IVF के लिये आयु सीमा के निर्धारण से सम्बंधित मुद्दे
संदर्भ
हाल ही में आंध्र प्रदेश की एक 74 वर्षीय महिला ने पात्रे निषेचन/इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (In Vitro Fertilization-IVF) के माध्यम से जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया और IVF के माध्यम से बच्चों को जन्म देने वाली सबसे बुजुर्ग महिला बनी।
चिकित्सक समुदाय ने इस उम्र में गर्भाधान पर नैतिक और चिकित्सीय चिंताओं को व्यक्त किया है।
क्या है पात्रे निषेचन?
- यह निषेचन की एक कृत्रिम प्रक्रिया है जिसमें किसी मादा के अंडाशय से अंडे निकालकर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इस प्रकार का निषेचन शरीर के बाहर किसी अन्य पात्र में कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को मादा के गर्भाशय में प्रवेश कराया जाता है।
चिंता का विषय क्यों?
- एक भारतीय महिला की औसत जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष और पुरुष की 69 वर्ष होती है ऐसे में चिकित्सा समुदाय ने इस तरह के बुजुर्ग दंपति से पैदा होने वाले बच्चों के भविष्य पर चिंता व्यक्त की है।
- वृद्धावस्था में गर्भधारण अन्य कई जोखिमों को जन्म दे सकता है जैसे- उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ऐंठन, रक्तस्राव और हृदय संबंधी अन्य समस्याएँ।
- एक वृद्ध महिला के गर्भ में नौ महीने तक भ्रूण को विकसित करने के लिये हार्मोन का इंजेक्शन लगाना पड़ता है, इसके अलावा इस उम्र की महिला स्तनपान भी नहीं करा सकती है।
कुछ चिकित्सक समर्थन भी करते हैं
- बच्चे पैदा करने का सामाजिक दबाव, बुढ़ापे में बिना सहारे के जीने का डर और इकलौते बच्चे का खो जाना आदि अक्सर दंपतियों को इसके लिये प्रोत्साहित करता है।
- बहुत से दंपति ऐसे हैं जो अपने जीवन की कमाई को सुरक्षित करने आदि के लिये ये वारिस चाहते हैं। कुछ डॉक्टरों का तर्क है कि प्रसव एक व्यक्तिगत निर्णय है और प्रत्येक व्यक्ति को परामर्श के बाद उस विकल्प को अपनाने का अधिकार है।
भारत में IVF का विनियमन
- सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) विधेयक, 2010 [Assisted Reproductive Technologies (Regulation) Bill],2010 में बच्चों को "वृद्धावस्था बीमा" के रूप संदर्भित किया गया है।
- विधेयक में IVF प्रक्रिया के संबंध में महिलाओं की अधिकतम आयु सीमा 45 और पुरुषों के लिये अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष निर्धारित करने का प्रस्ताव है।
- वर्तमान में कई केंद्र भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वर्ष 2017 के दिशा-निर्देशों का अनुसरण करते हैं, इन दिशा-निर्देशों में भी उपरोक्त विधेयक के समान ही अधिकतम आयु सीमा निर्धारित करने की सिफारिश की गई हैं। यहाँ तक कि बच्चे को गोद लेने के लिये भी दंपति की आयु का योग 110 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिये।
- जीवन प्रत्याशा में वृद्धि को देखते हुए चिकित्सकों ने महिलाओं के लिये IVF हेतु अधिकतम आयु सीमा को 50-52 वर्ष तक करने के लिये सरकार से सिफारिश की है।
IVF के संबंध में अन्य देशों के कानून:
- अधिकांश देशों में IVF के विनियमन के लिये कानून बनाए गए हैं इन कानूनों के तहत IVF के लिये अधिकतम आयु सीमा 40 से 50 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है। उदाहरण के लिये अमेरिका में IVF के लिये अधिकतम आयु सीमा 50 और डिंब दान (Ovam Donation) के लिये 45 वर्ष है, वहीँ ऑस्ट्रेलिया में रजोनिवृत्ति की आयु (52 वर्ष) के बाद IVF प्रतिबंधित है।
- यू.के. में महिलाओं के लिये ये राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के तहत मुफ्त बीमा प्राप्त करने की सुविधा 42 वर्ष की आयु सीमा तक उपलब्ध है, जबकि कनाडा में इसके लिये निर्धारित आयु सीमा 43 वर्ष है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्
(Indian Council Of Medical Research-ICMR)
- जैव चिकित्सा अनुसंधान, समन्वय एवं संवर्धन के लिये भारत का यह शीर्ष निकाय दुनिया के सबसे पुराने चिकित्सा अनुसंधान निकायों में से एक है।
- यह नई दिल्ली में स्थित है।
- यह भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Department of Health Research, Ministry of Health & Family Welfare) के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है।