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भारतीय अर्थव्यवस्था

सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली

  • 17 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, केंद्रीय योजना निगरानी प्रणाली, योजनागत व्यय, गैर-योजनागत व्यय, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ, केंद्र प्रायोजित योजनाएँ, भारतीय सिविल लेखा सेवा 

मेन्स के लिये:

सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

44वें सिविल लेखा दिवस के अवसर पर वित्त मंत्री ने सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (Public Financial Management System-PFMS) से संबंधित मुद्दे पर चर्चा की।

प्रमुख बिंदु:

  • PFMS ने निधि प्रवाह प्रणाली, भुगतान एवं अकाउंटिंग नेटवर्क के प्रति भारत को जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी होने में सक्षम बनाया है।
  • भारतीय सिविल लेखा सेवा (Indian Civil Accounts Service-ICAS) के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer-DBT) के ज़रिये 8.46 करोड़ से अधिक पीएम-किसान भुगतान लाभार्थियों को सीधे उनके बैंक खातों में पैसे जमा कर PFMS ने अपनी आईटी (Information Technology-IT) ताकत साबित की है।

सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली:

  • PFMS, जिसको पहले केंद्रीय योजना निगरानी प्रणाली (Central Plan Schemes Monitoring System- CPSMS) के नाम से जाना जाता था।
  • यह एक वेब आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जिसका विकास तथा कार्यान्वयन भारत के महानियंत्रक लेखा कार्यालय द्वारा किया जा रहा है।
  • CPSMS की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई।
  • वर्ष 2013 में इसके दायरे को बढ़ाकर इसमें योजनागत और गैर-योजनागत दोनों के तहत लाभार्थियों को सीधे भुगतान को भी शामिल किया गया।
  • वर्ष 2017 में सरकार ने योजना और गैर-योजना व्यय के बीच का अंतर समाप्त कर दिया।
    • योजनागत व्यय: पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत किये जाने वाले सभी व्ययों को योजनागत व्यय कहते हैं। जैसे- बिजली उत्पादन, सिंचाई एवं ग्रामीण विकास, सड़कों, पुलों, नहरों इत्यादि का निर्माण।
    • गैर-योजनागत व्यय: योजनागत व्यय के अलावा अन्य सभी प्रकार के व्यय को गैर-योजना व्यय के रूप में जाना जाता है। जैसे- ब्याज भुगतान, पेंशन, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को संवैधानिक हस्तांतरण इत्यादि।

उद्देश्य:

  • भारत सरकार (Government Of India-GOI) के लिये एक मज़बूत सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की सुविधा प्रदान करना ताकि कुशल निधि प्रवाह के साथ ही भुगतान एवं अकाउंटिंग नेटवर्क (Payment cum Accounting Network) की स्थापना की जा सके।
  • वर्तमान में इसके अंतर्गत केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत व्यय एवं अन्य व्यय शामिल हैं।
    • केंद्रीय क्षेत्र योजनाएँ:
      • ये योजनाएँ केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषित हैं।
      • इन्हें केंद्र सरकार की मशीनरी द्वारा लागू किया जाता है।
      • मुख्य रूप से संघ सूची के विषयों पर गठित हैं।
      • जैसे- भारतनेट, नमामि गंगे-राष्ट्रीय गंगा योजना इत्यादि।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाएँ:
      • केंद्र प्रायोजित योजनाएँ वे योजनाएँ हैं जो राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं लेकिन केंद्र सरकार द्वारा एक निर्धारित हिस्सेदारी के साथ प्रायोजित की जाती हैं।

भारतीय सिविल लेखा सेवा के बारे में:

  • केंद्र सरकार ने वर्ष 1976 में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में एक बड़ा सुधार किया।
  • नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को केंद्र सरकार के खाते तैयार करने की ज़िम्मेदारी देकर लेखा परीक्षा और लेखा कार्यों को अलग कर दिया गया।
  • लेखांकन कार्य को सीधे कार्यकारी के नियंत्रण में लाने के बाद भारतीय नागरिक लेखा सेवा की स्थापना हुई।
  • ICAS को भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (Indian Audit & Accounts Service-IA&AS) से शुरू किया गया था
  • केंद्रीय लेखा विभाग (Departmentalization of Union Accounts) अधिनियम, 1976 को संसद द्वारा अधिनियमित किया गया और 8 अप्रैल, 1976 को भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा इसे स्‍वीकृति प्रदान की गई।
  • इस अधिनियम को 1 मार्च, 1976 से प्रभावी माना गया था। तदनुसार, ICAS हर साल 1 मार्च को "नागरिक लेखा दिवस" के रूप में मनाता है।

स्रोत: पीआईबी

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