शासन व्यवस्था
हेट स्पीच की परिभाषा
चर्चा में क्यों?
चूँकि भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) में "हेट स्पीच" (Hate Speech) की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, इसलिये पहली बार इस तरह की भाषा को परिभाषित करने के लिये ब्रिटिश समय की इस संहिता में सुधारों का सुझाव देने हेतु केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित आपराधिक कानूनों पर सुधार समिति (Committee for Reforms in Criminal Law) प्रयास कर रही है।
प्रमुख बिंदु
हेट स्पीच:
- सामान्य तौर पर यह उन शब्दों को संदर्भित करता है जिनका इरादा किसी विशेष समूह के प्रति घृणा पैदा करना है, यह समूह एक समुदाय, धर्म या जाति हो सकता है। इस भाषा का अर्थ हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप हिंसा होने की संभावना होती है।
- पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने हाल ही में साइबर उत्पीड़न के मामलों पर जाँच एजेंसियों के लिये एक मैनुअल प्रकाशित किया है, जिसमें हेट स्पीच को एक ऐसी भाषा के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी व्यक्ति की पहचान और अन्य लक्षणों जैसे- यौन, विकलांगता, धर्म आदि के आधार पर उसे बदनाम, अपमान, धमकी या लक्षित करती है।
- भारत के विधि आयोग (Law Commission) की 267वीं रिपोर्ट में हेट स्पीच को मुख्य रूप से नस्ल, जातीयता, लिंग, यौन, धार्मिक विश्वास आदि के खिलाफ घृणा को उकसाने के रूप में देखा गया है।
- यह निर्धारित करने के लिये कि भाषा अभद्र है या नहीं, भाषा का संदर्भ एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हेट स्पीच के प्रमुख कारण:
- लोग उन रूढ़ियों में विश्वास करते हैं जो उनके दिमाग में बसी हुई हैं और ये रूढ़ियाँ उन्हें यह विश्वास दिलाने के लिये प्रेरित करती हैं कि एक वर्ग या व्यक्तियों का समूह उनसे हीन है तथा इसलिये सभी के एक समान अधिकार नहीं हो सकते।
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के अधिकार की परवाह किये बिना किसी विशेष विचारधारा को मानते रहने की जिद हेट स्पीच को और बढ़ाती है।
हेट स्पीच से संबंधित भारतीय दंड प्रावधान:
- भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत:
- धारा 153A और 153B: दो समूहों के बीच दुश्मनी तथा नफरत पैदा करने वाले कृत्यों को दंडनीय बनाता है।
- धारा 295A: यह धारा जान-बूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादे से लोगों के एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कृत्यों को दंडित करने से संबंधित है।
- धारा 505(1) और 505(2): यह धारा ऐसी सामग्री के प्रकाशन तथा प्रसार को अपराध बनाती जिससे विभिन्न समूहों के बीच द्वेष या घृणा उत्पन्न हो सकती है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत:
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of People’s Act), 1951 की धारा 8 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग के दोषी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोकती है।
- आरपीए की धारा 123(3A) और 125: चुनावों के संदर्भ में जाति, धर्म, समुदाय, जाति या भाषा के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने पर रोक लगाती है और इसे भ्रष्ट चुनावी कृत्य के अंतर्गत शामिल करती है।
आईपीसी में बदलाव के लिये सुझाव:
- विश्वनाथन समिति, 2019:
- इसने धर्म, नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, लैंगिक पहचान, यौन, जन्म स्थान, निवास, भाषा, विकलांगता या जनजाति के आधार पर अपराध करने के लिये उकसाने हेतु आईपीसी में धारा 153 सी (बी) और धारा 505 ए का प्रस्ताव रखा।
- इसने 5,000 रुपए के जुर्माने के साथ दो वर्ष तक की सज़ा का प्रस्ताव रखा।
- बेज़बरुआ समिति, 2014:
- इसने आईपीसी की धारा 153 सी (मानव गरिमा के लिये हानिकारक कृत्यों को बढ़ावा देने या बढ़ावा देने का प्रयास) में संशोधन कर पाँच वर्ष की सजा और जुर्माना या दोनों तथा धारा 509 ए (शब्द, इशारा या कार्य किसी विशेष जाति के सदस्य का अपमान करने का इरादा) में संशोधन कर तीन वर्ष की सज़ा या जुर्माना या दोनों का प्रस्ताव दिया।
आगे की राह
- विविध पृष्ठभूमि और संस्कृति की विशाल आबादी वाले भारत जैसे देश के लिये हेट स्पीच जैसे विषयों से निपटना एक जटिल मुद्दा बन जाता है क्योंकि स्वतंत्र स्पीच तथा हेट स्पीच के बीच अंतर करना मुश्किल है।
- भाषा को प्रतिबंधित करते समय कई कारकों जैसे- लोगों की राय और इसका लोगों की गरिमा, स्वतंत्रता तथा समानता के मूल्यों पर पड़ने वाले प्रभाव आदि पर विचार किया जाना चाहिये। निश्चित रूप से भारत में इस तरह के कृत्यों के लिये कानून हैं लेकिन पूरी तरह से इनका क्रियान्वयन होना अभी भी बाकी है।
- इसलिये हेट स्पीच की एक उचित परिभाषा देना खतरे से निपटने के लिये पहला कदम होगा, इसके साथ ही इस विषय पर जनता के बीच जागरूकता फैलाना समय की ज़रूरत है।
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
यूरोपीय संघ ने लगाए बेलारूस पर प्रतिबंध
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूरोपीय संघ (EU) ने बेलारूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें उसकी एयरलाइन्स को यूरोपीय संघ के हवाई क्षेत्र और हवाई अड्डों का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया गया।
प्रमुख बिंदु:
बेलारूस की राजनीतिक पृष्ठभूमि:
- यूरोप में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले शासक बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको ने वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन के कारण उत्पन्न हुई अराजकता के बीच वर्ष 1994 में पदभार ग्रहण किया।
- इन्हें प्रायः यूरोप के "अंतिम तानाशाह" के रूप में वर्णित किया जाता है, उन्होंने सोवियत साम्यवाद के तत्त्वों को संरक्षित करने का प्रयास किया है।
- वह 26 वर्षों से सत्ता में हैं तथा अर्थव्यवस्था का अधिकांश हिस्सा राज्य के हाथों में है और विरोधियों के खिलाफ सेंसरशिप एवं पुलिस कार्रवाई का उपयोग कर रहे हैं।
- वर्ष 2020 में लुकाशेंको को चुनावों में विजेता घोषित किये जाने के बाद राजधानी मिन्स्क में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो हिंसक सुरक्षा कार्रवाई के कारण हुए थे।
- बेलारूस में स्थिर अर्थव्यवस्था और चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह को लेकर सरकार के खिलाफ व्यापक गुस्सा व्याप्त है।
पिछले प्रतिबंध:
- हिंसक कार्रवाई के जवाब में यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2020 में बेलारूस के खिलाफ कई दौर के वित्तीय प्रतिबंध लगाए।
- अमेरिका ने नौ राज्यों के स्वामित्व वाली संस्थाओं और राष्ट्रपति लुकाशेंको सहित 16 व्यक्तियों पर यात्रा प्रतिबंध और लक्षित वित्तीय प्रतिबंध भी लगाए। ये प्रतिबंध पहली बार वर्ष 2006 में लगाए गए थे तथा वर्ष 2008 में इन्हें और अधिक सख्त कर दिया गया।
- कई वर्ष पहले दो विपक्षी राजनेताओं, एक पत्रकार और एक व्यापारी के लापता होने के बाद यूरोपीय संघ ने पहली बार वर्ष 2004 में बेलारूस के खिलाफ प्रतिबंधात्मक उपाय प्रस्तुत किये थे।
हालिया प्रतिबंधों का कारण:
- बेलारूस के राष्ट्रपति ने एक यात्री जेट को ज़बरन रोककर और एक विपक्षी पत्रकार को गिरफ्तार करने हेतु युद्धक विमान को भेजा। पश्चिमी शक्तियों द्वारा इसकी "स्टेट पाइरेसी" (जिसमें राज्य शामिल है) के रूप में निंदा की गई।
यूरोपीय संघ द्वारा उठाए गए कदम:
- हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध:
- बेलारूसी एयरलाइनों को EU के 27-राष्ट्र ब्लॉक के हवाई क्षेत्र से प्रतिबंधित करने का आह्वान किया और यूरोपीय संघ-आधारित वाहकों से पूर्व सोवियत गणराज्य के ऊपर से उड़ान भरने से बचने का आग्रह किया।
- ज़बरन विमान रोकने की जाँच:
- EU के देश ऐसे बेलारूसी व्यक्तियों की सूची को विस्तृत करने के लिये सहमत हुए, जिनके यात्रा करने पर पहले ही प्रतिबंध लगया जा चुका है और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) से बेलारूस की इस घटना की तत्काल जाँच करने का आग्रह किया।
- इसने हिरासत में लिये गए पत्रकार की रिहाई की भी मांग की।
- व्यक्तियों और व्यवसायों पर प्रतिबंध:
- अक्तूबर 2020 के बाद से यूरोपीय संघ उत्तरोत्तर यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति ज़ब्त करने जैसे उपायों के साथ अधिक से अधिक प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को प्रतिबंधित कर रहा है।
- हाल की घटना के संबंध में EU ने 88 व्यक्तियों और सात संस्थाओं की अपनी प्रतिबंध सूची में जोड़ने का निर्णय लिया।
- बिलियन-यूरो आर्थिक पैकेज:
- यूरोपीय संघ बेलारूस को 3 बिलियन यूरो का निवेश पैकेज देने को तैयार था जिसे अब तब तक फ्रीज किया जाएगा जब तक कि देश लोकतांत्रिक नहीं हो जाता।
निहितार्थ:
- बेलारूस यूरोप के भीतर एवं यूरोप और एशिया के बीच मार्गों के उड़ान पथ पर स्थित है। बेलारूस को प्रतिबंधित करने से इदानों में कमी आएगी और एयरलाइंस पर अतिरिक्त आर्थिक भर पड़ेगा।
- बेलारूस को एयरलाइन्स से हर दिन 70,000 यूरो तक आय होती है, इस राशि से वंचित होने से असुविधा होगी लेकिन बेलारूस की अर्थव्यवस्था पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन:
- यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है, जिसे वर्ष 1944 में स्थापित किया गया था, जिसने शांतिपूर्ण वैश्विक हवाई नेविगेशन के लिये मानकों और प्रक्रियाओं की नींव रखी।
- दिसंबर 1944 में शिकागो में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन को लेकर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- इसने हवाई मार्ग से अंतर्राष्ट्रीय परिवहन की अनुमति देने वाले मूल सिद्धांतों की स्थापना की और ICAO के निर्माण का भी नेतृत्व किया।
उद्देश्य:
- अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजना और विकास को बढ़ावा देना ताकि दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन के सुरक्षित और व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
सदस्य:
- भारत इसके 193 सदस्यों में शामिल है।
मुख्यालय:
- मॉट्रियल, कनाडा
आगे की राह:
- बेलारूस के राष्ट्रपति को एक वैध सरकार का गठन सुनिश्चित करना चाहिये जो देश की महत्त्वपूर्ण समस्याओं का समाधान कर सके।
- उन्हें विपक्ष से बात करनी चाहिये और संकट के शांतिपूर्ण समाधान हेतु बातचीत की पेशकश करनी होगी।
स्रोत-द हिंदू
शासन व्यवस्था
लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन मसौदा, 2021
चर्चा में क्यों?
लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण (LDA) के निर्माण के लिये जारी नवीनतम लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन मसौदा, 2021 के प्रति लक्षद्वीप के लोगों द्वारा व्यापक रूप से नाराज़गी व्यक्त की गई है।
प्रमुख बिंदु
परिचय :
- लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण का गठन:
- यह विनियमन सरकार, जिसे प्रशासक के रूप में पहचाना जाता है, को इसके तहत योजना और विकास प्राधिकरणों का गठन करने का अधिकार देता है ताकि “खराब लेआउट या अप्रचलित विकास” के रूप में पहचाने जाने वाले किसी भी क्षेत्र के विकास की योजना बनाई जा सके।
- इस प्रकार बनाया गया एक प्राधिकरण सरकार द्वारा नियुक्त अध्यक्ष, एक नगर नियोजन अधिकारी और दो स्थानीय प्राधिकरण प्रतिनिधियों के अलावा तीन ‘विशेषज्ञ’ सरकारी नामितों के साथ एक निगमित निकाय होगा।
- इन प्राधिकरणों को भूमि उपयोग के नक्शे तैयार करना, भूमि उपयोग के प्रकार के लिये ज़ोन या क्षेत्र निर्धारित करना और प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्गों, मुख्य सड़कों, रिंग रोड, प्रमुख गलियों, रेलवे, ट्रामवे, हवाई अड्डों, थिएटरों, संग्रहालयों आदि के लिये क्षेत्रों को इंगित करना है।
- केवल छावनी क्षेत्रों (cantonment areas) को इससे छूट दी गई है।
- यह विनियमन सरकार, जिसे प्रशासक के रूप में पहचाना जाता है, को इसके तहत योजना और विकास प्राधिकरणों का गठन करने का अधिकार देता है ताकि “खराब लेआउट या अप्रचलित विकास” के रूप में पहचाने जाने वाले किसी भी क्षेत्र के विकास की योजना बनाई जा सके।
- ‘विकास' की परिभाषा:
- यह विकास को भवन, इंजीनियरिंग, खनन, उत्खनन या अन्य कार्यों में संलग्न ऊपरी या निचली भूमि पर किसी पहाड़ी या उसके किसी भाग को काटने या किसी भवन या भूमि में किसी भी भौतिक परिवर्तन या किसी भवन या भूमि के उपयोग के रूप में परिभाषित करता है।
- ज़ोन परिवर्तन के लिये शुल्क:
- यह निर्धारित करता है कि द्वीप वासियों को क्षेत्र परिवर्तन के लिये प्रभावी शुल्क का भुगतान करना होगा।
- इसका तात्पर्य यह है कि विकास योजना के अनुसार क्षेत्रों को परिवर्तित करने या अनुमोदन प्राप्त करने हेतु स्थानीय लोगों को शुल्क का भुगतान करना होगा, साथ ही अपनी भूमि विकसित करने की अनुमति के लिये शुल्क भी देना होगा।
- दंड:
- यह विकास योजना के कार्यों या श्रमिकों के मार्ग में बाधा डालने पर कारावास जैसे दंड का प्रावधान करता है।
लोगों की चिंताएँ:
- अचल संपत्ति हित:
- लोगों को संदेह है कि यह मसौदा ‘अचल संपत्ति हितों’ के इरादे से जारी किया गया हो सकता है जो द्वीप वासियों के स्वामित्व वाली संपत्ति की लघु जोत पर कब्ज़ा करने की कोशिश है, उनमें से अधिकांश (2011 की जनगणना के अनुसार 94.8%) अनुसूचित जनजाति (ST) से संबंधित हैं।
- लक्षद्वीप में 'हस्तांतरणीय विकास अधिकार' जैसी अचल संपत्ति विकास अवधारणाओं को शामिल करने के प्रस्तावों ने लोगों के सामूहिक प्रवासन के भय को उत्पन्न किया है।
- ज़बरन स्थानांतरण (पुनर्वास) और निष्कासन:
- इसमें अधिकार के अतिरिक्त ऐसी शक्तियाँ निहित हैं कि यह किसी भी क्षेत्र के लिये व्यापक विकास योजनाएँ तैयार कर सकती है और लोगों को उनकी इच्छाओं के विरुद्ध उनको स्थानांतरित कर सकता है।
- यह ज़बरन निष्कासन का अधिकार देता है, मालिक को प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई योजना के अनुसार अपनी संपत्ति विकसित करने का दायित्व प्रदान करता है और साथ ही गैर-अनुपालन की स्थिति में उन्हें भारी दंड देने का भी प्रावधान करता है।
- संस्कृति का विनाश:
- द्वीप के समुदायों का एक घनिष्ठ समूह है जिसमें परिवार निकटता में रहते हैं। यह विनियमन उनके द्वारा पीढ़ियों से चली आ रही तौर-तरीकों को नष्ट कर देगा।
- पारिस्थितिक चिंताएँ:
- यह मसौदा न तो पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ है और न ही सामाजिक रूप से व्यवहारपूर्ण है तथा इस मसौदे को तैयार करने से पहले स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों से सलाह नहीं ली गई थी।
लक्षद्वीप (Lakshadweep)
परिचय:
- 32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला भारत का सबसे छोटा केंद्रशासित प्रदेश, लक्षद्वीप एक द्वीप समूह है, जिसमें कुल 36 द्वीप शामिल हैं।
- यह एक प्रशासक के माध्यम से सीधे केंद्र के नियंत्रण में होता है।
- लक्षद्वीप के अंतर्गत कुल तीन उप-द्वीप समूह शामिल हैं:
- अमीनदीव द्वीप समूह
- लेकाडाइव द्वीप समूह
- मिनिकॉय द्वीप समूह
- अमीनदीव द्वीप समूह सबसे उत्तर में है, जबकि मिनिकॉय द्वीप समूह सबसे दक्षिण में है।
- यहाँ के सभी छोटे द्वीप प्रवाल मूलक (एटोल) हैं और ये चारों तरफ से फ्रिंजिंग रीफ से घिरे हुए हैं।
- राजधानी कवारत्ती लक्षद्वीप की राजधानी यहाँ का सबसे प्रमुख शहर है।
- पिट्टी द्वीप में एक पक्षी अभयारण्य है। यह एक निर्जन द्वीप है।
जनसंख्या:
- यहाँ की 93% से अधिक आबादी स्वदेशी हैं जिनमें मुस्लिम धर्म के अधिकांश सुन्नी संप्रदाय के शफी पंथ (Shafi School) से संबंधित हैं।
- यहाँ के सभी द्वीपों (मिनिकॉय को छोड़कर) में मलयालम भाषा बोली जाती है, यहाँ के स्थानीय लोग महल (Mahl) बोली बोलते हैं जो दिवेही (Divehi) लिपि में लिखी जाती है और यह मालदीव में भी बोली जाती है।
- सभी स्वदेशी आबादी को उनके आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस केंद्रशासित प्रदेश में कोई अनुसूचित जाति नहीं है।
- लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना, नारियल की खेती और रस्सी बनाना (Coir Twisting) है। यहाँ पर्यटन एक उभरता हुआ उद्योग है।
जैविक कृषि क्षेत्र: हाल ही में भारत की भागीदारी गारंटी प्रणाली (PGS) के तहत संपूर्ण लक्षद्वीप को एक जैविक कृषि क्षेत्र घोषित किया गया है।
स्रोत: द हिंदू
शासन व्यवस्था
वन स्टॉप सेंटर
चर्चा में क्यों?
महिला और बाल विकास मंत्रालय लिंग आधारित हिंसा से पीड़ित भारतीय महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिये 10 देशों में वन स्टॉप सेंटर (One Stop Centres- OSC) स्थापित करेगा।
- इनमे बहरीन, कुवैत, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब के जेद्दा और रियाद, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा तथा सिंगापुर शामिल है जहाँ वन स्टॉप सेंटर खोले जाएंगे।
- यह सभी ज़िलों में लगभग 700 मौजूदा OSC के अलावा देश में 300 OSC भी स्थापित करेगा।
प्रमुख बिंदु
वन स्टॉप सेंटर के बारे में:
- यह महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या के समाधान के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे अप्रैल 2015 में लॉन्च किया गया था।
- यह इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना (Indira Gandhi Mattritav Sahyaog Yojana) सहित राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन के लिये अंब्रेला योजना की एक उप-योजना है।
- एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिये देश भर में वन स्टॉप सेंटर और विश्व भर में प्रत्येक मिशन के लिये कम-से-कम एक OSC स्थापित किया जाएगा।
- भारतीय मिशन विश्व भर में भारतीयों और भारत सरकार के बीच संपर्क हेतु एक महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
उद्देश्य:
- परिवार के भीतर या कार्यस्थल पर या समुदाय के भीतर, निजी या सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली हिंसा से प्रभावित महिलाओं का समर्थन करना।
- विशेष रूप से उन महिलाओं के लिये जो अपनी जाति, पंथ, नस्ल, वर्ग, शिक्षा की स्थिति, उम्र, संस्कृति या वैवाहिक स्थिति के बावजूद यौन, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण का सामना करती हैं।
अनुदान:
- यह निर्भया फंड के माध्यम से वित्तपोषित है और केंद्र सरकार राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को 100% वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
निर्भया फंड
- निर्भया फंड फ्रेमवर्क महिलाओं की सुरक्षा के लिये एक नॉन-लैप्सेबल कॉर्पस फंड प्रदान करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2013 में की गई थी।
- यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (MoF) के आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) द्वारा प्रशासित है।
- इसका उपयोग महिला सुरक्षा से संबंधित परियोजनाओं और पहलों के लिये किया जा सकता है।
लेखा परीक्षा:
- लेखा परीक्षा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के मानदंडों के अनुसार की जाएगी और सामाजिक लेखा परीक्षा भी नागरिक समाज समूहों द्वारा की जाएगी।
सेवाएँ:
- आपातकालीन प्रतिक्रिया और बचाव सेवाएँ।
- मेडिकल सहायता।
- प्राथमिकी दर्ज करने में महिलाओं की सहायता।
- मनो-सामाजिक समर्थन और परामर्श।
- कानूनी सहायता और परामर्श।
- आश्रय।
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिये भारतीय कानूनी ढाँचा:
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
- यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO), 2012
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961।
महिलाओं के लिये कुछ अन्य पहलें:
- शी-बॉक्स पोर्टल।
- सुकन्या समृद्धि योजना।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना।
- बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना।
- राष्ट्रीय शिशुगृह योजना।
- महिला ई-हाट।
- गति योजना।
- किरण योजना।
स्रोत: द हिंदू
भूगोल
पूर्ण चंद्र ग्रहण और सुपरमून
चर्चा में क्यों?
26 मई, 2021 को दो खगोलीय घटनाएँ यथा- पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) और सुपरमून (Supermoon) घटित हुईं।
प्रमुख बिंदु
सुपरमून:
- यह उस स्थिति को दर्शाता है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सर्वाधिक निकट और साथ ही पूर्ण आकार में होता है।
- चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान एक समय दोनों के मध्य सबसे कम दूरी हो जाती है जिसे उपभू (Perigee) कहा जाता है और जब दोनों के मध्य सबसे अधिक दूरी हो जाती है तो इसे अपभू (Apogee) कहा जाता है।
- चूँकि पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी से कम-से-कम दूरी के बिंदु पर दिखाई देता है और इस समय यह न केवल अधिक चमकीला दिखाई देता है, बल्कि यह सामान्य पूर्णिमा के चंद्रमा से भी बड़ा होता है।
- नासा के अनुसार, सुपरमून शब्द वर्ष 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा दिया गया था। एक सामान्य वर्ष में दो से चार पूर्ण सुपरमून और एक पंक्ति में दो से चार नए सुपरमून हो सकते हैं।
चंद्र ग्रहण:
- परिचय:
- चंद्रग्रहण तब होता है,जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है।
- इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे की बिल्कुल सीध में होते हैं और यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
- सर्वप्रथम चंद्रमा पेनुम्ब्रा (Penumbra) की तरफ चला जाता है-पृथ्वी की छाया का वह हिस्सा जहाँ सूर्य से आने वाला संपूर्ण प्रकाश अवरुद्ध नहीं होता है। चंद्रमा के भू-भाग का वह हिस्सा नियमित पूर्णिमा की तुलना में धुँधला दिखाई देगा।
- और फिर चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में चला जाता है, जहाँ सूर्य से आने वाला प्रकाश पूरी तरह से पृथ्वी से अवरुद्ध हो जाता है। इसका मतलब है कि पृथ्वी के वायुमंडल में चंद्रमा की डिस्क द्वारा परावर्तित एकमात्र प्रकाश पहले ही वापस ले लिया गया है या परिवर्तित किया जा चुका है।
- पूर्ण चंद्रग्रहण:
- इस दौरान चंद्रमा की पूरी डिस्क पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में प्रवेश करती है, इसलिये चंद्रमा लाल (ब्लड मून) दिखाई देता है। हालाँकि यह हमेशा के लिये नहीं रहेगा।
- लगभग 14 मिनट के पश्चात्, चंद्रमा पृथ्वी के कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) से बाहर निकलकर वापस अपने पेनुम्ब्रा में आ जाएगा। कुल मिलाकर यह चंद्र ग्रहण कुछ घंटों तक चलेगा।
- लाल प्रकाश में नीले प्रकाश की तुलना में लंबी तरंग दैर्ध्य होती है, जो चंद्र ग्रहण को अपना विशिष्ट लाल रंग प्रदान करता है।
- पृथ्वी पर हम सूर्योदय और सूर्यास्त के समय समान प्रभाव देखते हैं, जब आकाश दिन की तुलना में अधिक लाल होता है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण
- पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अँधेरा छा जाता है।
- इस घटना के दौरान चंद्रमा सूर्य की पूरी सतह को ढक लेता है। आंशिक और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के केवल एक हिस्से को ढकता है।
- जब चंद्रमा सूर्य की सतह को पूरी तरह से ढक लेता है तो इस समय केवल सूर्य का कोरोना (Sun Corona) दिखाई देता है।
- इसे पूर्ण ग्रहण इसलिये कहा जाता है क्योंकि इस समय आकाश में अंधेरा हो जाता है और तापमान गिर सकता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय विरासत और संस्कृति
वेसाक समारोह
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वर्चुअल ‘वेसाक वैश्विक समारोह’ को संबोधित किया।
- यह कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के सहयोग से आयोजित किया गया था, जिसमे दुनिया भर के बौद्ध संघों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
प्रमुख बिंदु
बुद्ध पूर्णिमा
- इसका आयोजन धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म के उपलक्ष्य में किया जाता है।
- इसे वेसाक के नाम से भी जाना जाता है। वैश्विक समाज में बौद्ध धर्म के योगदान को देखते हुए वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिवस को मान्यता दी गई थी।
- तथागत गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और महापरिनिर्वाण के रूप में इसे 'तिहरा-धन्य दिवस' माना जाता है।
- बुद्ध पूर्णिमा आमतौर पर अप्रैल और मई माह के बीच पूर्णिमा को पड़ती है और यह भारत में एक राजकीय अवकाश है।
- इस अवसर पर कई भक्त बिहार के बोधगया में स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल महाबोधि विहार जाते हैं।
- बोधि विहार वह स्थान है, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC)
- यह सबसे बड़ा धार्मिक बौद्ध संघ है।
- इस निकाय का उद्देश्य वैश्विक मंच पर बौद्ध धर्म की भूमिका का निर्माण करना है, ताकि बौद्ध धर्म की विरासत को संरक्षित करने, ज्ञान साझा करने और मूल्यों को बढ़ावा देने में मदद मिल सके तथा वैश्विक वार्ता में सार्थक भागीदारी के साथ बौद्ध धर्म का संयुक्त प्रतिनिधित्व किया जा सके।
- नवंबर 2011 में नई दिल्ली में ‘वैश्विक बौद्ध मण्डली’ (GBC) की मेज़बानी की गई थी, जहाँ उपस्थित लोगों ने सर्वसम्मति से एक अंतर्राष्ट्रीय अम्ब्रेला निकाय- अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के गठन के प्रस्ताव को अपनाया।
- मुख्यालय: दिल्ली (भारत)
गौतम बुद्ध के विषय में
- बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ गौतम के रूप में लगभग 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ था और वे शाक्य वंश के थे।
- गौतम ने बिहार के बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे बोधि (ज्ञानोदय) प्राप्त किया था।
- बुद्ध ने अपना पहला उपदेश उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास सारनाथ गाँव में दिया था। इस घटना को धर्म चक्र प्रवर्तन (कानून के पहिये का घूमना) के रूप में जाना जाता है।
- उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में उनका निधन हो गया। इस घटना को महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है।
- उन्हें भगवान विष्णु के दस अवतारों में से आठवाँ अवतार माना जाता है।
बौद्ध धर्म
परिचय
- भारत में बौद्ध धर्म की शुरुआत लगभग 2600 वर्ष पूर्व हुई थी।
- बौद्ध धर्म की मुख्य शिक्षाएँ चार महान आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की मूल अवधारणा में समाहित हैं।
- दुख (पीड़ा) और उसका विलुप्त होना बुद्ध के सिद्धांत के केंद्र में है।
- बौद्ध धर्म का सार आत्मज्ञान या निर्वाण की प्राप्ति में है, जिसे इस जीवन में प्राप्त किया जा सकता है।
- बौद्ध धर्म में कोई सर्वोच्च देवता या देवी नहीं है।
बौद्ध परिषद
बौद्ध परिषद |
संरक्षक |
स्थान |
अध्यक्ष |
वर्ष |
पहली |
अजातशत्रु |
राजगृह |
महाकस्यप |
483 ई.पू. |
दूसरी |
कालाशोक |
वैशाली |
सुबुकामि |
383 ई.पू. |
तीसरी |
अशोक |
पाटलिपुत्र |
मोगालिपुत्र |
250 ई.पू. |
चौथी |
कनिष्क |
कुण्डलवन |
वसुमित्र |
72 ई. |
बौद्ध धर्म की शाखाएँ
- महायान (मूर्ति पूजा), हीनयान, थेरवाद, वज्रयान (तांत्रिक बौद्ध धर्म), ज़ेन।
बौद्ध धर्म ग्रंथ (त्रिपिटक)
- विनयपिटक (मठवासी जीवन पर लागू नियम), सुत्तपिटक (बुद्ध की मुख्य शिक्षाएँ या धम्म), अभिधम्मपिटक (एक दार्शनिक विश्लेषण और शिक्षण का व्यवस्थापन)।
भारतीय संस्कृति में बौद्ध धर्म का योगदान
- अहिंसा की अवधारणा बौद्ध धर्म का प्रमुख योगदान है। बाद के समय में यह हमारे राष्ट्र के पोषित मूल्यों में से एक बन गई।
- भारत की कला एवं वास्तुकला में इसका योगदान उल्लेखनीय है। सांची, भरहुत और गया के स्तूप वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं।
- इसने तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे आवासीय विश्वविद्यालयों के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा दिया।
- पाली और अन्य स्थानीय भाषाओं की भाषा बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के माध्यम से विकसित हुई।
- इसने एशिया के अन्य हिस्सों में भारतीय संस्कृति के प्रसार को भी बढ़ावा दिया था।
बौद्ध धर्म से संबंधित यूनेस्को के विरासत स्थल
- नालंदा, बिहार में नालंदा महाविहार का पुरातात्त्विक स्थल
- साँची, मध्य प्रदेश में बौद्ध स्मारक
- बोधगया, बिहार में महाबोधि विहार परिसर
- अजंता गुफाएँ, औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय राजव्यवस्था
CBI निदेशक की नियुक्ति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने 'सुबोध कुमार जायसवाल' को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) का नया निदेशक नियुक्त किया है।
- CBI के निदेशक की नियुक्ति दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment Act), 1946 की धारा 4ए के तहत की जाती है।
प्रमुख बिंदु
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के बारे में:
- CBI की स्थापना वर्ष 1963 में गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी।
- अब CBI कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training- DoPT) के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है।
- भ्रष्टाचार की रोकथाम पर संथानम समिति (1962-1964) द्वारा CBI की स्थापना की सिफारिश की गई थी।
- CBI एक वैधानिक निकाय नहीं है। यह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से अपनी शक्तियाँ प्राप्त करता है।
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) केंद्र सरकार की एक प्रमुख अन्वेषण एजेंसी है।
- यह केंद्रीय सतर्कता आयोग और लोकपाल को भी सहायता प्रदान करता है।
- यह भारत में नोडल पुलिस एजेंसी भी है जो इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जाँच का समन्वय करती है।
- CBI का नेतृत्व एक निदेशक करता है।
- CBI के पास IPC में 69 केंद्रीय कानूनों, 18 राज्य अधिनियमों और 231 अपराधों से संबंधित अपराधों की जाँच करने का अधिकार क्षेत्र है।
CBI निदेशक की नियुक्ति:
- CBI का निदेशक पुलिस महानिरीक्षक, दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के रूप में संगठन के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
- लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम (2013) ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (1946) में संशोधन किया और CBI के निदेशक की नियुक्ति के संबंध में निम्नलिखित परिवर्तन किये।
- नियुक्ति समिति: केंद्र सरकार तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर CBI के निदेशक की नियुक्ति करेगी जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और भारत का मुख्य न्यायाधीश या उसके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश शामिल होंगे।
- दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) अधिनियम, 2014 ने CBI के निदेशक की नियुक्ति से संबंधित समिति की संरचना में बदलाव किया।
- इसमें कहा गया है कि जहाँ लोकसभा में विपक्ष का कोई मान्यता प्राप्त नेता नहीं है, लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता उस समिति का सदस्य होगा।
- निदेशक का कार्यकाल: CBI के निदेशक को CVC अधिनियम, 2003 द्वारा दो वर्ष के कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की गई है।
CBI निदेशक से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के फैसले:
- छह महीने के न्यूनतम अवशिष्ट कार्यकाल नियम को सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2019 के आदेश में पेश किया था।
- छह महीने से कम के कार्यकाल वाले किसी भी अधिकारी को प्रमुख पद के लिये विचार नहीं किया जा सकता है।
- हालाँकि प्रकाश सिंह मामले में आदेश DGP की नियुक्ति से संबंधित था, लेकिन इसे CBI निदेशक तक भी बढ़ा दिया गया था।
- प्रकाश सिंह मामले, 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि DGP की नियुक्ति "पूरी तरह से योग्यता के आधार पर और कार्यालय को सभी प्रकार के प्रभावों और दबावों से बचाने के लिये होनी चाहिये"।
- उच्च स्तरीय समिति की पूर्व सहमति के बिना उसका तबादला नहीं किया जा सकता है।
- भारत संघ बनाम सी. दिनाकर (Union of India versus C. Dinakar), 2001 मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि "आमतौर पर CBI निदेशक की सेवानिवृत्ति की तिथि पर सेवा में सबसे वरिष्ठ चार बैचों के IPS अधिकारी उनके पैनल के बावजूद CBI निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिये विचार के पात्र होंगे।"