छत्तीसगढ़ Switch to English
नक्सलियों के लिये पुनर्वास नीति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री ने नक्सलियों से मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की थी और आत्मसमर्पण करने पर नई पुनर्वास नीति के लिये उनसे सुझाव मांगे थे।
मुख्य बिंदु:
- डिप्टी सीएम के मुताबिक, माओवादियों से बातचीत के लिये सभी रास्ते खुले हैं। राज्य सरकार ने नियद नेल्लानार योजना के तहत गाँवों में सड़क, स्वास्थ्य सेवाएँ, जल और अन्य सुविधाएँ प्रदान करके समानता तथा विकास का माहौल बनाया है।
- नक्सल विरोधी अभियान और मुठभेड़ नक्सल प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के राज्य सरकार के प्रयासों का एक छोटा-सा हिस्सा थे।
नियद नेल्लानार योजना
- नियद नेल्लानार, जिसका अर्थ है "आपका अच्छा गाँव" या "योर गुड विलेज" स्थानीय दंडामी बोली (दक्षिण बस्तर में बोली जाने वाली) है।
- इस योजना के तहत बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित गाँवों में सुविधाएँ और लाभ प्रदान किये जाएंगे।
- बस्तर में 14 नये सुरक्षा कैम्प स्थापित किये गए हैं। ये शिविर नई योजना के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने में भी सहायता करेंगे। नियद नेल्लानार के तहत ऐसे गाँवों में लगभग 25 बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ क्रिकेट प्रीमियर लीग
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ (CSCS) पहली बार छत्तीसगढ़ क्रिकेट प्रीमियर लीग (CCPL) T20 टूर्नामेंट की मेज़बानी के लिये तैयारी कर रहा है।
मुख्य बिंदु:
- यह आयोजन 7 से 16 जून तक नया रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में होगा।
- इसे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) द्वारा मंज़ूरी दे दी गई है।
- CCPL में छह टीमें रायगढ़ लायंस, रायपुर राइनो, राजनांदगाँव पैंथर्स, बिलासपुर बुल्स, सरगुजा टाइगर्स और बस्तर बाइसन शामिल होंगी।
- पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना को CCPL का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया है।
- छत्तीसगढ़ के कई उभरते सितारों को अपना कौशल दिखाने और चयनकर्त्ताओं को प्रभावित करने का मौका मिलेगा।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI)
- यह भारत में क्रिकेट की राष्ट्रीय शासी निकाय है।
- इसका मुख्यालय मुंबई के चर्चगेट में क्रिकेट सेंटर में स्थित है।
- इसे तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 के तहत पुनः पंजीकृत किया गया था।
मध्य प्रदेश Switch to English
न्यायमूर्ति शील नागू: नए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति शील नागू की नियुक्ति को अधिसूचित किया है।
मुख्य बिंदु:
- वह मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ के कर्त्तव्यों का पालन करेंगे जो 24 मई 2024 को पद छोड़ देंगे।
- 27 मई 2011 को उन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 23 मई 2013 को वे स्थायी न्यायाधीश बन गए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति
- भारत के संविधान का अनुच्छेद-223 कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति से संबंधित है।
- इसके अनुसार, जब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद रिक्त हो या जब ऐसा कोई मुख्य न्यायाधीश, अनुपस्थिति के कारण या अन्यथा, अपने कार्यालय के कर्त्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो तो कार्यालय के कर्त्तव्यों का पालन ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाएगा। न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की, जिन्हें राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिये नियुक्त कर सकता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
GAIL का पेट्रोकेमिकल यूनिट में निवेश
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, राज्य संचालित गैस आपूर्तिकर्त्ता GAIL (इंडिया) ने मध्य प्रदेश के सीहोर में 1.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) ईथेन क्रैकिंग यूनिट स्थापित करने के लिये 50,000 करोड़ रुपए तक निवेश करने की योजना बनाई है।
मुख्य बिंदु:
- नई सुविधा का लक्ष्य पेट्रोकेमिकल्स की भारी घरेलू मांग को पूरा करना है, जिसके वर्ष 2040 तक लगभग तीन गुना बढ़कर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
- ईथेन एक प्राकृतिक गैस घटक है जिसे एथिलीन में विभाजित किया जाता है, जो प्लास्टिक, चिपकने वाले पदार्थ, सिंथेटिक रबर और अन्य पेट्रोकेमिकल के उत्पादन हेतु एक महत्त्वपूर्ण निविष्टि है।
- वर्तमान में, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ दहेज़, हज़ीरा (गुजरात) और नागोथेन (महाराष्ट्र) में अपने पटाखों के लिये 1.5 MTPA ईथेन का आयात करने वाली एकमात्र भारतीय इकाई है।
- गेल का नया ईथेन क्रैकर उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास पतारा में उसकी मौजूदा 810 हज़ार टन प्रतिवर्ष (KTA) पेट्रोकेमिकल सुविधा को लगभग दोगुना कर देगा।
- ग्लोबल इंजीनियरिंग कंसल्टेंट इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड इस परियोजना के लिये विस्तृत व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसके अगले 5-6 वर्षों में चालू होने की उम्मीद है।
- प्रारंभ में, GAIL ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद या दाभोल में अपने 5 MTPA तरलीकृत प्राकृतिक गैस संयंत्र के पास नई सुविधा स्थापित करने पर विचार किया, लेकिन बाद में मध्य प्रदेश पर निर्णय लिया।
GAIL (इंडिया) लिमिटेड
- यह भारतीय स्वामित्व वाली एक ऊर्जा निगम है जिसका प्राथमिक हित प्राकृतिक गैस के व्यापार, पारेषण और उत्पादन वितरण में है
- इसकी स्थापना HVJ गैस पाइपलाइन के निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिये पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत अगस्त 1984 में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के रूप में की गई थी
- 1 फरवरी 2013 को, भारत सरकार ने 11 अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) के साथ GAIL को महारत्न का दर्जा प्रदान किया।
झारखंड Switch to English
झारखंड में अफीम पोस्ता की ज़ब्ती
चर्चा में क्यों?
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िले में पुलिस ने 5.58 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 37.23 क्विंटल पोस्ता ज़ब्त की है।
मुख्य बिंदु:
- पैपावरेसी कुल से संबंधित अफीम पोस्ता (Papaver somniferum L.) एक वार्षिक औषधीय जड़ी बूटी है।
- इसमें कई एल्कलॉइड होते हैं जिनका उपयोग आधुनिक चिकित्सा में प्रायः एनाल्जेसिक, एंटीट्यूसिव और एंटी स्पस्मोडिक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, इसे खाद्य बीज और तिलहन के स्रोत के रूप में भी उगाया जाता है।
- पोस्ता वह भूसी है जो फली/बीजकोष से अफीम निकालने के बाद बच जाती है।
- इस खसखस/पोस्ता के भूसे में मॉर्फीन की मात्रा भी बहुत कम होती है और यदि पर्याप्त मात्रा में उपयोग किया जाए तो खसखस का भूसा उच्च परिणाम दे सकता है।
- पोस्ता भूसे का आधिपत्य, बिक्री, उपयोग आदि को राज्य सरकारों द्वारा राज्य स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ नियमों के तहत नियंत्रित किया जाता है।
- किसान पोस्ता भूसा उन लोगों को बेचते हैं जिनके पास राज्य सरकार द्वारा पोस्ता भूसा खरीदने का लाइसेंस होता है।
- किसी भी अतिरिक्त पोस्ता स्ट्रॉ (पोस्ता के पुआल/फूस) को वापस खेत में जोत दिया जाता है।
- पोस्ता स्ट्रॉ स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS अधिनियम) के तहत नशीली दवाओं में से एक है।
- इसलिये बिना लाइसेंस या प्राधिकरण के या लाइसेंस की किसी भी शर्त का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के पास पोस्ता स्ट्रॉ रखने, बेचने, खरीदने या उपयोग करने पर NDPS अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
एल्कलॉइड (Alkaloids)
- एल्कलॉइड प्राकृतिक से पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिकों का एक विशाल समूह है जिनकी संरचना में नाइट्रोजन परमाणु (कुछ मामलों में अमीनो या एमिडो) होते हैं।
- ये नाइट्रोजन परमाणु इन यौगिकों की क्षारीयता का कारण बनते हैं।
- प्रसिद्ध एल्कलॉइड में मॉर्फिन, स्ट्राइकिन, कुनैन, एफेड्रिन और निकोटीन शामिल हैं।
- एल्कलॉइड के औषधीय गुण काफी विविध हैं। मॉर्फिन एक प्रबल मादक पदार्थ है जिसका उपयोग दर्द से राहत के लिये किया जाता है, हालाँकि इसका मादक गुण इसकी उपयोगिता को सीमित करता है। अफीम पोस्त में पाया जाने वाला मॉर्फिन का मिथाइल ईथर व्युत्पन्न कोडीन, एक उत्कृष्ट एनाल्जेसिक है जो अपेक्षाकृत गैर-मादक है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक वर्ष के भीतर राजस्व पुलिस की व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करने और अपने अधिकार क्षेत्र के तहत क्षेत्रों को नियमित पुलिस को सौंपने का निर्देश दिया है।
- उत्तराखंड देश का एकमात्र राज्य है जहाँ राजस्व पुलिस की व्यवस्था नियमित पुलिस के साथ-साथ मौजूद है।
मुख्य बिंदु:
- राजस्व पुलिस, जो राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा संचालित होती है, के पास सीमित शक्तियाँ हैं और इसके अधिकार क्षेत्र में केवल पहाड़ी राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र आते हैं।
- उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में भी राज्य से राजस्व पुलिस की लगभग एक सदी पुरानी प्रथा को हटाने का आदेश दिया था।
- राज्य कैबिनेट ने चरणबद्ध तरीके से राजस्व पुलिस प्रणाली को समाप्त करने के लिये अक्तूबर 2022 में एक प्रस्ताव पारित किया था।
- वर्ष 2004 में नवीन चंद्रा बनाम राज्य सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राजस्व पुलिस को नियमित पुलिस की तरह प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है।
- बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण राजस्व पुलिस के लिये किसी अपराध की समीक्षा करना कठिन हो जाता है।
राजस्व पुलिस व्यवस्था (Revenue Police System)
- उत्तराखंड में राजस्व पुलिस प्रणाली 1800 के दशक में अस्तित्त्व में आई जब टिहरी के शासकों ने गोरखाओं के हाथों अपने क्षेत्र खो दिये।
- उन्होंने भुगतान के बदले में अंग्रेज़ों से गोरखाओं को गढ़वाल से बाहर निकालने का अनुरोध किया। युद्ध के बाद शासक भुगतान करने में असमर्थ रहे और बदले में अंग्रेज़ों ने गढ़वाल का पश्चिमी भाग अपने पास रख लिया।
- वर्तमान उत्तराखंड में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों से राजस्व एकत्रित करने के लिये अंग्रेज़ों ने मुगल प्रशासन के समान पटवारी, कानूनगो, लेखपाल आदि पदों के साथ एक राजस्व प्रणाली लागू की।
- यह निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्सों में किसी विशेष पुलिस की आवश्यकता नहीं है क्योंकि पहाड़ियों पर बहुत कम अपराध होते हैं और इसलिये एक समर्पित पुलिस बल रखना अनावश्यक समझा गया।
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