भारतीय अर्थव्यवस्था
पैंडोरा पेपर्स लीक
प्रिलिम्स के लियेभारतीय रिज़र्व बैंक, उदारीकृत प्रेषण योजना मेन्स के लियेविदेशों में ट्रस्ट स्थापित करने का कारण और इसके प्रभाव, सरकार द्वारा इस संबंध में किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘पैंडोरा पेपर्स लीक’ में कई प्रमुख भारतीयों के नाम सामने आए हैं।
- ‘पैंडोरा पेपर्स लीक’ में 300 से अधिक भारतीय नाम शामिल हैं, जिनमें 60 से अधिक प्रसिद्ध लोग भी हैं।
- ‘पैंडोरा पेपर्स’ 14 वैश्विक कॉर्पोरेट सेवा फर्मों की 11.9 मिलियन लीक फाइलें हैं, जिन्होंने लगभग 29,000 ऑफ-द-शेल्फ कंपनियों और निजी ट्रस्टों की स्थापना की थी।
ट्रस्ट
- परिचय:
- ‘ट्रस्ट’ को एक प्रत्ययी व्यवस्था के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जहाँ एक तृतीय पक्ष, जिसे ट्रस्टी के रूप में संदर्भित किया जाता है, व्यक्तियों या संगठनों की ओर से संपत्ति धारित करता है।
- ट्रस्ट एक अलग कानूनी इकाई नहीं होती है, इसकी कानूनी प्रकृति 'ट्रस्टी' में निहित होती है। कभी-कभी, 'सेटलर' एक ‘संरक्षक' की नियुक्ति करता है, जिसके पास ट्रस्टी की निगरानी करने की शक्ति होती है और वह ट्रस्टी को हटाकर एक नई नियुक्ति भी कर सकता है।
- भारतीय कानून:
- भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 ट्रस्ट की अवधारणा को कानूनी आधार प्रदान करता है। भारतीय कानून, ट्रस्ट को 'लाभार्थियों' के लाभ हेतु संपत्ति का प्रबंधन और उपयोग करने के लिये ट्रस्टी के दायित्व के रूप में मान्यता देते हैं। भारत ‘ऑफशोर’ ट्रस्टों को भी मान्यता देता है।
ऑफ-द-शेल्फ कंपनी:
- 'ऑफ-द-शेल्फ' कंपनी या पूर्वनिर्मित कंपनी एक पूर्व-पंजीकृत लिमिटेड कंपनी है, हालाँकि इसने अभी तक अपना कारोबार शुरू नहीं किया होता है। एक 'ऑफ-द-शेल्फ' कंपनी तत्काल उपयोग के लिये तैयार होती है और एक निश्चित लागत का भुगतान करने के बाद इसे आसानी से खरीदा जा सकता है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- ‘पैंडोरा पेपर्स लीक’ से पता चलता है कि व्यापारिक परिवारों और अति-समृद्ध व्यक्तियों द्वारा निवेश एवं अन्य संपत्तियों को रखने के उद्देश्य से ऑफशोर कंपनियों के साथ ट्रस्ट का उपयोग किया जा रहा है।
- ट्रस्ट को प्रायः ‘टैक्स हेवन’ में स्थापित किया जा सकता है, जो सापेक्ष कर लाभ प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिये: समोआ, बेलीज़, पनामा और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह।
- यह लीक बताती है कि किस प्रकार अमीरों ने संपत्ति नियोजन के लिये ऐसे क्षेत्राधिकारों में जटिल बहु-स्तरित ट्रस्ट संरचनाओं की स्थापना की, जहाँ कर संबंधी कानून तो काफी जटिल थे, किंतु वहाँ गोपनीयता कानून काफी सख्त हैं।
- विभिन्न देशों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और कर चोरी की बढ़ती चिंताओं के बीच ‘ऑफ-शोर संस्थाओं’ पर अपने कानूनों को कड़ा किया गया है, हालाँकि इस लीक से पता चला है कि व्यवसायों द्वारा अभी भी इन माध्यमों का प्रयोग किया जा रहा है।
- ध्यातव्य है कि ‘पनामा’ और ‘पैराडाइज़’ पेपर्स लीक भी व्यापक पैमाने पर व्यक्तियों एवं निगमों द्वारा स्थापित ‘ऑफ-शोर’ संस्थाओं से संबंधित थे।
- ‘पैंडोरा पेपर्स लीक’ से पता चलता है कि व्यापारिक परिवारों और अति-समृद्ध व्यक्तियों द्वारा निवेश एवं अन्य संपत्तियों को रखने के उद्देश्य से ऑफशोर कंपनियों के साथ ट्रस्ट का उपयोग किया जा रहा है।
- विदेशों में ट्रस्ट स्थापित करने का कारण:
- गोपनीयता:
- विदेशी ट्रस्ट अपने क्षेत्राधिकार में कड़े गोपनीयता कानूनों के कारण महत्त्वपूर्ण गोपनीयता प्रदान करते हैं।
- अलगाव बनाए रखना:
- व्यवसायियों द्वारा निजी ‘ऑफ-शोर’ ट्रस्टों की स्थापना का मूल उद्देश्य स्वयं को अपनी अवैध संपत्ति से अलग करना है।
- कर से बचाव:
- व्यवसायी अपनी संपत्ति से होने वाली आय पर कर देने से बचने के लिये सभी संपत्तियों को एक ट्रस्ट में स्थानांतरित कर देते हैं।
- ‘संपत्ति शुल्क’ से बचाव:
- प्रायः व्यवसायियों में यह डर रहता है कि ‘संपत्ति शुल्क’, जिसे वर्ष 1985 में समाप्त कर दिया गया था, को जल्द ही फिर से प्रस्तुत किया जा सकता है।
- इस तरह ट्रस्ट की स्थापना से भविष्य में स्वयं और आने वाली पीढ़ी को कर का भुगतान करने से बचाया जा सकता है, जो कि तकरीबन 85% था (संपदा शुल्क अधिनियम, 1953)।
- पूंजी-नियंत्रित अर्थव्यवस्था में लचीलापन:
- भारत एक पूंजी नियंत्रित अर्थव्यवस्था है। भारतीय रिज़र्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के तहत एक व्यक्ति प्रतिवर्ष केवल 2,50,000 अमेरिकी डॉलर का ही निवेश कर सकता है।
- इस स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिये व्यवसायियों ने अनिवासी भारतीयों की ओर रुख किया है, क्योंकि ‘विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999’ के तहत अनिवासी भारतीय भारत के बाहर अपनी वर्तमान वार्षिक आय के अलावा प्रतिवर्ष 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर भेज सकते हैं।
- इसके अलावा विदेशी क्षेत्राधिकार में कर की दर, भारत में 30% व्यक्तिगत आयकर दर से बहुत कम है।
- गोपनीयता:
- भारतीय कराधान की अस्पष्टता:
- भारतीय कराधान व्यवस्था में कुछ अस्पष्टताएँ हैं, जहाँ आयकर विभाग ‘ऑफ-शोर’ ट्रस्टों का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है।
- ‘काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) तथा कर अधिरोपण अधिनियम, 2015’ के लागू होने के बाद से निवासी भारतीयों को अपने विदेशी वित्तीय हितों एवं संपत्ति की रिपोर्ट करनी होती है।
- हालाँकि अनिवासी भारतीयों के लिये यह अनिवार्य नहीं है।
- यदि ट्रस्टी एक भारतीय निवासी है, तो आयकर विभाग कराधान उद्देश्यों के लिये एक ‘ऑफ-शोर’ ट्रस्ट को भारत का निवासी मान सकता है।
- ऐसे मामलों में जहाँ ट्रस्टी एक ‘ऑफ-शोर’ इकाई या एक अनिवासी भारतीय है और कर विभाग यह स्थापित करता है कि ट्रस्टी एक निवासी भारतीय से निर्देश ले रहा है, तो भी ट्रस्ट को कराधान उद्देश्यों के लिये भारत का निवासी माना जा सकता है।
- सरकारी प्रयास
- विधायी कार्रवाई:
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- दोहरा कराधान अपवंचन समझौते (DTAAs)
- भारत, दोहरा कराधान अपवंचन समझौतों (DTAAs)/कर सूचना विनिमय समझौतों (TIEAs)/बहुपक्षीय सम्मेलनों के तहत सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने और बढ़ाने के उद्देश्य से विदेशी सरकारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहा है।
- सूचना का स्वचालित आदान-प्रदान:
- भारत सूचना के स्वचालित आदान-प्रदान और वित्तीय जानकारी के सक्रिय साझाकरण के लिये एक बहुपक्षीय शासन बनाने के प्रयासों में अग्रणी रहा है, जो कर चोरी से निपटने के वैश्विक प्रयासों में सहायता करेगा।
- संयुक्त राज्य अमेरिका का विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम:
- भारत ने इस अधिनियम के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सूचना साझा करने हेतु समझौता किया है।
- दोहरा कराधान अपवंचन समझौते (DTAAs)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
एस्ट्रो रोबोट
प्रिलिम्स के लिये:एस्ट्रो रोबोट मेन्स के लिये:रोबोटिक्स और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेज़न ने अपने 'एस्ट्रो' होम रोबोट का अनावरण किया है, जिसे लोगों के घरों की निगरानी और परिवार के संपर्क में रहने जैसे कई कार्यों में मदद करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- हालाँकि नागरिक समाज ने 24×7 निगरानी के गोपनीयता मुद्दों की चिंताओं को उजागर किया है।
प्रमुख बिंदु
- एस्ट्रो रोबोट के बारे में:
- एस्ट्रो को घरों की सुरक्षा का उपकरण माना जाता है। इसे घर के पालतू जानवरों पर नज़र रखने और मालिक की अनुपस्थिति में कुछ असामान्य का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह एक "पेरिस्कोप" (Periscope) कैमरा के साथ संबद्ध होता है जो इसके शीर्ष पर पॉप अप होता है और इसका उपयोग घर पर नज़र रखने के लिये किया जा सकता है।
- यह मूल रूप से इको शो (स्मार्ट स्पीकर) और परिष्कृत रिंग सुरक्षा कैमरे का एक संयोजन है जो एक ही डिवाइस में एकीकृत है।
- यह डिवाइस लाइव वीडियो कैप्चर करता है, चेहरों को पहचानता है, संगीत या वीडियो चलाता है और पूरे घर में बियर वितरित करता है।
- यह लोगों के चेहरों को पहचान कर उनका विश्लेषण कर सकता है कि वह परिवार का सदस्य है या बाहरी व्यक्ति।
- निजता से संबंधित मुद्दे:
- नागरिक समाज की मुख्य चिंता यह है कि अमेज़न को एस्ट्रो के साथ प्राप्त होने वाला डेटा किसी घर तक आसान पहुँच प्रदान करता है।
- एस्ट्रो रोबोट, एलेक्सा की “वोकल्स और साउंड तक पहुँच” की अपेक्षा अधिक आधुनिक तकनीक को आत्मसात करता है।
- अमेज़न ने दावा किया है कि एस्ट्रो क्लाउड के बजाय स्थानीय रूप से डेटा का सामना करता है, लेकिन यह अभी भी किसी इंटरनेट से जुड़े डिवाइस की तरह गोपनीयता संबंधी चिंता का विषय है।
- डिवाइस के चोरी या हैक होने की चिंताएँ हैं। इससे अपराधी की पहुँच, रोबोट द्वारा किसी घर के बनाए गए डिजिटल मैप तक हो सकती है।
- अन्य प्रमुख चिंता लंबे समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित निगरानी की अधिक- से-अधिक सार्वजनिक स्वीकृति में योगदान कर सकती है।
- अतीत में हैकर्स अमेज़न प्रौद्योगिकियों के उपकरणों में उपयोग किये जाने वाले रिंग कैमरों तक पहुँचने में कामयाब रहे हैं।
- नागरिक समाज की मुख्य चिंता यह है कि अमेज़न को एस्ट्रो के साथ प्राप्त होने वाला डेटा किसी घर तक आसान पहुँच प्रदान करता है।
- अन्य हालिया प्रयोग:
- सॉफ्टबैंक ने इस साल की शुरुआत में पेपर (Pepper) का उत्पादन "निलंबित" किया था, जो भावनाओं को "पढ़ने" में सक्षम पहले ह्यूमनॉइड रोबोटों में से एक था।
- जिबो ने एक इंडिगोगो परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य घरों की सुरक्षा हेतु दुनिया का पहला सामाजिक रोबोट बनाना है।
रोबोटिक्स
- रोबोटिक्स के बारे:
- रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की एक शाखा है जिसमें रोबोट की अवधारणा, डिज़ाइन, निर्माण और संचालन शामिल है।
- रोबोट एक स्वचालित मशीन है जो मानव द्वारा किये जा रहे कार्यों को करता है।
- रोबोटिक्स क्षेत्र का उद्देश्य ऐसी बुद्धिमान मशीनें बनाना है जो विभिन्न तरीकों से मनुष्यों की सहायता कर सकें।
- रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की एक शाखा है जिसमें रोबोट की अवधारणा, डिज़ाइन, निर्माण और संचालन शामिल है।
- लाभ:
- कई स्थितियों में रोबोट उत्पादों की उत्पादकता, दक्षता, गुणवत्ता और निरंतरता बढ़ा सकते हैं।
- रोबोट मनुष्यों के विपरीत प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे बिना एयर कंडीशनिंग और शोर में भी कार्य कर सकते हैं।
- रोबोट में कुछ सेंसर/एक्ट्यूएटर होते हैं जो मनुष्यों से ज़्यादा सक्षम होते हैं।
- इंसानों के विपरीत रोबोट ऊबते नहीं हैं। जब तक वे खराब नहीं हो जाते, वे एक ही काम को बार-बार कर सकते हैं।
- वे बहुत सटीक एक इंच के अंश तक कार्य कर सकते हैं (जैसा कि माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक के निर्माण के लिये आवश्यक है)।
- हानि:
- यदि रोबोट मानव नौकरियों की जगह लेते हैं तो रोबोट का उपयोग आर्थिक समस्याएँ पैदा कर सकता है।
- रोबोट केवल वही कार्य कर सकते हैं जो उन्हें करने के लिये आदेशित किया जाता है, वे अतिरिक्त सुधार नहीं कर सकते हैं।
- इसका मतलब है कि मानव और अन्य रोबोटों की सुरक्षा के लिये सुरक्षा प्रक्रियाओं की आवश्यकता है।
- हालाँकि रोबोट कुछ मायनों में इंसानों से बेहतर हो सकते हैं, लेकिन वे इंसानों की तुलना में कम निपुण होते हैं।
- रोबोटिक्स में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का अभाव होता है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- अक्सर रोबोट प्रारंभिक लागत, रखरखाव, अतिरिक्त घटकों की आवश्यकता और कार्य को करने के लिये प्रोग्राम किये जाने की आवश्यकता के संदर्भ में बहुत महँगे होते हैं।
- निगरानी संबंधी चिंताएँ और गोपनीयता आदि अन्य प्रमुख समस्याएँ हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
SBM-U का द्वितीय चरण
प्रिलिम्स के लिये:स्वच्छ भारत मिशन मेन्स के लिये:स्वच्छ भारत मिशन का महत्त्व और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U 2.0) के द्वितीय चरण का शुभारंभ किया।
- आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) इस योजना का नोडल मंत्रालय है।
प्रमुख बिंदु
- SBM-U 2.0 के बारे में:
- बजट 2021-22 में घोषित SBM-U 2.0, SBM-U का दूसरा चरण है। सरकार शौचालयों के माध्यम से मल और सेप्टेज के निपटान की कोशिश कर रही है।
- शहरी भारत को खुले में शौच से मुक्त (ODF) बनाने और नगरपालिका के ठोस कचरे का 100% वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 2 अक्तूबर, 2014 को SBM-U का पहला चरण शुरू किया गया था। यह अक्तूबर 2019 तक चला।
- इसे 1.41 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 2021 से 2026 तक पाँच वर्षों में लागू किया जाएगा
- बजट 2021-22 में घोषित SBM-U 2.0, SBM-U का दूसरा चरण है। सरकार शौचालयों के माध्यम से मल और सेप्टेज के निपटान की कोशिश कर रही है।
- लक्ष्य:
- यह कचरे के स्रोत पर पृथक्करण, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक और वायु प्रदूषण में कमी, निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों से कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन तथा सभी पुराने डंप साइट के बायोरेमेडिएशन पर केंद्रित है।
- इस मिशन के तहत, सभी अपशिष्ट जल को जल निकायों में छोड़ने से पहले ठीक से उपचारित किया जाएगा और सरकार अधिकतम पुन: उपयोग (reuse) को प्राथमिकता देने का प्रयास कर रही है।
- मिशन का परिणाम:
- सभी वैधानिक शहर ODF+ प्रमाणित हो जाएंगे (पानी, रखरखाव और स्वच्छता के साथ शौचालयों पर केंद्रित)।
- 1 लाख से कम आबादी वाले सभी वैधानिक शहर ODF++ प्रमाणित हो जाएंगे (कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन के साथ शौचालयों पर केंद्रित)।
- 1 लाख से कम आबादी वाले सभी वैधानिक कस्बों का 50% से अधिक जल प्रमाणित हो जाएगा।
- कचरा मुक्त शहरों के लिये MoHUA के स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के अनुसार, सभी वैधानिक कस्बों को कम-से-कम 3-स्टार कचरा मुक्त दर्जा दिया जाएगा।
- सभी पुराने डंप साइट्स का बायोरेमेडिएशन।
- SBM-U प्रथम की प्रगति:
- 4,324 शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है, जो मिशन के लक्ष्य से कहीं अधिक 66 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों और 6 लाख से अधिक सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से संभव हुआ है।
- 2016 में MoHUA द्वारा शुरू किये गए डिजिटल शिकायत निवारण मंच, स्वच्छता एप जैसे डिजिटल सक्षमताओं ने नागरिक शिकायत निवारण के प्रबंधन को प्रोत्साहित किया है।
- स्वच्छ सर्वेक्षण, 2016 में SBM-U के तहत 4,000 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों को कवर करते हुए दुनिया का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू किया गया था।
स्रोत: पीआईबी
शासन व्यवस्था
अमृत मिशन का द्वितीय चरण
प्रिलिम्स के लिये:अमृत मिशन मेन्स के लिये:अमृत मिशन का महत्त्व और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT 2.0) के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।
- आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) योजना के लिये नोडल मंत्रालय है।
प्रमुख बिंदु
- अमृत मिशन के बारे में:
- अमृत मिशन को हर घर में पानी की सुनिश्चित आपूर्ति और सीवरेज कनेक्शन के साथ सभी की नल तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये जून 2015 में शुरू किया गया था।
- अमृत 2.0 का लक्ष्य लगभग 4,700 ULB (शहरी स्थानीय निकाय) में सभी घरों में पानी की आपूर्ति के मामले में 100% कवरेज प्रदान करना है।
- इसका उद्देश्य स्टार्टअप्स और एंटरप्रेन्योर्स (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) को प्रोत्साहित करके आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देना है।
- उद्देश्य:
- यह पानी की ज़रूरत को पूरा करने, जल निकायों को फिर से जीवंत करने, जलभृतों का बेहतर प्रबंधन, उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करने के लिये अमृत मिशन की प्रगति सुनिश्चित करेगा, जिससे पानी की एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
- यह 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज का 100% कवरेज प्रदान करेगा।
- उपचारित अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग से शहरों की कुल पानी की ज़रूरत का 20% तथा औद्योगिक मांग का 40% पूरा होने की उम्मीद है। मिशन के तहत प्राकृतिक संसाधनों का टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित करने के लिये स्वच्छ जल निकायों को प्रदूषित होने से बचाया जाएगा।
- जल के समान वितरण, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग और जल निकायों के मानचित्रण का पता लगाने के लिये शहरों में पेयजल सर्वेक्षण किया जाएगा।
- अमृत मिशन के पहले चरण का प्रदर्शन:
- अमृत मिशन के तहत शहरों में 1.14 करोड़ नल कनेक्शन के साथ कुल 4.14 करोड़ कनेक्शन किये गए हैं।
- 470 शहरों में क्रेडिट रेटिंग का काम पूरा हो चुका है। इनमें से 164 शहरों को निवेश योग्य ग्रेड रेटिंग (IGR) प्राप्त हुई है, जिसमें 36 शहर A- या उससे ऊपर की रेटिंग वाले हैं।
- 10 ULB ने म्युनिसिपल बॉण्ड के ज़रिये 3,840 करोड़ रुपए जुटाए हैं। ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणाली को 455 अमृत शहरों सहित 2,471 शहरों में लागू किया गया है।
- इस सुधार से वर्ष 2018 की विश्व बैंक की डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट (डीबीआर) की भारतीय रैंकिंग 181 रैंक से वर्ष 2020 में 27 हो गई।
- 89 लाख पारंपरिक स्ट्रीट लाइटों को ऊर्जा कुशल एलईडी लाइटों से बदल दिया गया है, जिससे प्रतिवर्ष 195 करोड़ यूनिट की अनुमानित ऊर्जा बचत और CO2 उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 15.6 लाख टन की कमी आई है।
स्रोत: पीआईबी
जैव विविधता और पर्यावरण
अंटार्कटिक में समुद्री संरक्षित क्षेत्र
चर्चा में क्यों?
भारत ने अंटार्कटिक पर्यावरण की रक्षा के लिये और पूर्वी अंटार्कटिक एवं वेडेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) के रूप में नामित करने के यूरोपीय संघ के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने के लिये अपना समर्थन दिया है।
- दक्षिणी महासागर, जिसे अंटार्कटिक महासागर भी कहा जाता है, पृथ्वी के कुल महासागर क्षेत्र के लगभग सोलहवें हिस्से को कवर करता है।
प्रमुख बिंदु
- समुद्री संरक्षित क्षेत्र:
- सामान्य शब्दों में समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPA), समुद्री क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
- एक MPA के भीतर विशिष्ट संरक्षण, आवास संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी या मत्स्य प्रबंधन उद्देश्यों को पूरा करने के लिये कुछ गतिविधियाँ सीमित या पूरी तरह से प्रतिबंधित होती हैं।
- कई MPA बहुउद्देश्यीय क्षेत्र की भाँति होते हैं जो आवश्यक रूप से मछली पकड़ने, अनुसंधान या अन्य मानवीय गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं करते हैं।
- अंटार्कटिक समुद्री जीवित संसाधनों के संरक्षण के लिये आयोग (CCAMLR) ने एक ढाँचे पर सहमति व्यक्त की है जो MPA की स्थापना हेतु उद्देश्यों और आवश्यकताओं का वर्णन करता है।
- अंटार्कटिक में MPA:
- वर्तमान में दक्षिणी महासागर का केवल 5% हिस्सा ही संरक्षित है। वर्ष 2009 में दक्षिण ओर्कनेय द्वीप समूह और वर्ष 2016 में रॉस सागर क्षेत्र में MPA स्थापित किये गए थे।
- MPA के अन्य तीन प्रस्तावों के संबंध में पूर्वी अंटार्कटिक, वेडेल सागर और अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर विचार किया जा रहा है।
- MPA प्रस्ताव संरक्षण और सतत् उपयोग सिद्धांतों द्वारा संचालित होते हैं तथा वैश्विक सहयोग ढाँचे (जैसे सतत् विकास लक्ष्य, महासागरों का संयुक्त राष्ट्र दशक, जैव विविधता पर सम्मेलन आदि) का अनुपालन करते हैं।
- भारत इन सम्मेलनों या समझौतों का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- भारत ने अंटार्कटिक समुद्री जैविक संसाधनों के संरक्षण पर आयोग (CCAMLR) के सदस्य देशों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि वे भविष्य में भी MPA के निर्माण, अनुकूलन और कार्यान्वयन तंत्र से जुड़े रहें।
- MPA स्थापित करने की आवश्यकता:
- दक्षिणी महासागर का स्वास्थ्य स्वयं महासागर में परिवर्तन द्वारा संचालित होता है- जैसे:
- महासागर अम्लीकरण
- समुद्री-बर्फ की सांद्रता में परिवर्तन
- जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली घटनाएँ जैसे हीट वेब और चरम मौसम।
- ये परिवर्तन अंटार्कटिक क्षेत्र के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और प्रजातियों को प्रभावित करते हैं।
- इसके अलावा इन प्रभावों से दक्षिणी महासागर में नई और आक्रामक प्रजातियों के खतरे के साथ ही पेंगुइन जैसी स्थानिक समुद्री प्रजातियों हेतु खतरा बढ़ रहा है।
- इसके अलावा अंटार्कटिक में ग्लेशियरों के पिघलने में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। उदाहरण के लिये थ्वाइट्स ग्लेशियर।
- अध्ययनों से पता चलता है कि MPA मछली पकड़ने जैसे अतिरिक्त तनावों को समाप्त करके कमज़ोर पारिस्थितिकी तंत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बनाने में मदद कर सकते हैं।
- इसके अलावा वे अपेक्षाकृत अबाधित जल के अध्ययन के लिये एक प्राकृतिक प्रयोगशाला प्रदान करते हैं कि कैसे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र एक गर्म और अम्लीय महासागर की दशाओं के साथ अभिक्रिया करते हैं।
- दक्षिणी महासागर का स्वास्थ्य स्वयं महासागर में परिवर्तन द्वारा संचालित होता है- जैसे:
- अंटार्कटिक समुद्री जीवित संसाधनों के संरक्षण पर अभिसमय (CCAMLR) के बारे में:
- CCAMLR समुद्री जीवित संसाधनों की चिंताओं के मद्देनज़र एक बहुपक्षीय प्रतिक्रिया है जो दक्षिणी महासागर के वातावरण को प्रभावित करते हुए क्रिल जैसे जीवों की दशा को प्रभावित कर सकते हैं। इससे भोजन के लिये क्रिल पर निर्भर रहने वाले समुद्री पक्षी, सील, व्हेल और मछली भी प्रभावित हो सकते हैं।
- CCAMLR की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा वर्ष 1982 में अंटार्कटिक समुद्री जीवन के संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी।
- CCAMLR की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता संरक्षण के लिये पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण है, जिसके लिये आवश्यक है कि समुद्री संसाधनों के संचयन के प्रबंधन में पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखा जाए।
- इसका सचिवालय ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया राज्य के होबार्ट शहर में स्थित है।
भारत के अंटार्कटिक मिशन
- भारत अंटार्कटिक में अपने बुनियादी ढाँचे के विकास का विस्तार कर रहा है।
- वर्ष 2015 में मान्यता प्राप्त नवीनतम आधार भारती (Bharati) है।
- भारत अपने दूसरे केंद्र मैत्री (Maitri) का पुनर्निर्माण कर रहा है, ताकि इसे और बड़ा बनाया जा सके तथा कम-से-कम 30 और वर्षों तक चलाया जा सके।
- दक्षिण गंगोत्री भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में अंटार्कटिक में स्थापित पहला भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान बेस स्टेशन था। यह क्षतिग्रस्त हो गया है और सिर्फ आपूर्ति का आधार बन गया है।
अंटार्कटिक संधि प्रणाली
- कुछ संबंधित समझौते हैं जो अंटार्कटिक संधि प्रणाली बनाते हैं, इस प्रकार हैं:
- अंटार्कटिक संधि के लिये पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल (मैड्रिड, 1991)
- अंटार्कटिक सीलों के संरक्षण के लिये अभिसमय (CCAS, लंदन, 1972)
- अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधनों के संरक्षण पर अभिसमय (CCAMLR, कैनबरा, 1980)