अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई के लिये भारत तैयार
- 21 Feb 2019
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
भारत की यात्रा पर आए सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के प्रायोजकों और आतंकवादियों के लिये सुरक्षित ठिकानों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा दबाव बनाने की अपील की।
प्रमुख बिंदु
- संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सऊदी प्रिंस ने कहा कि उनका देश भारत तथा आतंकवाद से प्रभावित अन्य देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करेगा।
- एक संयुक्त बयान में पुलवामा में 14 फरवरी को हुए भारतीय सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई। सऊदी क्राउन प्रिंस ने इस मुद्दे पर भारत का पूरा साथ देने का वादा किया।
- भारत और सऊदी अरब के बीच पुराने एवं घनिष्ट संबंध रहे हैं। दोनों देशों के ऊर्जा और कृषि के क्षेत्र में समान लक्ष्य हैं। साथ ही दोनों देशों ने इस भावना को अन्य क्षेत्रों में विविधता प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई।
- दोनों देशों ने अपने संयुक्त बयान में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक अभिसमय (UN Comprehensive Convention on International Terrorism) को जल्द अपनाने और संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘आतंकवादियों तथा उनके संगठनों पर व्यापक प्रतिबंध’ लगाने के लिये कड़ा कदम उठाने का आग्रह किया।
- दोनों पक्षों ने ‘व्यापक सुरक्षा संवाद’ (Coprehensive Security Dialogue) बनाने का भी संकल्प लिया। दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने मिलकर काउंटर टेररिज्म पर एक संयुक्त कार्यदल की भी स्थापना की।
- दोनों पक्षों ने एक रणनीतिक साझेदारी परिषद (Strategic Partenership Council) की भी शुरुआत की जिसका नेतृत्व भारत के प्रधानमंत्री तथा सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस करेंगे।
- मोहम्मद बिन सलमान की यात्रा के दौरान सऊदी अरब अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में शामिल हो गया। दोनों देशों ने आर्थिक संबंधों को नई ऊँचाई पर ले जाने का फैसला किया।
- सऊदी का सहयोग विशेषकर परमाणु ऊर्जा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम है। कारोबार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सऊदी नागरिकों के लिये ई-वीजा जारी करने का फैसला भी लिया गया।
- उल्लेखनीय है कि सऊदी क्राउन प्रिंस ने भारत यात्रा से पूर्व पाकिस्तान की यात्रा की थी तथा पाकिस्तान के साथ 20 अरब डॉलर (करीब 1 लाख 43 हज़ार करोड़ रुपए) का करार किया था।
- सऊदी अरब पाकिस्तान को पहले से ही छह अरब डॉलर (करीब 43 हज़ार करोड़ रुपए) का क़र्ज़ दे चुका है। यात्रा के दौरान उन्होंने भारत तथा पाकिस्तान के बीच संवेदनशील मुद्दों पर आपस में वार्ता करने का सुझाव दिया था।
- सऊदी अरब, भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा। सऊदी अरब की ओर से यह निवेश ऊर्जा, तेलशोधन, पेट्रोकेमिकल्स, आधारभूत ढाँचा जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा।
दोनों देशों के बीच पाँच करारों पर हस्ताक्षर
- भारत और सऊदी अरब के बीच ऊर्जा को लेकर करार
- पर्यटन के क्षेत्र में MOU पर हस्ताक्षर
- द्वीपक्षीय कारोबार को बढ़ावा देने के लिये हस्ताक्षर
- प्रसार भारती और सऊदी अरब के बीच प्रसारण साझा करने पर करार
- इंटरनेशनल सोलर अलायन्स के क्षेत्र में करार
सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी पार्टनर
- सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। 2017-18 के दौरान दोनों देशों के बीच 1.95 लाख करोड़ रुपए का सालाना कारोबार हुआ।
- सऊदी अरब भारत की कुल ज़रूरत का 17% कच्चा तेल और 32% एलपीजी मुहैया करा रहा है।
- दोनों देशों के बीच समग्र द्विपक्षीय व्यापार 25 बिलियन डॉलर से अधिक है। रत्नागिरि रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना के लिये 44 बिलियन डॉलर के संयुक्त उद्यम द्वारा दोनों देश पारंपरिक खरीदार-विक्रेता संबंध के माध्यम से आगे बढ़ रहे हैं।
- सऊदी अरब में तीन मिलियन से अधिक भारतीय रहते हैं जिन्हें वह सालाना लगभग 10 बिलियन डॉलर का भुगतान करता है।
दक्षिण एशिया महाद्वीप में सऊदी अरब का संतुलन बनाने का प्रयास
- सऊदी अरब और अन्य पश्चिम एशियाई देशों के साथ अच्छे संबंध प्रवासी भारतीय समुदाय के कल्याण के लिये आवश्यक हैं।
- पश्चिमी हिंद महासागर में आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में पश्चिम एशिया भी एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है।
- नरेंद्र मोदी सरकार ने पश्चिम एशियाई देशों के साथ संबंध बढ़ाने के लिये अच्छा काम किया है।
- UAE और सऊदी अरब दोनों ने बड़े निवेश किये हैं। भारत ने इस क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों ईरान, कतर और इज़राइल के साथ संबंध बेहतर बनाए हैं।
- सऊदी अरब और UAE दोनों ही पाकिस्तान के खिलाफ भारत के साथ बहुत दूर तक आगे बढ़ने की स्थिति में नहीं हैं। इसका कारण केवल धर्म नहीं है। दोनों देशों में कुलीन परिवार पाकिस्तान में पारिवारिक और अन्य सामाजिक कनेक्शन साझा करते हैं।
- भारत-सऊदी अरब संबंध कई मायनों से महत्त्वपूर्ण हैं। भारत और सऊदी अरब के बीच एक मजबूत स्वतंत्र रणनीतिक भागीदारी है और इसे रणनीतिक साझेदारी परिषद के लॉन्च के साथ और मजबूत बनाया जाएगा जो आपसी हित के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करेगा।
स्रोत : द हिंदू