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डेली न्यूज़

  • 08 Jun, 2021
  • 49 min read
आंतरिक सुरक्षा

प्रोजेक्ट 75 इंडिया

प्रिलिम्स के लिये 

रक्षा अधिग्रहण परिषद, INS अरिहंत, मझगांव डॉक लिमिटेड, कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी, प्रोजेक्ट-75 इंडिया

मेन्स के लिये 

रक्षा अधिग्रहण परिषद की स्थापना, प्रोजेक्ट-75 इंडिया की प्रमुख विशेषताएँ एवं महत्त्व , रणनीतिक साझेदारी मॉडल, 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय, 'मेक इन इंडिया'

चर्चा में क्यों?

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने प्रोजेक्ट-75 इंडिया के अंतर्गत छह पारंपरिक पनडुब्बियों (Conventional Submarines) के निर्माण के लिये प्रस्ताव हेतु अनुरोध (RFP) जारी करने को मंज़ूरी दे दी है।

  • RFP एक घोषित परियोजना है जिसे किसी संगठन द्वारा सार्वजनिक रूप से जारी किया जाता है जो दर्शाता है कि परियोजना को पूरा करने के लिये ठेकेदारों द्वारा बोलियाँ लगाई जाती हैं।

प्रमुख बिंदु 

प्रोजेक्ट के बारे में :

  • इस परियोजना में 43,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से अत्याधुनिक वायु-स्वतंत्र प्रणोदन प्रणाली से लैस छह पारंपरिक पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है।
  • वर्ष 2007 में स्वीकृत प्रोजेक्ट 75 इंडिया, स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के लिये भारतीय नौसेना की 30 वर्षीय योजना का हिस्सा है।
  • स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2017 में प्रख्यापित रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत यह पहली परियोजना होगी।
    • रणनीतिक साझेदारी मॉडल आयात पर निर्भरता कम करने के लिये घरेलू निर्माताओं को हाई-एंड मिलिट्री प्लेटफॉर्म्स का उत्पादन करने के लिये प्रमुख विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ हाथ मिलाने की अनुमति देता है।
    • रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत अधिग्रहण, रक्षा हेतु 'मेक इन इंडिया' में विदेशी मूल उपकरण निर्माता (OEM) के साथ निजी भारतीय फर्मों की भागीदारी को संदर्भित करता है।

महत्त्व :

  • मेक इन इंडिया की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक :
    • यह  प्रौद्योगिकी के तीव्र गति से और अधिक महत्त्वपूर्ण अवशोषण की सुविधा प्रदान करने तथा भारत में पनडुब्बी निर्माण हेतु एक स्तरीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का काम करेगा। 
  • आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना :
    • रणनीतिक दृष्टिकोण से यह आयात पर वर्तमान निर्भरता को कम करने में मदद करेगा और धीरे-धीरे अधिक आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशी स्रोतों से आपूर्ति की निर्भरता सुनिश्चित करेगा।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की रक्षा :
    • यह परिवर्तन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN, चीन) द्वारा परमाणु पनडुब्बी शस्त्रागार की तीव्र वृद्धि को ध्यान में रखते हुए और हिंद-प्रशांत को भविष्य में विरोधी के वर्चस्व से बचाने के लिये किया गया है। 

30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम :

  • जून 1999 में  कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (CCS) ने 30 वर्षीय पनडुब्बी निर्माण योजना को मंज़ूरी दी थी जिसमें वर्ष 2030 तक 24 पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण करना शामिल था।
  • P75 इंडिया, P75 को सफल बनाता है, जिसके तहत स्कॉर्पीन वर्ग (Scorpene class)  पर आधारित कलवरी वर्ग (Kalvari class) की छह डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) में किया जा रहा था। इस वर्ष मार्च 2021 में तीसरी पनडुब्बी, INS करंज (Karanj), को कमीशन किया गया था।
  • भारत में बनने वाली कुल 24 पनडुब्बियों में से छह परमाणु ऊर्जा से संचालित होंगी। 
  • वर्तमान में भारत के पास केवल एक परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत (Arihant) है। INS अरिघाट (Arighat) एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी भी है, जिसे जल्द ही कमीशनिंग किया जाना है।
  • INS चक्र (Chakra) रूस से लीज पर ली गई एक परमाणु पनडुब्बी है। इसके बारे में यह माना जाता है कि यह अपने मूल देश में वापस जा रही है।

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)

  • DAC रक्षा मंत्रालय में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है जो तीन सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) के साथ-साथ भारतीय तटरक्षक बल के लिये नई नीतियों और पूंजी अधिग्रहण पर निर्णय लेती है।
  • DAC की अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है।
  • वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद “राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार” पर मंत्रियों के समूह की सिफारिशों के बाद 2001 में रक्षा अधिग्रहण परिषद का गठन किया गया था।

स्रोत : द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व और वैगई नदी: तमिलनाडु

प्रिलिम्स के लिये 

श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व, वैगई नदी, मेगामलाई, अनामलाई टाइगर रिज़र्व, कलक्कड़ मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व, मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व, सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व, पंड्या नाडु

मेन्स के लिये

नदी पारिस्थितिकीय तंत्र और प्रवाह का संरक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तमिलनाडु में घोषित श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व (Srivilliputhur-Megamalai Tiger Reserve), वैगई नदी के प्राथमिक जलग्रहण क्षेत्र मेगामलाई (Megamalai) को सुरक्षा प्रदान करेगा, जिससे इस नदी के जल स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

Vaigai-River

प्रमुख बिंदु

वैगई नदी के विषय में:

  • उद्गम और सहायक नदियाँ:
    • इसका उद्गम पश्चिमी घाट (Western Ghat- वरुशनाद हिल्स) से होता है।
    • यह तमिलनाडु के पंड्या नाडु (Pandya Nadu) क्षेत्र से होकर गुज़रती है।
    • इसकी मुख्य सहायक नदियाँ सुरुलियारु, मुलैयारु, वरगनाधी, मंज़लारू, कोट्टागुडी, कृधुमाल और उप्पारू हैं।
    • वैगई 258 किलोमीटर लंबी है और अंत में रामनाथपुरम ज़िले में पंबन पुल के पास पाक जलडमरूमध्य (Palk Strait) में जाकर समा जाती है।
  • हेरिटेज़ रिवर:
    • वैगई दक्षिणी तमिलनाडु में स्थित प्राचीन और समृद्ध पांड्य साम्राज्य की प्रसिद्ध राजधानी (4 - 11वीं सदी) मदुरै से होकर बहती थी।
    • इस नदी का उल्लेख संगम साहित्य में भी मिलता है।
  • महत्त्व:
    • यह नदी तमिलनाडु के पाँच ज़िलों यथा- थेनी, मदुरै, रामनाथपुरम, शिवगंगई और डिंडीगुल में पेयजल की आवश्यकता को पूरा करती है।
    • यह नदी 2,00,000 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई भी करती है।

वैगई का कायाकल्प:

  • इस नदी का प्रवाह 18वीं शताब्दी के अंत से बिगड़ने लगा क्योंकि अंग्रेज़ों ने मेगामलाई क्षेत्र के वनों की कटाई शुरू कर दी जो वैगई के लिये एक प्रमुख जलग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। नतीजतन नदी में पानी का प्रवाह धीरे-धीरे कम हो गया।
    • वर्ष 1876-77 के भयानक अकाल के दौरान इस क्षेत्र में लगभग 2,00,000 लोग मारे गए।
  • इस अकाल के बाद ब्रिटिश क्राउन ने पेरियार नदी (केरल) को एक सुरंग के माध्यम से वैगई नदी से जोड़ने का प्रस्ताव रखा।
    • वैगई को वर्तमान में लगभग 80% पानी पेरियार बाँध से मिलता है। शेष 20% पूर्वोत्तर मानसून के मौसम के दौरान मेगामलाई क्षेत्र के प्रमुख जलग्रहण क्षेत्र से प्राप्त होता है।
  • श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व जंगली जानवरों और प्राकृतिक जंगलों, साथ ही उनके आवासों की रक्षा करेगा जो जलग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करते हैं।

श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व:

  • अवस्थापना:
    • इस टाइगर रिज़र्व की स्थापना फरवरी 2021 में हुई थी। इसे केंद्र और तमिलनाडु दोनों सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से घोषित किया गया था।
    • इसके लिये मेगामलाई डब्ल्यूएलएस (Megamalai WLS) और उससे सटे श्रीविल्लीपुथुर डब्ल्यूएलएस (Srivilliputhur WLS) को एक साथ जोड़ा गया था।
    • यह टाइगर रिज़र्व तमिलनाडु का पाँचवाँ और भारत का 51वाँ टाइगर रिज़र्व है।
  • पारिस्थितिक विविधता:
    • यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जानवर बंगाल टाइगर, हाथी, गौर, भारतीय विशालकाय गिलहरी, तेंदुआ, नीलगिरि तहर आदि हैं।
    • इस रिज़र्व में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन और अर्द्ध-सदाबहार वन, शुष्क पर्णपाती वन तथा नम मिश्रित पर्णपाती वन एवं घास के मैदान पाए जाते हैं।

तमिलनाडु के अन्य चार टाइगर रिज़र्व:

स्रोत: डाउन टू अर्थ


भारतीय इतिहास

छत्रपति शिवाजी महाराज

प्रिलिम्स के लिये 

छत्रपति शिवाजी, चौथ, सरदेशमुखी, काठी प्रणाली, मीरासदार, अष्टप्रधान, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत, हैंदव धर्मोधारक, पुरंदर की संधि, प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659; पवन खिंड की लड़ाई, 1660; सूरत की लड़ाई, 1664; पुरंदर की लड़ाई, 1665; सिंहगढ़ की लड़ाई, 1670; कल्याण की लड़ाई, 1682-83; संगमनेर की लड़ाई, 1679

मेन्स के लिये

छत्रपति शिवाजी के अंतर्गत मराठा साम्राज्य और राजस्व तथा सैन्य नीतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मराठा राजा छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji) के राज्याभिषेक दिवस (6 जून) की वर्षगाँठ के अवसर पर गोवा सरकार ने एक लघु फिल्म जारी की।

Chhatrapati-Shivaji

प्रमुख बिंदु

जन्म:

  • इनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ था।
  • शिवाजी का जन्म एक मराठा सेनापति शाहजी भोंसले के घर हुआ था, जिन्होंने बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरें प्राप्त की थीं। एक धर्मपरायण महिला जीजाबाई के धार्मिक गुणों का इन पर गहरा प्रभाव था।

प्रारंभिक जीवन:

  • इन्होंने वर्ष 1645 में पहली बार अपने सैन्य उत्साह का प्रदर्शन किया, जब किशोर उम्र में ही इन्होंने बीजापुर के अधीन तोरण किले (Torna Fort) पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
  • इन्होंने कोंडाना किले (Kondana Fort) पर भी अधिकार किया। ये दोनों किले बीजापुर के आदिल शाह के अधीन थे।

महत्त्वपूर्ण लड़ाई:

प्रतापगढ़ की लड़ाई, 1659

  • यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफज़ल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गया था।

पवन खिंड की लड़ाई, 1660

  • यह युद्ध मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाही के सिद्दी मसूद के बीच महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के पास (विशालगढ़ किले के आसपास) एक पहाड़ी दर्रे पर लड़ा गया।

सूरत की लड़ाई, 1664

  • यह युद्ध गुजरात के सूरत शहर के पास छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल कप्तान इनायत खान के बीच लड़ा गया।

पुरंदर की लड़ाई, 1665

  • यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया।

सिंहगढ़ की लड़ाई, 1670

  • यह युद्ध महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास सिंहगढ़ के किले पर मराठा शासक शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के अधीन गढ़वाले उदयभान राठौड़, जो मुगल सेना प्रमुख थे, के बीच लड़ा गया।

कल्याण की लड़ाई, 1682-83

  • इस युद्ध में मुगल साम्राज्य के बहादुर खान ने मराठा सेना को हराकर कल्याण पर अधिकार कर लिया।

संगमनेर की लड़ाई, 1679

  • यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया। यह आखिरी लड़ाई थी जिसमें मराठा राजा शिवाजी लड़े थे।

मुगलों के साथ संघर्ष:

  • मराठों ने अहमदनगर के पास और वर्ष 1657 में जुन्नार में मुगल क्षेत्र पर छापा मारा।
  • औरंगज़ेब ने नसीरी खान को भेजकर छापेमारी का जवाब दिया, जिसने अहमदनगर में शिवाजी की सेना को हराया था।
  • शिवाजी ने वर्ष 1659 में पुणे में शाइस्ता खान (औरंगज़ेब के मामा) और बीजापुर सेना की एक बड़ी सेना को हराया।
  • शिवाजी ने वर्ष 1664 में सूरत के मुगल व्यापारिक बंदरगाह को अपने कब्ज़े में ले लिया।
  • जून 1665 में शिवाजी और राजा जय सिंह प्रथम (औरंगजेब का प्रतिनिधित्व) के बीच पुरंदर की संधि (Treaty of Purandar) पर हस्ताक्षर किये गए।
    • इस संधि के अनुसार, मराठों को कई किले मुगलों को देने पड़े और शिवाजी, औरंगज़ेब से आगरा में मिलने के लिये सहमत हुए। शिवाजी अपने पुत्र संभाजी को भी आगरा भेजने के लिये तैयार हो गए।

शिवाजी की गिरफ्तारी:

  • जब शिवाजी वर्ष 1666 में आगरा में मुगल सम्राट से मिलने गए, तो मराठा योद्धा को लगा कि औरंगज़ेब ने उनका अपमान किया है जिससे वे दरबार से बाहर आ गए।
  • जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया गया। शिवाजी और उनके पुत्र का आगरा से भागने की कहानी आज भी प्रामाणिक नहीं है।
  • इसके बाद वर्ष 1670 तक मराठों और मुगलों के बीच शांति बनी रही।
  • मुगलों द्वारा संभाजी को दी गई बरार की जागीर उनसे वापस ले ली गई थी।
  • इसके जवाब में शिवाजी ने चार महीने की छोटी सी अवधि में मुगलों के कई क्षेत्रों पर हमला कर उन्हें वापस ले लिया।
  • शिवाजी ने अपनी सैन्य रणनीति के माध्यम से दक्कन और पश्चिमी भारत में भूमि का एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया।

दी गई उपाधि:

  • शिवाजी को 6 जून, 1674 को रायगढ़ में मराठों के राजा के रूप में ताज पहनाया गया।
  • इन्होंने छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत और हैंदव धर्मोधारक की उपाधि धारण की थी।
  • शिवाजी द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य समय के साथ बड़ा होता गया और 18वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रमुख भारतीय शक्ति बन गया।

मृत्यु:

  • इनकी 3 अप्रैल, 1680 को मृत्यु हो गई।

शिवाजी के अधीन प्रशासन

  • केंद्रीय प्रशासन:
    • इसकी स्थापना शिवाजी द्वारा प्रशासन की सुदृढ़ व्यवस्था के लिये की गई थी जो प्रशासन की दक्कन शैली से काफी प्रेरित थी।
    • अधिकांश प्रशासनिक सुधार अहमदनगर में मलिक अंबर (Malik Amber) के सुधारों से प्रेरित थे।
    • राजा राज्य का सर्वोच्च प्रमुख होता था जिसे 'अष्टप्रधान' के नाम से जाना जाने वाले आठ मंत्रियों के एक समूह द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी।
    • पेशवा, जिसे मुख्य प्रधान के रूप में भी जाना जाता है, मूल रूप से राजा शिवाजी की सलाहकार परिषद का नेतृत्व करता था।
  • राजस्व प्रशासन:
    • शिवाजी ने जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया और इसे रैयतवारी प्रणाली से बदल दिया तथा वंशानुगत राजस्व अधिकारियों की स्थिति में परिवर्तन किया, जिन्हें देशमुख, देशपांडे, पाटिल एवं कुलकर्णी के नाम से जाना जाता था।
    • शिवाजी उन मीरासदारों (Mirasdar) का कड़ाई से पर्यवेक्षण करते थे जिनके पास भूमि पर वंशानुगत अधिकार थे।
    • राजस्व प्रणाली मलिक अंबर की काठी प्रणाली (Kathi System) से प्रेरित थी, जिसमें भूमि के प्रत्येक टुकड़े को रॉड या काठी द्वारा मापा जाता था।
    • चौथ और सरदेशमुखी आय के अन्य स्रोत थे।
      • चौथ कुल राजस्व का 1/4 भाग था जिसे गैर-मराठा क्षेत्रों से मराठा आक्रमण से बचने के बदले में वसूला जाता था।
      • यह आय का 10 प्रतिशत होता था जो अतिरिक्त कर के रूप में होता था।
  • सैन्य प्रशासन:
    • शिवाजी ने एक अनुशासित और कुशल सेना का गठन किया।
    • सामान्य सैनिकों को नकद में भुगतान किया जाता था, लेकिन प्रमुख और सैन्य कमांडर को जागीर अनुदान (सरंजम या मोकासा) के माध्यम से भुगतान किया जाता था।
    • मराठा सेना में इन्फैंट्री सैनिक, घुड़सवार, नौसेना आदि शामिल थीं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

अतुल्य भारत टूरिस्ट फैसिलिटेटर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर पर्यटन मंत्री ने ‘अतुल्य भारत टूरिस्ट फैसिलिटेटर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम’ (IITFC) की सराहना की।

प्रमुख बिंदु:

  • IITFC कार्यक्रम भारत के नागरिकों के लिये पर्यटन मंत्रालय (MoT) की एक डिजिटल पहल है, जिसका लक्ष्य भारत के नागरिकों को तेज़ी से बढ़ते पर्यटन उद्योग का हिस्सा बनाना है।
  • यह एक ऑनलाइन कार्यक्रम है, जहाँ कोई भी अपने समय, स्थान और गति के अनुसार पर्यटन के बारे में सीख सकता है।
  • इस कार्यक्रम के सफल समापन से शिक्षार्थी पर्यटन मंत्रालय का एक ‘सर्टिफाइड टूरिस्ट फैसिलिटेटर’ बन सकेगा।

भारत में पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र:

  • वित्त वर्ष 2020 में भारत में पर्यटन क्षेत्र में 39 मिलियन नौकरियाँ सृजित हुईं, जो कि देश में कुल रोज़गार का 8% था। वर्ष 2029 तक यह लगभग 53 मिलियन नौकरियों का सृजन करेगा।
  • WTTC (वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज़्म काउंसिल) के अनुसार, वर्ष 2019 में जीडीपी में यात्रा और पर्यटन के कुल योगदान के मामले में भारत 185 देशों में 10वें स्थान पर है। वर्ष  2019 के दौरान जीडीपी में यात्रा और पर्यटन का योगदान कुल अर्थव्यवस्था का 6.8% था।
  • वर्ष 2028 तक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के 30.5 बिलियन तक पहुँचने और 59 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है।

पर्यटन मंत्रालय की अन्य पहलें:

  • ‘देखो अपना देश’ अभियान
    • यह नागरिकों को देश के भीतर व्यापक रूप से यात्रा करने और भारत में स्थित विभिन्न धरोहरों का पता लगाने के लिये प्रोत्साहित करने की एक पहल है। जिससे देश में पर्यटन स्थलों में घरेलू पर्यटन सुविधाओं और बुनियादी ढाँचे के विकास को सक्षम बनाया जा सके।
  • प्रसाद योजना:
    • तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान (प्रसाद) वर्ष 2014-15 में चिन्हित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  • स्वदेश दर्शन योजना:
    • स्वदेश दर्शन एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जो वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास हेतु शुरू की गई थी।
    • वर्तमान में 15 थीम आधारित सर्किट हैं- बौद्ध, तटीय, रेगिस्तान, पारिस्थितिकी, विरासत, हिमालय, कृष्णा, उत्तर-पूर्व, रामायण, ग्रामीण, आध्यात्मिक, सूफी, तीर्थंकर, आदिवासी और वन्यजीव।

हालिया पहलें:

  • जनवरी 2021 में केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने साहसिक पर्यटन और शीतकालीन खेलों को बढ़ावा देने के लिये कारगिल (लद्दाख) में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बुनियादी ढाँचे को विकसित करने की योजना की घोषणा की।
  • मार्च 2021 तक 171 देशों के नागरिकों के लिये ई-पर्यटक वीज़ा सुविधा का विस्तार किया गया था।
  • ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन’ (IRCTC) भारत दर्शन पर्यटक ट्रेनों की एक श्रृंखला चलाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को देश भर के विभिन्न यात्रा स्थलों तक ले जाना है।
  • अखिल भारतीय पर्यटक वाहन प्राधिकरण और परमिट नियम, 2021: इसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पेश किया गया था, जिसमें एक पर्यटक वाहन ऑपरेटर अखिल भारतीय पर्यटक प्राधिकरण/परमिट के लिये ऑनलाइन पंजीकरण कर सकता है।

आगे की राह:

  • भारत के यात्रा और पर्यटन उद्योग में विकास की अपार संभावनाएँ हैं।
  • उद्योग क्षेत्र ‘ई-वीज़ा योजना’ के विस्तार की भी उम्मीद कर रहा है, जिससे भारत में पर्यटकों की आमद दोगुनी होने की उम्मीद है।
  • एसोचैम और यस बैंक द्वारा वर्ष 2017 में किये गए एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार, उच्च बजटीय आवंटन और कम लागत वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण भारत के यात्रा और पर्यटन उद्योग में 2.5% तक विस्तार करने की क्षमता है।

स्रोत-पीआईबी


शासन व्यवस्था

परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI)

प्रिलिम्स के लिये 

परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स, शिक्षा का अधिकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, सतत् विकास लक्ष्य, समग्र शिक्षा, मिड डे मील, शगुन पोर्टल

मेन्स के लिये 

परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स का परिचय एवं संबंधित मूद्दे (उद्देश्य, क्रियान्वयन एजेंसी, कार्यप्रणाली, सूचना का स्रोत), फॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स का क्षेत्र-वार (Domain-wise) निष्पादन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये ‘निष्पादन ग्रेडिंग  सूचकांक’ अर्थात् ‘परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स’ (Performance Grading Index- PGI) 2019-20 जारी करने को मंज़ूरी दे दी है ।

  • PGI राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा की स्थिति पर अंतर्दृष्टि प्रदान करने का एक उपकरण है, जिसमें प्रमुख चरण या लीवर (Levers) शामिल हैं जो उनके निष्पादन और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार को संदर्भित करते हैं।

Improved-Performance

प्रमुख बिंदु 

परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के बारे में (PGI):

  • पृष्ठभूमि: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये PGI पहली बार वर्ष 2019 में 2017-18 के संदर्भ में प्रकाशित किया गया था। 
    • PGI :  राज्य/संघ राज्य क्षेत्र 2019-20 के लिये इस शृंखला का तीसरा प्रकाशन है।
  • उद्देश्य:
    • PGI अभ्यास में परिकल्पना की गई है कि सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को बहु-आयामी हस्तक्षेप करने के लिये प्रेरित करेगा जो कि वांछित इष्टतम शिक्षा परिणाम लाएगा।
    • PGI राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अंतराल को इंगित करने में मदद करता है जो हस्तक्षेप के लिये क्षेत्रों को प्राथमिकता देता है ताकि स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्रत्येक स्तर को मज़बूत करना सुनिश्चित किया जा सके।
  • क्रियान्वयन एजेंसी:
    • यह स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSEL) द्वारा शुरू किया गया है।
  • सूचना का स्रोत :
  • कार्यप्रणाली : 
    • PGI को दो श्रेणियों में गठित किया गया है अर्थात् परिणाम, शासन एवं प्रबंधन तथा 1000 के कुल भार के साथ कुल 70 संकेतक शामिल हैं।
    • श्रेणियों के तहत डोमेन (Domains) में शामिल हैं : एक्सेस, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएँ, इक्विटी, गवर्नेंस प्रक्रिया

PGI 2019-20 के महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष : 

  • राज्यवार निष्पादन :  
    • इन आँकड़ों के अनुसार 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 में PGI स्कोर में सुधार किया है।
    • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पुद्दुचेरी, पंजाब और तमिलनाडु ने कुल PGI स्कोर में 10% का सुधार किया है।
  • अंतर-राज्यीय अंतराल: 
    • वर्ष 2019-20 में अधिकतम संभव 1000 अंकों पर उच्चतम और निम्नतम स्कोर वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच की सीमा 380 अंक से अधिक है।

क्षेत्र-वार (Domain-wise) निष्पादन :

  • पहुँच (Access) : अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पंजाब ने पहुँच (एक्सेस) डोमेन के मामले में 10% या उससे अधिक का सुधार किया है।
  • अवसंरचना और सुविधाएँ : राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने 'बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं' में 10% या उससे अधिक का सुधार किया  है, जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा ओडिशा ने अपने कार्यक्षेत्र (डोमेन) स्कोर में 20% या उससे अधिक का सुधार किया है।
  • समानता या इक्विटी : अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और ओडिशा ने इक्विटी में 10% से अधिक का सुधार किया है।
  • शासन (Governance) प्रक्रिया : इसमें 19 राज्यों ने 10% या उससे अधिक सुधार किया है।
    • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर,पंजाब, राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल ने कम-से-कम 20 प्रतिशत का सुधार किया है। 

आगे की राह 

  • एक विश्वसनीय, सामयिक और सहभागी सूचना प्रणाली के साथ-साथ एक मज़बूत और दक्षतापूर्ण डेटा विश्लेषण ढाँचा किसी भी सरकारी कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन की कुंजी है।
  • स्कूली शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में शिक्षा का अधिकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और दूरदर्शी सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को समग्र शिक्षा (SS), मिड-डे मील (एमडीएम) जैसी सरकारी योजनाओं के सक्षम विधायी ढाँचे द्वारा निर्देशित करना है तथा राज्यों द्वारा इसी तरह की ऐसी योजनाएँ वांछित परिणाम प्रदान करेंगी यदि उनकी प्रभावी ढंग से निगरानी की जाती है।
  • रियल टाइम डेटा उपलब्धता प्रणाली की रूपरेखा (अर्थात्, UDISE+ शगुन आदि) और PGI इसके उद्देश्य तथा समग्र निष्पादन मूल्यांकन ढाँचे  के माध्यम से स्कूल शिक्षा क्षेत्र में नीति के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सही संयोजन प्रदान करेगा।
  • एक निष्पादन-आधारित अनुदान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस क्षेत्र पर निरंतर और अधिक ध्यान केंद्रित करने हेतु आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगा, जो देश के समग्र वृद्धि और विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत : पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

अमेरिका की जवाबी शुल्क कार्यवाही का निलंबन

प्रिलिम्स के लिये

डिजिटल सेवा कर, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय

मेन्स के लिये

डिजिटल सेवा कर महत्त्व और आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका ने भारत सहित उन छह देशों के विरुद्ध जवाबी शुल्क कार्यवाही को निलंबित कर दिया है, जिसमें ‘गूगल’ और ‘फेसबुक’ जैसी कंपनियों पर डिजिटल सेवा कर अधिरोपित था।

  • भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, इटली, स्पेन, तुर्की और यूनाइटेड किंगडम ने इस प्रकार के कर अधिरोपित किये हैं।

डिजिटल सेवा कर

  • यह कर कंपनियों द्वारा डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने के बदले प्राप्त राजस्व पर अधिरोपित किया जाता है। यह कर मुख्य तौर पर गूगल, अमेज़न और एप्पल जैसी डिजिटल बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर लागू होता है।
  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) वर्तमान में 130 से अधिक देशों के साथ वार्ता कर रहा है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली को अनुकूलित करना है। इस वार्ता का एक लक्ष्य अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की कर चुनौतियों का समाधान करना है।
    • कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि किसी एक विशिष्ट क्षेत्र या गतिविधि को लक्षित करने के लिये डिज़ाइन की गई कर नीति पूर्णतः अनुचित होगी और इसके जटिल परिणाम हो सकते हैं।
    • इसके अलावा डिजिटल अर्थव्यवस्था को बाकी वैश्विक अर्थव्यवस्था से आसानी से अलग नहीं किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि

  • सर्वप्रथम ‘संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि’ (USTR) कार्यालय द्वारा नोट किया गया कि भारत, इटली और तुर्की द्वारा अपनाए गए डिजिटल सेवा कर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय कर सिद्धांतों के साथ असंगत हैं, इसके पश्चात् इन देशों पर शुल्क अधिरोपित किये गए।
    • वर्ष 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 के तहत संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) को व्यापार समझौतों के तहत अमेरिकी राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और विदेशी व्यापार प्रथाओं की जाँच तथा कार्रवाई करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ और अधिकार प्राप्त हैं।

निलंबन का कारण

  • बहुपक्षीय समाधान
    • इस निलंबन का उद्देश्य वर्तमान में चल रहीं अंतर्राष्ट्रीय कर वार्ताओं को जारी रखने के लिये समय प्रदान करना है। इस तरह यदि भविष्य में ज़रूरत पड़ी तो धारा 301 के तहत शुल्क लगाने के विकल्प को बरकरार रखते हुए अमेरिका बहुपक्षीय समाधान की मांग कर रहा है।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान
    • संभावित रूप से प्रभावित छह देश एक कमज़ोर पोस्ट कोविड-19 रिकवरी का सामना कर रहे हैं और एक नया व्यापार युद्ध शुरू करना न केवल उनके लिये बल्कि व्यापक वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये भी हानिकारक हो सकता है।
    • महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक स्लोडाउन और चीन एवं अमेरिका के व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में आए बदलाव के परिणामस्वरूप पहले ही कई अर्थव्यवस्थाएँ कमज़ोर स्थिति का सामना कर रही हैं।
  • प्रशासन में बदलाव
    • पिछली अमेरिकी सरकार (ट्रंप प्रशासन) के तहत USTR का प्रयोग ऐसे व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये किया जाता था, जो प्रशासन को मुक्त, निष्पक्ष और पारस्परिक लगता था, विशेष रूप से अमेरिका और विदेशी सरकारों के बीच व्यापार के अंतर या संतुलन को समाप्त करने के लिये।
    • हालाँकि नई सरकार (बाइडेन प्रशासन) संबंधित देशों के साथ निरंतर कर वार्ता पर ज़ोर देते हुए USTR के प्रयोग का एक मध्य मार्ग तलाश रही है।

भारत पर प्रभाव

  • राजस्व का नुकसान
    • वित्त विधेयक, 2021 द्वारा लगाए गए कर से भारत को प्रतिवर्ष लगभग 55 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हो सकते हैं।
    • अमेरिका के साथ वार्ता के परिणामस्वरूप इस कर को वापस अधिरोपित किया जा सकता है, हालाँकि इससे राजस्व के एक हिस्से के नुकसान होने की संभावना है, जो कि अंतिम दर पर सहमति पर निर्भर करेगा।
  • निर्यात पर प्रभाव
    • अमेरिका को भारत का 118 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) द्वारा प्रस्तावित टैरिफ के अधीन है, जो 26 श्रेणियों के सामानों को प्रभावित कर सकता, जिसमें शामिल है:
      • बासमती चावल, सिगरेट पेपर, मोती, कीमती पत्थर, सोने और चांदी के आभूषण और विशिष्ट प्रकार के फर्नीचर उत्पाद।
  • विकास की संभावनाएँ
    • अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की प्रतिशोधात्मक कराधान कार्यवाही इस मौजूदा कठिन रिकवरी के दौरान में भारत की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
    • हालाँकि, भारत के लिये वैश्विक टेक फर्मों पर कर लगाने के प्रस्ताव को समाप्त करना भी आसान नहीं होगा। 

डिजिटल कंपनियों पर भारत का कर

  • बीते दिनों सरकार ने 2 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार वाले गैर-निवासी ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा प्रदान किये गए व्यापार और सेवाओं पर 2 प्रतिशत डिजिटल सेवा कर (DST) लगाते हुए वित्त विधेयक 2020-21 में एक संशोधन किया था।
    • इसके माध्यम से इक्विलाइज़ेशन लेवी के दायरे को प्रभावी ढंग से विस्तारित किया गया, जो कि बीते वर्ष तक केवल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर ही लागू था।
    • इससे पहले इक्विलाइज़ेशन लेवी (6 प्रतिशत) वर्ष 2016 में प्रस्तुत की गई थी और रेजिडेंट सर्विस प्रोवाइडर के बिज़नेस-टू-बिज़नेस डिजिटल विज्ञापनों और संबद्ध सेवाओं पर उत्पन्न राजस्व पर लगाई जाती थी।
  • नई लेवी 1 अप्रैल, 2020 से लागू हुई, जिसके तहत ई-कॉमर्स ऑपरेटर प्रत्येक तिमाही के अंत में कर का भुगतान करने के लिये बाध्य हैं।
  • इसका उद्देश्य ऐसी संस्थाओं से कर प्राप्त करना है, जिनकी भारत में भौतिक उपस्थिति नहीं है और इसलिये आयकर विभाग भारत से अर्जित उनकी आय पर कर नहीं लगा सकता है।

आगे की राह

  • भारत में जल्द ही डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक प्रतिनिधि बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऐसे में किसी भी प्रकार की बाधा से बचने के लिये 2 प्रतिशत डिजिटल सेवा कर पर वार्ता की जानी महत्त्वपूर्ण है। भारत को इस समय अपने विकल्पों पर सावधानी से विचार करना चाहिये।
  • इसके अलावा, डिजिटल अर्थव्यवस्था पर कराधान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहमति बनाए जाने की भी आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रासायनिक हथियार कन्वेंशन

प्रिलिम्स के लिये:

बेसल कन्वेंशन, रॉटरडैम कन्वेंशन, स्टॉकहोम कन्वेंशन

मेन्स के लिये:

रासायनिक हथियारों से संबंधित विभिन्न कन्वेंशन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रासायनिक हथियारों के निषेध संगठन (Organisation for the Prohibition of Chemical Weapons- OPCW) ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया कि 17 मामलों में सीरिया द्वारा रासायनिक हथियारों के प्रयोग की संभावना है या इनका निश्चित रूप से उपयोग किया गया।

  • OPCW का गठन रासायनिक हथियार कन्वेंशन (CWC) 1997 के तहत किया गया था।

प्रमुख बिंदु:

रासायनिक हथियार:

  • रासायनिक हथियार एक ऐसा रसायन होता है जिसका उपयोग इसके जहरीले गुणों के माध्यम से जान-बूझकर मौत या नुकसान पहुँचाने के लिये किया जाता है।
  • विशेष रूप से ज़हरीले रसायनों को हथियार बनाने के लिये डिज़ाइन की गई युद्ध सामग्री, उपकरण और अन्य हथियार भी रासायनिक हथियारों की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।

रासायनिक हथियार कन्वेंशन:

  • यह रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने और निर्धारित समय के भीतर उनके विनाश की आवश्यकता वाली एक बहुपक्षीय संधि है।
  • CWC के लिये वार्ता की शुरुआत वर्ष 1980 में निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में शुरू हुई।
  • इस कन्वेंशन का मसौदा सितंबर 1992 में तैयार किया गया था और जनवरी, 1993 में हस्ताक्षर के लिये प्रस्तुत किया गया था। यह अप्रैल 1997 से प्रभावी हुआ।
  • यह पुराने और प्रयोग किये जा चुके रासायनिक हथियारों को नष्ट करना अनिवार्य बनाता है।
  • सदस्यों को ‘दंगा नियंत्रण एजेंटों’ (कभी-कभी 'आँसू गैस' के रूप में संदर्भित) को भी स्वयं के कब्ज़े में घोषित करना चाहिये।
  • सदस्य:
    • इसके 192 राज्य सदस्य और 165 हस्ताक्षरकर्त्ता हैं।
    • भारत ने जनवरी 1993 में संधि पर हस्ताक्षर किये।
  • कन्वेंशन प्रतिबंधित करता है-
    • रासायनिक हथियारों का विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, भंडारण या प्रतिधारण।
    • रासायनिक हथियारों का स्थानांतरण।
    • रासायनिक हथियारों का उपयोग करना।
    • CWC द्वारा निषिद्ध गतिविधियों में शामिल होने के लिये अन्य राज्यों की सहायता करना।
    • दंगा नियंत्रण उपकरणों का उपयोग 'युद्ध विधियों' के रूप में करना।
  • रासायनिक शस्त्र निषेध संगठन (OPCW):
    • यह CWC की शर्तों को लागू करने के लिये वर्ष 1997 में CWC द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
    • OPCW और संयुक्त राष्ट्र के बीच 2001 के समझौते के माध्यम से OPCW अपने निरीक्षणों और अन्य गतिविधियों पर महासचिव के कार्यालय के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र को रिपोर्ट करता है।
    • OPCW को वर्ष 2013 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • मुख्यालय:
    • हेग, नीदरलैंड
  • कार्य:
    • यह सत्यापित करने संबंधी निरीक्षण करने के लिये अधिकृत है कि हस्ताक्षरकर्त्ता राज्य इस कन्वेंशन का अनुपालन कर रहे हैं।
      • इसमें निरीक्षकों को रासायनिक हथियार साइटों तक पूर्ण पहुँच प्रदान करने की प्रतिबद्धता शामिल है।
    • यह साइटों और संदिग्ध रासायनिक हथियारों के हमलों के पीड़ितों का परीक्षण भी करता है।
    • यह रासायनिक हथियारों के हमले या धमकी से प्रभावित राज्यों को सहायता और संरक्षण, रसायनों के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग का भी प्रावधान करता है।

भारतीय पहल:

  • CWC को लागू करने के लिये रासायनिक हथियार कन्वेंशन अधिनियम, 2000 पारित किया गया था।
  • यह रासायनिक हथियार कन्वेंशन या NACWC के लिये एक राष्ट्रीय प्राधिकरण की स्थापना हेतु स्वीकृति प्रदान करता है। वर्ष 2005 में गठित यह संस्था भारत सरकार और OPCW के मुख्य संपर्क में है। यह भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय के तहत एक कार्यालय है।

बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम कन्वेंशन (खतरनाक रसायन और अपशिष्ट):

  • बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम कन्वेंशन बहुपक्षीय पर्यावरण समझौते हैं जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरनाक रसायनों और कचरे से बचाने के सामान्य उद्देश्य को साझा करते हैं।

बेसल कन्वेंशन: 

  • यह वर्ष 1992 में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य विकसित से निम्न विकसित देशों (LDCs) में खतरनाक कचरे की सीमा-पार आवाजाही को कम करना और उत्पादन के स्रोत के यथासंभव सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना था।
    • भारत इसका एक सदस्य है।

रॉटरडैम कन्वेंशन:

  • इसे सितंबर 1998 में नीदरलैंड के रॉटरडैम में ‘प्लेनिपोटेंटियरीज कॉन्फ्रेंस’ द्वारा अपनाया गया था और फरवरी 2004 में लागू हुआ था।
    • भारत इसका एक सदस्य है।
  • इसमें कीटनाशकों और औद्योगिक रसायनों को शामिल किया गया है जिन्हें सदस्यों द्वारा स्वास्थ्य या पर्यावरणीय कारणों से प्रतिबंधित या गंभीर रूप से प्रतिबंधित किया गया है और जिन्हें सदस्यों द्वारा पूर्व सूचित सहमति (PIC) प्रक्रिया में शामिल करने के लिये अधिसूचित किया गया है।
  • यह कन्वेंशन पूर्व सूचित सहमति (PIC) प्रक्रिया के कार्यान्वयन के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाता है।

स्टॉकहोम कन्वेंशन:

  • यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को स्थायी जैविक प्रदूषकों (POPs) से बचाने के लिये एक वैश्विक संधि है। भारत इसका सदस्य है। यह कन्वेंशन मई 2004 में लागू हुआ।
    • POPs ऐसे रसायन हैं जो लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं तथा भौगोलिक स्तर पर व्यापक रूप से वितरित हो जाते हैं एवं जीवित जीवों के वसायुक्त ऊतक में जमा हो जाते हैं और मनुष्यों एवं वन्यजीवों के लिये ज़हरीले होते हैं।

स्रोत- द हिंदू


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