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डेली न्यूज़

  • 22 Feb, 2019
  • 23 min read
सामाजिक न्याय

बेदखली का सामना कर रहे लाखों वनवासी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वन अधिकार अधिनियम 2006 (Forest Rights Act 2006) के तहत दिये गए आदेश ने वन क्षेत्र पर वनवासियों के अधिकार के दावे को खारिज कर दिया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • देश के 21 राज्यों में अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes-STs) और अन्य पारंपरिक वनवासियों (Other Traditional Forest Dwellers-OTFDs) से संबंधित लाखों लोगों को वनों से बेदखल किया जा सकता है।
  • कुछ दिन पहले तीन जजों की बेंच ने उन राज्यों, जहाँ के वनवासियों के दावों को ख़ारिज किया गया है, के मुख्य सचिवों को इन वनवासियों को 24 जुलाई, 2019 तक या उससे पहले ही वनों से बेदखल करने का आदेश दिया है।
  • खंडपीठ ने राज्यों को तय समय के भीतर निष्कासन नहीं करने पर इस मामले में कठोर कार्यवाही करने की चेतावनी दी है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India-FSI) को एक सैटेलाइट सर्वेक्षण करने और जहाँ पर बेदखली हो चुकी है वहाँ के ‘अतिक्रमणकारी स्थिति’ पर आँकड़े तैयार करने का भी आदेश दिया है।

पृष्ठभूमि

  • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 की धारा 6 के तहत राज्यों में अपीलीय समितियों के साथ-साथ ग्राम सभा के स्तर पर वन निवासियों के दावों की स्वीकृति या अस्वीकृति के लिये बहुस्तरीय एवं श्रेणीबद्ध प्रक्रिया को दर्शाया गया है।
  • इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे वनवासियों के वन भूमि पर अधिकार और कब्जे को सुनिश्चित करना है जो कई पीढ़ियों से जंगलों में रह रहे हैं लेकिन इनके अधिकार दर्ज नहीं किये जा सके हैं।

क्या है मामला?

  • आंध्र प्रदेश में निष्कासन के आदेश का अनुपालन करने का एक भी मामला दर्ज नही किया गया है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वहाँ के 1,14,400 एकड़ वन भूमि पर 66,351 दावों को खारिज कर दिया गया है।
  • इसी तरह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असम, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल तथा पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों के दावों को बड़ी संख्या में ख़ारिज किया गया है।
  • सुर्खियों में आने वाले अन्य राज्य महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, बिहार और गुजरात हैं।

स्रोत – द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतनेट कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (Digital Communications Commission-DCC) ने सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम भारतनेट (BharatNet Programme) के अंतर्गत 2.5 लाख किमी. तार (Fibre) बिछाने के कार्य को निज़ी कंपनियों को पट्टे पर देने या बेचने की मुद्रीकरण (Monetize) प्रक्रिया को सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन द्वारा दूरसंचार क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को घाटे से उबारने और राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य के तहत भारतनेट कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिये इस क्षेत्र में निज़ी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
  • एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में सरकार फाइबर परिसंपत्तियों के प्रभावी उपयोग करने में अक्षम है, इसीलिये इसे निज़ी कंपनियों को पट्टे पर देने अथवा बेचने का प्रस्ताव दिया गया है। हालाँकि कुछ कार्य भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (Bharat Broadband Network Limited) द्वारा भी किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
  • आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इस प्रक्रिया को लीज़ मॉडल के आधार पर शुरू किया जा रहा है। इसके लिये यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund) को राजस्व आय का अनुमान लगाते हुए 10 दिनों के भीतर एक योजना पेश करने के लिये कहा गया है।

सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति

  • डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन ने घाटे में चल रही दूरसंचार क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) जैसे कि BSNL और MTNL को उच्च राजस्व प्राप्त करने की योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जिसके आधार पर इन उपक्रमों द्वारा पुनरुद्धार योजनाओं को प्रस्तुत किया गया।
  • दोनों फर्मों BSNL और MTNL ने भू-संपत्ति के मुद्रीकरण के साथ साथ कर्मचारियों के लिये स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (Voluntary Retirement Scheme-VRS) की मंज़ूरी मांगी है। इस VRS योजना से राजस्व पर क्रमश: 6,365 और 2,120 करोड़ रुपए काभार पड़ेगा।
  • एक अनुमान के अनुसार आने वाले 5-6 वर्षों में MTNL के कुल लगभग 22,000 कर्मचारियों में से 16,000 कर्मचारी और BSNL के कुल 1.75 लाख में से 75,000 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो सकते हैं।

भारतनेट क्या है?

  • भारत नेट परियोजना का नाम पहले ओएफसी नेटवर्क (Optical Fiber Communication Network) था।
  • भारतनेट परियोजना के तहत 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये हाईस्पीड ब्रॉडबैंड, किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जाना है।
  • इसके तहत ब्रॉडबैंड की गति 2 से 20 mbps तक होगी।
  • इसके तहत ज़िला स्तर पर भी सरकारी संस्थानों के लिये ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
  • इस परियोजना का वित्तपोषण यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund-USOF) द्वारा किया जा रहा है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य राज्यों तथा निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी से ग्रामीण तथा दूर-दराज़ के क्षेत्रों में नागरिकों एवं संस्थानों को सुलभ ब्रॉड बैंड सेवाएँ उपलब्ध कराना है।
  • इस परियोजना के तहत ब्रॉडबैंड को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये पहुँचाया जाएगा, लेकिन जहाँ ऑप्टिकल फाइबर पहुँचाना संभव नहीं हो, वहाँ वायरलैस एवं सैटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • गाँवों में इंटरनेट पहुँचाने के बाद निजी सेवा प्रदाताओं को भी मौके दिये जाएंगे ताकि वे विभिन्न प्रकार की सेवाएँ मुहैया करा सकें।
  • स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों एवं कौशल विकास केंद्रों में इंटरनेट कनेक्शन नि:शुल्क प्रदान किये जाएंगे।
  • भारतनेट के पहले चरण में देश के कई राज्यों की एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई गई है।
  • भारतनेट परियोजना के दूसरे चरण के तहत मार्च 2019 तक 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में हाई स्पीड ब्रॉड बैंड का लक्ष्य है।

स्रोत – द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

UNSC ने की पुलवामा हमले की निंदा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council-UNSC) ने पुलवामा, जम्मू-कश्मीर में आत्मघाती बम विस्फोट की निंदा की है, जिसमें भारतीय अर्द्धसैनिक बल के 40 से अधिक जवान शहीद हो गए।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सभी राज्यों से इस संबंध में भारत सरकार और अन्य सभी संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने का आग्रह किया है।
  • इस हमले की संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, फ्राँस सहित विश्व के कई देशों ने निंदा की है।
  • न्यूज़ीलैंड की संसद ने हमले की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है।
  • UNSC द्वारा हमले की निंदा करना भारत के लिये कूटनीतिक जीत है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के भारत के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है।
  • जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को लेकर चीन के रुख में बदलाव भी हो सकता है, क्योंकि UNSC ने जैश-ए-मोहम्मद को इस हमले का अपराधी बताया है।

सुरक्षा परिषद क्या है?

  • यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में हुआ था और इसके पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन) हैं।
  • सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है। इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के उस शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है, जब सुरक्षा परिषद का गठन किया गया था।
  • इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो साल के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है। स्थायी और अस्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद के अध्यक्ष बनाए जाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र में भारत

  • भारत 7 बार अर्थात् 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92 और 2011-12 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना संबंधी अभियानों में योगदान करने वाला सबसे बड़ा देश है।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना से संबंधित 64 अभियानों में से 43 अभियानों में 1,60,000 से अधिक सैनिकों का योगदान किया है।
  • संयुक्त राष्ट्र के नीले झंडे के नीचे लड़ते हुए भारतीय सशस्त्र एवं पुलिस बल के 160 से अधिक कार्मिकों ने अपने जीवन की आहुति दी है।
  • वर्तमान में चल रहे संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के 14 मिशनों में से 7 मिशनों में भारतीय सशस्त्र बलों की मौजूदगी है।

स्रोत- द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (22 February)

  • हर वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) का आयोजन किया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता तथा बहुभाषिता का प्रसार करना है। 1952 में भाषा आंदोलन के दौरान अपनी मातृभाषा के लिये शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आयोजित किया था। इस वर्ष की थीम Indigenous Languages as a Factor in Development, Peace and Reconciliation रखी गई है।
  • नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक महीने तक चलने वाले Festival of India शुरू हो गया है। इसका आयोजन स्वामी विवेकानंद कल्चरल सेंटर और भारत सांस्कृतिक मंत्रालय मिलकर कर रहे हैं। फेस्टिवल ऑफ इंडिया का आयोजन भारत और नेपाल के बीच संबंधों को और मज़बूत करने के लिये किया गया है। गौरतलब है कि भारत के पाँच राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम) की सीमा नेपाल से लगती है और नेपाल में होने वाली हलचल से भारत भी प्रभावित होता है।
  • त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से लगभग 10 किमी. दूर तुलाकोना में राज्य के पहले मेगा फूड पार्क की शुरुआत हो गई है। 85 करोड़ रुपए की लागत से बने इस फूड पार्क से लगभग 30 हजार लोगों के लिये रोज़गार के अवसर उपलब्ध होने की संभावना है। यह देश में अपनी तरह का 18वाँ फूड पार्क है जो खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योगों के लिये उत्कृष्ट बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करेगा। साथ ही यह फार्म मार्केट और केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्रों के माध्यम से वैल्यू चेन को तैयार करने में सहायक बनेगा। इस फूड पार्क की स्थापना कोलकाता स्थित सिकारिया मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड ने की है।
  • केंद्र सरकार ने 12 सरकारी बैंकों के लिये 48,239 करोड़ रुपए का पैकेज देने का ऐलान किया है। वित्त वर्ष 2019-20 में इन 12 बैंकों के पुनर्पूंजीकरण (Recapitalization) की मांग को मानकर यह कदम उठाया गया है। इससे बैंकों को अपनी योजनाओं को पूरा करने में आसानी होगी। सरकार के इस एलान के बाद कॉर्पोरेशन बैंक को 9086 करोड़ रुपए और इलाहाबाद बैंक को 6896 करोड़ रुपए दिये जाएंगे। ये दोनों बैंक रिज़र्व बैंक के Prompt Corrective Action (PCA) की निगरानी में बेहतर प्रदर्शन करने वाले माने गए हैं। इस पूंजीगत सहायता से बैंकों को अनिवार्य नियामकीय पूंजी के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलेगी, साथ ही PCA से बाहर निकालने में भी आसानी होगी। पिछले महीने ही रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को PCA से बाहर कर दिया था। गौरतलब है कि कुल 21 सरकारी बैंकों में से 11 बैंकों को रिज़र्व बैंक ने PCA में डाल दिया था, जिसके बाद इन पर ऋण देने और नई शाखाएँ खोलने पर रोक लग गई थी। इन बैंकों को बढ़ते NPA और घाटे की वज़ह से PCA में डाला गया था।
  • स्वदेश निर्मित हल्के युद्धक विमान तेजस को अंतिम परिचालन मंज़ूरी मिल गई है। अब इस युद्धक विमान में हथियारों के इंटीग्रेशन का रास्ता साफ हो गया है और इसे वायुसेना के ऑपरेशनल यूनिट में तैनात किया जा सकेगा। वायुसेना के बेड़े में ‘तेजस’ को नंबर-45 स्क्वाड्रन के तौर पर शामिल किया गया और इसे फ्लाइंग डैगर्स नाम दिया गया है। फिलहाल कुल 123 विमानों को मंज़ूरी दी गई है। इस विमान का डिज़ाइन तैयार करने में 20 साल का समय लगा। ‘तेजस’ का विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने किया है।
  • केरल पुलिस में भारत का पहला रोबोकॉप शामिल किया गया है। यह एक मानव जैसा (Humanoid) रोबोट है, जिसे सब-इंस्पेक्टर केपी-बोट नाम दिया गया है। केरल पुलिस इस रोबोट का इस्तेमाल पुलिस मुख्यालय में उपलब्ध सेवाओं की जानकारी देने में करेगी। यह रोबोकॉप यहाँ आने वाले आगंतुकों की शिकायतों का रिकॉर्ड रखेगा, जिसे कभी भी देखा जा सकेगा। भविष्य में केपी-बोट को विस्फोटकों की पहचान करने में सक्षम रोबोट के तौर पर भी विकसित करने की योजना है। गौरतलब है कि दुबई पुलिस में 22 मई, 2017 को दुनिया के पहले रोबोट पुलिस अधिकारी की नियुक्ति हुई थी, जिसका नाम रोबोकॉप था। यह लोगों से बातचीत करने, छह भाषाएँ बोलने, लोगों के प्रश्नों के उत्तर देने और उन्हें सैल्यूट करने में सक्षम है। केपी-बोट को दुनिया का चौथा रोबोट पुलिसकर्मी बताया जा रहा है।
  • हाल ही में भारत दौरे पर आए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वार्ता के बाद सऊदी अरब ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिये रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किये। सऊदी अरब ऐसा करने वाला 73वाँ और सातवाँ ओपेक (तेल निर्यातक देशों का संगठन) देश बन गया। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का उद्देश्य दुनियाभर में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना तथा ऊर्जा के क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को कम या दूर कर 2030 तक करीब 1,000 गीगावॉट की सौर ऊर्जा मुहैया कराना है। यह विश्व का पहला ऐसा संगठन है जिसका सचिवालय भारत में है। गौरतलब है कि इससे कुछ ही दिन पहले अर्जेंटीना अंतर्राष्ट्रीय सौर संगठन का 72वाँ सदस्य बना था।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने IIT-BHU में सुपर कंप्यूटर परम शिवाय का लोकार्पण किया। नेशनल सुपर कंप्यूटिंग मिशन के तहत बने इस सुपर कंप्यूटर का निर्माण सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) ने किया है। लगभग 32.5 करोड़ रुपए की लागत से बना 833 टेराफ्लॉप क्षमता का यह सुपर कंप्यूटर महीनों का अनुसंधान कार्य घंटों में पूरा करने में सक्षम है। नेशनल सुपर कंप्यूटिंग मिशन का लक्ष्य भारत को सुपर कंप्यूटिंग के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल करना तथा राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिये भारत की क्षमता को बढ़ाना है। साथ ही वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को सुपर कंप्यूटिंग सुविधाओं से लैस कर संबंधित क्षेत्रों में शोध को बढ़ावा देना है।
  • केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा युवा मामले और खेल विभाग के राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित एक समारोह में सातवें राष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कार प्रदान किये। इन पुरस्कारों के लिये व्यावसायिक श्रेणी का विषय Women Led Development और एमेच्योर श्रेणी का विषय Fairs and Festivals of India रखा गया था। कुल मिलाकर 13 पुरस्कार दिये गए, जिसमें तीन लाख रुपए के नकद पुरस्कार वाला एक लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी शामिल है। इसके अलावा, प्रोफेशनल फोटोग्राफर और प्रत्येक श्रेणी के एमेच्योर फ़ोटोग्राफर को क्रमशः एक लाख रुपए और 75 हज़ार रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है। साथ ही, प्रोफेशनल और एमेच्योर दोनों श्रेणियों में क्रमशः 50 हज़ार और 30 हजार रुपए के नकद पुरस्कार के साथ पाँच विशेष उल्लेख (Special Mention) पुरस्कार भी दिये जाते हैं।

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