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NEET लीक विवाद
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (NEET) स्नातक परीक्षा के पेपर लीक होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जिसके कारण दोबारा परीक्षा कराने और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जाँच कराने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
- आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने खुलासा किया है कि बिहार में NEET के उम्मीदवारों ने लीक हुए परीक्षा पेपर के लिये 30 लाख रुपए तक का भुगतान किया है।
मुख्य बिंदु
- सर्वोच्च न्यायालय NEET से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, हालाँकि उसने परिणामों के आधार पर प्रवेश के लिये काउंसलिंग पर रोक नहीं लगाई है।
- यह खुला घोटाला परीक्षा प्रणाली में गहरी जड़ें जमाए हुए मुद्दों को उजागर करता है और सुधार व जवाबदेही की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET), जिसे पहले अखिल भारतीय प्री-मेडिकल टेस्ट (AIPMT) के नाम से जाना जाता था, भारतीय मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में MBBS तथा BDS कार्यक्रमों के लिये योग्यता परीक्षा है।
- इसे वर्ष 2013 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा शुरू किया गया था और अब इसे राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित किया जाता है।
- NTA की स्थापना भारतीय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी के रूप में की गई थी।
- यह उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश/फेलोशिप के लिये प्रवेश परीक्षा आयोजित करने हेतु एक स्वायत्त और आत्मनिर्भर परीक्षण संगठन है।
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नालंदा विश्वविद्यालय
चर्चा में क्यों
भारत के प्रधानमंत्री बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करेंगे।
मुख्य बिंदु:
- इस विश्वविद्यालय की परिकल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) देशों के बीच संयुक्त सहयोग के रूप में की गई है।
- यह परिसर एक ‘नेट ज़ीरो’ ग्रीन परिसर है। यह एक सौर संयंत्र, घरेलू और पेयजल उपचार संयंत्र, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिये जल पुनर्चक्रण संयंत्र, 100 एकड़ क्षेत्रफल वाले जल निकाय एवं कई अन्य पर्यावरण अनुकूल सुविधाओं के लैस और आत्मनिर्भर है।
- लगभग 1600 वर्ष पूर्व स्थापित मूल नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व के प्रथम आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है।
- नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष/खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र धरोहर स्थल घोषित किया गया।
- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन:
- EAS की स्थापना वर्ष 2005 में दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) के नेतृत्व वाली पहल के रूप में की गई थी।
- EAS हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एकमात्र नेतृत्वकारी मंच है जो सामरिक महत्त्व के राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिये सभी प्रमुख साझेदार राष्ट्रों को एक साथ संगठित करता है।
- EAS स्पष्टता, समावेशिता, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान, ASEAN की केंद्रीयता तथा प्रेरक शक्ति के रूप में ASEAN की भूमिका के सिद्धांतों पर कार्य करता है।
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