मानसून के दौरान 13 ग्लेशियल झीलों से उत्पन्न संकट | उत्तराखंड | 28 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (USDMA) 13 ग्लेशियल झीलों का सुभेद्यता अध्ययन करने जा रहा है, जिनमें से पाँच “उच्च जोखिम वाले क्षेत्र (High Risk Zone)” में हैं।
- अध्ययन का उद्देश्य झील आउटबर्स्ट से हुई बाढ़ जैसी आपदाओं से बचाव में मदद करने के लिये डेटा प्रदान करना है।
मुख्य बिंदु:
- अधिकारियों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय के ग्लेशियर खतरे में हैं और यह सुनिश्चित करने के लिये निरंतर जाँच की आवश्यकता है कि कोई अप्रिय घटना न हो।
- 13 उच्च जोखिम वाली झीलें पिथौरागढ़ ज़िले में दारमा, लासरयांघाटी और कुटियांगटी घाटी तथा चमोली ज़िले में वसुधारा ताल झील है।
- इनका आकार 0.02 से 0.50 वर्ग किलोमीटर तक है और ये समुद्र तल से 4,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित हैं।
- मार्च 2024 में, राज्य सरकार ने इन हिमानी झीलों से जुड़े जोखिमों का आकलन करने के लिये दो विशेषज्ञ टीमों का गठन किया था
- टीमों में भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र और वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ शामिल थे।
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (Glacial Lake Outburst Flood- GLOF)
- परिचय:
- ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (हिमानी झील के फटने से होने वाली बाढ़ आपदा) एक प्रकार की भयावह बाढ़ है जो तब होती है जब हिमानी झील वाला बाँध टूट जाता है और बहुत बड़ी मात्रा में जल का आवेग होता है
- इस प्रकार के बाढ़ की घटना आमतौर पर ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने या भारी वर्षा अथवा पिघले हिम-जल के प्रवाह के कारण झील में अत्यधिक जल संग्रह के कारण होती है
- कारण:
- ये बाढ़ कई कारकों से शुरू हो सकती है, जिसमें ग्लेशियर के आयतन में परिवर्तन, झील के जल स्तर में परिवर्तन और भूकंप शामिल हैं।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, हिंदू कुश हिमालय के अधिकांश हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों के खिसकने/स्खलन से कई नई ग्लेशियल झीलों का निर्माण हुआ है, जो GLOF का प्रमुख कारण हैं।