लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 Oct 2024
  • 1 min read
  • Switch Date:  
हरियाणा Switch to English

हरियाणा में पराली दहन पर रोक

चर्चा में क्यों? 

सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने पराली दहन के कारण वायु गुणवत्ता में गिरावट को दूर करने में राज्य सरकार की  "पूर्ण असंवेदनशीलता" पर चिंता व्यक्त की।

  • न्यायालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management- CAQM) को उल्लंघनकर्त्ताओं के खिलाफ कार्यवाही करने में विफल रहने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया।

प्रमुख बिंदु 

  • अधिकारियों का निलंबन: 
    • हरियाणा सरकार ने राज्य में पराली दहन की रोकथाम में विफल रहने के कारण कृषि विभाग के 24 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। पराली दहन की प्रथा से वायु प्रदूषण गंभीर हो रहा है।
    • हरियाणा सरकार ने पराली दहन पर रोक लगाने के लिये सख्त नीतियाँ लागू की हैं, जिससे सर्दियों के दौरान NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
  • पराली जलाना: 
    • पराली जलाना धान, गेहूँ आदि जैसे अनाज की कटाई के बाद बचे पुआल के ठूँठ को आग लगाने की एक प्रक्रिया है। आमतौर पर इसकी आवश्यकता उन क्षेत्रों में होती है जहाँ संयुक्त कटाई पद्धति का उपयोग किया जाता है जिससे फसल अवशेष बच जाते हैं।
    • यह अक्तूबर और नवंबर में पूरे उत्तर पश्चिम भारत में, लेकिन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में एक सामान्य प्रथा है।
  • पराली दहन के प्रभाव:
    • प्रदूषण:
      • यह वायुमंडल में भारी मात्रा में विषैले प्रदूषक उत्सर्जित करता है, जिनमें मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) और कैंसरकारी पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसें शामिल हैं।
      • ये प्रदूषक आसपास के वातावरण में फैल जाते हैं, भौतिक और रासायनिक परिवर्तन से गुज़रते हैं और अंततः सघन धुंध (Smog) की चादर का निर्माण करके मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
    • मृदा उर्वरता:
      • मृदा पर परली जलाने से मृदा के पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे मृदा कम उपजाऊ हो जाती है।
    • उष्मीय आरोहण:
      • पराली दहन से उत्पन्न ऊष्मा मृदा में प्रवेश कर जाती है, जिससे नमी और उपयोगी सूक्ष्मजीवों की हानि होती है।
  • पराली दहन के विकल्प:
    • तकनीक का उपयोग- उदाहरण के लिये टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन, जो पराली को नष्ट कर सकती है और साफ किये गए क्षेत्र में बीज भी बो सकती है। पराली को फिर खेत में मल्च के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

 वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management- CAQM)

  • परिचय:
    • CAQM राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
      • इससे पहले, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश, 2021 की घोषणा के माध्यम से आयोग का गठन किया गया था।
    • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021 ने वर्ष 1998 में NCR में स्थापित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) को भी भंग कर दिया।
  • उद्देश्य:
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक से संबंधित समस्याओं का बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान सुनिश्चित करना तथा उससे संबंधित या उसके प्रासंगिक मामलों का समाधान करना।
  • क्षेत्र:
    • निकटवर्ती क्षेत्रों को NCR से सटे हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के उन क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ प्रदूषण का कोई भी स्रोत NCR में वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
  • संघटन:
  • कार्य:
    • संबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) द्वारा की गई कार्यवाही का समन्वय करना।
      • NCR में वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिये योजनाएँ बनाना एवं उनका क्रियान्वयन करना।
      • वायु प्रदूषकों की पहचान के लिये एक ढाँचा प्रदान करना।
      • तकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के माध्यम से अनुसंधान और विकास का संचालन करना।
      • वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिये विशेष कार्यबल का प्रशिक्षण एवं सृजन।
      • विभिन्न कार्य योजनाएँ तैयार करना, जैसे वृक्षारोपण बढ़ाना और पराली दहन की समस्या से निपटना।

h


उत्तर प्रदेश Switch to English

न्यू नोएडा विकास योजना

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2041 तक आवासीय, औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने के लिये न्यू नोएडा सिटी के विकास को मंजूरी दी।

प्रमुख बिंदु 

  • जगह:
    • 209.11 वर्ग किमी में फैला, गौतम बुद्ध नगर और बुलंदशहर ज़िलों के 84 गाँवों को कवर करता है।
  • विशेषताएँ: 
  • चरणबद्ध विकास:
    • चरण 1 (2024-2028): 1,432 हेक्टेयर क्षेत्र में मुख्य सड़कों का विकास किया जाएगा।
    • चरण 2 (2028-2034): उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित; 3,136 हेक्टेयर क्षेत्र का विकास।
    • चरण 3 (2033-2039): वाणिज्यिक और औद्योगिक स्थान; 5,908 हेक्टेयर का विकास।
    • चरण 4 (2037-2043): औद्योगिक, सार्वजनिक स्थानों और आवासीय क्षेत्रों को अंतिम रूप देना।

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP)

  • परिचय:
    • 'हब एंड स्पोक' मॉडल के तहत विकसित MMLP राजमार्गों, रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल परिवहन के विभिन्न तरीकों को एकीकृत करेगा।
    • मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क परियोजना विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के लिये बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक वेयरहाउसिंग सुविधाओं को विकसित करने के लिये तथा वेयरहाउसिंग, कस्टम क्लीयरेंस, पार्किंग, ट्रक के रखरखाव जैसी कार्गो आवाजाही से संबंधित सभी सेवाओं के लिये वन स्टॉप सॉल्यूशन बनने की ओर अग्रसर है।
      • इसमें गोदाम, रेलवे साइडिंग, कोल्ड स्टोरेज, कस्टम क्लीयरेंस हाउस, यार्ड सुविधा, वर्कशॉप, पेट्रोल पंप, ट्रक पार्किंग, प्रशासनिक भवन, बोर्डिंग लॉजिंग, ईटिंग जॉइंट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट आदि सभी सुविधाएँ होंगी।
  • कार्य:
    • MMLP अत्याधुनिक माल प्रबंधन प्रणाली के लिये प्रौद्योगिकी आधारित कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
      • इन परियोजनाओं में पैकेजिंग, रीपैकेजिंग और लेबलिंग जैसी विभिन्न मूल्यवर्धित सेवाएँ उपलब्ध होंगी।
    • MMLP अन्य संबद्ध सुविधाओं के साथ मशीनीकृत सामग्री हैंडलिंग और मूल्य वर्धित सेवाओं के लिये माल ढुलाई की सुविधा होगी।


मोटिवेशन Switch to English

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिये IVF की सफलता

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) को बचाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया, क्योंकि इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के माध्यम से एक चूजे का सफलतापूर्वक जन्म हुआ, जो इस प्रजाति के संरक्षण प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है।

प्रमुख बिंदु 

  • संरक्षण में IVF सफलता:
  • IVF के माध्यम से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के चूजे का सफलतापूर्वक जन्म हुआ, जो इस प्रजाति के लिये पहली बार हुआ, जिससे इस गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी को बचाने के उद्देश्य से चल रहे संरक्षण प्रयासों को काफी बढ़ावा मिला।
  • यह सफलता ऐसे समय में मिली है जब इस प्रजाति की जनसंख्या में अत्यधिक गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण आवास का नष्ट होना और विद्युत् लाइनों से टकराव है।
  • इस चूजे का जन्म राजस्थान के मरू राष्ट्रीय उद्यान में प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत हुआ , जो कि GIBs की अंतिम बची हुई जंगली आबादी का आवास है।
  • इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF): 
  • यह एक व्यापक रूप से प्रयुक्त सहायक प्रजनन तकनीक (ART) है जिसका उद्देश्य प्राकृतिक गर्भाधान के कठिन या असंभव होने पर गर्भधारण को सुगम बनाना है। 
  • इसमें प्रयोगशाला में शरीर के बाहर अंडे को निषेचित करने के लिए कई चरण शामिल हैं, इससे पहले कि भ्रूण को मादा के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाए। इस प्रक्रिया को अब वन्यजीव संरक्षण में लागू किया जा रहा है, जैसे कि हाल ही में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के मामले में।
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
  • आवास स्थान: राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ भागों के घास के मैदान।
  • संरक्षण स्थिति: अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में "गंभीर रूप से संकटग्रस्त" के रूप में सूचीबद्ध।

मरु राष्ट्रीय उद्यान

  • यह राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर ज़िलों में भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित है।
  • इस उद्यान में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, राजस्थान का राज्य पशु (चिंकारा), राज्य वृक्ष (खेजड़ी) और राज्य पुष्प (रोहिड़ा) प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
  • इसे वर्ष 1980 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल तथा वर्ष 1992 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।

कच्छ बस्टर्ड अभयारण्य

  • कच्छ बस्टर्ड अभयारण्य भारत के गुजरात के कच्छ ज़िले में नलिया के पास स्थित है।
  • यह देश का सबसे छोटा अभ्यारण्य है, जो केवल दो वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। लाला-परिजन (Lala-Parijan) अभ्यारण्य के नाम से भी मशहूर इस अभ्यारण्य की घोषणा जुलाई 1992 में मुख्य रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा के लिये की गई थी।
  • यह अभयारण्य बस्टर्ड की तीन प्रजातियों का घर है: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, लेसर फ्लोरिकन और मैकक्वीन बस्टर्ड।

h


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2