उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश रत्न एवं आभूषण विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को बढ़ाने के लिये ठोस कदम उठा रही है तथा आर्थिक मूल्य संवर्धन और निर्यात वृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
मुख्य बिंदु
- उत्तर प्रदेश भारत के रत्न और आभूषण उद्योग में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिये जाना जाता है।
- इस उद्योग में राज्य का वार्षिक व्यापार 1 ट्रिलियन रुपए से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें दस लाख से अधिक व्यापारी, खुदरा विक्रेता, शिल्पकार और डिज़ाइनर शामिल हैं।
- प्रमुख केंद्र:
- उत्तर प्रदेश में रत्न और आभूषण व्यापार के केंद्रों में मेरठ, लखनऊ, नोएडा निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र, मुरादाबाद, कानपुर व आगरा शामिल हैं।
- ये केंद्र विनिर्माण और निर्यात दोनों में महत्त्वपूर्ण हैं तथा राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
- व्यापार का संगठित क्षेत्र समग्र बाज़ार का लगभग 35% हिस्सा है, जो संरचित वृद्धि और विकास के महत्त्व को उजागर करता है।
- सरकारी पहल और महत्त्व:
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मेरठ को उत्तर भारत के प्रमुख आभूषण विनिर्माण और व्यापार केंद्र के रूप में विकसित करने के लिये एक व्यापक खाका तैयार किया है।
- मेरठ का आभूषण उद्योग, जिसका वार्षिक कारोबार 2,000 करोड़ रुपए से अधिक है, लगभग 40,000 सुनार, रत्न निर्माता और आभूषण व्यापारियों को रोज़गार देता है ।
- 32,000 वर्ग मीटर में फैले प्रस्तावित हब का उद्देश्य मेरठ को रत्न, बहुमूल्य पत्थरों और स्वर्ण आभूषणों के लिये एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- इस दृष्टिकोण को समर्थन देने के लिये, सरकार व्यवसाय विकास को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिये एक आधुनिक बहुमंजिला फ्लैटेड फैक्ट्री परिसर का निर्माण करने की योजना बना रही है।
- राष्ट्रीय और वैश्विक महत्त्व:
- उत्तर प्रदेश में रत्न एवं आभूषण क्षेत्र न केवल राज्य के लिये महत्त्वपूर्ण है, बल्कि भारत के कुल वस्तु निर्यात में इसका योगदान 10-12% है।
- 2023 में, रत्न और आभूषणों का घरेलू बाज़ार 92 बिलियन अमेरिकी डॉलर का होगा, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसके महत्त्व को रेखांकित करता है।
- उत्तर प्रदेश का समृद्ध थोक आभूषण बाज़ार अन्य राज्यों के ग्राहकों को भी सेवाएँ उपलब्ध कराता है, जिससे इस उद्योग में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका और अधिक दृढ़ होती है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
UP सरकार ने पुलिस और फोरेंसिक क्षमता बढ़ाई
चर्चा में क्यों?
संविधान दिवस (26 नवंबर ) पर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने फोरेंसिक विज्ञान और साइबर सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पारदर्शी पुलिस भर्ती और क्षेत्रीय स्तर पर फोरेंसिक लैब की स्थापना के लिये राज्य की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
- ये पहल कानून और व्यवस्था को बेहतर बनाने, पीड़ितों के लिये समय पर न्याय सुनिश्चित करने तथा सुशासन बनाए रखने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा हैं।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन की मुख्य बातें:
- नये आपराधिक कानून:
- भारत ने हाल ही में तीन नए आपराधिक कानून लागू किये हैं: भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
- 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी इन कानूनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करके नागरिकों की सुरक्षा करना है कि बिना उचित साक्ष्य के किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जाए।
- कानून और व्यवस्था में चुनौतियाँ और सुधार:
- 2017 से पहले, उत्तर प्रदेश को कानून और व्यवस्था बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जिसमें गुंडागर्दी (बर्बरता/हिंसा) का प्रचलन अधिक था।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने पाया है कि पिछली सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस में आधे से ज़्यादा पद खाली थे। इस स्थिति से निपटना मौजूदा सरकार का मुख्य ध्यान बन गया है।
- पारदर्शी भर्ती और फोरेंसिक प्रयोगशालाएँ :
- राज्य सरकार ने पारदर्शी तरीके से 154,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की भर्ती की है और हाल ही में अतिरिक्त 7,200 पुलिसकर्मियों की भर्ती शुरू की है।
- इससे पहले फोरेंसिक लैब चार स्थानों तक सीमित थीं। अब, ज़ोनल स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली फोरेंसिक लैब स्थापित की गई हैं और उन्हें रेंज स्तर तक विस्तारित करने की योजना है।
- ये प्रयोगशालाएँ आपराधिक मामलों में साक्ष्य जुटाने और न्याय सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- साइबर सुरक्षा और फोरेंसिक विज्ञान पहल:
- आज उत्तर प्रदेश में 1,775 पुलिस स्टेशन साइबर हेल्पलाइन से लैस हैं, जिससे साइबर अपराध से निपटने में राज्य की क्षमता बढ़ गई है।
- इसके अतिरिक्त, फोरेंसिक जाँच को और अधिक सहायता प्रदान करने तथा न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्य की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये उत्तर प्रदेश राज्य फोरेंसिक विज्ञान संस्थान की स्थापना की गई है।
- नये आपराधिक कानून:
संविधान दिवस
- संविधान दिवस, जिसे राष्ट्रीय कानून दिवस या संविधान दिवस के रूप में भी जाना जाता है, भारत में प्रतिवर्ष 26 नवंबर को भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने भारत के लिये संविधान का प्रारूप तैयार करने हेतु डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में एक मसौदा समिति का गठन किया।
- 26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया, जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर, 2015 को 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के भारत सरकार के निर्णय को अधिसूचित किया।
- यह दिन संविधान के महत्त्व और संविधान के मुख्य वास्तुकार बी.आर. अंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं को फैलाने के लिये मनाया जाता है।
Switch to English