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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत और यूएई के बीच 8वीं उच्च स्तरीय बैठक

  • 04 Nov 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

मेन्स के लिये:

 भारत-यूएई प्रगाढ़ होते संबंध 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत द्वारा संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ निवेश बढ़ाने के लिये 8वीं उच्च स्तरीय बैठक (संयुक्त कार्यदल) आयोजित की गई। COVID-19 महामारी के मद्देनज़र यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • संयुक्त कार्यदल (Joint Task Force):
    • दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने के लिये संयुक्त कार्यदल का गठन वर्ष 2012 में किया गया था। 
    • इस कार्यदल की सफलता का ही परिणाम था कि जनवरी 2017 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने समग्र रणनीतिक साझेदारी समझौता (Comprehensive Strategic Partnership Agreement) किया था।  
  • इस अवसर पर भारत और यूएई ने व्यापार एवं आर्थिक समझौतों को विस्तार देने के बीच आ रही बाधाओं पर भी चर्चा की। इसके तहत एंटी डंपिंग शुल्क, टैरिफ और नियामक प्रतिबंध जैसी बाधाओं पर दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भी बातचीत की।
  • संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने उन क्षेत्रों की पहचान की है जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण साबित होंगे।
    • नागरिक उड्डयन क्षेत्र को महत्त्वपूर्ण क्षेत्र मानते हुए दोनों देशों ने आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ाने पर सहमति जताई है। 
    • दोनों देशों के नागरिक उड्डयन नियामक (Civil Aviation Authorities) इस दिशा में प्राथमिकता के साथ कार्य करेंगे। इसके जरिये दोनों देशों के बीच ‘एयर ट्रांसपोर्ट ऑपरेशन’ (Air Transport Operations) सुलभ करना एक अहम उद्देश्य होगा।
  • ‘यूएई स्पेशल डेस्क’ [UAE special desk (‘Plus UAE’)] और ‘फॉस्ट ट्रैक मैकेनिज़्म’ (Fast Track Mechanism): 
    • दोनों देशों ने वर्ष 2018 में बनाई गई ‘यूएई स्पेशल डेस्क’ और ‘फॉस्ट ट्रैक मैकेनिज़्म’ की भी समीक्षा की है। जिसका उद्देश्य भारत में यूएई द्वारा निवेश बढ़ाने और निवेशकों की समस्याओं को दूर करना है। 

प्लस यूएई (Plus UAE):

  • ‘प्लस यूएई’ (Plus UAE) एक व्यापारिक परामर्शदाता है जो अबू धाबी (संयुक्त अरब अमीरात) में स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निवेशकों के लिये नए व्यापारिक उपक्रम स्थापित करने में मदद करता है। इसके साथ प्लस यूएई (Plus UAE) दुबई में व्यावसायिक सेवाएँ प्रदान करता है।
  • गौरतलब है कि भारत ने यूएई के अतिरिक्त इटली के साथ भी निवेश प्रस्तावों को सुविधाजनक बनाने के लिये दोनों देशों की कंपनियों एवं निवेशकों के लिये एक फास्ट-ट्रैक प्रणाली (Fast-track System) स्थापित की है।
  • यूएई द्वारा गठित निधि कोष:  
    • इस बैठक में भारत में निवेश के लिये यूएई द्वारा गठित किये गए निधि कोष के बारे में  भी चर्चा की गई। जिसकी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) द्वारा बनाए गए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक नियम- 2019 (Foreign Portfolio Investor Regulations 2019) के आधार पर समीक्षा भी की गई। 
    • भारतीय पक्ष यूएई-आधारित निधियों के भारत में सीधे निवेश की सुविधा और उस संबंध में पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधानों की मांग करने के उद्देश्य से इन मुद्दों पर ध्यान देने के लिये सहमत हुआ।
  • अन्य क्षेत्रों में भागीदारी:  
    • दोनों देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं, फॉर्मास्युटिकल, मोबिलिटी और लॉज़िस्टिक, खाद्य एवं कृषि, ऊर्जा, उपयोगी सेवाएँ सहित दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की है।

भारत-यूएई संबंधों पर एक नज़र:

  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने वर्ष 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित किये। UAE ने वर्ष 1972 में दिल्ली में अपना दूतावास खोला और भारत ने वर्ष 1973 में अबू धाबी में अपना दूतावास खोला।   
  • 1970 के दशक में भारत-यूएई का व्यापार 180 मिलियन यूएस डॉलर प्रति वर्ष था वर्तमान में यह $60 बिलियन यूएस डॉलर के आसपास है, वर्ष 2018-19 में यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
  • इसके अलावा यूएई वर्ष 2018-19 में 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य था।
  • वर्ष 2018 के दौरान भारत-यूएई के मध्य गैर-तेल व्यापार $36 बिलियन के साथ यूएई, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
  • भारत में यूएई का निवेश लगभग 13-14 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है, यह भारत के लिये 10वाँ सबसे बड़ा FDI निवेशक है।
  • संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय निवेश का अनुमान लगभग 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। 

निष्कर्ष:

  • उल्लेखनीय है कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच साझेदारी बढ़ाने में संयुक्त कार्यदल एक अहम भूमिका निभा रहा है। पिछले 8 वर्षों में संयुक्त कार्यदल के प्रयासों का ही परिणाम है कि वर्तमान में दोनों देशों के संबंध इतने मज़बूत हुए हैं।
  • तेज़ी से विकास करते भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ विकास की असीम संभावनाएँ मौजूद हैं। यूएई, भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निवेश कर रहा है और भारत के विकास का अहम भागीदार भी है। भारत हमेशा से यूएई के निवेश को उच्च प्राथमिकता देता है और वहाँ के निवेशकों के लिये अनुकूल माहौल बनाने के अहम कदम उठाता है। 

स्रोत: पीआईबी

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