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जैव विविधता और पर्यावरण

संरक्षित क्षेत्रों का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन

  • 12 Jan 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry for Environment, Forest and Climate Change- MoEF&CC) ने देश के 146 राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों (NP& WLS) का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (Management Effectiveness Evaluation- MEE) ज़ारी किया है।

  • यह भी घोषणा की गई कि वर्ष 2021 से प्रत्येक वर्ष  10 सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय उद्यानों, पाँच तटीय तथा समुद्री पार्कों एवं देश के शीर्ष पाँच चिड़ियाघरों को रैंक दी जाएगी और सम्मानित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु:

संरक्षित क्षेत्रों का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन:

      • संरक्षित क्षेत्रों का MEE एक प्रमुख उपकरण के रूप में उभरा है जिसका उपयोग सरकारों तथा अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन प्रणालियों की ताकत और कमज़ोरियों को समझने के लिये किया जा रहा है।
        • भारत के राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्यों की मूल्यांकन प्रक्रिया प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन के IUCN WCPA (संरक्षित क्षेत्रों पर विश्व आयोग) से अपनाई गई है।
      • MEE को इस बात के मूल्यांकन के रूप में परिभाषित किया गया है कि NP&WLS का प्रबंधन कितनी अच्छी तरह से किया जा रहा है तथा क्या वे अपने मूल्यों की रक्षा कर रहे हैं और उन लक्ष्यों तथा उद्देश्यों (जिन पर सहमति बनी है) को प्राप्त कर रहे हैं, आदि का भी ध्यान रखा जा रहा है।
        • रैंकिंग को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जैसे कि खराब- 40% तक; स्वच्छ- 41 से 59%; अच्छा- 60 से 74%; बहुत अच्छा - 75% और ऊपर।
      • समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के MEE के लिये भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और MoEF&CC द्वारा संयुक्त रूप से एक नया ढाँचा भी तैयार किया गया है।
      • MoEF&CC ने भारतीय चिड़ियाघरों (MEE-ZOO) के ढाँचे का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन का भी शुभारंभ किया है, यह देश के चिड़ियाघरों के मूल्यांकन के लिये दिशा-निर्देश, मानदंड और संकेतक का प्रस्ताव करता है जो प्रथक, समग्र और स्वतंत्र है।

      संरक्षित क्षेत्र:

      • भारत में 903 संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क है जो अपने कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5% कवर करता है।
      • भारत ने व्यवस्थित रूप से अपने संरक्षित क्षेत्रों को चार कानूनी श्रेणियों - राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों, संरक्षण रिज़र्व और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत सामुदायिक रिज़र्व में नामित किया है।

      मूल्यांकन के परिणाम:

      • कुल प्रदर्शन: वर्तमान मूल्यांकन परिणाम उत्साहजनक हैं और इसका समग्र औसत MEE स्कोर 62.01% जो कि वैश्विक औसत (56%) से अधिक है।
      • क्षेत्रीय प्रदर्शन: भारत का पूर्वी क्षेत्र 66.12% का उच्चतम समग्र MEE स्कोर प्रस्तुत करता है और उत्तरी क्षेत्र 56% के न्यूनतम औसत MEE स्कोर का प्रतिनिधित्व करता है।
      • श्रेष्ठ NP&WLS: हिमाचल प्रदेश में तीर्थन वन्यजीव अभयारण्य (Tirthan Wildlife Sanctuary) और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (GNHP) ने सर्वेक्षण किये गये संरक्षित क्षेत्रों (कुल -146) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।
        • GHNP को जैव विविधता संरक्षण के लिये इसके उत्कृष्ट महत्त्व को मान्यता देते हुए वर्ष 2014 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्रदान किया गया था।
        • तीर्थन वन्यजीव अभयारण्य (1976 में घोषित) 5000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह सेराज वन प्रभाग का हिस्सा है। यह अभयारण्य ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से जुड़ा है।
      • सबसे खराब प्रदर्शन वाला NP&WLS: इस सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश स्थित 'कछुआ वन्यजीव अभयारण्य' (The Turtle Wildlife Sanctuary) का प्रदर्शन सबसे खराब पाया गया। 
        • वन्यजीवों  और उनके पर्यावरण के संरक्षण, प्रसार तथा विकास के लिये राजघाट (मालवीय पुल) से रामनगर किले के बीच गंगा नदी के 7 किमी. लंबे विस्तार  को वर्ष 1989 में एक अधिसूचना के माध्यम से ‘कछुआ वन्यजीव अभयारण्य’ घोषित किया गया था।

      संरक्षित क्षेत्रों की श्रेणियाँ

      • अभयारण्य (Sanctuary): यह एक पर्याप्त पारिस्थितिक, जीव-जंतुओं या वनस्पति संबंधी, भू-आकृतिक या प्राकृतिक महत्त्व का क्षेत्र होता है। अभयारण्य को घोषणा वन्यजीवों या उनके पर्यावरण की रक्षा, विकास या प्रचार के उद्देश्य से की जाती है। अभयारण्य के रूप में चिह्नित क्षेत्र के अंदर रहने वाले लोगों को कुछ अधिकारों की अनुमति दी जा सकती है।
      • राष्ट्रीय उद्यान (National Park): एक अभयारण्य की तरह ही राष्ट्रीय उद्यान को भी वन्यजीव या इसके पर्यावरण की रक्षा, प्रचार या विकास के उद्देश्य से घोषित किया जाता है। एक अभयारण्य और एक राष्ट्रीय उद्यान के बीच अंतर मुख्य रूप से इसके अंदर रहने वाले लोगों के अधिकारों के संदर्भ में है।. 
        • एक अभयारण्य जहाँ कुछ अधिकारों की अनुमति दी जा सकती है, के विपरीत एक राष्ट्रीय उद्यान में किसी भी अधिकार की अनुमति नहीं होती है।
        • एक राष्ट्रीय उद्यान के अंदर पशुओं को चरने की अनुमति नहीं दी जाती है, जबकि एक अभयारण्य में मुख्य वन्यजीव वार्डन को पशुओं को चरने के विनियमन, नियंत्रण या प्रतिबंधित करने का अधिकार होता है। 
      • संरक्षण रिज़र्व (Conservation Reserve): राज्य सरकारों द्वारा सरकार के स्वामित्व वाले किसी भी क्षेत्र संरक्षण रिज़र्व घोषित किया जा सकता है, विशेष रूप से राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों से सटे क्षेत्रों और उन क्षेत्रों को जो एक संरक्षित क्षेत्र को दूसरे से जोड़ते हैं। ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित किये जाने की घोषणा स्थानीय समुदायों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही की जानी चाहिये।
        • संरक्षण रिज़र्व की घोषणा भू-दृश्यों, सीस्केप , वनस्पतियों व  जीवों तथा उनके आवास की रक्षा के उद्देश्य से की जाती है।  एक संरक्षण रिज़र्व के अंदर रहने वाले लोगों के अधिकार प्रभावित नहीं होते हैं।
      • सामुदायिक रिज़र्व (Community Reserve): राज्य सरकार द्वारा किसी भी निजी या सामुदायिक भूमि को सामुदायिक रिज़र्व घोषित किया जा सकता है, जिसमें राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य या संरक्षण अभयारण्य शामिल नहीं होते, सामुदायिक रिज़र्व के तहत व्यक्ति विशेष या समुदाय वन्यजीवों और उनके निवास स्थान के संरक्षण के लिये स्वेच्छा से कार्य करते हैं। एक संरक्षण रिज़र्व की तरह ही सामुदायिक रिज़र्व के अंदर रहने वाले लोगों के अधिकार प्रभावित नहीं होते हैं।

      स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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