सस्टेनेबल सिटीज़ चेलैंज़ | उत्तर प्रदेश | 29 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
पवित्र शहर वाराणसी को डेट्रॉयट और वेनिस (Detroit and Venice) के साथ सस्टेनेबल सिटीज़ चेलैंज में भाग लेने के लिये विश्व स्तर पर तीन शहरों में से एक के रूप में चुना गया है।
- सस्टेनेबल सिटीज़ चैलेंज का शुभारंभ समारोह टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था।
मुख्य बिंदु
- सस्टेनेबल सिटीज़ चैलेंज के भाग के रूप में टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन 9 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण प्रदान करेगा।
- वाराणसी जहाँ प्रतिवर्ष सात करोड़ से अधिक पर्यटक तथा तीर्थ यात्री आते हैं, शहर को आगंतुकों के लिये अधिक सुरक्षित और सुलभ बनाने हेतु डेटा-संचालित समाधान विकसित करने के लिये नवप्रवर्तकों एवं स्टार्टअप्स को आमंत्रित करेगा।
- वाराणसी भीड़ प्रबंधन समाधान विकसित करने हेतु विश्व भर से नवप्रवर्तकों को आमंत्रित कर रहा है।
- जून 2023 में शहरों के लिये आह्वान पहली बार शुरू किये जाने के बाद, विश्व भर के 46 देशों के 150 से अधिक शहरों ने इस चैलेंज में भाग लिया।
डायरिया रोको अभियान | उत्तर प्रदेश | 29 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग 1 जुलाई, 2024 को ‘डायरिया रोको’ अभियान शुरू करने जा रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्षा ऋतु में दूषित जल के जमा होने से वायरल, बैक्टीरियल और परजीवी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- ऐसी स्थिति में बच्चों को डायरिया हो सकता है जिससे निर्जलीकरण (Dehydration) की समस्या बढ़ जाती है। यह बीमारी संदूषित भोजन और जल के माध्यम से फैलती है।
- आशा कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर डायरिया से पीड़ित बच्चों के परिवारों को ORS घोल बनाने की विधि सिखाएंगी
- वे ORS और ज़िंक के उपयोग के लाभों के साथ-साथ साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में भी जानकारी देंगे।
- शहरी मलिन बस्तियों, दूर-दराज़ के क्षेत्रों, खानाबदोशों, निर्माण कार्य में लगे मज़दूरों के परिवारों और ईंट भट्टों पर रहने वाले परिवारों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
डायरिया रोग
- डायरिया को प्रतिदिन तीन या अधिक बार पतला या तरल मल त्यागने (या किसी व्यक्ति के लिये सामान्य से अधिक बार मल त्यागने) के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- डायरिया से उत्पन्न सबसे गंभीर खतरा निर्जलीकरण (Dehydration) है।
- डायरिया के दौरान, जल और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, क्लोराइड, पोटेशियम और बाइकार्बोनेट) तरल मल, उल्टी, पसीने, मूत्र तथा श्वास के माध्यम से नष्ट हो जाते हैं।
- जब इन क्षतियों की पूर्ति नहीं की जाती तो निर्जलीकरण हो जाता है।