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स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Jan 2024
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बिहार Switch to English

बिहार के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा

चर्चा में क्यों?

बिहार के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।

मुख्य बिंदु:

  • यह सम्मानित पुरस्कार वंचितों के चैंपियन व सशक्तीकरण और समानता के एक समर्पित, विश्वसनीय तथा मेहनती समर्थक के रूप में कर्पूरी ठाकुर के अथक प्रयासों के लिये एक श्रद्धांजलि है।
  • दलितों के उत्थान के लिये उनकी अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
  • यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि समाज को एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिये भी प्रेरित करता है।

कर्पूरी ठाकुर

  • उन्होंने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और पिछड़े वर्गों के हितों का समर्थन करने के लिये जाने जाते थे।
  • मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल विभिन्न गरीब समर्थक पहलों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसमें भूमि सुधार और वंचितों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नीतियों का कार्यान्वयन शामिल था।
  • जन नायक (लोगों के नायक) के रूप में लोकप्रिय, आम लोगों के कल्याण के प्रति उनकी ईमानदारी और समर्पण के लिये उन्हें व्यापक रूप से सम्मान दिया जाता था।
  • वह अपने पूरे कॅरियर में कई राजनीतिक दलों से जुड़े रहे।
  • उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के साथ शुरू की और बाद में वर्ष 1977 से 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान स्वयं को जनता पार्टी के साथ जोड़ लिया। इसके बाद, वह जनता दल से जुड़ गए।
  • फरवरी 1988 में उनका निधन हो गया।

भारत रत्न  

  • भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा/उच्चतम प्रदर्शन के सम्मान में प्रदान किया जाता है।
  • इसकी घोषणा पद्म पुरस्कार से अलग स्तर पर की जाती है। भारत रत्न की सिफारिशें प्रधानमंत्री द्वारा भारत के राष्ट्रपति को की जाती हैं।
  • भारत रत्न पुरस्कारों की संख्या एक विशेष वर्ष में अधिकतम तीन तक हो सकती है।


झारखंड Switch to English

तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन का विस्तार

चर्चा में क्यों?

राज्य के स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) शाखा सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड राज्य में तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (TTPS) के दूसरे चरण के विस्तार के लिये झारखंड सरकार के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाने का मार्ग खोज रही है।

  • थर्मल स्टेशन की कुल स्थापित क्षमता 420 मेगावाट (MW) है, जिसमें 210 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयाँ हैं।

मुख्य बिंदु:

  • 210 मेगावाट की पहली इकाई को सितंबर 1996 में और दूसरी इकाई को सितंबर 1997 में वाणिज्यिक परिचालन में लाया गया था।
  • तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड (TVNL) का इरादा झारखंड के बोकारो ज़िले के लालपनिया स्थित TPS में विस्तार परियोजना (चरण II) की 2X660 मेगावाट की कोयला आधारित सुपरक्रिटिकल इकाइयाँ स्थापित करने का है।
  • इसमें दो पैनल गठित किये जाएँगे, जो संयुक्त उद्यम में दोनों पक्षों की साझेदारी के प्रतिशत सहित तौर-तरीकों पर कार्य करेंगे।

सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL)

  • CCL का गठन 1 नवंबर, 1975 को हुआ था। यह एक मिनी-रत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
  • यह CCL की पाँच सहायक कंपनियों में से एक थी जो देश में कोयले की पहली होल्डिंग कंपनी थी।
  • CCL ने वित्त वर्ष 2022-23 में 76.09 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिये कंपनी का उत्पादन लक्ष्य 84 मिलियन टन है।

तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (TTPS)

  • यह एक कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट है जो भारत के झारखंड राज्य में बोकारो ज़िले के लालपनिया में स्थित है।
  • विद्युत  संयंत्र का स्वामित्व झारखंड राज्य के स्वामित्व वाली तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड के पास है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

कानपुर में GSVM मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (GSVM) मेडिकल कॉलेज में एक सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का वर्चुअल उद्घाटन किया।

  • उन्होंने कानपुर में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग (AIISH) सैटेलाइट सेंटर की आधारशिला भी रखी

मुख्य बिंदु:

  • सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक 12 विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है और इसका उद्देश्य लोगों के समय तथा संसाधनों की बचत करते हुए इन सेवाओं को स्थानीय स्तर पर प्रदान करना है।
    • ब्लॉक का निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत किया गया है।
  • कानपुर में AIISH केंद्र उत्तर भारत का पहला अत्याधुनिक केंद्र है। यह न केवल डॉक्टरों को प्रशिक्षित करता है बल्कि लोगों की देखभाल भी करता है।
    • केंद्र भाषण-भाषा विकृति विज्ञान, ऑडियोलॉजी, संचार विकार की रोकथाम, टेली-मूल्यांकन और पुनर्वास सहित चार विशिष्ट प्रभागों को संभालता है।
  • भारत में एम्स की संख्या 6 से बढ़कर 23 हो गई है, मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या लगभग दोगुनी होकर 710 तक पहुँच गई है, जन औषधि केंद्र 10,000 से अधिक हो गए हैं और आयुष्मान भारत योजना के तहत 160 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किये गए हैं।
    • उत्तर प्रदेश एकमात्र राज्य है जहाँ दो एम्स हैं। इसके अलावा, पिछले 10 वर्षों में राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी हो गई है।
  • सरकार ने सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण देखभाल तथा उपचार का दायरा बढ़ाया है।
    • 55 करोड़ लोग आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से लाभ पाने के हकदार हैं और 50 करोड़ आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) आईडी कार्ड बनाए गए हैं।

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY)

  • यह योजना मार्च 2006 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी।
  • इसका उद्देश्य सामान्य रूप से देश के विभिन्न हिस्सों में किफायती स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता में असंतुलन को ठीक करना और विशेष रूप से कम सेवा वाले राज्यों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा की सुविधाओं को बढ़ाना है।
  • इसके दो घटक हैं:
    • एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना।
    • सरकारी मेडिकल कॉलेज संस्थानों का उन्नयन।

मध्य प्रदेश Switch to English

स्वच्छ सर्वेक्षण 2023: स्वच्छता में भोपाल 5वें स्थान पर

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2022 में छठे स्थान से आगे बढ़ते हुए, भोपाल अब 1 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 5वाँ सबसे स्वच्छ शहर है। भोपाल को 5-स्टार अपशिष्ट मुक्त शहर (GFC) रेटिंग से भी सम्मानित किया गया है, जिससे यह देश में राज्य की सबसे स्वच्छ राजधानी बन गया है।

  • इसके अतिरिक्त, भोपाल सबसे स्वच्छ दस लाख से अधिक आबादी के शहरों में 5वें स्थान पर है।

मुख्य बिंदु:

  • अपशिष्ट के प्रभावी प्रसंस्करण और निपटान को सुनिश्चित करने के लिये भोपाल के सभी 12 ट्रांसफर स्टेशनों पर एक सुव्यवस्थित पृथक्करण प्रणाली लागू की गई है। फिलहाल शहर में 6 मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) हैं।
  • भानपुर डंपसाइट का हरित क्षेत्र में परिवर्तन स्थायी शहरी नियोजन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
  • भोपाल नगर निगम पारंपरिक अपशिष्ट उपचार से आगे बढ़ गया है और खतरनाक अपशिष्ट को ईंधन के मूल्यवान स्रोत के रूप में उपयोग करता है।
    • शहर ने हज़ारगो इंडस्ट्री पीथमपुर के साथ सहयोग किया है, जिससे घरों, कार्यालयों और कारखानों से निकलने वाले खतरनाक अपशिष्ट को वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित करने के लिये यहाँ पहले प्री-प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना हुई है।
    • जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से संसाधित करने के लिये शहर में एक सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा (CBMWTF) स्थापित की गई है।
      • यह सुविधा आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं से चिकित्सा अपशिष्ट के व्यापक प्रबंधन, परिवहन, भंडारण और उपचार की देखरेख करती है।
  • चल रही परियोजनाओं के हिस्से के रूप में, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NTPC) ने 400 टन प्रतिदिन (TPD) सूखे नगरपालिका ठोस अपशिष्ट से टोररिफाइड चारकोल संयंत्र की स्थापना के लिये BMC के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। उत्पादित टार्फाइड चारकोल का उपयोग NTPC के ताप विद्युत संयंत्रों में उप-उत्पाद के रूप में किया जाएगा। 
  • आगे बढ़ते हुए भोपाल MC ने अपशिष्ट-मुक्त शहर की दिशा में अपनी आगे की यात्रा जारी रखने की योजना बनाई है, ताकि दूसरों के लिये अनुसरण करने हेतु मानक स्थापित किये जा सकें।

स्वच्छ सर्वेक्षण

  • परिचय: 
    • MoHUA द्वारा वर्ष 2016 से आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण, विश्व का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता और सफाई सर्वेक्षण है।
      • यह नागरिकों को सेवा वितरण में सुधार लाने और शहर को स्वच्छ बनाने की दिशा में कस्बों तथा शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक रहा है।
  • वर्ष 2023 के स्वच्छ सर्वेक्षण की कुछ मुख्य विशेषताएँ :
    • राज्य स्वच्छता रैंकिंग में मध्य प्रदेश ने दूसरा स्थान हासिल किया।
    • निम्न प्रदर्शन वाले पाँच राज्य: अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, राजस्थान, नगालैंड तथा त्रिपुरा को स्वच्छता में निम्न प्रदर्शन वाले पाँच राज्यों के रूप में स्थान दिया गया।
    • स्वच्छता कर्मचारियों के लिये सर्वोत्तम सुरक्षा मानकों वाले शहर के लिये चंडीगढ़ को सफाईमित्र सुरक्षित शहर पुरस्कार प्रदान किया गया।
    • वाराणसी को सबसे स्वच्छ गंगा शहर के रूप में मान्यता दी गई।

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