीठों को आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों के समान ही माना जाता है।
वोक्कालिगा:
- यह भी माना जाता है कि राष्ट्रकूट और पश्चिमी गंग वोक्कालिगा मूल के थे।
- वोक्कालिगा व्यवसाय के संदर्भ में परिभाषित एक श्रेणी है या एक जातीय श्रेणी हो सकती है; मूल रूप से ये किसान हैं।
- वोक्कालिगा जाति का उद्भव भारतीय राज्य कर्नाटक में हुआ है। मैसूर की पूर्व रियासत में वोक्कालिगा सबसे बड़ा समुदाय था।
- उन्होंने प्राचीन मैसूर में योद्धाओं और कृषकों के एक समुदाय के रूप में जनसांख्यिकीय, राजनीतिक और आर्थिक प्रभुत्त्व कायम रखा है।
समय के साथ OBC आरक्षण की स्थिति:
- वर्ष 1953 में स्थापित कालेलकर आयोग, राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के अलावा अन्य पिछड़े वर्गों की पहचान करने वाला पहला आयोग था।
- वर्ष 1980 में प्रस्तुत मंडल आयोग की रिपोर्ट में OBC जनसंख्या 52% होने का अनुमान लगाया गया था और 1,257 समुदायों को पिछड़े के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- इसने OBC को शामिल करने के लिये मौजूदा कोटा, जो केवल SC/ST के लिये था, को 22.5% से बढ़ाकर 49.5% करने की सिफारिश की।
- केंद्र सरकार ने OBC के लिये यूनियन सिविल पदों और सेवाओं में 27% सीटें आरक्षित की हैं [अनुच्छेद 16 (4)]। कोटा बाद में केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया गया [अनुच्छेद 15 (4)]।
- वर्ष 2008 में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को OBC के बीच क्रीमी लेयर (उन्नत वर्ग) को बाहर करने का निर्देश दिया।
- 102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जो पहले सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिये आवश्यक सामाजिक संसाधनों की रक्षा करके उनके उत्थान के लिये सरकार की योजनाएँ, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसाय स्थापित करने में उनके बहिष्कार की ओर ले जाती हैं? (2014) प्रश्न. एक वैधानिक निकाय से एक संवैधानिक निकाय में परिवर्तन के मद्देनज़र राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (2022) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
निशुल्क खाद्यान्न योजना
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय खाद्य और सुरक्षा अधिनियम, 2013, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना मेन्स के लिये:राष्ट्रीय खाद्य और सुरक्षा अधिनियम, 2013, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 1 जनवरी, 2023 से एक वर्ष के लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत सभी पात्र परिवारों को निशुल्क खाद्यान्न (चावल, गेहूँ तथा मोटे अनाज) प्रदान करने के लिये एक अधिसूचना जारी की।
- हालाँकि सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर दिया।
मोटे अनाज (Coarse Cereals):
- मोटे अनाज पारंपरिक रूप से देश के अल्प संसाधन वाले कृषि-जलवायु क्षेत्रों में उगाए जाते हैं।
- कृषि-जलवायु क्षेत्र फसलों और किस्मों की एक निश्चित श्रेणी के लिये उपयुक्त प्रमुख जलवायु के संदर्भ में भूमि की एक इकाई है।
- ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, रागी (Finger millet) और अन्य छोटे कदन्न जैसे कोदो (Kodo), कंगनी या टांगुन (Foxtail), चेना (Proso) एवं सावाँ (Barnyard) एक साथ मोटे अनाज (Coarse Cereals) कहलाते हैं।
- ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, रागी और अन्य छोटे कदन्न (कोदो, कंगनी या टांगुन, चेना एवं सावाँ) पोषक अनाज (Nutri-cereals) भी कहलाते हैं।
- मोटे अनाज पोषक तत्त्वों से भरपूर सामग्री के लिये जाने जाते हैं और इनमें सूखा सहिष्णु, प्रकाश-असंवेदनशीलता और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन आदि जैसी विशेषताएँ विद्यमान होती हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013:
- अधिसूचित:
- 10 सितंबर, 2013
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्यों पर उचित गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
- कवरेज:
- लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत का कवरेज किया गया है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की 81.35 करोड़ आबादी को कवर करता है।
- पात्रता:
- राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राथमिकता वाले परिवारों को TPDS के तहत कवर किया जाना है।
- अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाले परिवार।
- प्रावधान:
- प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो दिया जाता है।
- हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्त्व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
- 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन की व्यवस्था।
- खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
- ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।
इस संबंध में सरकार की पहलें:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
- तिलहन, दलहन, ताड़ के तेल और मक्का पर एकीकृत योजनाएँ (ISOPOM)
- E-नाम पोर्टल
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्स:प्रश्न. अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिये कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिये उपाय सुझाइए। (2017) प्रश्न. खाद्यान्न वितरण प्रणाली को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये सरकार द्वारा कौन से सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं? (2019) प्रश्न. भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इसे प्रभावी और पारदर्शी कैसे बनाया जा सकता है? (2022) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत के स्टार्टअप में वृद्धि
प्रिलिम्स के लिये:स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम, नेशनल स्टार्टअप अवार्ड्स, SCO स्टार्टअप फोरम, PRARAMBH मेन्स के लिये:स्टार्टअप परितंत्र और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
संसद में पेश किये गए आँकड़ों के अनुसार, विगत पाँच वर्षों में भारत में पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या वर्ष 2016 में 452 से बढ़कर दिसंबर 2022 में 84,012 हो गई है।
- उनमें से कई क्लाउड में स्थित हैं, अर्थात इंटरनेट के माध्यम से सुलभ होने वाले सर्वर और डेटा स्टोरेज, और कई स्टोरेज कंपनियाँ इन स्टार्टअप को लुभाने के लिये कई तरह के प्रोत्साहन भी दे रही हैं।
भारत के स्टार्टअप बूम/वृद्धि में AWS क्लाउड सेवाओं की भूमिका:
- परिचय:
- भारत के प्रमुख क्लाउड सेवा प्रदाताओं में से एक, AWS, (Amazon Web Services) ने स्टार्ट-अप क्रेडिट प्रदान की है, जो महत्त्वाकांक्षी उद्यमियों/स्टार्टअप को मुफ़्त में कंप्यूटिंग, स्टोरेज और होस्टिंग जैसी सेवाओं को उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
- AWS ने स्टार्टअप के जीवनचक्र को प्रबंधित करने में मदद की है जिससे अधिक-से-अधिक- नवाचार करने में सक्षम हो सके हैं।
- क्लाउड सेवाओं का उपयोग से उद्यमी क्लाउड पर ही विभिन्न प्रकार के परीक्षण कर सकते हैं, तथा इन परीक्षणों के माध्यम से उनमे आवश्यक सुधार भी कर सकते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप परितंत्र है और इस प्रकार के क्लाउड सेवाओं के लिये सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है।
- AWS द्वारा समर्थित कुछ कंपनियों में शामिल हैं: HealthifyME, जिसने 'वैक्सीनेट मी/Vaccinate Me' नामक एक एप विकसित किया, जिसकी मदद से फीचर फोन के माध्यम से भी लगभग 50 मिलियन तक टीकाकरण बुक करने में काफी सहूलियत हुई।
- AWS ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ-साथ कोविड-19 टीकाकरण के लिये Cowin प्रणाली को भी संचालित किया।
- भारत का क्लाउड कंप्यूटिंग बाज़ार:
- वर्ष 2027 तक की पूर्वानुमान अवधि के दौरान भारत के क्लाउड कंप्यूटिंग बाज़ार के 28.1% बढ़ने की उम्मीद है।
- भारत में क्लाउड कंप्यूटिंग की ओर तेज़ी से बढ़ रहे छोटे और मध्यम व्यवसायों की सघनता और बढ़ती संख्या बाज़ार के लिये प्रमुख कारक के रूप में उभर रही है।
- इसके अलावा क्लाउड डेटा केंद्रों के निर्माण की दिशा में बढ़ते निवेश से भारत के क्लाउड कंप्यूटिंग बाज़ार को काफी प्रोत्साहन मिलने की आशा है।
भारत में स्टार्टअप्स की स्थिति:
- परिचय:
- कुल स्टार्टअप में से 49% स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं।
- भारत सितंबर 2022 तक 107 यूनिकॉर्न की मेज़बानी कर रहा है, जिसकी कुल कीमत 340.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- बेन एंड कंपनी (Bain and Company) द्वारा प्रकाशित इंडिया वेंचर कैपिटल/उद्यम पूंजी रिपोर्ट 2021 के अनुसार, संचयी स्टार्टअप की संख्या 2012 से 17% की CGAR से बढ़ी है और 1,12,000 के आँकड़े को पार कर गई है।
- स्टार्टअप हेतु विकास कारक और चुनौतियाँ:
- नवोन्मेष पर कम ज़ोर देना: भारत की शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्योग के अनुभव का अभाव है जो छात्रों को नवोन्मेष करने से वंचित रखता है। नतीजतन, यह भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को अनुसंधान एवं विकास के मामले में पीछे छोड़ देता है।
- पहचान की कमी: चूंँकि लगभग 70% भारतीय आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जो अभी भी विश्वसनीय इंटरनेट पहुंँच से वंचित है। नतीजतन, कई गांँव-आधारित स्टार्टअप बिना मान्यता प्राप्त हैं और सरकारी वित्तपोषण पहल से वंचित रह जाते हैं।
- बूटस्ट्रैप्ड नेचर/प्रकृति: स्टार्ट-अप को चलाने के लिये कार्यशील पूंजी की एक महत्त्वपूर्ण राशि की आवश्यकता होती है। भारत में कई स्टार्टअप, विशेष रूप से शुरुआती चरणों में बूटस्ट्रैप्ड हैं, यानी संस्थापकों की अपनी बचत के माध्यम से स्व-वित्तपोषित, क्योंकि घरेलू वित्तपोषण सीमित होता है।
- स्केलेबिलिटी की चिंता: भारत में छोटे स्टार्टअप के ग्राहकों की सीमित संख्या है और वे केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, जहाँ वे स्थानीय भाषा एवं स्थानीय लोगों को जानते हैं।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में सीमांत पैठ: फिनटेक और ई-कॉमर्स में भारतीय स्टार्टअप असाधारण रूप से अच्छा कार्य कर रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष स्टार्टअप आउटलेयर बने हुए हैं।
- विश्व स्तर पर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य 440 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें भारत की 2% से कम हिस्सेदारी है।
स्टार्टअप से संबंधित सरकार की प्रमुख पहलें:
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): यह योजना स्टार्टअप्स को उनकी अवधारणा को प्रमाणित करने, प्रोटोटाइप विकसित करने, उत्पादों का परीक्षण करने और बाज़ार में प्रवेश हेतु मदद करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार: यह कार्यक्रम नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिशीलता में योगदान करने वाले उत्कृष्ट स्टार्टअप और पारिस्थितिक तंत्र को चिह्नित करता है और उन्हें पुरस्कृत करता है।
- SCO स्टार्टअप फोरम: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों में स्टार्टअप पारितंत्र के विकास और सुधार के साधन के रूप में अक्तूबर 2020 में स्थापित SCO स्टार्टअप फोरम अपनी तरह का पहला प्रयास है।
- प्रारंभ: ‘प्रारंभ’ शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दुनिया भर के स्टार्टअप्स और युवा प्रतिभाओं को नए विचार, नवाचार एवं आविष्कार के साथ आने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014) (a) उद्योगों को प्रदान की गई एक अल्पकालिक पूंजी उत्तर : (b) व्याख्या :
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