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हरियाणा सरकार ने 'आपत्तिजनक' जाति नामों को हटाने का आग्रह किया
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से राज्य की अनुसूचित जातियों की सूची से चूड़ा, भंगी और मोची जैसी विशिष्ट जातियों के नाम हटाने का आग्रह किया है।
- इन नामों को आपत्तिजनक, अपमानजनक माना जाता है और अक्सर अपमानजनक टिप्पणी के रूप में प्रयोग किया जाता है।
मुख्य बिंदु
- राज्य का तर्क है कि ये नाम "न केवल आपत्तिजनक हैं, बल्कि इनकी प्रासंगिकता भी समाप्त हो चुकी है।"
- इस कदम का उद्देश्य इन उपाधियों के माध्यम से कायम जाति-आधारित पूर्वाग्रहों को समाप्त करना है।
- जिन नामों को हटाया जाना है, वे हैं चूड़ा और भंगी, जो अनुसूचित जाति (SC) सूची के क्रम संख्या 2 पर अंकित हैं तथा मोची, जो SC सूची के क्रम संख्या 9 पर अंकित है।
- जब नकारात्मक रूप से या अपमानजनक रूप से उपयोग किया जाता है, तो ये जातिगत नाम जातिगत पूर्वाग्रह को कायम रखते हैं और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत शिकायतों का परिणाम हो सकता है, जिसमें कठोर दंड का प्रावधान है।
- हालाँकि, इन नामों को SC सूची से हटाने के लिये, केंद्र को संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में संशोधन करना होगा, जो SC/ST सूची में जातियों को जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया है।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989:
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, जिसे SC/ST अधिनियम 1989 के नाम से भी जाना जाता है, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को जाति आधारित भेदभाव और हिंसा से बचाने के लिये अधिनियमित किया गया था।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 17 में निहित इस अधिनियम का उद्देश्य इन हाशिए पर पड़े समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और पिछले कानूनों की अपर्याप्तताओं को दूर करना है।
- यह अधिनियम अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 और नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 पर आधारित है, जो अस्पृश्यता और जाति के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने के लिये स्थापित किये गए थे।
- केंद्र सरकार को अधिनियम के कार्यान्वयन के लिये नियम बनाने का अधिकार है, जबकि राज्य सरकारें और संघ राज्य क्षेत्र केंद्रीय सहायता से इसका प्रशासन करते हैं।