मॉरीशस के आईएसए के देशीय साझेदारी फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर | हरियाणा | 16 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
मॉरीशस गणराज्य और अंतर-सरकारी संगठन अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) ने सौर सहयोग को मज़बूत करने और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में तेज़ी लाने के लिये एक देशीय साझेदारी फ्रेमवर्क (CPF) पर हस्ताक्षर किये।
मुख्य बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे में:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग के लिये एक कार्य-उन्मुख, सदस्य-संचालित, सहयोगात्मक मंच है।
- इसका मूल उद्देश्य अपने सदस्य देशों में ऊर्जा तक पहुँच को सुगम बनाना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देना है।
- ISA की परिकल्पना भारत और फ्रांस द्वारा सौर ऊर्जा समाधानों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध प्रयासों को गति देने के लिये एक संयुक्त प्रयास के रूप में की गई थी।
- दृष्टिकोण:
- आइये हम सब मिलकर सूर्य को अधिक उज्ज्वल बनाएँ।
- उद्देश्य:
- हर घर में, चाहे वह कितना भी दूर क्यों न हो, रोशनी होगी।
- मुख्यालय:
- इसका मुख्यालय भारत में है तथा इसका अंतरिम सचिवालय गुरुग्राम में स्थापित किया गया है।
देश भागीदारी रूपरेखा (CPF):
- CPF सौर परियोजनाओं और नीति समर्थन पर सहयोग के लिये एक संरचित, रणनीतिक दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
- मॉरीशस इस रूपरेखा पर हस्ताक्षर करने वाला पहला अफ्रीकी देश और विश्व स्तर पर चौथा देश (बांग्लादेश, भूटान और क्यूबा के बाद) है।
- CPF तीन वर्षों के लिये वैध है, जिसमें आपसी सहमति के आधार पर नवीकरण का प्रावधान है।
- देश साझेदारी रणनीति (CPS):
- CPF के बाद, ISA और मॉरीशस मिलकर एक देश साझेदारी रणनीति (CPS) का विकास करेंगे, जो मॉरीशस के राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों के अनुरूप होगी।
- CPS देश-संचालित और आवश्यकता-आधारित होगा, जो सौर तैनाती के लिये अनुकूल परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
मुख्य लक्ष्य:
- रणनीतिक योजना एवं विनियमन:
- सौर ऊर्जा रोडमैप का निर्माण या संशोधन।
- सौर अनुप्रयोगों को सुविधाजनक बनाने के लिये नियामक ढाँचे का विकास।
- प्रौद्योगिकी एवं क्षमता निर्माण:
- सौर अनुप्रयोगों की तैनाती:
- सौर छतों, फ्लोटिंग सौर, एग्रीवोल्टाइक और सौर जल पंपिंग को बढ़ावा देना।
- सौर ऊर्जा से संचालित हरित हाइड्रोजन पहल के लिये समर्थन।
- द्वीपीय पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप सौर नौकाओं और अन्य नवाचारों की खोज।
- मॉरीशस में ISA की वर्तमान भूमिका:
- ISA के संस्थापक सदस्य मॉरीशस ने ISA के नेतृत्व वाली पहलों में सक्रिय रूप से भागीदारी की है।
- इनमें उल्लेखनीय है जवाहरलाल नेहरू अस्पताल का सौरीकरण, जिसे ISA केयर्स पहल के तहत क्रियान्वित किया गया है, जिसका उद्देश्य लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों (SIDS) में स्वास्थ्य सुविधाओं को सौरीकृत करना है।
- यह अस्पताल मूलतः भारतीय सहयोग से वर्ष 1984 में स्थापित किया गया था तथा जून 2024 में इसका सौर ऊर्जा से परिचालन शुरू किया जाएगा।
लघु द्वीप विकासशील राज्य (SIDS)
- लघु द्वीपीय विकासशील राज्य (SIDS) छोटे द्वीपीय राष्ट्रों और क्षेत्रों के समूह को संदर्भित करते हैं, जो महत्त्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कमजोरियों के साथ-साथ सतत विकास में साझा चुनौतियों का सामना करते हैं।
- SIDS में मालदीव, सेशेल्स, मार्शल द्वीप, सोलोमन द्वीप, सूरीनाम, मॉरीशस, पापुआ न्यू गिनी, वानुअतु, गुयाना और सिंगापुर शामिल हैं।
- SIDS मुख्य रूप से तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं: कैरीबियाई, प्रशांत और अटलांटिक, हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र।
- 1992 में पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में, SIDS को उनकी अद्वितीय पर्यावरणीय और विकासात्मक चुनौतियों के कारण औपचारिक रूप से एक विशेष मामले के रूप में मान्यता दी गई थी।
हरियाणा में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन | हरियाणा | 16 Apr 2025
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने हरियाणा में 10,000 करोड़ रुपए की विकास और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
प्रमुख परियोजनाएँ:
- यमुनानगर में थर्मल पावर विस्तार:
- प्रधानमंत्री ने यमुनानगर में दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट की 800 मेगावाट की तीसरी इकाई की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 8,469 करोड़ रुपए होगी।
- यह इकाई 233 एकड़ में बनाई जाएगी और इसका वाणिज्यिक परिचालन मार्च 2029 तक शुरू होने की उम्मीद है।
- चालू हो जाने पर, हरियाणा की आंतरिक विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़कर 3,382 मेगावाट हो जाएगी।
- यमुनानगर में अपशिष्ट से ऊर्जा के लिये गोबरधन संयंत्र:
- प्रधानमंत्री ने यमुनानगर के मुकारमपुर में 90 करोड़ रुपए के गोबरधन प्लांट की आधारशिला भी रखी।
- यह यमुनानगर-जगाधरी नगर निगम और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के बीच एक सहयोग है।
- मई 2027 तक पूरा होने वाला यह संयंत्र निम्नलिखित प्रसंस्करण करेगा:
- 45,000 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट,
- प्रतिवर्ष 36,000 मीट्रिक टन गोबर निकालेगा है।
- इससे निम्नलिखित उत्पन्न होगा:
- 10,000 मीट्रिक टन जैव-उर्वरक
- इस परियोजना से CO₂ उत्सर्जन में 7,700 मीट्रिक टन/वर्ष की कटौती होगी, लैंडफिल में आग लगने की घटनाओं को रोका जा सकेगा और वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
- यातायात सुगम बनाने के लिये रेवाड़ी बाईपास का उद्घाटन:
- उन्होंने भारतमाला योजना के तहत हाइब्रिड एन्युटी मोड में 1,069 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित रेवाड़ी बाईपास का भी उद्घाटन किया।
- 14.4 किलोमीटर लंबा चार लेन वाला बाईपास NH-352 को NH-11 से जोड़ता है, जिससे नारनौल तक पहुँच में सुधार होगा और रेवाड़ी शहर बाईपास हो जाएगा।
- हिसार के लिये नया हवाई अड्डा टर्मिनल:
- उन्होंने हिसार में महाराजा अग्रसेन हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 410 करोड़ रुपए से अधिक होगी।
- प्रधानमंत्री ने हरियाणा को अयोध्या धाम से जोड़ने वाली आगामी उड़ानों की घोषणा की।
संपीड़ित बायोगैस (CBG)
- संपीड़ित बायोगैस (CBG): CBG एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो कृषि अवशेष, मवेशियों के गोबर, नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट और सीवेज मल सहित जैविक अपशिष्ट से उत्पादित होता है।
- यह जीवाश्म ईंधनों के स्थान पर कृषि एवं पशु अपशिष्टों का प्रबंधन करने तथा खुले में जलाने को कम करने में मदद करता है।
गोबरधन योजना
भारतमाला परियोजना
- इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने की थी। यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) के तहत शुरू किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है।
- योजना के तहत सरकार का इरादा लगभग 7 लाख करोड़ रुपए के निवेश से 83,677 किलोमीटर राजमार्ग और सड़कें बनाने है।
- पहले चरण में 5.35 लाख करोड़ रुपए की लागत से 34,800 किलोमीटर राजमार्ग बनाने की योजना है।
- यह सीमा एवं अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी सड़कों, तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कों के विकास, राष्ट्रीय गलियारों, आर्थिक गलियारों तथा अन्य की दक्षता में सुधार जैसी नई पहलों पर केंद्रित है।