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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

नोबेल पुरस्कार 2020

  • 13 Feb 2021
  • 26 min read

नोबेल पुरस्कार को विश्व में बौद्धिक उपलब्धि के लिये दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है, जो स्वीडिश आविष्कारक और उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल द्वारा दिये गए फंड से प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।

  • यह प्रतिवर्ष भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, अर्थशास्त्र और मानवता के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि के लिये दिया जाता है।

फिजियोलॉजी / चिकित्सा

  • अमेरिकी चिकित्सा शोधकर्त्ताओं और वायरोलॉजिस्ट हार्वे जे ऑल्टर (Harvey J Alter), चार्ल्स एम. राइस (Charles M Rice) और ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल ह्यूटन (Michael Houghton) को हेपेटाइटिस C वायरस की खोज के लिये यह पुरस्कार दिया गया, जिसकी खोज वर्ष 1982 में लाखों DNA नमूनों की जाँच करके हुई थी।
    • हेपेटाइटिस C वायरस की खोज से जीर्ण हेपेटाइटिस (Chronic Hepatitis) के शेष मामलों के कारणों का पता लगाना संभव हुआ, जिससे रक्त परीक्षण तथा नई दवाओं का निर्माण हुआ।
  • हेपेटाइटिस-
    • हेपेटाइटिस यकृत (Liver) में सूजन की स्थिति को संदर्भित करता है।
    • यह आमतौर पर एक वायरल संक्रमण के कारण होता है, लेकिन हेपेटाइटिस के अन्य संभावित कारण भी हो सकते हैं जैसे- ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाएँ, चिकित्सा, औषधि, विषाक्त पदार्थ और शराब का सेवन आदि।
    • हेपेटाइटिस वायरस मुख्य रूप से पाँच प्रकार के होते हैं, जिन्हें A, B, C, D और E के रूप में संदर्भित किया जाता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा प्रतिवर्ष 28 जुलाई को "विश्व हेपेटाइटिस दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को हेपेटाइटिस रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है। 
    • हेपेटाइटिस C का कारण हेपेटाइटिस C वायरस (Hepatitis C Virus- HCV) है।
    • प्रथम प्रकार का कारण (हेपेटाइटिस A) दूषित पानी या भोजन होता है और आमतौर पर यह रोगी पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ता है।
    • द्वितीय प्रकार (हेपेटाइटिस B) रक्त और शरीर में मौजूद तरल पदार्थ के ज़रिये फैलता है। हेपेटाइटिस का यह रूप पहले प्रकार वाले की तुलना में खतरनाक होता है क्योंकि इसके चलते जीर्ण स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • यह संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने तथा आमतौर पर इंजेक्शन दवा के उपयोग और यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है।

भौतिकी

  • वर्ष 2020 के लिये भौतिकी का नोबेल पुरस्कार ब्लैक होल की हमारी समझ को आगे बढ़ाने हेतु तीन वैज्ञानिकों [रोजर पेनरोज़ (Roger Penrose), रेनहार्ड गेनज़ेल (Reinhard Genzel) और एंड्रिया गेज़ (Andrea Ghez)] को प्रदान किया गया।
  • जर्मन रेनहार्ड गेनज़ेल और अमेरिकन एंड्रिया गेज़ और रोजर पेनरोज़ को ‘हमारी आकाशगंगा के केंद्र में एक ‘सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट’ (Supermassive Compact Object) की खोज के लिये’ यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है।
    • गेनज़ेल एवं गेज़ ने मिल्की वे के मध्य क्षेत्र के सबसे चमकीले तारों की कक्षाओं की सटीक माप की और उनके अध्ययनों से पता चला कि थोड़ा असामान्य प्रक्षेपण पथ एवं तारों की गति को केवल बहुत बड़े पैमाने पर किंतु अदृश्य वस्तु की उपस्थिति से समझाया जा सकता है। जिसे अब धनु A* (Sagittarius A*) सुपरमैसिव ब्लैक होल के रूप में जाना जाता है, जिसका द्रव्यमान सूर्य से चार मिलियन गुना अधिक है और हमारे सौरमंडल के आकार के लगभग एक क्षेत्र तक सीमित है।
    • इसका द्रव्यमान सूर्य से चार मिलियन गुना अधिक है और हमारे सौरमंडल के आकार के लगभग एक क्षेत्र तक सीमित है।

ब्लैक होल क्या है?

  • ‘ब्लैक होल’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमेरिकी भौतिकीविद् जॉन आर्चीबाल्ड व्हीलर ने वर्ष 1960 के दशक के मध्य में किया था।
    • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन भी नहीं हो सकता। 
    • वर्ष 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा ब्लैक होल का सिद्धांत दिया गया था।
  • अप्रैल 2019 में इवेंट होरिज़न टेलीस्कोप परियोजना (Event Horizon Telescope Project) में शामिल वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की पहली तस्वीर (इसकी अधिक सटीक तस्वीर) जारी की।
    • इवेंट होरिज़न टेलीस्कोप द्वारा इस तस्वीर को संभव बनाया गया था जो विश्व भर में स्थित आठ रेडियो दूरबीनों (अंतरिक्ष से रेडियो तरंगों का पता लगाने के लिये उपयोग) का एक समूह है।
  • जब दो ब्लैक होल एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं और एक-दूसरे में विलय हो जाते हैं तब गुरुत्वाकर्षण तरंगों का निर्माण होता है।

रसायन विज्ञान

  • फ्राँस की इमैनुएल चार्पेंटियर (Emmanuelle Charpentier) और संयुक्त राज्य अमेरिका की जेनिफर ए डौडना (Jennifer A Doudna) को जीन तकनीकी के सबसे तेज़ उपकरणों में से एक ‘क्रिस्पर-कैस-9 आण्विक कैंची’ (CRISPR-Cas-9 Genetic Scissors) विकसित करने के लिये रसायन विज्ञान में वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
    • यह पहली बार है कि नोबेल विज्ञान पुरस्कार किसी महिला-टीम को ही मिला है।
  • इमैनुएल चार्पेंटियर एवं जेनिफर ए डौडना द्वारा विकसित ‘क्रिस्पर-कैस-9 जेनेटिक सीज़र्स’ (CRISPR-Cas-9 Genetic Scissors) का उपयोग जानवरों, पौधों एवं सूक्ष्मजीवों के डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) को अत्यधिक उच्च सटीकता के साथ बदलने के लिये किया जा सकता है। 
    • इस तकनीक ने कैंसर उपचार में योगदान दिया है।

CRISPR तकनीक

वैज्ञानिकों द्वारा CRISPR Cas-9 तकनीक की खोज वर्ष 2012 में की गई थी यह तकनीक प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।

  • CRISPR तकनीक के माध्यम से संपूर्ण आनुवंशिक कोड में से लक्षित हिस्सों (विशिष्ट हिस्सों) या विशेष स्थान पर DNA की एडिटिंग की जा सकती है।
  • CRISPR-CAS9 तकनीक आनुवंशिक सूचना धारण करने वाले DNA के सिरा (Strands) या कुंडलित धागे को हटाने और चिपकाने (Cut and Paste) की क्रियाविधि की भाँति कार्य करती है।
  • DNA सिरा के जिस विशिष्ट स्थान पर आनुवंशिक कोड को बदलने या एडिट करने की आवश्यकता होती है, सबसे पहले उसकी पहचान की जाती है।
  • इसके पश्चात् CAS-9 के प्रयोग से (CAS-9 कैंची की तरह कार्य करता है) उस विशिष्ट हिस्से को हटाया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि DNA सिरा के जिस विशिष्ट भाग को काटा या हटाया जाता है उसमें प्राकृतिक रूप से पुनर्निर्माण, मरम्मत की प्रवृत्ति होती है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा स्वत: मरम्मत या पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में ही हस्तक्षेप किया जाता है और आनुवंशिक कोड में वांछित अनुक्रम या परिवर्तन की क्रिया पूरी की जाती है, जो अंततः टूटे हुए DNA सिरा पर स्थापित हो जाता है।

शांति

  • संयुक्त राष्ट्र के ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (World Food Programme-WFP) को वर्ष 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया गया है। ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ को यह सम्मान ‘भूख से लड़ने, संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति के लिये स्थितियों को बेहतर बनाने में योगदान देने और युद्ध व संघर्ष में भूख को एक हथियार के रूप में प्रयोग किये जाने से रोकने के प्रयासों में एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करने के लिये’ प्रदान किया गया है।
    • विश्व खाद्य कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र की खाद्य-सहायता शाखा है,  यह वैश्विक स्तर पर भुखमरी की समस्या से लड़ने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये कार्य करने वाली सबसे बड़ी मानवीय संस्था है।
    • विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना वर्ष 1961 में की गई थी।
    • इसका मुख्यालय रोम (इटली) में स्थित है।
    • विश्व खाद्य कार्यक्रम का संचालन एक कार्यकारी बोर्ड द्वारा किया जाता है, जिसमें 36 सदस्य देश शामिल होते हैं।
    • इसकी अध्यक्षता एक कार्यकारी निदेशक द्वारा की जाती है, जिसकी नियुक्ति संयुक्त राष्ट्र महासचिव और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के महानिदेशक द्वारा की जाती है। कार्यकारी निदेशक को पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिये नियुक्त किया जाता है।
    • वर्ष 2019 में WFP द्वारा विश्व के 88 देशों में 97 मिलियन लोगों को सहायता उपलब्ध कराई गई। वर्ष 2019 के दौरान WFP ने लगभग 4.4 टन खाद्य सामग्री का वितरण किया और 91 देशों से 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के खाद्य पदार्थों की खरीद की।  
  • भारत में WFP: भारत में WFP वर्ष 1963 से कार्य कर रहा है। भारत की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) में सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा यह लोगों तक भोजन की पहुँच में सुधार के लिये नीतिगत इनपुट, तकनीकी सहायता आदि प्रदान करता है। 
    • WFP द्वारा TPDS के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु ‘स्वचालित अन्न वितरण मशीन’ (अन्नपूर्ति) और ‘मोबाइल स्टोरेज यूनिट’ (Mobile Storage Units-MSU) जैसी कुछ पहलों का प्रस्ताव दिया गया है।

अर्थशास्त्र 

  • वर्ष 2020 के लिये अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल मिल्ग्राॅम (Paul Milgrom) एवं रॉबर्ट विल्सन (Robert Wilson) को वाणिज्यिक नीलामी (Commercial Auctions) के क्षेत्र में कार्य करने के लिये अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। 
    • अधिकारिक रूप से यह पुरस्कार अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार स्वीरिजेज रिक्सबैंक प्राइज़ इन इकोनॉमिक साइंसेज़ इन मेमोरी ऑफ़ अल्फ्रेड नोबेल (Sveriges  Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel) के तौर पर जाना जाता है। 
    • इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी और अब तक यह 51 बार प्रदान किया जा चुका है।
    • गौरतलब है कि स्वेरिजेस रिक्सबैंक (Sveriges Riksbank) जो स्वीडन का केंद्रीय बैंक है, ने वर्ष 1968 में नोबेल पुरस्कार के संस्थापक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में ‘आर्थिक विज्ञान’ में पुरस्कार की स्थापना की थी।
  • यह पुरस्कार वर्ष 1968 में बैंक की 300वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वीरिजेज रिक्सबैंक (स्वीडन के केंद्रीय बैंक) से नोबेल फाउंडेशन द्वारा प्राप्त दान पर आधारित है और इसकी पुरस्कार राशि 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 8.33 करोड़ रुपए) है।
  • मिलग्रोम और विल्सन (Milgrom and Wilson) ने नीलामी के सिद्धांत में सुधार किया और अधिकतम राजस्व के बजाय व्यापक सामाजिक लाभ से प्रेरित विक्रेता की ओर से एक साथ कई परस्पर संबंधित वस्तुओं की नीलामी के लिये नए नीलामी प्रारूपों का आविष्कार किया।
    • रॉबर्ट विल्सन ने एक सामान्य मूल्य वाली वस्तुओं की नीलामी के लिये सिद्धांत विकसित किया, इसके अनुसार किसी वस्तु का मूल्य पहले अनिश्चित होता है लेकिन अंत में सभी के लिये समान रहता है
    • पॉल मिलग्रोम (Paul Milgrom) ने नीलामी का एक और सामान्य सिद्धांत तैयार किया जो न केवल सामान्य मूल्यों को बल्कि निजी मूल्यों की भी अनुमति देता है, यह बोलीदाता से बोली लगाने वाले के लिये भिन्न होते हैं।
    • उनके इस कार्य से विश्व भर के विक्रेताओं, खरीदारों और करदाताओं को फायदा होगा। यह रेडियो फ्रीक्वेंसी जैसी वस्तुओं और उन सेवाओं की नीलामी करने में मदद करेगा, जिन्हें पारंपरिक तरीकों से बेचना मुश्किल है।

नीलामी का सिद्धांत

  • इस सिद्धांत में नीलामी का डिज़ाइन, नीलामी से संबंधित नियम, बोली लगाने वाले का व्यवहार एवं नीलामी के नतीजे के बारे में अध्ययन किया जाता है।
  • दुर्लभ संसाधनों का आवंटन अर्थशास्त्रियों के लिये मायने रखता है क्योंकि असीमित मानव आवश्यकताओं की तुलना में पृथ्वी पर संसाधनों की उपलब्धता सीमित है, इसलिये इनका आवंटन केवल समाज की सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिये।
  • नीलामी के लिये आवेदन: आधुनिक विश्व में नीलामी लगभग हर जगह होती है। यहाँ तक कि खुदरा दुकानों में किराने के सामान की बिक्री नीलामी पर आधारित है, यद्यपि यह एक अंतर्निहित बाज़ार की स्थितियों को बदलने के लिये समायोजित करने के अपेक्षाकृत धीमा है।
    • नीलामी के सिद्धांत के तहत लेनदारों को भुगतान करने के लिये दिवालिया व्यक्ति की संपत्ति की नीलामी के बारे में विचार करना है, हालाँकि यह नीलामी का सबसे पुराना स्वरूप है। इस तरह की नीलामी के सरलतम प्रारूप के अनुसार, खुली बोली में उच्चतम बोलीदाता द्वारा  संपत्ति (या कमोडिटी) को प्राप्त की जाती है।
    • पूंजीगत वस्तुओं का आवंटन: पूंजीगत वस्तुओं जैसे स्पेक्ट्रम और खनिजों के आवंटन में अधिक परिष्कृत और स्पष्ट नीलामी तंत्र का उपयोग किया जाता है।
      • समय के साथ नीलामी के प्रारूप में अन्य वस्तुओं जैसे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन क्रेडिट, बिजली या स्थानीय अपशिष्ट को एकत्रित करने का अधिकार शामिल है।
    • उदाहरण के लिये एक सुपरमार्केट प्रबंधक, एक नीलामीकर्त्ता के रूप में एक निश्चित दिन, सप्ताह या महीने के दौरान वस्तु की बिक्री के आधार पर अपने कीमत लगाने की कोशिश करता है। यदि किसी निश्चित उत्पाद की भारी मांग है और उसकी खपत ज़्यादा हो रही है तो वस्तु की कमी को रोकने के लिये सुपरमार्केट प्रबंधक उस वस्तु के मूल्य में वृद्धि करेगा। यदि किसी अन्य उत्पाद की मांग अपेक्षा के अनुसार कम होती है तो उस वस्तु की जल्द खपत के लिये उसकी कीमत कम की जा सकती है।
      • लेकिन चाहे वह स्पेक्ट्रम वेव की नीलामी हो या फलों व सब्जियों की बिक्री, एक बाज़ार अर्थव्यवस्था में दुर्लभ संसाधनों के आवंटन का मूल ही नीलामी है।
  • नीलामी मॉडल: वस्तुओं, नीलामी के उद्देश्य और नीलामी आयोजित करने वाली संस्थाओं के आधार पर अलग-अलग नीलामी मॉडल की आवश्यकता होती है।
    • उदाहरण के लिये एक निजी नीलामी का मकसद अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो सकता है, जबकि वस्तुओं को सस्ता कर उनकी नीलामी करना सरकार का उद्देश्य हो सकता है। गलत नीलामी के तरीकों के कारण एक प्रकार से द्वितीय स्तर का बाज़ार (Second-Hand Market) विकसित हो सकता है, जहाँ कंपनियाँ सरकार को कम राजस्व या जनता को कम लाभ पहुँचाती हैं।
  • नीलामी की प्रक्रिया को तैयार किया जाता है, कि इसका न केवल खरीदारों और विक्रेताओं पर बल्कि समाज पर भी ज़बरदस्त प्रभाव पड़ता है।
  • मुख्य चर: किसी नीलामी को डिज़ाइन करते समय तीन मुख्य चर को समझने की आवश्यकता होती है।
    • नीलामी के नियम यानी बंद/सीलबंद बोलियाँ, एकल बोलियाँ बनाम एकाधिक बोलियाँ।
    • नीलामी के लिये रखी जा रही किसी वस्तु या सेवा यानी प्रत्येक बोलीदाता द्वारा किसी मद/वस्तु का आकलित मूल्य।
    • तीसरा कारक अनिश्चितता से संबंधित है, जो किसी बोलीदाता की वस्तु के संबंध में जानकारी पर निर्भर करता है।

साहित्य

  • संयुक्त राज्य अमेरिका की कवयित्री लुईस ग्लूक (Louise Gluck) को वर्ष 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। लुईस ग्लूक को यह नोबेल पुरस्कार ‘उनकी अचूक काव्यात्मक स्वर जो खूबसूरती के साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाता है’ के लिये प्रदान किया गया है। 
    • उनकी कविता मानवीय व्यवहार, मृत्यु, बचपन, पारिवारिक जीवन और उनकी जटिलताओं पर आधारित है।
    • वर्ष 2010 के बाद साहित्य के क्षेत्र में पुरस्कार प्राप्त करने वाली यह चौथी महिला हैं, जबकि वर्ष 1901 में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत से अब तक इस सम्मान को पाने वाली यह 16वीं महिला हैं।
  • नोबेल पुरस्कार में एक पदक और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोन की पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है।

भारतीयों का योगदान

  • कवि और लेखक रवींद्रनाथ टैगोर वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय और भारतीय थे।
  • भारत को वर्ष 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में पहला नोबेल पुरस्कार मिला, जब वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को "प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये और उनके नाम पर प्रभाव की खोज के लिये" सम्मानित किया गया था। इस घटना को अब रमन प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
  • हर गोबिंद खुराना (Har Gobind Khorana) को वर्ष 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में रॉबर्ट डब्ल्यू हॉली (Robert W Holley) और मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग (Marshall W Nirenberg) के साथ सयुंक्त रूप से “प्रोटीन संश्लेषण में आनुवंशिक कोड और इसके कार्य की व्याख्या के लिये“ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • मदर टेरेसा (Mother Teresa) ने वर्ष 1979 का नोबेल शांति पुरस्कार जीता। वह एक रोमन कैथोलिक नन थीं जो अल्बानिया में पैदा हुई थीं। उन्होंने कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की और अपना सारा जीवन गरीबों की सेवा में लगा दिया। वह भारतीय नागरिक भी बनीं। उन्हें "पीड़ित मनुष्यों की मदद करने" के लिये पुरस्कार मिला।
  • भारतीय भौतिक विज्ञानी सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyan Chandrasekhar) को वर्ष 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया, उन्हें यह पुरस्कार भौतिक विज्ञानी विलियम अल्फ्रेड फाउलर (William Alfred Fowler) के साथ संयुक्त रूप से मिला था। उन्हें "तारों की संरचना और विकास के लिये महत्त्वपूर्ण भौतिक प्रक्रियाओं के सैद्धांतिक अध्ययन के लिये" सम्मानित किया गया था।
  • अमर्त्य सेन को वर्ष 1998 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में स्वीरिजेज रिक्सबैंक पुरस्कार (Sveriges Riksbank Prize) प्रदान किया गया। उन्हें "कल्याणकारी अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिये" पुरस्कृत किया गया था।
  • रसायन विज्ञान के क्षेत्र में भारत के वेंकटरामन रामकृष्णन (Venkatraman Ramakrishnan) को  पहला नोबेल पुरस्कार मिला। उन्हें यह पुरस्कार राइबोसोम की संरचना और इस कार्य के अध्ययन के लिये वर्ष 2009 में नोबेल पुरस्कार मिला। उन्हें यह पुरस्कार थॉमस ए स्टिट्ज़ (Thomas A Steitz) और एडा ई योनथ (Ada E Yonath) के साथ सयुंक्त रूप से दिया गया।
  • भारत के बाल अधिकार कार्यकर्त्ता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) और पाकिस्तान की मलाला यूसुफज़ई (Malala Yousafzai) को वर्ष 2014 में संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार "बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ उनके संघर्ष के लिये तथा सभी बच्चों की शिक्षा के अधिकार" के लिये दिया गया था।
  • भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee), एस्थर डुफ्लो (Esther Duflo) और माइकल क्रेमर (Michael Kremer) को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में सयुंक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया। तीनों को “ वैश्विक गरीबी को कम करने के लिये प्रायोगिक दृष्टिकोण (Experimental Approach to Alleviating Global Poverty)” विषय पर विस्तृत शोध के लिये यह पुरस्कार दिया गया था।
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