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अंटार्कटिका का डूम्सडे ग्लेशियर

  • 14 Apr 2021
  • 8 min read

चर्चा में?

हाल ही में स्वीडन यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग (Sweden’s University of Gothenburg) के शोधकर्त्ताओं द्वारा थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier) जिसे  ‘डूम्सडे ग्लेशियर' (Doomsday Glacier) के नाम से भी जाना जाता है, के नीचे से डेटा प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की है।

  • शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि ग्लेशियर में गर्म पानी की आपूर्ति पहले की तुलना में बढ़ गई है जो बर्फ के पिघलने की दर को और अधिक तीव्र कर सकता है।

प्रमुख बिंदु:

डूम्सडे ग्लेशियर:  

  • इसे थ्वाइट्स ग्लेशियर के नाम से भी जाना जाता है। यह 120 किलोमीटर चौड़ा तथा तेज़ी से गतिशील है। पिछले कुछ वर्षों में इसके पिघलने की दर में तेज़ी आई है 
  • इसका आकार 1.9 लाख वर्ग किमी. है जिसमे विश्व जल स्तर को आधा मीटर से अधिक बढ़ाने हेतु पर्याप्त जल विद्यमान है।
    • अध्ययन में पाया गया है कि पिछले 30 वर्षों में ग्लेशियर के बर्फ की लगभग दोगुनी मात्रा पिघल चुकी है।
  • वर्तमान में थ्वाइट्स ग्लेशियर के पिघलने से प्रति वर्ष वैश्विक समुद्र तल के स्तर में 4 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। 
  • ऐसे अनुमान है कि थ्वाइट्स ग्लेशियर 200-900 वर्षों  में पूर्णत: समुद्र में समा जाएगा।
  • अंटार्कटिका के लिये थ्वाइट्स अत्यधिक महत्त्वपूर्ण  है क्योंकि यह अपने पीछे मौज़ूद स्वतंत्र रूप से समुद्र में बहने वाले ग्लेशियरों को भी आगे बढ़ने से रोकता है।
  • थवाइट्स ग्लेशियर पर मंडराते खतरे के कारण इसे अक्सर  'डूम्सडे' भी कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘चेतावनी’ या ‘खतरा’ कभी-कभी इसे तबाही भी कहा जाता है।

पूर्व अध्ययन: 

  • ग्लेशियर में छिद्र: वर्ष 2019 के दौरान किये गए एक अध्ययन में इस ग्लेशियर में तेज़ी से बढ़ने वाली गुहा/कैविटी की खोज की गई थी, जिसका आकार  मैनहट्टन (Manhattan) के क्षेत्र के  लगभग दो-तिहाई के बराबर था।
    • ग्लेशियर के नीचे मौज़ूद गर्म जल के कारण ग्लेशियर में कैविटी का आकार बढ़ रहा है।
  • भू-संपर्क रेखा/ग्राउंडिंग लाइन पर गर्म जल की उपस्थिति:
    • वर्ष 2020 में, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय (NYU) के शोधकर्त्ताओं द्वारा ग्लेशियर के नीचे एक महत्त्वपूर्ण  बिंदु पर गर्म जल का पता लगाया गया। NYU द्वारा किये गए अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर के एक स्थान पर 600 मीटर गहरा और 35 सेमी चौड़ा गड्ढा खोदा तथा ग्लेशियर की सतह के नीचे पानी को मापने हेतु आइसफिन (Icefin) नामक एक महासागर-संवेदी उपकरण तैनात किया गया।
    • अध्ययन से प्राप्त परिणाम: 
      • NYU द्वारा किये गए अध्ययन में  थ्वाइट्स के ‘भू-संपर्क क्षेत्र/ग्राउंडिंग ज़ोन’ या ‘भू-संपर्क रेखा/ग्राउंडिंग लाइन’ पर हिमांक बिंदु से केवल दो डिग्री अधिक तापमान पर जल की उपस्थित दर्ज़ की गई।
      • ग्राउंडिंग लाइन एक ग्लेशियर के नीचे वह स्थान होता है जिस पर आधार शैल पर स्थित बर्फ तथा स्वयं महासागर की सतह पर बर्फ के टुकड़े के बीच संक्रमण होता है। इस रेखा की अवस्थिति एक ग्लेशियर के पीछे हटने की दर का संकेतक है।
      • जब ग्लेशियर पिघलते हैं तो उनके भार में कमी आती है जिस कारण वे उसी आधार पर ही तैरते हैं जहाँ वे स्थित होते हैं। इस स्थिति में, ग्राउंडिंग लाइन पीछे हट जाती है। यह समुद्री जल में ग्लेशियर के अधिक भाग की स्थिति का सूचक है,  ग्राउंडिंग लाइन के अधिक पीछे हटने पर  ग्लेशियर और तेज़ी से पिघल जाएगा।
      • ग्राउंडिंग लाइन के पीछे हटने के परिणामस्वरूप ग्लेशियर में तीव्रता से प्रसार होगा और वे पहले की तुलना में अधिक पतले हो जाएंगे।

स्वीडन के गोथेनबर्ग अध्ययन (नए अध्ययन) के निष्कर्ष:

  • नए अध्ययन के विषय में: स्वीडन के गोथेनबर्ग अध्ययन में  थ्वाइट्स ग्लेशियर के निकट जाकर अवलोकन करने हेतु एक पनडुब्बी का उपयोग किया।।
    • इस पनडुब्बी का नाम "रन" (Ran) था, जिसके द्वारा ग्लेशियर के नीचे जाने वाली समुद्र की धाराओं की उग्रता, तापमान, लवणता और ऑक्सीजन आदि को मापा गया।
    • इसके परिणामस्वरूप शोधकर्त्ता थ्वाइट्स के तैरते हुए हिस्से के नीचे बहने वाली समुद्री धाराओं का नक्शा बनाने  में सफल हो सके।
  • खोज: शोधकर्त्ताओं ने गर्म पानी के तीन प्रवाहों की पहचान की, जिन पर पूर्व में हानिकारक प्रभावों को कम करके आँका गया था।
    • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि पाइन द्वीप खाड़ी (Pine Island Bay) से बहते पानी का पूर्व दिशा से गहरा संबंध है, एक ऐसा संबंध जिसे पहले सतही पानी के एक गर्त/रिज (Ridge) से अवरुद्ध माना जाता था।
      • पाइन द्वीप खाड़ी पश्चिम अंटार्कटिका की एक जल निकासी प्रणाली है।
    • अध्ययन में तीन चैनलों में से एक में गर्म जल धारा को भी देखा गया, जो गर्म उत्तर से ग्लेशियर की ओर गर्म जल को लाती है।
    • उन्होंने पाया कि समुद्र के तल की ज्यामिति से प्रभावित बर्फ के शेल्फ गुहा में पानी के अलग-अलग रास्ते थे।

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आगे की राह

  • अध्ययन से पता चलता है कि गर्म जल चारों ओर से ग्लेशियर के पिनिंग पॉइंट (Pinning Point) तक पहुँच रहा है, जिसका प्रभाव सीबेड से जुड़ी बर्फ और स्थिर बर्फ की चादरों पर पड़ रहा है। यह थ्वाइट्स की स्थिति को और अधिक चिंताजनक बना सकता जिसकी बर्फ की चादरें पहले से ही कम हो रही हैं।
  • थ्वाइट्स ग्लेशियर में होने वाले परिवर्तन को जानने के लिये डेटा एकत्र करना आवश्यक है। यह डेटा भविष्य में बर्फ के पिघलने की दर को मापने में मदद करेगा।
  • इसमें नई तकनीक की मदद से सुधार किया जा सकता है और वैश्विक पर समुद्र स्तर में होने वाली भारी अनिश्चितता को कम किया जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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