भारतीय अर्थव्यवस्था
सेबी (SEBI) ने प्रमोटर्स हेतु जारी किये नए नियम
- 23 Nov 2018
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चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने सार्वजनिक निवेशक का दर्ज़ा मांगने वाले प्रवर्तकों या प्रमोटर्स के लिये नए नियम जारी किये हैं।
कौन होता है प्रमोटर या प्रवर्तक?
- प्रवर्तक का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह से है जो कंपनी के प्रवर्तन के बारे में कार्य करते है। स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि व्यापार/कंपनी शुरू करने वालों को प्रवर्तक कहते हैं।
क्या कहते हैं सेबी के नए नियम?
- एक निवर्तमान प्रमोटर को अपने विशेष अधिकारों को छोड़ने के साथ ही सूचीबद्ध फर्म पर अपना नियंत्रण त्यागना होगा। इसके अलावा उन्हें फर्म की 10% से अधिक हिस्सेदारी रखने की अनुमति नहीं होगी।
- प्रमोटर को सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक मंडल का प्रतिनिधित्व करने या प्रमुख प्रबंधकीय पद धारण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- सेबी द्वारा 16 नवंबर, 2018 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार जो प्रमोटर पुन: वर्गीकरण की मांग करते हैं, उन्हें विलफुल डिफाल्टर (जानबूझकर क़र्ज़ न लौटाने वाला) या भगोड़ा आर्थिक अपराधी नहीं होना चाहिये।
नए नियमों का उद्देश्य
- सेबी द्वारा जारी किये गए इन मानदंडों का उद्देश्य मौजूदा नियमों को सरल बनाना, उन्हें सुव्यवस्थित करना तथा उनमें अधिक स्पष्टता लाना है।
- ये मानदंड निवर्तमान प्रमोटरों को कंपनी पर सीधे या परोक्ष रूप से अपना नियंत्रण जारी रखने से रोकते हैं।
पुनः वर्गीकरण हेतु आवेदन करने के लिये योग्यता
- सेबी के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिये कि केवल सूचीबद्ध संस्थाएँ पुन: वर्गीकरण के लिये आवेदन करने योग्य हैं, निम्नलिखित शर्तें होंगी-
- ऐसी सूचीबद्ध कंपनियों को 25% न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारक आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिये।
- उनके शेयरों को व्यापार से निलंबित न किया गया हो।
- उनके ऊपर नियामक, एक्सचेंजों और जमाकर्त्ताओं की कोई राशि बकाया नहीं होनी चाहिये।
- प्रमोटरों के पुन: वर्गीकरण के सभी मामलों में, प्रस्ताव को सूचीबद्ध इकाई द्वारा शेयरधारकों के समक्ष रखा जाना चाहिये और इस प्रस्ताव को सामान्य संकल्प के माध्यम से अनुमोदित किया जाना चाहिये।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी।
- इसका मुख्यालय मुंबई में है।
- इसके मुख्य कार्य हैं-
- प्रतिभूतियों (securities) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
- प्रतिभूति बाज़ार (securities market) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।