जैव विविधता और पर्यावरण
आर्द्रभूमि
- 29 Jan 2020
- 3 min read
प्रीलिम्स के लिये:MoEFCC द्वारा घोषित नए आर्द्रभूमि स्थल मेन्स के लिये:रामसर कन्वेंशन का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारत के 10 नए स्थलों को आर्द्रभूमि (wetland) के रूप में मान्यता दी गई है।
मुख्य बिंदु:
- इन 10 स्थलों को रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता दी गई है जो कि आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
- भारत में कुल आर्द्रभूमियों की संख्या अब 37 हो गई है जो 1,067,939 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हैं।
- घोषित नए स्थलों में महाराष्ट्र में पहली बार किसी स्थान को आर्द्रभूमि घोषित किया गया है।
- अन्य 27 रामसर स्थल राजस्थान, केरल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, गुजरात, तमिलनाडु और त्रिपुरा में स्थित हैं।
नए आर्द्रभूमि स्थल:
घोषित नए 10 आर्द्रभूमि स्थलों में महाराष्ट्र का 1 , पंजाब के 3 तथा उत्तर प्रदेश के 6 स्थल शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं -
- नंदुर मदमहेश्वर (Nandur Madhameshwar), महाराष्ट्र
- केशोपुर-मियाँ (Keshopur-Mian), पंजाब
- ब्यास कंज़र्वेशन रिज़र्व (Beas Conservation Reserve), पंजाब
- नांगल (Nangal), पंजाब
- नवाबगंज (Nawabganj), उत्तर प्रदेश
- पार्वती आगरा (Parvati Agara), उत्तर प्रदेश
- समन (Saman), उत्तर प्रदेश
- समसपुर (Samaspur), उत्तर प्रदेश
- सांडी (Sandi) आर्द्रभूमि, उत्तर प्रदेश
- सरसई नवार (Sarsai Nawar), उत्तर प्रदेश
क्या होती हैं आर्द्रभूमि:
आर्द्रभूमि-
- यह जल एवं स्थल के मध्य का संक्रमण क्षेत्र होता है।
- आर्द्रभूमि जैव विविधता की दृष्टि से एक समृद्ध क्षेत्र होता है।
- इन्हें मुख्य रूप से दो वर्गों में विभक्त किया जाता है-
- सागर तटीय आर्द्रभूमि
- अंत:स्थलीय आर्द्रभूमि
रामसर कन्वेंशन-
- रामसर कन्वेंशन 2 फरवरी, 1971 में ईरान के शहर रामसर में अस्तित्व में आया।
- यह अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों के संरक्षण के उद्देश्य से विश्व के राष्ट्रों के बीच पहली संधि है।
- यह संधि विश्व स्तर पर हो रहे आर्द्रभूमियों के नुकसान को रोकने और उनको संरक्षित करने की दिशा में प्रयासरत है।
- भारत 1 फरवरी, 1982 को इस कन्वेंशन में शामिल हुआ।