जैव विविधता और पर्यावरण
सांभर झील: राजस्थान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान राज्य सरकार ने कहा कि वह सांभर नमक झील (Sambhar Salt Lake) में पर्यटन के नए बिंदुओं की पहचान करेगी।
- यह झील केंद्र के स्वदेश दर्शन योजना (Swadesh Darshan Scheme) के राजस्थान सर्किट का हिस्सा है। इस योजना को पर्यटन मंत्रालय (Ministry of Tourism) द्वारा वर्ष 2014-15 में पर्यटक सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- अवस्थिति:
- यह झील जयपुर से लगभग 80 किमी. दूर पूर्व-मध्य राजस्थान में स्थित है।
- विशेषताएँ:
- नमक झील: यह भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय नमक झील है जो अरावली रेंज (Aravalli Range) के गर्त को दर्शाती है।
- मुगल वंश (1526-1857) को इस झील से नमक की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन बाद में इस झील पर जयपुर और जोधपुर रियासतों का संयुक्त रूप से स्वामित्व हो गया था।
- रामसर साइट: इसे वर्ष 1990 से रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत 'अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व' की एक आर्द्रभूमि घोषित किया गया है।
- आकार और गहराई:
- इस झील का आकार सभी मौसमों में एक समान नहीं होता बल्कि मौसम-दर-मौसम बदलता रहता है। अतः इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 190 से 230 वर्ग किमी. के बीच है।
- सांभर झील की गहराई भी इसके व्यापक खारे आर्द्रभूमि के कारण मौसम-दर- मौसम बदलती रहती है। इसकी गहराई ग्रीष्मकाल (शुष्क समय) के दौरान 60 सेमी. और मानसून के दौरान 3 मीटर तक कम हो जाती है।
- नदियाँ: इसे छह नदियों यथा- मेड़ता, समौद, मंथा, रूपनगढ़, खारी और खंडेला से पानी प्राप्त होता है।
- वनस्पति: इसके जलग्रहण क्षेत्र में मौजूद ज़्यादातर वनस्पतियाँ ज़ेरोफाइटिक (Xerophytic) प्रकार की हैं।
- ज़ेरोफाइटिक एक प्रकार के पौधे होते हैं जिनका विकास शुष्क परिस्थितियों में अच्छे से हो सकता है।
- जीव-जंतु: आमतौर पर सांभर झील में फ्लेमिंगो (Flamingo), पेलिकन (Pelican) और जलपक्षी (Waterfowl) देखे जाते हैं।
- इस झील में वर्ष 2019 में बॉटुलिज़्म (Botulism) के कारण लगभग 22,000 प्रवासी पक्षियों की मौत हो गई थी।
- इस झील के पास राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2020 की सर्दियों से पहले प्रवासी पक्षियों के लिये अस्थायी आश्रयों का निर्माण करने का निर्णय लिया गया।
- नमक का उत्पादन: यह झील देश में नमक के उत्पादन का एक बड़ा स्रोत है।
- अन्य निकटवर्ती स्थान: शाकम्बरी देवी मंदिर, सांभर वन्यजीव अभयारण्य आदि।
- नमक झील: यह भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय नमक झील है जो अरावली रेंज (Aravalli Range) के गर्त को दर्शाती है।
- राजस्थान सरकार की नवीनतम योजनाएँ:
- सांभर झील में नए पर्यटन बिंदुओं पर वनस्पतियों, जीवों और नमक बनाने की प्रक्रिया की एक झलक दिखाई जाएगी।
- एक "नमक ट्रेन", जिससे रिफाइनरी तक नमक पहुँचाया जाता है, को फिर से शुरू किया जाएगा।
- इस झील के आसपास के नमक संग्रहालय, कारवां पार्क, साइकिल ट्रैक और उद्यान सहित नए स्थलों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
- इस झील में अवैध नमक उत्पादन करने वाले अनधिकृत बोरवेल और पाइपलाइनों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाएगा, जबकि पुलिस की मदद से भूमि पर किये गए अतिक्रमण को हटाया जाएगा।
स्रोत: द हिंदू
सामाजिक न्याय
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (Autism Spectrum Disorder-ASD) से ग्रसित महाराष्ट्र की एक 12 वर्षीय लड़की ने अरब सागर को बांद्रा-वर्ली सी लिंक (Bandra-Worli Sea Link) से गेटवे ऑफ इंडिया (मुंबई) तक सफलतापूर्वक तैरकर पार किया।
प्रमुख बिंदु:
- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के बारे में:
- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) सामाजिक विकृतियों, संवाद में परेशानी, प्रतिबंधित, व्यवहार का दोहराव और व्यवहार का स्टिरियोटाइप पैटर्न द्वारा पहचाना जाने वाला तंत्रिका विकास संबंधी जटिल विकार है।
- यह एक जटिल मस्तिष्क विकास विकलांगता (Brain Development Disability) है जो व्यक्ति के जीवन के पहले 3 वर्षों के दौरान उत्पन्न होती है।
- यह मानसिक मंदता की स्थिति नहीं है क्योंकि ऑटिज़्म से पीड़ित लोग कला, संगीत, लेखन आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कौशल दिखा सकते हैं। ASD के साथ व्यक्तियों में बौद्धिक कामकाज का स्तर अत्यंत परिवर्तनशील होता है, जो अत्यधिक नुकसान से लेकर श्रेष्ठ स्तर तक होता है।
- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के कारण:
- एक बच्चे में ASD के संभवतः कई कारक होते हैं जिनमें पर्यावरण और आनुवंशिक कारक शामिल हैं।
- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के लक्षण:
- ASD से ग्रसित बच्चों में सामाजिक संचार और सहभागिता का अभाव, सीमित रुचियों का होना तथा एक ही व्यवहार को बार-बात दोहराना आदि कुछ मुख्य लक्षण विद्यमान होते हैं।
- उपचार:
- हालांँकि ASD का कोई इलाज़ नहीं है फिर भी इसके लक्षणों को देखते हुए उचित चिकित्सा परामर्श प्रदान किया जा सकता है। इनमें लक्षणों के आधार पर मनोवैज्ञानिक सलाह, माता-पिता और अन्य देखभालकर्त्ताओं हेतु स्वास्थ्य संवर्द्धन, देखभाल, पुनर्वास सेवाओं आदि के लिये व्यवहार उपचार और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल है।
- ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के संबंध में जागरूकता हेतु वैश्विक और राष्ट्रीय पहल:
- विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention on the Rights of Persons with Disabilities- UNCRPD), सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) ऑटिज़्म सहित विकलांग लोगों के अधिकारों से संबंधित है।
- विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 ने विकलांगता के प्रकार को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया जिसमें ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार भी शामिल था। इसे पहले के अधिनियम में काफी हद तक नज़रअंदाज़ किया गया था।
- वर्ष 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) द्वारा ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकारों के प्रबंधन हेतु व्यापक और समन्वित प्रयासों’ (Comprehensive and Coordinated Efforts for the Management of Autism Spectrum Disorders) से संबंधित एक संकल्प को अपनाया गया जिसे 60 से अधिक देशों द्वारा समर्थन दिया गया।
- वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 2 अप्रैल को ‘विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस’ ( World Autism Awareness Day) के रूप में घोषित किया।
स्रोत: पी.आई.बी.
शासन व्यवस्था
नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज: स्मार्ट सिटीज़ मिशन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने ‘नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज’ प्रतियोगिता के तहत देश के 25 शहरों के चयन की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु:
- नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज:
- प्रारंभ: नवंबर 2020
- विशेषताएँ:
- मंत्रालय ने कहा कि यह चैलेंज एक तीन वर्षीय कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारतीय शहरों और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर सार्वजनिक स्थान, गतिशीलता, पड़ोस योजना, प्रारंभिक बचपन संबंधी सेवाओं और सुविधाओं तक सभी की पहुँच तथा शहरी एजेंसियों के डेटा प्रबंधन में सुधार करने के लिये विभिन्न मानकों एवं तरीकों का समर्थन करना है।
- इसका लक्ष्य भारतीय शहरों के बीच बचपन केंद्रित दृष्टिकोण का प्रचार करना है।
- सहयोगी संगठन:
- आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय, बर्नार्ड वैन लीर फाउंडेशन (BvLF) और विश्व संसाधन संस्थान (WRI) भारत।
- चयनित शहरों को सहायता:
- चयनित शहरों के प्रस्ताव, तत्परता और प्रतिबद्धता के आधार पर इन्हें छोटे बच्चों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये तकनीकी समर्थन तथा क्षमता-निर्माण संबंधी प्रायोगिक एवं मानकीकृत समाधान प्रदान किये जाते हैं।
- महत्त्व:
- बच्चों के प्रति संवेदनशीलता: शहरी डिज़ाइन और योजना एक बच्चे के जीवन के शुरुआती वर्षों (0- 5 वर्ष) को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो कि एक बच्चे के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और विकास की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अवधि होती है।
- यह स्मार्ट सिटीज़ मिशन के ITCN (शिशु-Infant, टॉडलर-Toddler, केयरगिवर-Caregiver, फ्रेंडली नेबरहुड्स-Friendly Neighbourhoods) फ्रेमवर्क के अनुरूप स्थापित किया गया है, इस फ्रेमवर्क के पाँच उद्देश्य हैं- पड़ोस को सुरक्षित, सुखी, सुलभ, समावेशी और हरित बनाना।
- समावेशी विकास को प्रोत्साहन: यह समावेशी विकास को बढ़ावा देता है क्योंकि इसका उद्देश्य सभी संवेदनशील नागरिकों खासकर छोटे बच्चों के लिये शहरी क्षेत्रों में अवसरों को बढ़ावा देना है।
- बच्चों के प्रति संवेदनशीलता: शहरी डिज़ाइन और योजना एक बच्चे के जीवन के शुरुआती वर्षों (0- 5 वर्ष) को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो कि एक बच्चे के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और विकास की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अवधि होती है।
स्मार्ट सिटी मिशन:
- स्मार्ट सिटी मिशन स्थानीय विकास सुनिश्चित करने और प्रौद्योगिकी की मदद से नागरिकों के लिये बेहतर परिणामों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा आर्थिक विकास को गति देने हेतु भारत सरकार द्वारा एक अभिनव और नई पहल है।
- उद्देश्य: कोर अवसंरचना प्रदान करने वाले शहरों को बढ़ावा देना, अपने नागरिकों को जीवन की अच्छी गुणवत्ता प्रदान करना, स्वच्छ और सतत् वातावरण प्रदान करना तथा स्मार्ट समाधानों को उपलब्ध कराना।
- केंद्रबिंदु: यह मिशन सतत् और समावेशी विकास पर केंद्रित होने के साथ-साथ अन्य संबंधित क्षेत्रों के लिये ऐसे अनुकरणीय मॉडल बनाने हेतु प्रेरित करता है जो अन्य आकांक्षी शहरों के लिये एक मार्गदर्शक की तरह कार्य करें।
- रणनीति:
- पूरे शहर के लिये पहल जिसमें कम-से-कम एक स्मार्ट समाधान शहर भर में लागू किया गया हो।
- निम्नलिखित तीन मॉडलों की सहायता से क्षेत्रों को चरण-दर-चरण विकसित करना:
- रेट्रोफिटिंग (Retrofitting)
- पुनर्विकास (Redevelopment)
- हरित क्षेत्र (Greenfield)
- कवरेज और अवधि: इस मिशन ने शुरुआत के पाँच वर्षों की अवधि के दौरान (वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20) 100 शहरों को कवर किया है।
- वित्तीयन: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
स्रोत- पी.आई.बी.
आंतरिक सुरक्षा
अरुणाचल सीमा पर अवसंरचना विकास
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में महत्त्वपूर्ण अवसंरचना विकास के लिये 1,100 करोड़ रुपए से अधिक राशि की मंज़ूरी दी है।
- सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने ‘भारत-चीन सीमा सड़क’ (ICBR) योजना के चरण II के तहत 32 सड़कों के निर्माण से संबंधित प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी है।
- इससे पूर्व सरकार द्वारा प्रतिबंधात्मक नीति का पालन किया जा रहा था और चीन की सीमा के साथ लगे क्षेत्रों के विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया था।
प्रमुख बिंदु
- अरुणाचल प्रदेश में महत्त्वपूर्ण अवसंरचना विकास
- अधिकांश परियोजनाओं की शुरुआत अरुणाचल के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी हिस्से में चीन की सीमा से लगे क्षेत्रों में चलाई जा रही है।
- इसके तहत 598 किलोमीटर लंबी सड़कों और 18 फुट-ट्रैक्स के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
- यह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की क्षमता में वृद्धि करेगा। इन ट्रैक्स का उपयोग सेना द्वारा सैनिकों और आवश्यक सामग्री के परिवहन के लिये मुख्य सीमा सड़कों के पूरक के रूप में किया जा सकता है।
- भारत-चीन सीमा सड़क योजना
- इस योजना का पहला चरण वर्ष 2005 में तब शुरू किया गया था, जब गृह मंत्रालय ने चीन से लगे क्षेत्रों में 912 करोड़ रुपए की लागत के साथ 608 किलोमीटर लंबी कुल 27 सड़कों का निर्माण करने और सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा 14 सड़कों का निर्माण किये जाने की योजना बनाई गई थी।
- कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं में लद्दाख की दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क और रोहतांग सुरंग तथा पूर्वोत्तर मे सेला सुरंग शामिल हैं।
- भारत-चीन सीमा सड़क योजना के दूसरे चरण के तहत कुल 12,434.90 करोड़ रुपए की लागत से 638.12 किलोमीटर लंबी सड़कों के निर्माण की योजना बनाई गई है, जो कि लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरेंगी।
- इस योजना का पहला चरण वर्ष 2005 में तब शुरू किया गया था, जब गृह मंत्रालय ने चीन से लगे क्षेत्रों में 912 करोड़ रुपए की लागत के साथ 608 किलोमीटर लंबी कुल 27 सड़कों का निर्माण करने और सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा 14 सड़कों का निर्माण किये जाने की योजना बनाई गई थी।
- अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास सड़कों का महत्त्व
- अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ अपनी सबसे लंबी सीमा साझा करता है, जिसके बाद म्याँमार और भूटान का स्थान है।
- इसके अलावा चीन संपूर्ण अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत के रूप में मान्यता देता है।
- सीमा क्षेत्रों में उचित संचार और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव न केवल स्थानीय आबादी को प्रभावित करता है, बल्कि यह देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी चिंता का एक प्रमुख कारण है।
- उत्तर-पूर्व में उग्रवाद, तस्करी और अवैध प्रवासन भी सीमा सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
- अतिक्रमण: चीन ने अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में राजमार्गों सहित नए गाँवों और सड़क नेटवर्क की स्थापना में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
- अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ अपनी सबसे लंबी सीमा साझा करता है, जिसके बाद म्याँमार और भूटान का स्थान है।
- अन्य संबंधित कदम
- भारत सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) का 10 प्रतिशत फंड केवल चीन की सीमा के साथ लगे क्षेत्रों की बुनियादी अवसंरचना में सुधार के लिये खर्च किया जाएगा।
- सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण किया है।
- यह भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तक जाने वाली सड़कों को जोड़ता है।
- रक्षा मंत्री ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग ज़िले में नेचिपु में एक सुरंग की आधारशिला रखी है।
- अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों से शहरी केंद्रों की ओर जनसंख्या के पलायन (विशेष रूप से चीन सीमा के साथ लगे क्षेत्रों से) को रोकने के लिये केंद्र सरकार से पायलट विकास परियोजनाओं की मांग की है। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये पायलट परियोजनाओं के रूप में 10 जनगणना शहरों (Census Towns) के चयन की सिफारिश की है।
- वर्ष 2019 में अरुणाचल प्रदेश में निचली दिबांग घाटी में स्थित सिसेरी नदी पुल (Sisseri River Bridge) का उद्घाटन किया गया था, जो दिबांग घाटी को सियांग से जोड़ता है।
- वर्ष 2019 में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के सबसे पूर्वी गाँव-विजयनगर (चांगलांग ज़िले) में पुनर्निर्मित हवाई पट्टी का उद्घाटन किया।
- वर्ष 2019 में भारतीय सेना ने अपने नए ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स’ (IBG) के साथ अरुणाचल प्रदेश और असम में 'हिमविजय' (HimVijay) अभ्यास किया था।
- बोगीबील पुल जो भारत का सबसे लंबा सड़क-रेल पुल है, असम में डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश में पासीघाट से जोड़ता है। इसका उद्घाटन वर्ष 2018 में किया गया था।
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
NAVDEX 21 और IDEX 21
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय नौसेना का जहाज़ प्रलय (Pralaya) 20 से 25 फरवरी, 2021 तक निर्धारित NAVDEX 21 (नौसेना रक्षा प्रदर्शनी) और IDEX 21 (अंतर्राष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी) में भाग लेने के लिये संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के आबू धाबी पहुँच गया है।
- इस प्रदर्शनी में INS मैसूर (INS Mysore- फारस की खाड़ी में तैनात एक स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल विध्वंसक) भी भाग ले रहा है।
प्रमुख बिंदु
- NAVDEX 21 और IDEX 21 के विषय में:
- अबू धाबी राष्ट्रीय प्रदर्शनी कंपनी (ADNEC) द्वारा IDEX, NAVDEX और अंतर्राष्ट्रीय रक्षा सम्मेलनों का आयोजन रक्षा मंत्रालय तथा संयुक्त अरब अमीरात सशस्त्र बलों के जनरल कमांड के सहयोग से किया जाता है।
- IDEX/NAVDEX का आयोजन द्विवार्षिक रूप से होता है जो वैश्विक रक्षा क्षेत्र की नवीनतम तकनीकों और नवाचारों का प्रदर्शन, यूएई के रक्षा उद्योग का विकास का समर्थन और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के बीच नए संबंधों का निर्माण करती हैं।
- IDEX, MENA क्षेत्र में होने वाली एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी और सम्मेलन है जहाँ रक्षा, भूमि, समुद्र और वायु क्षेत्रों में नवीनतम तकनीक का प्रदर्शन किया जाता है।
- MENA क्षेत्र: MENA मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र का एक संक्षिप्त नाम है। इस क्षेत्र में लगभग 19 देश आते हैं।
- MENA क्षेत्र में वैश्विक आबादी का लगभग 6%, वैश्विक तेल भंडार का 60% और विश्व के प्राकृतिक गैस भंडार का 45% हिस्सा मौजूद है।
- इस क्षेत्र के देश अल्जीरिया, बहरीन, मिस्र, ईरान, इराक, इज़राइल, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मोरक्को, ओमान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सीरिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं।
- MENA क्षेत्र: MENA मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र का एक संक्षिप्त नाम है। इस क्षेत्र में लगभग 19 देश आते हैं।
- INS प्रलय:
- स्वदेश निर्मित प्रबल क्लास मिसाइल वैसल (Prabal Class Missile Vessel) के दूसरे जहाज़ आईएनएस प्रलय को वर्ष 2002 में भारतीय नौसेना में कमीशन (Commission) किया गया था।
- इस जहाज़ का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में किया गया जो भारतीय जहाज़ निर्माण उद्योग की क्षमताओं का प्रमाण है। यह एक बहुमुखी स्वरूप में इस्तेमाल होने वाला जहाज़ है जो विभिन्न प्रकार के युद्ध मिशन को अंजाम देने में सक्षम है।
- भारत और यूएई के बीच रक्षा संबंध:
- भारत और यूएई के बीच रक्षा संबंध वर्ष 2017 में द्विपक्षीय संबंधों की 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ (Comprehensive Strategic Partnership) के बाद से लगातार बढ़ रहे हैं।
- अबू धाबी (यूएई की राजधानी) के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान वर्ष 2017 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे।
- दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच संपर्क और बातचीत को बढ़ाने के लिये मार्च 2018 में द्विपक्षीय अभ्यास GULF STAR-1 का उद्घाटन संस्करण आयोजित किया गया था। इस अभ्यास का अगला संस्करण इसी वर्ष (2021 में) आयोजित होने की संभावना है।
भारत की रक्षा प्रदर्शनी
- DefExpo: DefExpo का 11वाँ संस्करण वर्ष 2020 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में पहली बार आयोजित किया गया था।
- यह रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख द्विवार्षिक फ्लैगशिप कार्यक्रम है।
- एयरो इंडिया: एयरो इंडिया शो का 13वाँ संस्करण बंगलूरू के येलहंका एयरफोर्स स्टेशन (कर्नाटक) में आयोजित किया गया था।
- एयरो इंडिया एक द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य और नागरिक एयर शो (Airshow) है।
- यह एक प्रमुख कार्यक्रम है जो अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय सैन्य तथा नागरिक विमान निर्माताओं, उनके सहायक उद्योगों, व्यापारियों आदि को आकर्षित करता है।
स्रोत: पी.आई.बी.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
हेलिना और ध्रुवास्त्र: एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने पोखरण रेंज, थार रेगिस्तान (राजस्थान) में स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम ‘हेलिना’ (Helina) और ‘ध्रुवास्त्र’ (Dhruvastra) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
प्रमुख बिंदु:
- हेलिना’ और ‘ध्रुवास्त्र’ के बारे में:
- हेलिना (सेना संस्करण) और ध्रुवास्त्र (भारतीय वायुसेना संस्करण) तीसरी पीढ़ी के एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (नाग मिसाइल सिस्टम) के हेलीकॉप्टर-लॉन्च संस्करण हैं।
- इस मिसाइल प्रणाली का प्रक्षेपण दिन और रात किसी भी समय किया जा सकता है तथा यह पारंपरिक कवच और विस्फोटक प्रतिक्रियाशील कवच के साथ युद्धक टैंक को भेदने में सक्षम है।
- स्वदेशी:
- इन मिसाइल प्रणालियों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
- संचालन:
- हेलिना ’और ‘ध्रुवास्त्र’ डायरेक्ट हिट मोड (Hit Mode) के साथ-साथ टॉप अटैक मोड (Top Attack Mode) दोनों को लक्ष्य बना सकते हैं।
- टॉप अटैक मोड: इसमें मिसाइल लॉन्च होने के बाद तीव्र गति के साथ एक निश्चित ऊँचाई तक जाती है तथा फिर नीचे की तरफ मुड़कर निर्धारित लक्ष्य को भेदती है।
- डायरेक्ट हिट मोड: इसमें मिसाइल कम ऊँचाई पर जाकर सीधे लक्ष्य को भेदती है।
नाग मिसाइल
- नाग तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire-and-Forget) के सिद्धांत पर आधारित एक एंटी टेंक मिसाइल है, इसे DRDO द्वारा भारतीय सेना के मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री (Mechanized Infantry) और एयरबोर्न (Airborne) दोनों बलों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है।
- यह सभी मौसम तथा दिन-रात किसी भी समय कार्य करने में सक्षम है तथा कम-से-कम 500 मीटर और अधिकतम 4 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है।
- नाग को स्थल और वायु-आधारित प्लेटफाॅर्मों से लॉन्च किया जा सकता है। वर्तमान में इसका स्थल संस्करण एकीकरण ‘नाग मिसाइल कैरियर ’ (Nag missile carrier- NAMICA) उपलब्ध है।
- नाग मिसाइलों को DRDO ने एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missile Development Program-IGMDP) के तहत विकसित किया है।
एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP):
- IGMDP की परिकल्पना डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से की गई थी। IGMDP का अनुमोदन भारत सरकार द्वारा वर्ष 1983 में किया गया तथा इसे मार्च 2012 में पूरा किया गया।
- इस कार्यक्रम के तहत विकसित पाँच मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं:
- पृथ्वी: यह कम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है।
- अग्नि: यह विभिन्न श्रेणियों (I, II, III, IV, V)। में विकसित बैलिस्टिक मिसाइल है।
- त्रिशूल: यह सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल है।
- नाग: तीसरी पीढ़ी की एंटी टैंक मिसाइल है।
- आकाश: मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
स्रोत: पी.आई.बी.
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन
चर्चा में क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ के दौरान ‘ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन’ की वापसी की घोषणा करते हुए विश्व भर में लोकतंत्र की रक्षा की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य यूरोपीय सहयोगियों के बीच मौजूदा तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की इच्छा व्यक्त की।
- ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर आयोजित होने वाला एक वार्षिक सम्मेलन है, जिसका आयोजन वर्ष 1963 से जर्मनी के म्यूनिख शहर में किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय
- ‘ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन’ को द्वितीय विश्व युद्ध (WWII) के बाद से विश्व व्यवस्था की आधारशिला माना जाता रहा है।
- यह पश्चिमी विश्व की एक वास्तविक अभिव्यक्ति है, जो कि अटलांटिक के दोनों ओर स्थित देशों की एकजुटता को प्रदर्शित करता है।
- ‘ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन’ की नींव पर ही अमेरिका और यूरोप की सामूहिक सुरक्षा और साझा समृद्धि का निर्माण किया गया है।
- हालाँकि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (अमेरिका और यूरोप) के बीच बीते कुछ समय से तनावपूर्ण स्थिति देखी जा रही थी।
- ‘ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन’ को द्वितीय विश्व युद्ध (WWII) के बाद से विश्व व्यवस्था की आधारशिला माना जाता रहा है।
- ट्रांस-अटलांटिक व्यापार और निवेश भागीदारी (T-TIP)
- यह अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के बीच एक महत्त्वाकांक्षी एवं व्यापक व्यापार और निवेश समझौता है।
- ट्रांस-अटलांटिक व्यापार और निवेश भागीदारी (T-TIP) वार्ता की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी तथा इसका समापन वर्ष 2016 में हुआ।
- यह स्वास्थ्य और सुरक्षा के उच्च स्तर को बनाए रखते हुए व्यापार एवं निवेश विनियमन में अधिक अनुकूलता और पारदर्शिता प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया एक अत्याधुनिक समझौता है।
- यह अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के बीच एक महत्त्वाकांक्षी एवं व्यापक व्यापार और निवेश समझौता है।
- तनावपूर्ण संबंधों का कारण
- अमेरिका और यूरोप के मध्य तनावपूर्ण संबंधों का प्राथमिक कारण पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति में ‘अमेरिका फर्स्ट’ के दृष्टिकोण को माना जा सकता है।
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने न केवल उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) की आलोचना की, जिसे कि ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन का आधार माना जाता है, बल्कि उन लगभग सभी बहुराष्ट्रीय समझौतों जैसे- ईरान परमाणु समझौता और पेरिस जलवायु समझौता आदि से भी स्वयं को अलग कर लिया, जिन्हें कि यूरोपीय संघ का समर्थन प्राप्त था।
- हालाँकि अमेरिका और यूरोपीय संघ चीन के कारण उनके हितों पर उत्पन्न खतरों की वजह से साथ आए हैं, खासकर आर्थिक और व्यापार के मोर्चे पर।
- हालिया घोषणा का महत्त्व
- इससे वैश्विक स्तर पर बहुपक्षवाद को बढ़ावा मिलेगा।
- इस गठबंधन की वापसी यूरोपीय संघ-अमेरिका कार्बन सीमा समायोजन तंत्र के विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण हो सकती है, जो कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन के भयावह प्रभावों को कम करने में मददगार हो सकता है।
- ईरान को लेकर यूरोपीय संघ संपूर्ण मध्य-पूर्व क्षेत्र में तनाव को कम करने के उद्देश्य से परमाणु समझौते पर नए सिरे से वार्ता शुरू करने में मदद कर सकता है।
- जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने रूस के संदर्भ में एक ट्रांस-अटलांटिक नीति की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO)
- स्थापना: उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा सोवियत संघ के विरुद्ध सामूहिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उत्तरी अटलांटिक संधि (जिसे वाशिंगटन संधि भी कहा जाता है) के माध्यम से की गई थी।
- नाटो राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग के लिये एक महत्त्वपूर्ण ट्रांस-अटलांटिक संपर्क प्रदान करता है।
- मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम
- कार्य पद्धति:
- नाटो एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है जिसका प्राथमिक लक्ष्य अपने सदस्यों की सामूहिक रक्षा तथा उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं शांति बनाए रखना है।
- नाटो के पास एक एकीकृत सैन्य कमान संरचना है, हालाँकि इसमें नाटो की स्वयं की हिस्सेदारी काफी कम है।
- अधिकांश बल पूर्णतः सदस्य देशों की कमान के अधीन रहते हैं और सदस्य देशों के नाटो-संबंधी कार्यों से सहमत होने पर उनका प्रयोग किया जाता है।
- संगठन में सभी 30 सहयोगियों का एक समान प्रतिनिधित्व है और इसके तहत सभी निर्णय सर्वसम्मति एवं सहमति से लिये जाते हैं। संगठन के सभी सदस्यों को इसके बुनियादी मूल्यों अर्थात् लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कानून के शासन आदि का सम्मान करना चाहिये।
- सदस्य: वर्ष 2020 तक नाटो में कुल 30 सदस्य देश शामिल हैं, जिसमें उत्तरी मेसेडोनिया (2020) संगठन में शामिल होने वाला सबसे नवीनतम सदस्य है।
- सदस्य देश: अल्बानिया, बुल्गारिया, बेल्जियम, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ्राँस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, पोलैंड, स्पेन, तुर्की और मॉन्टेनेग्रो।
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
क्वाड बैठक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने क्वाड समूह (Quadrilateral Group) के मंत्रिस्तरीय बैठक में ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भाग लिया। इस बैठक में भारत-प्रशांत और म्याँमार में सैन्य अधिग्रहण के मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक की मुख्य बातें
- इस बैठक में समकालीन चुनौतियों पर चर्चा की गई, विशेष रूप से कोविड-19 के सस्ते टीकों, दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों तक पहुँच बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की गई।
- इस बैठक में आतंकवाद निरोधी, समुद्री सुरक्षा और व्यापक क्षेत्र में लोकतांत्रिक मज़बूती को प्राथमिकता देने पर भी चर्चा की गई।
- क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, कानून का शासन, पारदर्शिता, अंतर्राष्ट्रीय समुद्र में आवाजाही की स्वतंत्रता तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिये एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय आदेश आदि के संबंध में प्रतिबद्धता को बनाए रखने पर ज़ोर दिया गया।
- क्वाड ने अपने साझा दृष्टिकोण (Common Vision) को आसियान की एकता और एक मुक्त, स्वतंत्र तथा समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र हेतु व्यक्त किया। इस बात का उल्लेख किया गया कि इंडो-पैसिफिक अवधारणा (Indo-Pacific Concept) पर यूरोप जैसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त हो रहा है।
- इस बैठक में जलवायु परिवर्तन, मानवीय सहायता, आपदा राहत और आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करने में सहयोग पर चर्चा की गई।
- क्वाड की मंत्रिस्तरीय बैठक वर्ष में कम-से-कम एक बार आयोजित करने और एक स्वतंत्र तथा मुक्त भारत-प्रशांत क्षेत्र पर सहयोग बढ़ाने के लिये वरिष्ठ एवं वर्किंग स्तरों पर नियमित बैठकें आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की गई।
- महत्त्व
- चीनी बलों की वास्तविक नियंत्रण रेखा से वापसी की पृष्ठभूमि में आयोजित बैठक यह रेखांकित करती है कि भारत की क्वाड में रुचि सामरिक नहीं है, लेकिन रणनीतिक रूप से है।
- भारत को क्वाड की वजह से चीन के साथ सुरक्षा, समृद्धि, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते शक्ति असंतुलन को दूर करने में सहायता मिलेगी।
- क्वाड का गठन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक नए यूएसए प्रशासन की प्रतिबद्धता का संकेत है।
- क्वाड की गतिविधियों में वर्ष 2020 के कोविड-19 संकट, चीन की बढ़ती मुखरता और इसका सभी क्वाड साझेदारों के साथ बिगड़ते संबंधों के कारण तेज़ी आई है।
- चीनी अधिकारियों ने क्वाड की तुलना एक "मिनी नाटो" से की है और कहा है कि इसकी गतिविधियों का उद्देश्य तीसरे पक्ष (चीन) को लक्षित करना है। क्वाड सदस्यों द्वारा इसे खारिज कर दिया गया है।
- नाटो (NATO- उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है, जिसका प्राथमिक लक्ष्य अपने सदस्यों की सामूहिक रक्षा तथा उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में लोकतांत्रिक शांति को बनाए रखना है।
- चीनी बलों की वास्तविक नियंत्रण रेखा से वापसी की पृष्ठभूमि में आयोजित बैठक यह रेखांकित करती है कि भारत की क्वाड में रुचि सामरिक नहीं है, लेकिन रणनीतिक रूप से है।
- क्वाड
- चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ (QUAD- Quadrilateral Security Dialogue) अर्थात् क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है। यह 'मुक्त, खुले और समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने और समर्थन के लिये इन देशों को एक साथ लाता है।
- क्वाड की अवधारणा औपचारिक रूप से सबसे पहले वर्ष 2007 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे द्वारा प्रस्तुत की गई थी, हालाँकि चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया के पीछे हटने के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
- शिंज़ो आबे द्वारा वर्ष 2012 में हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका को शामिल करते हुए एक ‘डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड’ (Democratic Security Diamond) स्थापित करने का विचार प्रस्तुत किया गया।
- ‘क्वाड’ समूह की स्थापना नवंबर 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी बाहरी शक्ति (विशेषकर चीन) के प्रभाव से मुक्त रखने हेतु नई रणनीति बनाने के लिये हुई और आसियान शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले इसकी पहली बैठक का आयोजन किया गया।
- क्वाड के सभी चार देशों (जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए) द्वारा वर्ष 2020 में मालाबार अभ्यास (Malabar Exercise) में भाग लिया गया।
- मालाबार अभ्यास भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेनाओं के बीच होने वाला एक वार्षिक त्रिपक्षीय नौसेना अभ्यास है, जिसे भारतीय तथा प्रशांत महासागरों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
स्रोत: द हिंदू
भारतीय राजव्यवस्था
अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम राज्य स्थापना दिवस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम के लोगों को उनके राज्य के 35वें स्थापना दिवस पर शुभकामनाएँ दीं।
- मिज़ोरम भारतीय संविधान के 53वें संशोधन (वर्ष 1986) के साथ 20 फरवरी, 1987 को भारतीय संघ का 23वाँ राज्य बन गया।
- इसी तरह भारतीय संविधान में 55वें संशोधन (वर्ष 1986) के माध्यम से अरुणाचल प्रदेश 20 फरवरी, 1987 को भारतीय संघ का 24वाँ राज्य बना।
मिज़ोरम:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: मिज़ो पर्वतीय क्षेत्र स्वतंत्रता के समय असम के भीतर लुशाई हिल्स ज़िला बन गया। आगे चलकर वर्ष 1954 में इसका नाम बदलकर असम का मिज़ो हिल्स ज़िला कर दिया गया।
- मिज़ोरम नेशनल फ्रंट (MNF) के नरमपंथियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद वर्ष 1972 में मिज़ोरम को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था।
- केंद्र सरकार और MNF के बीच एक समझौता ज्ञापन (मिज़ोरम शांति समझौता) पर हस्ताक्षर करने के बाद वर्ष 1986 में केंद्रशासित प्रदेश मिज़ोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था।
- भौगोलिक अवस्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा: म्याँमार और बांग्लादेश।
- राज्य सीमा: त्रिपुरा (उत्तर-पश्चिम), असम (उत्तर) और मणिपुर (उत्तर-पूर्व)।
- जनसंख्या: मिज़ोरम देश का दूसरा सबसे कम आबादी वाला राज्य है, इसकी आबादी 4,00,309 है।
- लिंग अनुपात: प्रति 1000 पुरुष पर 975 महिला है (राष्ट्रीय स्तर पर यह 943 है)।
- राज्य की साक्षरता दर 91.58% है (राष्ट्रीय दर: 74.04%)।
- जैव विविधता: भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR), 2019 के अनुसार, मिज़ोरम में वनावरण क्षेत्रफल (85.4%) देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है।
- राजकीय पशु: सीरो (Serow)
- राजकीय पक्षी: धारीदार पूँछ वाला तीतर या ह्यूम तीतर (Hume Bartailed Pheasant)
- संरक्षित क्षेत्र:
- डंपा टाइगर रिज़र्व
- मुरलेन राष्ट्रीय उद्यान
- फवंगपुई राष्ट्रीय उद्यान
- नेंगेंगपुई वन्यजीव अभयारण्य
- तवी वन्यजीव अभयारण्य
- जनजातियाँ: भारत के अन्य सभी राज्यों की तुलना में मिज़ोरम में जनजातीय आबादी का प्रतिशत सबसे अधिक है।
- मिज़ो समुदाय में 5 प्रमुख और 11 गौण जनजातियाँ हैं जिन्हें सामूहिक रूप से अवजिया (Awzia) कहा जाता है। इन 5 प्रमुख जनजातियों में लुशाई, रालते, ह्मार, पाइहते, पावी (अथवा पोई) शामिल हैं।
- मिज़ो एक सामाजिक तौर पर जुड़ा हुआ समाज है जिसमें लिंग, प्रतिष्ठा या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।
- मिजो एक कृषिप्रधान समुदाय है, इस समुदाय के लोग झूम कृषि (Jhum Cultivation) की प्रणाली को अपनाते हैं।
- त्योहार और नृत्य: मिज़ो समुदाय के दो मुख्य त्योहार हैं- मिम कुट, चपचार कुट।
- चपचार कुट (Chapchar Kut): यह वसंत ऋतु का एक त्योहार है, जो "झूम कृषि के लिये जंगल की सफाई के कार्य के पूरा होने के बाद मनाया जाता है, यह मिज़ोरम का सबसे लोकप्रिय त्योहार है।
- मिम कुट: मिम कुट अथवा मक्का त्योहार अगस्त और सितंबर के माह के दौरान मक्के की कटाई के बाद मनाया जाता है।
- मिज़ो के सबसे रंग-बिरंगे और विशिष्ट नृत्य को चेरव कहा जाता है। इस नृत्य के लिये लंबी बाँस की सीढ़ियों का उपयोग किया जाता है, इसलिये कई लोग इसे 'बाँस नृत्य' भी कहते हैं।
अरुणाचल प्रदेश:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान वर्ष 1972 तक इस राज्य को नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के रूप में जाना जाता था।
- 20 जनवरी, 1972 को यह केंद्रशासित प्रदेश बना और इसका नाम अरुणाचल प्रदेश रखा गया।
- भौगोलिक अवस्थिति: अरुणाचल प्रदेश का गठन वर्ष 1987 में असम से अलग एक पूर्ण राज्य के रूप में किया गया था।
- पश्चिम में अरुणाचल प्रदेश की सीमा भूटान से लगती है और इसके उत्तर में चीन का तिब्बती क्षेत्र पड़ता है।
- इसके दक्षिण-पूर्वी भाग में नगालैंड और म्याँमार पड़ता है, जबकि दक्षिण-पश्चिमी भाग में असम पड़ता है।
- आबादी: अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर है।
- राज्य की कुल साक्षरता दर (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार) 65.38% है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 72.55% और महिला साक्षरता दर 57.70% है।
- राज्य का लैंगिक अनुपात प्रति 1000 पुरुष पर 938 महिलाएँ है (राष्ट्रीय लैंगिक अनुपात: 943)।
- इस राज्य में 26 प्रमुख जनजातियांँ निवास करती हैं, इसमें लगभग 100 से अधिक उप-जनजातियांँ हैं, जिनमें से कई जनजातियों की पहचान नहीं की गई है। इस राज्य की लगभग 65% जनसंख्या आदिवासी है।
- व्यवसाय: इस राज्य की अधिकांश आबादी अपनी आजीविका के लिये कृषि (मुख्य रूप से झूम खेती) पर निर्भर करती है।
- अन्य नकदी फसलों जैसे- आलू आदि की खेती भी की जाती है।
- बागवानी फसलें जैसे- अनानास, सेब, संतरा इत्यादि की खेती भी की जाती है।
- जैव विविधता:
- राजकीय पशु: मिथुन (जिसे गयाल के नाम से भी जाना जाता है)।
- राजकीय पक्षी: हॉर्नबिल।
- दिहांग दिबांग बायोस्फियर रिज़र्व भी इसी राज्य में स्थित है।
- संरक्षित क्षेत्र:
- नमदफा राष्ट्रीय उद्यान
- मौलिंग नेशनल पार्क
- सेसा ऑर्किड अभयारण्य
- दिबांग वन्यजीव अभयारण्य
- पक्के बाघ अभयारण्य
- अरुणाचल के आदिवासी: अरुणाचल प्रदेश की महत्त्वपूर्ण जनजातीय समूहों में मोनपा, निशि, अपतानी, नोक्टे और शेरडुकपेन शामिल हैं।
- मोन्पा: इन्हें पूर्वोत्तर की एकमात्र खानाबदोश जनजाति माना जाता है, जो पश्चिम कामेंग और तवांग ज़िलों में निवास करते हैं, ये मुख्य रूप से बौद्ध हैं जो महायान संप्रदाय का अनुशरण करते हैं।
- अपतानी: ये पूर्व-आर्य मान्यताओं को मानते हैं, जैसा कि उनके द्वारा की जाने वाली पेड़, चट्टानों और पौधों आदि की पूजा से स्पष्ट है। वे मुख्य रूप से बाँस की खेती करते हैं।
- नोक्टे: ये अरुणाचल प्रदेश के तिरप ज़िले में निवास करते हैं तथा थेरवाद बौद्ध धर्म और जीववाद का पालन करते हैं।
- शेरडुकपेन: यह एक छोटा आदिवासी समूह है, यह समूह अरुणाचल प्रदेश के सबसे प्रगतिशील जनजातियों में से एक है। ये लोग कृषि, मछली पालन और पशु पालन का कार्य करते हैं। हालाँकि इन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया है, लेकिन इनकी अधिकांश प्रथाएँ अभी भी पूर्व-बौद्ध धर्म और अधिक जीववादी हैं।
- निशि: यह अरुणाचल प्रदेश की सबसे अधिक आबादी वाली जनजाति है, ये लोग मुख्य रूप से झूम खेती में शामिल हैं और चावल, बाजरा, ककड़ी, आदि का उत्पादन करते हैं।
स्रोत: द हिंदू