डेली न्यूज़ (29 May, 2023)



IRDAI विज़न - 2047

प्रिलिम्स के लिये:

IRDAI, वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा, आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23, GDP, डिजिटलीकरण

मेन्स के लिये:

IRDAI विज़न - 2047

चर्चा में क्यों? 

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने वर्ष 2047 तक सभी के लिये विज़न इंश्योरेंस के रूप में भारत में बीमा क्षेत्र को व्यापक बनाने हेतु सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रत्येक बीमाकर्त्ता को योजना में शामिल किया है। 

  • बीमा गतिविधियों में आने वाली समस्यों को कम करने हेतु IRDAI जीवन बीमा फर्मों के सहयोग से बीमा ट्रिनिटी लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है, जिसमें - बीमा सुगम, बीमा विस्तार, बीमा वाहक शामिल हैं।

IRDAI विज़न 2047: 

  • उद्देश्य: 
    • वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा सुनिश्चित करने का लक्ष्य है ताकि प्रत्येक नागरिक के पास एक उपयुक्त जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति बीमा कवर हो तथा प्रत्येक उद्यम को उचित बीमा समाधान द्वारा समर्थित किया जा सके।
    • इसका उद्देश्य भारतीय बीमा क्षेत्र को विश्व स्तर पर आकर्षक बनाना भी है।
  • स्तंभ: 
    • बीमा ग्राहक (पॉलिसीधारक)
    • बीमा प्रदाता (बीमाकर्त्ता)
    • बीमा वितरक (मध्यस्थ)
  • लक्षित क्षेत्र: 
    • सही ग्राहकों को सही उत्पाद उपलब्ध कराना।
    • सुदृढ़ शिकायत निवारण तंत्र बनाना।
    • बीमा क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी हेतु इसे सुगम बनाना।
    • बाज़ार की गतिशीलता के अनुरूप नियामक संरचना सुनिश्चित करना।
    • नवाचार को बढ़ावा देना।
    • मुख्यधारा में प्रौद्योगिकी को लाते हुए प्रतिस्पर्द्धा और वितरण दक्षता के साथ सिद्धांत आधारित नियामक व्यवस्था की ओर बढ़ना। 
  • महत्त्व: 
    • यह पूरे देश में लोगों को ऐसी सस्ती बीमा पॉलिसी तक पहुँच प्रदान करने में मदद करेगा जो स्वास्थ्य, जीवन, संपत्ति और दुर्घटनाओं को कवर करती हो।
    • ये नीतियाँ, कभी-कभी घंटों के अंदर तेज़ी से दावा निपटान और जिम या योग सदस्यता जैसे अतिरिक्त लाभ प्रदान करती हैं।

बीमा ट्रिनिटी: 

  •    बीमा सुगम :
    • यह एक एकीकृत प्लेटफॉर्म है जो बीमाकर्त्ताओं और वितरकों को जोड़ता है। यह एक सुविधाजनक पोर्टल में ग्राहकों के लिये नीतिगत खरीदारी, सेवा अनुरोध और दावों के निपटान को सरल बनाता है।
  •    बीमा विस्तार: 
    • यह एक व्यापक पॉलिसी है जो जीवन, स्वास्थ्य, संपत्ति और दुर्घटनाओं को कवर करती है। यह प्रत्येक जोखिम श्रेणी के लिये परिभाषित लाभ प्रदान करती है, इसमें सर्वेक्षण की आवश्कता नही होती और यह त्वरित दावा भुगतान सुनिश्चित करती है।
  •    बीमा वाहक :
    • यह ग्राम सभा स्तर पर कार्यरत एक महिला केंद्रित कार्यबल है। ये व्यापक बीमा के अंतर्गत विशेष रूप से बीमा विस्तार के लाभों के बारे में महिलाओं को शिक्षित करने के साथ ही चिंताओं को दूर करने और लाभों पर बल देकर, बीमा वाहक महिलाओं को सशक्त बनाने तथा उनकी वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाते हैं।

भारत में बीमा क्षेत्र की स्थिति: 

  • आर्थिक सर्वेक्षण-2022-23 के अनुसार, देश में जीवन बीमा क्षेत्र वर्ष 2001 के 11.1 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021 में 91 अमेरिकी डॉलर हो गया। वर्ष 2021 में कुल वैश्विक बीमा प्रीमियम वास्तविक रूप से 3.4% बढ़ा, गैर-जीवन बीमा क्षेत्र में 2.6% दर्ज किया गया। यह विकासशील और विकसित वाणिज्यिक क्षेत्रों के बाज़ारों में कठोर दर से प्रेरित होती है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, भारत का बीमा बाज़ार आने वाले दशक में वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों के रूप में उभरने की संभावना है।
  • IRDAI के अनुसार, भारत में बीमा प्रवेश वर्ष 2019-20 के 3.76% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 4.20% हो गया, जिसमें 11.70% की वृद्धि दर्ज की गई।
    • साथ ही बीमा क्षेत्र वर्ष 2020-21 में 78 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 91 अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • वर्ष 2021 में जीवन बीमा का विस्तार 3.2% था, जो उभरते हुए बाज़ारों से लगभग दोगुना और वैश्विक औसत से थोड़ा अधिक था।
  • भारत वर्तमान में विश्व का 10वाँ सबसे बड़ा बाज़ार है, इसके  वर्ष 2032 तक 6वाँ सबसे बड़ा होने का अनुमान है।

बीमा क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ  

  • कम स्वीकृति दर:  
    • अन्य देशों की तुलना में भारत में बीमा को व्यापक रूप से नहीं अपनाया जाता है। ऐसा इसलिये है क्योंकि बहुत से लोग या तो बीमा से परिचित नहीं हैं या उस पर विश्वास नहीं करते हैं।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा निवास करता है, कुछ प्रतिशत के पास ही जीवन बीमा सुरक्षा सुविधा है।
      • भारत के सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) में बीमा उद्योग का योगदान 5% से भी कम है, जो वैश्विक औसत की तुलना में काफी कम है अर्थात् भारतीय लोग बीमा को व्यापक रूप से नहीं अपनाते हैं, ऐसे में बीमा उत्पादों को लेकर  जागरूकता और विश्वास बढ़ाने हेतु प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
  • उत्पादों में नवाचार का अभाव:
    • भारतीय बीमा क्षेत्र में उत्पाद नवाचार की स्थिति मंद रही है। कई बीमा कंपनियाँ समान उत्पादों की पेशकश करती हैं, जिससे बाज़ार में भिन्नता की कमी देखी जाती है।
  • धोखाधड़ी:  
    • धोखाधड़ी में झूठे दावे करना और सूचनाओं को गलत रूप से पेश करना शामिल है।
    • डिजिटल तकनीक एवं ग्राहक-केंद्रित नीतियों के उपयोग ने धोखाधड़ी करने वालों को पहचान छुपाने और नकली दावे करने के अधिक मौके दिये हैं।
      • विगत दो वर्षों में 70% से अधिक भारतीय बीमाकर्त्ताओं ने धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि देखी है।
  • प्रतिभा प्रबंधन:
    • भारतीय बीमा क्षेत्र प्रतिभा की कमी का सामना कर रहा है। उद्योग को बीमांकिक विज्ञान (एक्चुएरीअल साइंस), जोखिम अंकन, दावे और जोखिम प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की आवश्यकता है।
    • प्रतिभाशाली पेशेवरों को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना उद्योग के लिये एक चुनौती है।
  • डिजिटलीकरण की धीमी दर: 
    • भारतीय बीमा क्षेत्र अन्य उद्योगों की तुलना में डिजिटलीकरण को अपनाने में धीमा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अकुशल प्रक्रिया, पारदर्शिता की कमी और ग्राहकों का खराब अनुभव जैसी कई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
  • दावा प्रबंधन:
    • भारत में दावों की प्रक्रिया जटिल, धीमी और अपारदर्शी है, जिससे ग्राहक असंतोष एवं बीमा उद्योग में विश्वास की कमी के रूप में देखा जा सकता है। 
    • पारदर्शिता की कमी, अक्षम प्रक्रियाओं एवं ग्राहकों के साथ खराब संचार का कारण हो सकता है।

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI): 

  • बीमा ग्राहकों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से वर्ष 1999 में स्थापित IRDAI एक नियामक निकाय है। 
  • यह IRDAI अधिनियम, 1999 के तहत एक वैधानिक निकाय है तथा वित्त मंत्रालय के अधीन कार्यरत है। 
  • यह बीमा से संबंधित गतिविधियों की निगरानी करते हुए बीमा उद्योग के विकास को नियंत्रित एवं विनियमित करता है। 
  • प्राधिकरण की शक्तियाँ एवं कार्य IRDAI अधिनियम, 1999 तथा  बीमा अधिनियम, 1938 में निर्धारित किये गए हैं।

आगे की राह

  • भारत में बीमा क्षेत्र में सुधार, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, ग्राहक व्यवहार के साथ संरेखित करने, डेटा उपयोग को अनुकूलित करने, दावों के प्रबंधन को सरल बनाने, हाइब्रिड वितरण मॉडल को अपनाने तथा धोखाधड़ी से निपटने जैसे कई कदम उठाए जा सकते हैं। 
  • लागत को कम करने, दक्षता में सुधार एवं पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का समर्थन करने के लिये मूल्य शृंखला में डिजिटलीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। इसमें कौशल कार्यक्रमों के माध्यम से कर्मचारियों के कौशल और उत्पादकता बढ़ाने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करना शामिल है। 
  • बीमाकर्त्ताओं को ग्राहक व्यवहार और वरीयताओं में गतिशील परिवर्तनों के साथ संरेखित करने की आवश्यकता है। त्वरित व्यक्तिगत उत्पादों की पेशकश करके तथा बड़े पैमाने पर पेशकशों को लेकर  लचीलेपन को प्राथमिकता देकर, बीमाकर्त्ता ग्राहकों की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सकते हैं तथा धारणाओं का प्रबंधन कर सकते हैं। 

स्रोत: द हिंदू


सरकारी प्रतिभूतियों के लाभांश में गिरावट

प्रिलिम्स के लिये:

सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक), ऋण घटक, बॉण्ड यील्ड

मेन्स के लिये:

जी-सेक की अवधारणा और उनका महत्त्व, वैकल्पिक निवेश विकल्पों के साथ जी-सेक की तुलना 

चर्चा में क्यों?

भारत में 10 वर्ष की सरकारी प्रतिभूति (जी-सेक) बेंचमार्क के लाभांश/यील्ड में गिरावट देखी गई है, जिससे खुदरा निवेशकों के समक्ष उनकी निवेश रणनीति के संदर्भ में चुनौती उत्पन्न हो गई है।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने खुदरा निवेशकों हेतु सरकारी प्रतिभूति बाज़ार की सुविधा उपलब्ध कराई है, हालाँकि उनकी भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही है।

सरकारी प्रतिभूतियों के लाभांश में गिरावट का कारण: 

  • ऋण म्युचुअल फंड कराधान में बदलाव के बाद मार्च 2023 की शुरुआत में बेंचमार्क 10-वर्षीय सरकारी प्रतिभूति (G-sec) का लाभांश 7.4% से गिरकर 6.9% (मई 2023) हो गया है। यह अभी लगभग 6.96-6.99% की दर से कारोबार कर रहा है।
    • ऋण म्युचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना में इंडेक्सेशन के लाभ को हटा दिया गया है।
  • ऋण म्युचुअल फंड कराधान में बदलाव, रेपो दर पर RBI के निर्णय और मुद्रास्फीति में गिरावट जैसे विभिन्न कारकों ने सरकारी प्रतिभूति लाभांश में गिरावट दर्ज की है।

जी-सेक में खुदरा निवेशकों की कम भागीदारी का कारण:

  • निवेशक मार्गदर्शन का अभाव: 
    • खुदरा निवेशकों को सरकारी बॉण्ड में निवेश करना जटिल लगता है, साथ ही प्रक्रिया के परिचालन के लिये प्रायः बिचौलियों के माध्यम से मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
  • सीमित तरलता: 
    • जी-सेक बाज़ार में तरलता की कमी है, जिससे खुदरा निवेशकों, जब वे अपनी प्रतिभूतियों को बेचना चाहते हैं, के लिये द्वितीयक बाज़ार में खरीदार खोजना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
      • तरलता की इस कमी के परिणामस्वरूप निवेशक अपने निवेश को फँसा हुआ महसूस करते हैं। 
  • निवेश में जटिलता: 
    • खुदरा निवेशक, विशेष रूप से असूचित प्रतिभागियों को सरकारी प्रतिभूति की निवेश प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण लग सकती है और सावधि जमा जैसे अधिक सरलीकृत निवेश विकल्प पसंद आ सकते हैं।
      • RBI रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म सूचित निवेशकों के लिये फायदेमंद है, लेकिन यह उन असूचित प्रतिभागियों के लिये नहीं है, जिन्हें सरल निवेश प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।
  • कम व्यापार पूंजी:  
    • सरकारी प्रतिभूति के लिये द्वितीयक बाज़ार में व्यापार की मात्रा अपेक्षाकृत कम रही है, जिस कारण खुदरा निवेशकों का आकर्षण कम हो गया है। 
  • वैकल्पिक निवेश विकल्प:  

सरकारी प्रतिभूतियाँ:

  • परिचय: 
    • सरकारी प्रतिभूति केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी एक व्यापार योग्य साधन है।
    • सरकारी प्रतिभूति एक प्रकार का ऋण साधन है जो सरकार द्वारा अपने राजकोषीय घाटे को वित्तपोषित करने के लिये जनता से धन उधार लेने के लिये जारी किया जाता है। 
      • ऋणकर्त्ता एक वित्तीय साधन है जो जारीकर्त्ता द्वारा एक निर्दिष्ट तिथि पर धारक को एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिये एक संविदात्मक दायित्व का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे मूलधन या अंकित मूल्य के रूप में जाना जाता है।
    • यह सरकार के ऋण दायित्व को स्वीकार करता है। ऐसी प्रतिभूतियाँ अल्पावधि (आमतौर पर राजकोषीय बिल कहलाती हैं, एक वर्ष से कम की मूल परिपक्वता के साथ- वर्तमान में तीन अवधियों में जारी की जाती हैं, अर्थात् 91-दिन, 182 दिन और 364 दिन) या दीर्घावधि (जिसे आमतौर पर सरकारी बॉण्ड या दिनांकित कहा जाता है, एक वर्ष या उससे अधिक की मूल परिपक्वता वाली प्रतिभूतियाँ) की होती हैं।
    • भारत में केंद्र सरकार राजकोषीय बिल और बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ दोनों जारी करती है, जबकि राज्य सरकार केवल बॉण्ड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ जारी करती है, जिन्हें राज्य विकास ऋण (SDL) कहा जाता है।
    • जी-सेक में व्यावहारिक रूप से डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं होता है और इसलिये जोखिम मुक्त गिल्ट-एज्ड उपकरण कहलाते हैं।
      • गिल्ट-एज सिक्योरिटीज़, उच्च-श्रेणी के निवेश  बॉण्ड हैं जो सरकारों और बड़े निगमों द्वारा धन उधार लेने के साधन के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं।
    • RBI, धन की आपूर्ति की स्थिति को समायोजित करने के लिये जी-सेक की बिक्री या खरीद के लिये ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) आयोजित करता है।
      • RBI, एक प्रक्रिया के अंतर्गत तरलता को हटाने के लिये जी-सेक बेचता है और एक अन्य प्रक्रिया के अंतर्गत तरलता को बढ़ाने के लिये जी-सेक खरीदता है। 
  •  बॉण्ड लाभांश: 
    •  बॉण्ड लाभांश वह रिटर्न है, जो एक निवेशक को  बॉण्ड पर मिलता है। उपज की गणना के लिये गणितीय सूत्र  बॉण्ड के वर्तमान बाज़ार मूल्य से विभाजित वार्षिक कूपन दर है। मूल्य और लाभांश विपरीत रूप से संबंधित हैं, जैसे-जैसे एक  बॉण्ड की कीमत बढ़ती है, इसके विपरीत ही इसका लाभांश घट जाता है।
  •  बॉण्ड:  
    • यह धन उधार लेने का एक साधन है। किसी देश की सरकार द्वारा या किसी कंपनी द्वारा धन एकत्रित करने के लिये एक  बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
  • कूपन दर: 
    • यह  बॉण्ड जारी करने वालों द्वारा  बॉण्ड के अंकित मूल्य पर भुगतान की जाने वाली ब्याज दर है।

जी-सेक के प्रकार:

  • ट्रेज़री बिल(T-bills): 
    • ट्रेज़री बिल शून्य कूपन प्रतिभूतियाँ हैं, इस कारण कोई ब्याज प्रदान नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें छूट पर जारी किया जाता है और परिपक्वव होने पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है।
    • वर्ष 2010 में भारत सरकार ने RBI के परामर्श से भारत सरकार के नकदी प्रवाह में अस्थायी असंतुलन को दूर करने के लिये CMBs के रूप में जाना जाने वाला एक नया अल्पकालिक साधन प्रारंभ किया। CMBs में ट्रेज़री बिल सामान्य प्रकृत्ति का होता है लेकिन यह 91 दिनों से कम की परिपक्वता अवधि के लिये जारी किया जाता है।
  • दिनाँकित जी-सेक: 
    • दिनाँकित जी-सेक, प्रतिभूतियाँ हैं जो एक निश्चित या फ्लोटिंग कूपन (ब्याज दर) रखती हैं, जिसका भुगतान अंकित मूल्य पर अर्द्ध-वार्षिक आधार पर किया जाता है। सामान्यतः दिनाँकित प्रतिभूतियों की अवधि 5 वर्ष से 40 वर्ष तक होती है।
  • राज्य विकास ऋण (SDLs): 
    • राज्य सरकारें भी बाज़ार से ऋण लेती हैं जिन्हें SDL कहा जाता है। SDL, केंद्र सरकार द्वारा जारी दिनांकित प्रतिभूतियों के लिये आयोजित नीलामी के समान सामान्य नीलामी के  माध्यम से जारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ हैं।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, ‘खुला बाज़ार प्रचालन’ किसे निर्दिष्ट करता है? (2013)

(a) अनुसूचित बैंकों द्वारा RBI से ऋण लेना
(b) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उद्योग और व्यापार क्षेत्रों को ऋण देना
(c) RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय और विक्रय
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत सरकार की प्रतिभूतियों का प्रबंधन और प्रयोजन करता है किंतु किसी राज्य सरकार की प्रतिभूतियों का नहीं।
  2. भारत सरकार कोष-पत्र (ट्रेज़री बिल) जारी करती है और राज्य सरकारें कोई कोष-पत्र जारी नहीं करतीं।
  3. कोष-पत्र ऑफर अपने सममूल्य से बट्टे पर जारी किये जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, जनगणना, मकान सूचीकरण, नागरिकता अधिनियम 1955, NRC, नागरिकता

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर। 

चर्चा में क्यों? 

जनगणना 2021 के लिये सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अनिवार्य कर दिया है, जो उन नागरिकों को स्वयं गणना करने की अनुमति देता है, जो सरकारी प्रगणकों पर विश्वास करने के बजाय स्वयं जनगणना फॉर्म भरना पसंद करते हैं।  

  • स्वयं गणना का तात्पर्य स्वयं उत्तरदाताओं द्वारा जनगणना सर्वेक्षण प्रश्नावली को पूरा करने से है। स्वयं गणना सुविधा केवल उन्हीं परिवारों को प्रदान की जाएगी जिन्होंने NPR को ऑनलाइन अपडेट किया है।
  • स्वयं गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर का होना अनिवार्य है। 

अगली जनगणना हेतु प्रश्नावली का अंतिम रूप:

  • आगामी जनगणना पहली बार डिजिटल होगी, जिससे उत्तरदाता अपने घरों से प्रश्नावली को पूरा कर सकेंगे।
  • मकान सूचीकरण और आवास अनुसूची चरण के लिये प्रश्रावली को अंतिम रूप दे दिया गया है, जबकि जनसंख्या गणना चरण के प्रश्नों को अधिसूचित किया जाना बाकी है।
    • वर्ष 2011 की जनगणना की तुलना में अगली जनगणना में यात्रा के लिये मेट्रो रेल के उपयोग पर भी प्रश्नावली में प्रश्न शामिल हैं।
  • दिव्यांगों की प्रश्नावली सूची प्रश्न में एसिड अटैक, बौद्धिक अक्षमता, पुरानी तंत्रिका संबंधी बीमारी और रक्त विकार जैसी अतिरिक्त श्रेणियाँ शामिल हैं।
  • अगली जनगणना इस बात की भी जानकारी एकत्र करेगी कि किराये के मकान में रहने वाले व्यक्तियों के पास कहीं और आवासीय संपत्ति है या नहीं
  • आवासीय परिसर से विशिष्ट दूरी के अंदर पेयजल की उपलब्धता पर भी प्रश्न शामिल हैं।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर:

  • परिचय: 
    • NPR, एक ऐसा डेटाबेस है जिसमें देश के सभी सामान्य निवासियों की जानकारी होती है।
      • NPR के प्रयोजन के लिये एक सामान्य निवासी वह व्यक्ति है जो किसी स्थान पर छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहा है और वहाँ छह महीने या उससे अधिक समय तक रहने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • इसका उद्देश्य देश में रहने वाले लोगों का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है।
      • यह जनगणना के "हाउस-लिस्टिंग" चरण के दौरान घर-घर जाकर जनगणना के माध्यम से किया जाता है।
    • NPR पहली बार वर्ष 2010 में एकत्र किया गया था। इसे वर्ष 2015 में अपडेट किया गया था तथा इसमें 119 करोड़ निवासियों का विवरण पहले से ही सूचीबद्ध है।
      • मार्च 2020 में गृह मंत्रालय (MHA) ने वर्ष 1990 में बनाए गए जनगणना नियमों में संशोधन किया ताकि जनगणना के आँकड़ों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रदर्शित और एकत्रित किया जा सके तथा उत्तरदाताओं को स्व-गणना में सक्षम बनाया जा सके।
  • कानूनी समर्थन : 
    • NPR, नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत तैयार किया गया है।
    • "भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी" को NPR में पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
  • महत्त्व: 
    • यह विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर निवासियों के डेटा को सुव्यवस्थित करेगा।
      • उदाहरण के लिये अलग-अलग सरकारी दस्तावेज़ों पर किसी व्यक्ति की जन्मतिथि अलग-अलग होना सामान्य बात है। NPR इसका समाधान करने में सहायता करेगा।
    • यह सरकार को अपनी नीतियों को बेहतर तरीके से तैयार करने और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी सहायता करेगा।
    • यह सरकारी लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लक्षित करेगा तथा आधार के साथ ही कागज़ी कार्रवाई और लालफीताशाही को कम करेगा।
    • यह सरकार द्वारा हाल ही में जारी किये गए 'एक पहचान पत्र' के विचार को लागू करने में  सहायता करेगा। 
      • 'वन आइडेंटिटी कार्ड'-आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, बैंकिंग कार्ड, पासपोर्ट और अन्य के डुप्लीकेट और त्रुटिपूर्ण दस्तावेज़ों को बदलने का प्रयास करता है।
  • NPR और NRC: 
    • नागरिकता नियम 2003 के अनुसार, NPR एक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के संकलन की दिशा में पहला कदम है। निवासियों की सूची (यानी NPR) बनने के बाद एक राष्ट्रव्यापी NRC उस सूची से नागरिकों को सत्यापित करने के लिये जा सकता है।
    • हालाँकि NRC के विपरीत NPR एक नागरिकता गणना अभियान नहीं है क्योंकि यह एक विदेशी को छह महीने से अधिक समय तक किसी इलाके में रहने का रिकॉर्ड प्रदान करता है।
      • NRC प्रत्येक गाँव के संबंध में वर्ष 1951 की जनगणना के संचालन के बाद तैयार किया गया एक रजिस्टर है, जिसमें घरों या जोतों को एक क्रम में दिखाया गया है और प्रत्येक घर के सामने या उसमें रहने वाले व्यक्तियों की संख्या तथा नाम का संकेत दिया गया है।

NPR और जनगणना में अंतर: 

  • उद्देश्य: 
    • जनगणना में एक विस्तृत प्रश्नावली शामिल है, वर्ष 2011 की जनगणना में 29 मद भरे जाने थे, जिसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, बच्चों, व्यवसाय, जन्मस्थान, मातृभाषा, धर्म, अक्षमता सहित विवरणों को प्राप्त करना था। चाहे वे किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हों।
    • इसके अतिरिक्त NPR बुनियादी जनसांख्यिकीय डेटा और बायोमेट्रिक विवरण एकत्र करता है।
  • कानूनी आधार: 
    • जनगणना कानूनी रूप से जनगणना अधिनियम, 1948 द्वारा समर्थित है।
    • NPR, नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाए गए नियमों के एक समूह में उल्लिखित एक तंत्र है।
  • व्यापक पहचान डेटाबेस: 
    • NPR, जनगणना के विपरीत देश में प्रत्येक "सामान्य निवासी" का एक व्यापक पहचान डेटाबेस है और परिवार के स्तर पर एकत्र किये जाने वाले प्रस्तावित डेटा को राज्यों तथा अन्य सरकारी विभागों के साथ साझा किया जा सकता है।
    • हालाँकि जनगणना में भी इसी तरह की जानकारी एकत्र की जाती है, 1948 का जनगणना अधिनियम किसी भी व्यक्ति के डेटा को राज्य या केंद्र के साथ साझा करने पर रोक लगाता है और केवल प्रशासनिक स्तर पर संपूर्ण डेटा जारी किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)

  1. 1951 की जनगणना और 2001 की जनगणना के बीच भारत के जनसंख्या घनत्व में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। 
  2. 1951 की जनगणना और 2001 की जनगणना के बीच भारत की जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर (घातीय) तीन गुना हो गई है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

व्याख्या: 

  • जनसंख्या की सघनता के महत्त्वपूर्ण संकेतकों में से एक जनसंख्या का घनत्व है। इसे प्रति वर्ग किलोमीटर पर व्यक्तियों की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • वर्ष 2001 में भारत का जनसंख्या घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था और 1951 में यह 117 था। इस प्रकार घनत्व में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई, न कि तीन गुना। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • बीसवीं सदी की शुरुआत यानी वर्ष 1901 में भारत का जनसंख्या घनत्व 77 था और यह लगातार एक दशक से बढ़कर वर्ष 2001 में 324 तक पहुँच गया।
  • वर्ष 2001 में औसत वार्षिक वृद्धि दर 1.93 थी, जबकि 1951 में यह 1.25 थी। इस प्रकार इसमें वृद्धि तो हुई लेकिन यह वृद्धि दोगुनी नहीं थी। अतः कथन 2 सही नहीं है। 

अतः  विकल्प (d) सही है।


प्रश्न: सरकार की दो समांतर चलाई जा रही योजनाओं, यथा ‘आधार कार्ड’ और ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (एन.पी.आर.), एक स्वैच्छिक और दूसरी अनिवार्य, ने राष्ट्रीय स्तरों पर वाद-विवादों और मुकदमों को जन्म दिया है। गुणों-अवगुणों के आधार पर चर्चा कीजिये कि क्या दोनों योजनाओं को साथ-साथ चलाना आवश्यक है या नहीं है? इन योजनाओं की विकासात्मक लाभों और न्यायोचित संवृद्धि को प्राप्त करने की संभाव्यता का विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: द हिंदू


विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस, मासिक धर्म स्वच्छता, मासिक धर्म को बढ़ावा देने के लिये सरकार की योजनाएँ 

मेन्स के लिये:

महिलाओं से संबंधित मुद्दे, व्यापक मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा, मासिक धर्म स्वच्छता के लिये भारत की पहल एवं नीतियाँ

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर एक गैर-सरकारी संगठन ने बाल अधिकार और आप (Child Rights and You- CRY) विषय पर भारत में किशोर लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता तथा ज्ञान का आकलन करने के लिये किये गए एक अध्ययन के निष्कर्ष जारी किये।

  • पूरे देश के 38 ज़िलों की 10-17 वर्ष की लगभग 4,000 लड़कियों की भागीदारी के साथ दो महीने तक किये गए इस अध्ययन में मासिक धर्म के संबंध में युवा लड़कियों की धारणाओं, प्रथाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस:

  • परिचय: 
    • विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस, जिसे मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में भी जाना जाता है, 28 मई को मनाया जाने वाला एक एनुअल ग्लोबल एडवोकेसी डे है। 
    • इस दिन का उद्देश्य पूरे विश्व में जागरूकता बढ़ाना तथा मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) की उचित प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
  • 28 मई ही क्यों? 
    • मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पाँचवें महीने के 28वें दिन मनाया जाता है।
      • यह मासिक धर्म चक्र की औसत अवधि का प्रतिनिधित्व करता है जो प्राय: लगभग 28 दिनों का होता है।
      • यह मासिक धर्म की औसत अवधि का प्रतीक है जो हर महीने लगभग पाँच दिनों तक रहता है।
  • पृष्ठभूमि: 
    • यह वर्ष 2013 में जर्मनी स्थित NGO WASH United द्वारा शुरू किया गया।
    • शुरुआत में इसे मासिक धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये 28 दिवसीय सोशल मीडिया अभियान के रूप में शुरू किया गया।
    • सकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण 28 मई, 2014 को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की स्थापना हुई।
  • थीम: 
    • वर्ष 2023 की थीम: "वर्ष 2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य तथ्य बनाना (Making menstruation a normal fact of life by 2030)
  • महत्त्व
    • यह महिलाओं की भलाई और गरिमा हेतु मासिक धर्म स्वच्छता के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
    • यह उचित मासिक धर्म स्वच्छता विधियों को बढ़ावा देता है:
      • स्वच्छ और सुरक्षित मासिक धर्म उत्पादों का उपयोग करना।
      • मासिक धर्म के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना।
      • मासिक धर्म की समस्या को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना।
    • यह विशेष रूप से निम्न-आय वाले समुदायों की मासिक धर्म संबंधी उत्पादों तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करता है।
    • यह शरीर, मासिक धर्म चक्र और प्रजनन स्वास्थ्य के संदर्भ में ज्ञान को प्रोत्साहित करता है। 

प्रमुख बिंदु 

  • लगभग 12% युवा लड़कियों का मानना था कि मासिक धर्म भगवान का अभिशाप है या बीमारी के कारण होता है।
  • 4.6% लड़कियों को मासिक धर्म के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
  • 84% लड़कियों ने मासिक धर्म को एक जैविक प्रक्रिया के रूप में सही पहचाना।
  • 61.4% लड़कियों ने मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक शर्मिंदगी को स्वीकार किया।
  • 44.5% लड़कियाँ सैनिटरी पैड की जगह घर में बने एब्जॉर्बेंट या कपड़े का इस्तेमाल करती हैं।
    • इसमें सैनिटरी पैड का उपयोग न करने के कारण झिझक या संकोच, पैड के निपटान में कठिनाई, खराब उपलब्धता और ज्ञान की कमी शमिल है।
  • लड़कियों को मासिक धर्म की जानकारी उनकी माताओं, महिला मित्रों और बड़ी बहनों से प्राप्त होती है।

मासिक धर्म के संबंध में युवा लड़कियों के समक्ष चुनौतियाँ: 

  • मासिक धर्म के बारे में ज्ञान और जागरूकता की कमी।
  • मासिक धर्म से संबंधित सामाजिक कलंक और वर्जनाएँ।
  • सैनिटरी उत्पादों और उचित मासिक धर्म स्वच्छता संसाधनों तक सीमित पहुँच।
  • सैनिटरी पैड या अन्य मासिक धर्म उत्पादों को वहन करने हेतु वित्तीय बाधाएँ।
  • अपर्याप्त स्वच्छता सुविधाएँ, विशेष रूप से स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों में।
  • प्रयुक्त सैनिटरी उत्पादों हेतु गोपनीयता और उपयुक्त निपटान विधियों का अभाव।
  • मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा और सहायता तक असमान पहुँच।
  • मासिक धर्म के बारे में चर्चा करने पर साथियों का दबाव और शर्मिंदगी।
  • परिवार के सदस्यों और समुदाय में खुले संवाद एवं समर्थन का अभाव।
  • मासिक धर्म की परेशानी या दर्द के कारण दैनिक गतिविधियों में व्यवधान और भागीदारी पर प्रतिबंध।

मासिक धर्म स्वच्छता हेतु भारत की पहल: 

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2011 में शुरू की गई मासिक धर्म स्वच्छता योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किशोर लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देना है।
  • वर्ष 2015 में स्वच्छ भारत दिशा-निर्देशों में स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM), सैनिटरी पैड, वेंडिंग एवं निपटान तंत्र प्रदान करना और छात्राओं के लिये विशेष वॉशरूम सुनिश्चित करना शामिल था। 
    • पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) पर दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।
  • रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) लागू करता है, जो महिलाओं के लिये स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • इस परियोजना के तहत देश भर में 8700 से अधिक जन औषधि केंद्र स्थापित किये गए हैं जो ‘सुविधा’ नाम की 1 रुपए प्रति पैड की दर से ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराती है।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2022 में एक समान राष्ट्रीय नीति का आह्वान किया, जिसका उद्देश्य सैनिटरी पैड, वेंडिंग एवं निपटान तंत्र और छात्राओं के लिये विशेष वॉशरूम प्रदान करना है।
  • विभिन्न राज्यों में किशोरियों को रियायती या मुफ्त सैनिटरी नैपकिन वितरित करने की अपनी योजनाएँ हैं, जैसे- अस्मिता योजना (महाराष्ट्र), उड़ान (राजस्थान), स्वेच्छा (आंध्र प्रदेश), शी पैड (केरल), और खुशी (ओडिशा)।
  • केरल और कर्नाटक राज्य सरकारें सैनिटरी नैपकिन के स्थायी विकल्प के रूप में मेंस्ट्रुअल कप का वितरण कर रही हैं।

आगे की राह

  • व्यापक मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा:
    • मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में लड़कियों को शिक्षित करने, मिथकों को खत्म करने और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये स्कूलों में आकर्षक और सहभागी कार्यशालाओं का आयोजन करना।
    • मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना जिसमें मासिक धर्म चक्र, स्वच्छता प्रथाओं और भावनात्मक कल्याण जैसे विषयों को प्रदर्शित किया गया हो।
  • सुलभ और वहनीय मासिक धर्म उत्पाद:
    • सभी लड़कियों तक मासिक धर्म उत्पादों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये स्कूलों, सामुदायिक केंद्रों और सार्वजनिक स्थानों पर सब्सिडी देना या सैनिटरी पैड के मुफ्त वितरण की वकालत करना।
    • सामर्थ्य और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये पुन: प्रयोज्य मासिक धर्म उत्पादों या पर्यावरण के अनुकूल विकल्प जैसे नवीन समाधानों को प्रोत्साहित करना।
  • स्वच्छता सुविधाएँ: 
    • मासिक धर्म उत्पादों तक आसान पहुँच के लिये सार्वजनिक स्थानों पर सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन या औषधि वितरित करने के लिये धन एकत्रित करना या साझेदारी करना।
  • पुरुष सहयोगियों को शामिल करना:
    • मासिक धर्म के बारे में सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देना, कलंक की भावना को दूर करने तथा सहायक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिये लड़कों एवं पुरुषों के लिये  कार्यशालाओं और जागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित करना ।
  • खेलकूद और शारीरिक गतिविधियाँ: 
    • मासिक धर्म की असुविधा को कम करने और समग्र कल्याण में सुधार के साधन के रूप में शारीरिक गतिविधियों, खेल एवं योग को बढ़ावा देना, इस रूढ़िवादिता को तोड़ना कि मासिक धर्म लड़कियों की भागीदारी को प्रतिबंधित करता है। 

स्रोत: द हिंदू